सहारा में कैसे डूब गया बिहार के निवेशकों का हजारों करोड़, अब सुब्रत राय की गिफ्तारी का पटना हाई कोर्ट ने दिया आदेश…

desk : बिहार सहित देश भर के करोड़ों लोगों के निवेश की भरोसेमंद कंपनी रही सहारा इंडिया अब करोड़ों निवेशकों के खून-पसीने की कमाई गबन करने के लिए जानी जाती है. इसी कारण पटना हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सहारा इंडिया के संस्थापक सुब्रत राय की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया. कोर्ट में लगातार दो दिनों तक राय हाजिर नहीं हुए थे जिस कारण कोर्ट ने यह आदेश सुनाया है. सहारा के सितारे गर्दिश में जाने का सिलसिला शुरू हुआ वर्ष 2008 में और वहीं से बिहार सहित देश के करोड़ों लोगों की कमाई भी डूब गई.

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सहारा के इस मकड़जाल की शुरुआत हुई वर्ष 2008 में. तब सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन (एसआइआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन (एसएचआइसीएल) से दो कंपनियों में निवेश कराया. दोनों कंपनियों ने वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) के माध्यम से 3 करोड़ निवेशकों से करीब 24 हजार करोड़ रुपए की रकम जुटाई. अप्रैल 2008 में हुई जब एसआईआरइसीएल और एसएचआइसीएल ने ओएफसीडी जारी करना शुरू किया. सितम्बर 2009 में सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ लाने के लिए सेबी के समक्ष दस्तावेज़ जमा किया.

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इस बीच, 25 दिसंबर 2009 और 4 जनवरी 2010 को सेबी को दो शिकायतें मिलीं. इनमें कहा गया कि सहारा की कंपनियां वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर जारी कर रही है और गलत तरीके से धन जुटा रही है. इन शिकायतों से सेबी की शंका सही साबित हुई. इसके बाद सेबी ने इन दोनों कंपनियों की जांच शुरू कर दी. सेबी ने पाया कि एसआइआरईसीएल और एसएचआइसीएल ने ओएफसीडी के जरिए दो से ढ़ाई करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं. बाद में माना गया कि निवेशकों की संख्या 3 करोड़ के करीब रही.

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