रोजगार के बाद शिक्षा पर भी मोदी सरकार का ध्यान नहीं!

Desk. शिक्षा और रोजगार के मामले में केंद्र की मोदी सरकार पिछली सरकार से लगातार फिसड्डी साबित हो रही है। देश में शिक्षण संस्थान पर भी सरकार का कोई विशेष घ्यान नहीं है। एक आरटीआई में खुलासा हुआ कि मोदी सरकार केंद्रीय विद्यालय खोलने में मनमोहन सरकार से पीछे हैं। आठ साल में मोदी सरकार ने 159 केंद्रीय विद्याल खोले हैं। वहीं इतने ही समय में मनमोहन सरकार ने 202 स्कूल खोले थे।

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इसमें पता चला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के 8 वर्षों में, 159 केंद्रीय विद्यालय बनाए गए थे, वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शुरुआती 8 वर्षों में 202 स्कूलों की शुरुआत हुई थी। देश में 1 अप्रैल 2022 तक, काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में विदेश में कार्यरत तीन केंद्रीय विद्यालयों सहित कुल 1249 केंद्रीय विद्यालय हैं। कुल 1,249 केंद्रीय विद्यालयों में लगभग 14,35,562 छात्र इनरोल हैं।

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रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 से 2021-22 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 159 स्कूलों का निर्माण किया गया है। यानी प्रत्‍येक वर्ष औसतन 20 स्कूल शुरू हुए हैं। इसकी तुलना में 2004-05 से 2011-12 तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शुरुआती आठ साल के कार्यकाल में 202 स्कूल शुरू हुए थे। यानी प्रतिवर्ष 25 से अधिक स्कूल शुरू हुए थे।

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वर्तमान NDA सरकार में, मध्‍यप्रदेश में अधिकतम 20 स्कूल खोले गए हैं। उत्तर प्रदेश को 17, राजस्थान को 14, कर्नाटक को 13, छत्तीसगढ़ और ओडिशा को 10-10 स्‍कूल मिले हैं। वहीं UPA सरकार के शुरुआती 8 वर्षों के दौरान, ओडिशा को अधिकतम 24 केवी, मध्य प्रदेश को 20, बिहार को 16, यूपी को 12, राजस्थान और पश्चिम बंगाल को 11-11 और पंजाब और तमिलनाडु को 10-10 स्‍कूल मिले. 8 वर्षों की तुलना में, बिहार को मनमोहन सरकार के दौरान 16 केवी मिले, जबकि मोदी शासन में केवल 4 केवी मिले।

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बता दें कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन के लिए सांसद कोटा खत्म कर दिया है। इस कोटे के माध्यम से प्रत्‍येक सांसद केंद्रीय विद्यालयों में एडमिशन के लिए 10 नामों की सिफारिश कर सकते थे। सांसदों को इस कोटे के तहत एडमिशन के लिए बहुत दबाव झेलना पड़ता था। मार्च 2022 में, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में कहा कि 10 सीटों का कोटा बहुत कम है, ऐसे में सरकार से या तो इसे बढ़ाकर 50 करे या इसे पूरी तरह से खत्म कर दे। इस पर सरकार ने कोटे को खत्‍म करने का विकल्प चुना।

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