भाजपा से भैय्या भाइयों की कटिंग
भारतीय जनता पार्टी मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले भैय्या भाइयों अर्थात उत्तर भारतीयों की जमकर कटिंग की जा रही है
श्रीश उपाध्याय/मुंबई: भारतीय जनता पार्टी मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले भैय्या भाइयों अर्थात उत्तर भारतीयों की जमकर कटिंग की जा रही है. हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने पत्रकार परिषद, मीडिया बाइट के लिए पार्टी पदाधिकारियों की सूची जाहिर की.
पत्रकार सम्मेलन और मीडिया बाइट के लिए कुल 10 लोगों का नाम घोषित किया गया. इसके अलावा विभागीय मीडिया बाइट देने वालों की सूची के अंतर्गत 20 लोगों का नाम शामिल किया गया.
आश्चर्य की बात है कि दिनरात पार्टी के लिए एक करने वाले संजय उपाध्याय, संजय पांडेय, विद्या ठाकुर,आचार्य पवन त्रिपाठी, रमेश ठाकुर, राजहंस सिंह, , कृपाशंकर सिंह, वकील अखिलेश चौबे, बड़बोले मोहित कंबोज यहां तक कि स्वयं को उत्तर भारतीय घोषित करने पर उतारू मंत्री मंगल प्रभात लोढा तक को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है.
मुंबई भाजपा का हाल तो ऐसा है कि मुंबई में भैय्या लोगों को सिर्फ वोट के लिए ईस्तेमाल किया जा रहा है.पार्टी के किसी भी ताकतवर पद पर एक भी भैय्या को नहीं रखा गया है. इसमें संजय उपाध्याय अपवाद है क्योंकि उन्हें भी पार्टी मुंबई महामंत्री बनाकर सिर्फ हमाली करवा रही है. राज्यसभा या विधान परिषद तो उन्हें मिलना नहीं है.
मुंबई भाजपा मे उत्तर भारतीयों की हालत दयनीय है. मुंबई की आबादी का एक तिहाई हिस्सा उत्तर भारतीय होने के बावजूद मुंबई के छह जिलों मे से एक भी जिलाध्यक्ष तक किसी भैय्ये को नहीं बनाया गया है.
बार बार उत्तर भारतीयों के लिए ‘भैय्या” शब्द का इस्तेमाल करने का उद्देश्य है कि शायद इनका आत्मसम्मान जागे और भाजपा के भैय्ये, नेताओ की चाटने की बजाय अपने हक की लड़ाई लड़े क्योंकि उनकी दुर्गति देखकर अब समाज तो विचार करने पर मजबूर है कि जो लोग पार्टी राजनीति मे अपना स्तर सम्भाल नहीं सक रहे वे पूरे समाज के हित को कैसे संभालेंगे ? यदि भाजपा मे उत्तर भारतीय नेताओ के साथ इसी प्रकार का दोयम दर्जे वाला व्यवहार किया जाता रहा तो वो दिन दूर नहीं कि पूरा समाज किसी अन्य पार्टी मे अपना विकल्प तलाशे!