भोजपुरी माटी गीतों को जिन्होंने सात समुंदर पार दिलाई पहचान….

#भोजपुरी लोक गीतों के चर्चित गायक अजीत कुमार अकेला की पांचवीं पुण्यतिथि पर विशेष…..

भोजपुरी माटी गीतों को जिन्होंने सात समुंदर पार दिलाई पहचान….
#कौड़ी कौड़ी जोड़ के संचय कइनी खजाना पूंजी सब खर्चा हो गईले करब से कवन बहाना त पल भर समय ना घटिहे बढिहे समय से खुली सवारी अब पियवा के लागल बा कचहरी भेजले बा डोलिया कहारी यह निर्गुण अकसर गुरू अकेला जी गाया करते थे…. अजीत कुमार अकेला से पहली मुलाकात पटना हाई स्कूल में 1995 में हुई वे संगीत शिक्षक थे मेरे ऊपर उनका विशेष स्नेह था .पटना कालेज के पास ऐनी बेसेनट मार्ग में उनका आवास था पर इन दिनों राजा पुर पुल के पास गंगा अपार्टमेंट में रहने लगे थे। हमार बैल गाडी सबसे अगाडी, झामलाल बुढवा पीटे कपार, बऊरहवा के अजबे राजधानी देखनी; देवी भईली गुलरी के हो फूल.अईली दुअरिया बन के पुजरिया.चार गो बेलपत्र चार दाना चाऊर ऐ भोला देख तहार उनके लोकप्रिय हिट गीत थे। पर तीन सौ से ज्यादा हिट भोजपुरी एलबम इन्होंने गाया था।

सईया सिपहिया बलमा जय मईया अमबे भवानी कल हमारा है समेत 18भोजपुरी व 5 हिंदी फिल्मों में पार्श्व गायन भी किया था।रेडियो व दूरदर्शन के ए ग्रेड लोकगायक थे नब्बे के दशक में भोजपुरी के सबसे लोकप्रिय व हिट गायक थे शारदा सिन्हा के बाद भोजपुरी छठ गीतों के इकलौते प्रतिनिधि मेल गायक बने जिनके गाए छठ गीत दर्शन दिही भोरे भोरे हे……अबकी के गेहुआ महंग भईल बहिनी छोड देहू हे बहिनी छठिया बरतिया हरेक भोजपुरी भाषी के घर में बजे सरकारी स्कूल की नौकरी में रहते हुए भोजपुरी का मान बढाया। मंच के टंच कलाकार थे अकेला जी देवी जागरण में इनका कोई जोड नहीं था

कणठ में साक्षात सरस्वती विराजमान थी। पूर्वी सोहर , झूमर ,कजरी ,निर्गुण ,सोहर, बारहमासा से लेकर सोठी लोरिकायन तक के प्रतिनिधि गायक थे अश्लीलता के मुखर विरोधी भी थे अजीत कुमार अकेला इन दिनों अस्वस्थता के बावजूद गीत संगीत को सहेजने में लगे थे। पटना से सटे संपतचक के सभ्रांत ब्राह्मण परिवार में जन्मे अकेला के पिता रामपुकार महाराज धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे एक पुत्र व एक पुत्री के पिता अकेला जी मारिशस फिजी गुयाना त्रिनिदाद टोबेको मे भी सैंकडों शो कर चुके थे |

(अनूप नारायण सिंह की कलम से)

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