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मल्हनी सीट को लेकर BJP का प्लान क्या है ?,किसके इशारे पर धनंजय सिंह को JDU से मिला टिकट ?

मल्हनी सीट को लेकर BJP का प्लान क्या है ?,किसके इशारे पर धनंजय सिंह को JDU से मिला टिकट ?

 ChunaUPv 2022 : किसके इशारे पर धनंजय सिंह को JDU से मिला टिकट? मल्हनी सीट को लेकर BJP का प्लान क्या है?

जौनपुर  के लिए जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने बुधवार को 17 उम्मीदवारों की सूची (JDU candidate list) जारी की है। इसमें जौनपुर जिले के मल्हनी विधानसभा सीट पर घोषित कैंडिडेट का नाम सबका ध्यान खींच रहा है। मल्हनी से नेता और पूर्व सांसद धनंजय सिंह को टिकट दिया गया है। धनंजय सिंह के नॉमिनेशन के साथ ही ना केवल जौनपुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और बिहार में यह बात चर्चा का विषय बना हुआ है। पहली नजर में तो यह लगता है कि यूपी चुनाव में बीजेपी से गठबंधन नहीं होने की खुन्नस में जेडीयू ने धनंजय सिंह को एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है। लेकिन राजनीति के इस खेल का बारीकी से अध्ययन करने पर कुछ कई अलग तरह की बातें समझ में आती हैं। हालांकि जौनपुर की जनता से बात करने पर राजनीतिक दांव पेच की आशंकाएं और भी स्पष्ट हो जाती है।

मल्हनी सीट का इतिहास क्या है?-जौनपुर जिले की मल्हनी विधानसभा सीट के पिछले डेढ़ दो दशक के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहां बीजेपी, सपा और बसपा जैसी पार्टियों के प्रत्याशी को जमानत बचाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। इस सीट पर  धनंजय सिंह की अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है। कहा जाता है कि मल्हनी के बड़े वोट बैंक पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह का इतना प्रभाव है कि वह जिस पार्टी या उम्मीदवार को वोट देने का इशारा कर देते हैं उसी की जीत तय हो जाती है। साल 2002 यूपी विधानसभा चुनाव में पहली बार धनंजय सिंह ने निर्दलीय रारी सीट (अब मल्हनी) से नॉमिनेशन किया और भारी मतों से जीत दर्ज की। साल 2007 में जब बीएसपी के सोशल इंजीनियरिंग की आंधी चली तब भी धनंजय सिंह ने मल्हनी में बीजेपी+जेडीयू के साझा उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी। साल 2008 में बीएसपी में शामिल हुए और 2009 के लोकसभा चुनाव में हाथी के टिकट पर लोकसभा पहुंचे। सांसद बनने के बाद धनंजय सिंह ने पिता राजदेव सिंह को रारी सीट से बीएसपी के टिकट पर जीत दिलाकर विधानसभा भेजा। 2012 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने धनंजय सिंह के पिता और सीटिंग विधायक राजदेव सिंह का टिकट काटकर पाणिनी सिंह को मैदान में उतारा। नाराज धनंजय सिंह ने मल्हनी से पत्नी जागृति सिंह को निर्दलीय मैदान में उतारा। जागृति सिंह चुनाव तो नहीं जीत पाईं लेकिन बीएसपी प्रत्याशी पाणिनी सिंह को तीसरें नंबर की पार्टी बनने के लिए मजबूर कर दिया। 2012 के विधानसभा चुनाव में पारस नाथ सपा के टिकट पर मल्हनी से विधायक बने। इतनी हाई प्रोफाइल सीट से जीतने के इनाम स्वरूप अखिलेश यादव ने उन्हें अपनी कैबिनेट में जगह दी। 2017 के चुनाव में पारसनाथ ने पाला बदलकर एनडीए में चले गए और निषाद पार्टी के टिकट पर दोबारा यहां से जीते। धनंजय सिंह को दूसरे नंबर से संतोष करना पड़ा। वहीं 2017 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी सतीश सिंह चौथे नंबर पर रहे। 2020 में पारसनाथ यादव के आकस्मिक निधन के बाद हुए उपचुनाव में सपा ने उनके बेटे लकी यादव को मैदान में उतारा और उन्होंने भी अपने पिता की तरह धनंजय सिंह को 4000 वोटों से हराया। वहीं बीजेपी की राज्य में सरकार होने के बाद उनके प्रत्याशी की जमानत तक नहीं बच पाई। बीएसपी प्रत्याशी का भी यही हाल रहा।

दोबारा ‘माननीय’ का तमगा चाहते हैं पूर्व सांसद धनंजय सिंह -जौनपुर के लोग बताते हैं कि अच्छा खासा रसूख और मल्हनी की जनता के बीच अच्छी पकड़ होने के बाद भी  धनंजय सिंह किन्ही वजहों से करीब एक दशक से सत्ता से दूर हैं। ऐसे में वह हर हाल में एक बार फिर से माननीय बनने की चाहत पाले हुए हैं। बताया जाता है कि धनंजय सिंह बीजेपी के टिकट पर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनकी दागदार छवि को देखते हुए बीजेपी थिंकटैंक ने उन्हें पार्टी में शामिल करने से मना कर दिया है। कहा जा रहा है कि बीजेपी के कहने पर ही धनंजय सिंह को जेडीयू ने मल्हनी सीट से प्रत्याशी बनाने को कहा है। बीजेपी के इस दांव से कई राजनीतिक हित सफल होते देखे जा रहे हैं। एक तरफ बीजेपी को ऐसा अंदेशा है कि अगर मल्हनी सीट से कोई कमजोर प्रत्याशी मैदान में होता है तो शायद एक बार फिर उनके प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाएगी और समाजवादी पार्टी बाजी मार ले जाएगी। दूसरी बात यह है कि बीजेपी और जेडीयू बगल के राज्य बिहार में मिलकर सरकार चला रहे हैं। जेडीयू यूपी में भी बीजेपी के साथ गठबंधन करने के लिए अंतिम चरण तक बात करती रही, लेकिन अपना दल के साथ गठबंधन की मजबूरियों के चलते बीजेपी ने यूपी में जेडीयू को साथ नहीं लिया। ऐसे में अगर बीजेपी के कहने पर धनंजय सिंह जैसे मजबूत कैंडिडेट जेडीयू के टिकट पर मल्हनी से चुनाव जीतते हैं तो कहीं ना कहीं यह बीजेपी और जेडीयू की दोस्ती को बनाए रखने में मददगार होगी

पूर्व सांसद धनंजय सिंह जौनपुर में कभी क्रिकेट खेलते तो कभी किसी शोरूम का उद्घाटन करते हुए देखे गए। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने धनंजय सिंह का क्रिकेट खेलते हुए वीडियो ट्वीट किया और उसके खुलेआम घूमने पर सवाल उठाए। ट्वीट पर राजनीति गरमाने पर मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी गई। इनामी बदमाश होने के चलते धनंजय के सामने चुनाव में उतरने की दिक्कत थी। तभी मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एसटीएएफ से इस मामले में रिपोर्ट मांगी। एसटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में  धनंजय सिंह को पुलिस से जानकारी छिपाने और अजीत सिंह की हत्या करने वाले शूटरों को संरक्षण देने का दोषी बनाते हुए रिपोर्ट सौंप दी। एसटीएफ ने धनंजय को जिन दो धाराओं के आरोपी बनाया है, वह जमानती हैं। यानी अब धनंजय इनामी बदमाश नहीं रहे हैं। अब उन्हें पुलिस से बचकर भागने या छिपने की कोई जरूरत नहीं होगी। इस वजह से धनंजय सिंह मल्हनी सीट से बेफिक्र होकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। ये सारी प्रक्रियाएं इतनी तेजी से हुई हैं जिसके बाद इस बात की चर्चा जोरों पर है कि धनंजय सिंह को बीजेपी ही जेडीयू के टिकट पर विधायक बनवाना चाहती है। हालांकि सच्चाई क्या है यह तो बीजेपी के थिंक टैंक या खुद धनंजय सिंह ही बता सकते हैं।

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