बाम्बे हाई कोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को रखा बरकरार, आईएसआईएस से संबंध होने के आरोपी को दी जमानत

बाम्बे हाई कोर्ट ने विशेष अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए मंगलवार को 27 साल के अरीब मजीद को जमानत दे दी। मजीद पर इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट (आईएसआईएस) से संबंध होने का आरोप है।

 

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की एक खंडपीठ ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की ओर से दायर उस याचिका का निपटारा किया, जिसमें आईएसआईएस के कथित सदस्य मजीद को जमानत देने के फैसले को चुनौती दी गई थी।

 

एनआईए की एक विशेष अदालत ने पिछले साल मार्च में मजीद को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि सुनवाई में काफी देरी हुई और साथ ही अभियोजन पक्ष प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ कुछ साबित नहीं कर पाया है।

 

अदालत ने कहा कि निष्पक्ष और तीव्र सुनवाई एक संवैधानिक अधिकार है और लंबे समय तक सुनवाई चलने के बाद आरोपी अगर दोषी नहीं पाया गया तो, उसके द्वारा विचाराधीन कैदी के तैार पर बिताए समय को वापस नहीं लौटाया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां किसी पर गंभीर आरोप लगाए जाते हैं तब अदालत को संतुलित कार्यवाही करनी होती है। अदालत ने कहा कि 50 गवाहों के बयान दर्ज करने में पांच साल से अधिक समय लगा है और अभी 107 और गवाहों से पूछताछ की जानी है।

 

अदालत ने आगे कहा, ‘‘ इसलिए, सुनवाई के निकट भविष्य में पूरा होने की कोई संभावना नहीं है।’’ पीठ ने कहा कि वह मुकदमा लंबित होने के आधार पर निचली अदालत के मजीद को जमानत देने का आदेश बरकरार रख रही है, वह मामले के गुण- दोष आधार पर उसकी (निचली अदालत की) टिप्पणियों को खारिज कर रही है।

 

कोर्ट ने कहा कि यह अजीब बात है कि एनआईए अदालत ने पाया कि 49 गवाहों से पूछताछ के बाद भी अभियोजन पक्ष प्रथम दृष्टया अपना मामला साबित करने में सफल नहीं हुआ है। उच्च न्यायालय ने मजीद को एक लाख रुपये बतौर मुचलका जमा कराने और ठाणे जिले के कल्याण से बाहर नही जाने का निर्देश भी दिया। मजीद कल्याण में रहता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *