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21 राज्यों में कम केस, आंशिक लॉकडाउन जारी,देश में बीते 24 घंटों में कोरोना के 48 हजार से अधिक मामले

केरल में अचानक बढ़े केस

केरल में अचानक कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। केरल के आंकड़े डरा रहे हैं। यहां बीते दो दिनों से नए केस 13,500 से ज्यादा आ रहे हैं। इससे पहले 21 जून को यह संख्या घटकर 7,449 तक पहुंच गई थी।

इसके साथ ही देश के 21 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ऐसे हैं जहां कोरोना के मामलों में गिरावट आई है। इन राज्यों में आंशिक लॉकडाउन है। यहां पाबंदियां के साथ छूट भी है। इनमें बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, नगालैंड, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश और गुजरात शामिल हैं।

देश के दस राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आ रही है। देश के इन 10 राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मिजोरम, गोवा और पुडुचेरी शामिल हैं। यहां लॉकडाउन जैसे कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं।

देश में कोरोना महामारी की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार जारी है। देश में अब कोरोना के रोजाना मामले 50 हजार से कम हो चुके हैं तो वहीं मौतों की संख्या भी एक दिन में हजार तक हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस संक्रमण के 48,786 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान देश भर में कोरोना संक्रमण के कारण 1005 मरीजों की मौत हुई है।

इसके साथ ही देश में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। कोरोना के सक्रिय मामले भी लगातार कम हो रहे हैं। देश में बीते 24 घंटों में 61588 लोग कोरोना ठीक हुए है। इस तरह एक्टिव केस, यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में भी बीते एक दिन में 13,807 की कमी आई है।

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Corona Virus India | जानिए अपने राज्य कि कोरोना वायरस कि ताज़ा खबर | Covid Update

कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकरण (NDMA) को COVID-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश दिए

#सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि COVID-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजन मुआवजे के हकदार#कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकरण (NDMA) को COVID-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश दिए#

सुप्रीम कोर्ट में कोविड-19 के कारण मरने वालों के परिजनों के लिए मुआवजे की मांग वाले मामले पर बुधवार को जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकरण (NDMA) को COVID-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि COVID-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजन मुआवजे के हकदार हैं।

NDMA को 6 सप्ताह का समय देते हुए कहा गया है कि यह राज्यों को इस बारे में निर्देश दे। कोर्ट ने मामले में मुआवजा तय करना NDMA का वैधानिक कर्तव्य बताया और कहा कि इसके लिए रकम तय करना सरकार का काम है क्योंकि उसे कई और आवश्यक खर्चे भी हैं। इसके अलावा कोर्ट ने मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भी आसान प्रक्रिया बनाने की बात कही है।

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि कोविड-19 के कारण मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देना संभव नहीं क्योंकि सरकार के पास सीमित संसाधन है। मंत्रालय ने कहा था कि ऐसे यदि मुआवजे की राशि दी जाती है तो सरकार का आपदा राहत कोष खाली हो जाएगा। इससे अन्य राहत कार्यों व फैसलेे पर असर होगा। सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया कि दुर्लभ संसाधनों का मुआवजा देने के लिए इस्तेमाल करने से, महामारी के खिलाफ कदमों और दूसरे मामलों में स्वास्थ्य पर खर्च प्रभावित हो सकता है।

एडवोकेट गौरव कुमार बंसल  और रीपक कंसल  द्वारा दर्ज याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है। बंसल ने आपदा प्रबंधन अधिनियम (DMA) के सेक्शन 12 (iii) का हवाला दिया और मुआवजे की मांग की। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय अधिकरण को आपदा के कारण प्रभावित हुए लोगों को राहत के न्यूनतम मापदंडों के लिए दिशानिर्देश की सिफारिश करनी चाहिए, जिसमें मुआवजा शामिल हो।

राजस्थान : पानी ना मिलने से 6 साल की बच्ची की मौत, पढ़िए शर्म से सिर झुका देने वाली यह खबर

जालौर। राजस्थान के जालौर के रानीवाड़ा इलाके में तपती धूप में सफर कर रही एक 6 साल की बच्ची की पानी ना मिलने के कारण मौत हो गई।  बच्ची अपनी नानी के साथ थी, वो भी बेहोश हो गई थीं। जब ग्रामीणों को घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने पुलिस को घटनी की सूचना दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने बुजुर्ग को पानी पिलाया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं, मासूम के शव को भी अस्पताल ले जाया गया, जहां पोस्टमॉर्टम में मौत का कारण पानी ना मिलना ही निकला।

जानकारी के अनुसार 60 साल की सुखी देवी अपनी नातिन अंजलि के साथ सिरोही के पास रायपुर से दोपहर में रानीवाड़ा क्षेत्र के डूंगरी स्थित अपने घर आ रही थीं। कोरोना काल के चलते वाहनों की आवाजाही बंद होने के कारण उन्हें कोई साधन नहीं मिला। इस पर वह अपनी नातिन के साथ पैदल ही अपने गांव चल पड़ीं। करीब 20 से 25 किलोमीटर का सफर तय करने से दोनों बुरी तरह से थक गई थीं।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कांग्रेस सरकार पर सवाल खड़े किए।  प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा कि 9 घंटे तक पीने का पानी ना मिलने के कारण हुई एक बच्ची की मृत्यु  बेहद शर्मनाक घटना है। इसके लिए राजस्थान सरकार ज़िम्मेदार है। सोनिया, राहुल, प्रियंका अब चुप क्यों हैं?

वहीं दूसरी तरफ जालौर जिले में पहुंचे गहलोत सरकार के प्रतिनिधि लगातार इस घटना से जुड़े सवालों से बचते नज़र आ रहे हैं।

 

 

वैक्सीन की बर्बादी को लेकर कर्नल राज्यवर्धन ने राजस्थान सरकार से श्वेत-पत्र जारी करने की मांग की

राजस्थान। देश में कोरोना संक्रमण और उससे बचाव को लेकर जारी वैक्सीनेशन अभियान में हो रही वैक्सीन की बर्बादी को लेकर कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने आज वर्चुअल माध्यम से प्रेस वार्ता कर राजस्थान सरकार से श्वेत-पत्र जारी करने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने राजस्थान की मर्यादा को कांग्रेस आलाकमान की चौखट पर रख दिया है।

उन्होंने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने राजस्थान की मर्यादा को कांग्रेस आलाकमान की चौखट पर रख दिया है। राज्य सरकार सिर्फ अपने आलाकमान की सुनती है और यह भूल गई कि प्रदेश में उनकी सरकार है जबकि आलाकमान विपक्ष में है लगता है इस कारण प्रदेश सरकार भी विपक्ष का ही काम करने में लग गई।

सरकार द्वारा कैबिनेट की मीटिंग में कोरोना आपदा प्रबंधन और जनता की जान किस प्रकार बचानी है इस पर चर्चा नहीं होती। कैबिनेट में ना सांसो का प्रमाण है ना वैक्सीन का इंतजाम, सिर्फ आलाकमान- आलाकमान। सरकार जनता को पूरी तरह से भूलकर सिर्फ आलाकमान की सेवा करने में व्यस्त है।

कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कल जोधपुर में 125 करोड़ रूपये के ऑडिटोरियम का शिलान्यास हुआ वह निश्चित रूप से बनना चाहिए था, किन्तु काम की प्राथमिकता भी तय होनी चाहिए। 125 करोड़ रूपये से प्रदेश के लाखों युवाओं का वैक्सीनेशन संभव है किन्तु सरकार की प्राथमिकता में वैक्सीनेशन नहीं है। प्रदेश सरकार बार-बार ब्लैक फंगस का इंजेक्शन फ्री में लगाने की बात कर रही है, लेकिन राज्य सरकार स्वयं अस्पतालों को 10-10 लाख डिपोजिट कर इंजेक्शन खरीदने की बात कर रही है।

राजस्थान सरकार स्वयं ब्लैक फंगस का इंजेक्शन बेच रही है और जनता को कहती है कि हम इंजेक्शन फ्री में दे रहें है। अस्पताल इंजेक्शन खरीद नहीं रहे और मरीज के परिजनों को ही खरीदने के लिए कह रहे है। सरकार स्वयं अव्यवस्था फैलाकर चक्रव्यूह में डालने की कोशिश कर रही है। राजस्थान में ऐसा माहौल बना हुआ है जैसे वैक्सीन ही नही, प्रदेश सरकार भी कचरे के डब्बे में ही पड़ी हुई है। उन्होंने कहा राजस्थान में कोरोना वारियर्स के साथ जितनी नाइंसाफी हो रही है वह कहीं नहीं देखी।

प्रदेश में अनेक ऐसी मौतें हुई है जिसे सरकार कोरोना से नही बताकर अन्य बीमारी से बता रही है, जाहिर है यह सरकार अपनी छवी सुधारने के लिए कर रही है। यह साधारण बात नहीं है क्योकि ऐसा होने से कई परिवारों के बच्चों को पीएम केयर फाॅर चिल्ड्रन फंड का मुआवजा नहीं मिल पाएगा साथ ही राज्य सरकार आगे चलकर कोई मुआवजा तय करती है तो वह भी उन परिवारों को नही मिल पाऐगा।

प्रदेश में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर कर्नल राज्यवर्धन ने राज्य सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हुए कहा कि राजस्थान की जनता को वैक्सीन की बर्बादी क्यों हुई यह जानने का पूरा अधिकार है, इसलिए वैक्सीन की वाईल्स पर केन्द्र और राज्य सरकार की टीम के द्वारा संयुक्त रूप से जांच होनी चाहिए।

वैक्सीनेशन का काम अन्य कम्पनियों को ठेके पर दिए जाने के सवाल का जवाब देते हुए कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि साधारण व्यक्ति अगर देखे तो उसे यही लगेगा कि अगर किसी को फाॅर्मुला दे दिया जाए तो आसानी से वैक्सीन बनाई जा सकती है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है।

एक आर्टिकल के अनुसार फाईजर वैक्सीन में लगभग 180 प्रकार के अलग-अलग पदार्थ डाले जाते है जो दुनिया के अलग-अलग देशों से आते है और उनकी सीमा भी तय होती है, साथ ही वैक्सीन निर्माण के लिए जिस प्रकार के एक्पर्टस चाहिए वे साधारण तोर पर मिलना मुश्किल है। इसके अलावा मशीने लगाने, इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होने व कच्चा माल एकत्र करने में भी काफी समय लगता है।

 

 

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना, वैक्सीन को लेकर राजनीति करने का लगाया आरोप

नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन ने राजस्तान की गहलोत सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में राज्य सरकार ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं के आधारभूत ढांचे के विकास के बजाय विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। कोरोना काल में केंद्र सरकार ने ही काम किया है।  राज्य सरकार ने तो स्वास्थ्य बजट के करोड़ो रुपये सिर्फ बड़े-बड़े विज्ञापन और होर्डिंग्स पर ही खर्च किए हैं। अगर ये करोड़ों रुपये ग्रामीण क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सा सुविधाओं के लिए खर्च किए होते तो कई लोगों की जान बच जाती, राजस्थान सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

उन्होंने टीकाकरण पर भी राज्य सरकार द्वारा राजनीति करने का आरोप लगाया। कर्नल राज्यवर्धन ने बृहस्पतिवार को झोटवाड़ा और फुलेरा विधानसभा क्षेत्र में जोबनेर, फुलेरा, सांभर और नरेना स्थित कोविड केयर सेन्टर्स का निरीक्षण किया और चिकित्सा उपकरण दिए। उन्होंने चिकित्साकर्मियों का उत्साहवर्धन करते हुए कोरोनाकाल में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। फुलेरा विधायक निर्मल कुमावत भी उनके साथ रहे।

पत्रकारों से बातचीत में कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि केंद्र सरकार वैक्सीनेशन पर तेज गति से कार्य कर रही है और भारत में अभी तक 20 करोड़ से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है, इतनी तो कई देशों की जनसंख्या भी नही है। यह समय राजनीति करने का नहीं है लेकिन राज्य सरकार वैक्सीनेशन पर सिर्फ राजनीति कर अराजकता की स्थिति बनाने का प्रयास कर रही है। राज्यों के पास लगभग डेढ़ करोड़ से अधिक वैक्सीन पड़ी हुई है और राजस्थान में तो वैक्सीन की 11 लाख से अधिक डोज बरबाद हो चुकी है।

कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि राजस्थान सरकार ने ग्रामीण राजस्थान को बिल्कुल ही नज़रअंदाज कर दिया है। पूरे राजस्थान में लगभग 650 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, जो ग्रामीण जनता की सेवा कर रहे हैं। लेकिन राज्य सरकार ने कोरोना की लहर आने के बाद से उसमें एक भी पैसा खर्च नहीं किया। आंकड़ों को छुपाने का भी यही कारण है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास 1 करोड़ 58 लाख रुपये खर्च करने के लिए थे लेकिन सरकार ने ग्रामीण राजस्थान में चिकित्सा व्यवस्था के लिए कुछ भी खर्च नहीं किया। अब राज्य सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए कोरोना टेस्ट कम कर दिए, जिससे आंकड़ों में कमी दिखा सकें। राज्य सरकार 45 दिनों में होने वाली लैब टेक्नीशियन व सहायक रेडियोग्राफर भर्ती 11 महीने बाद भी पूरी नहीं कर सकी और सरकार आयुर्वेद चिकित्सकों की भर्ती भी भूल गई। चिरंजीवी योजना भी जनता के साथ छलावा है। इस योजना के अंतर्गत निजी अस्पताल लोगों का इलाज ही नहीं कर रहे हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना को भी बंद कर दिया।

गौरतलब है कि कर्नल राज्यवर्धन ने जयपुर ग्रामीण में तैयार किए गए 13 कोविड सेन्टरों को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी ली है और इसी के तहत उन्होंने प्रशासन को 100 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, पीपीई किट, एन 95 मास्क, सेनिटाइजर और ग्लब्स सहित विभिन्न चिकित्सा उपकरण उपलब्ध करवाए हैं, जिनमें से गुरुवार को जोबनेर, फुलेरा, सांभर और नरैना स्थित कोविड केयर सेन्टर्स पर 12 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 100 पीपीई किट, सर्जिकल मास्क, एन-95 मास्क, सैनिटाइजर सहित आवश्यक चिकित्सा उपकरण पहुंचाए गए। कर्नल राज्यवर्धन लगातार प्रशासन और चिकित्सकों से संपर्क में रहते हुए आवश्यकता अनुसार सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं।

 

कोरोना संक्रमित आसाराम की तबीयत बिगड़ी,  अस्‍पताल में भर्ती

राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे कोरोना संक्रमित आसाराम को कल रात तबीयत बिगड़ने के बाद महात्मा गांधी अस्पताल शिफ्ट किया गया है। आसाराम का तीन दिन पहले कोरोना टेस्‍ट हुआ था और कल शाम उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।

इसके बाद 80 साल के आसाराम ने बेचैनी की शिकायत की थी। यही नहीं कोरोना वायरस के चलते ऑक्सीजन लेवल बहुत कम होने पर उनको अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया। उधर, आसाराम की तबीयत बिगड़ने की खबर सुनकर उनके कई समर्थक अस्‍पताल पहुंच गए। यही नहीं  हालत बिगड़ते देख अब आसाराम को जोधपुर एम्स भेजने की तैयारी की जा रही है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हुए कोरोना संक्रमित, खुद ट्वीट कर दी जानकारी  

नई दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसकी जानकारी उन्होंने खुद अपने ट्विटर हैंडल के जरिए दी है। मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर लिखा कि कोविड टेस्ट करवाने पर आज मेरी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। मुझे किसी तरह के लक्षण नहीं हैं और मैं ठीक महसूस कर रहा हूं। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मैं आइसोलेशन में रहकर ही कार्य जारी रखूंगा।

बता दें कि एक दिन पहले ही सीएम गहलोत की पत्नी सुनीता गहलोत कोरोना संक्रमित हो गई थीं, जिसके बाद सीएम अशोक गहलोत होम आइसोलेशन में चले गए थे।

 

राजस्थान : अजमेर में गहलोत सरकार के खिलाफ BJP कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन

अजमेर। राजस्थान के अजमेर जिले में शनिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने गहलोत सरकर के खिलाफ प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की। भाजपाइयों ने जिला कलेक्टर को राज्यपाल के नाम का ज्ञापन सौंपकर राज्य की गहलोत सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।

प्रदर्शन कर रहे भाजपाइयों ने कहा कि गहलोत सरकार दो साल में ही जनता का विश्वास खो चुकी है। सत्ताधारी दल के विधायकों में गुटबाजी और असंतोष, अविश्वास के कारण गहलोत सरकार दो हिस्सों में बंटी है। जिससे प्रदेश का विकास छोड़कर एक दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे हैं।