दिव्यांगों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार ने छह महीने के पाठ्यक्रम की शुरुआत की

नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. थावरचंद गहलोत ने बुधवार को  वर्चुअल तरीके से दिव्यांगजन पुनर्वास पर 6 महीने का समुदाय आधारित समावेशी विकास कार्यक्रम (सीबीआईडी) लॉन्च किया। इस अवसर पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओफरेल, ऑस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त मनप्रीत वोहरा, भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव अंजलि भावरा, मेलबर्न विश्वविद्यालय के कुलपित प्रो. डंकन मास्केल, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के संयुक्त सचिव प्रबोध सेठ तथा मेलबर्न विश्वविद्यालय के डॉ. नैथन गिल्स मौजूद रहे।

समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. थावरचन्द गहलोत ने कहा कि दिव्यांगजन मोदी सरकार की प्राथमिकता में रहे हैं और हमेशा रहेंगे। केंद्र सरकार ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 लागू किया है, जिसमें  दिव्यांगजन  समावेशी समाज की परिकल्पना की गई है। उन्होंने दोहराया कि दिव्यांगजन महत्वपूर्ण मानव संसाधन हैं और यदि उन्हें उचित सुविधाएं और अवसर प्रदान किए जाते हैं तो वे शिक्षा, खेलकूद, अभिनय कला/ललित कला जैसे क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम मेलबर्न विश्वविद्यालय के सहयोग से तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम हमारे देश को दिव्यांगजनों के पुनर्वास और विकास के लिए प्रशिक्षित मानव शक्ति विकसित करने में सक्षम बना सकता है, जिससे समाज में उनकी अधिकारिता और समावेश को सुनिश्चित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि कोरोना की महामारी की स्थिति के कारण दिव्यांगजनों के लिए प्राथमिक परामर्शदाता/ निदेशक की आवश्यकता अधिक प्रासंगिक हो गई है और इस कार्यक्रम को शीघ्र प्रारंभ करने की आवश्यकता है।

 

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