BIHAR : फिल्म शोले का डायलॉग है जो आज तक लोगों की जुबान पर है. शोले का खलनायक गब्बर सिंह कहता है, ‘जो डर गया समझो वो मर गया और बिहार की सियासत के गब्बर सिंह कहते हैं जो पिएगा वो मरेगा. जी हाँ, यहां बात नीतीश कुमार की हो रही है जो पिछले वर्षों के दौरान शराबबंदी के बाद भी जब भी बिहार शराब पीने से मौत होती है तो यही कहते हैं, जो पिएगा वो मरेगा. छपरा शराबकांड में 35 से ज्यादा लोगों की मौत होने के बाद जहाँ नीतीश हर ओर से निशाने पर हैं वहीं वे फिर से पुराने अंदाज में कह रहे हैं कि जो पिएगा वो मरेगा.
बिहार में शराबबंदी एक ऐसी पहेली है जिसमें आए दिन लोग कहते हैं कि शराब का अवैध कारोबार चल रहा है. पुलिस और मद्यनिषेध विभाग हर दिन शराब की खेप पकडती है. 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक हर साल जहरीली शराब से बिहार में दर्जनों मौतें हुई हैं. लेकिन आज तक शराब की तस्करी पर ना तो पूरी तरह से रोक लगी है. ना ही शराब पीने से होने वाले नुकसान से बचने के लिए लोगों को उस स्तर तक जागरूक किया जा सका है जिससे वे शराब पीना छोड़ दें तो शराबबंदी सफल हो. उलटे हर साल शराब के काले कारोबारियों का शिकार होकर कई लोग जान गंवाते हैं.
इन सबके बाद सीएम नीतीश तो गब्बर सिंह स्टाइल में कह ही रहे हैं – जो पिएगा वह मरेगा. और छपरा में जहरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा भी 35 पार कर चुका है. देखा जाए तो यह बिहार में 2016 में लागू शराबबंदी के बाद से अब तक जहरीली शराब पीकर मरने वालों की सबसे बड़ी संख्या है. पिछले दो दिनों से बिहार में सियासत भी इसे लेकर गर्म है. विधानसभा के दोनों सदनों में लगातार हंगामा हो रहा है. नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा के बीच जोरदार बहसबाजी भी हुई. पर नीतीश कुमार के जो पिएगा वो मरेगा के जवाब में मूल सवाल अनुत्तरित ही रह गया है कि आखिर बिहार में शराबबंदी को कैसे पूर्ण सफल बनाया जा सके.