कावड़, हिन्दु, मुस्लिम पर बोले धीरेंद्र शास्त्री, सु्प्रीम कोर्ट पर किया कमेंट
सावन के मौसम, भोले के भक्तों की कावड़, और सड़को पर सुनाई देता बम भोले हर शिव भक्त और हिन्दु को रोम-रोम खड़ा कर देता है. लेकिन इस बार कावड़ यात्रा का मामला देश की सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. मामला है
सावन के मौसम, भोले के भक्तों की कावड़, और सड़को पर सुनाई देता बम भोले हर शिव भक्त और हिन्दु को रोम-रोम खड़ा कर देता है. लेकिन इस बार कावड़ यात्रा का मामला देश की सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. मामला है यूपी और उत्तराखंड सरकार के आदेश से जुड़ा है. इन दोनों प्रदेशों की सरकार ने आदेश दिया था कि कावड़ियों के रूट पर आने वाले ढाबे, रेस्टोरेंट, और फल वाले अपनी अपनी दुकान पर अपने नाम की नेम प्लेट लगवाए, इस सरकारी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया और कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी. इस सब के बीच इस मुद्दे पर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री बयान आया है. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि कोर्ट का आदेश सबसे उपर है.
एक मीडिया एजेंसी से बात करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “कोर्ट ने इस संबंध में अपना आदेश सुनाया है.
इस पर कोई भी टिप्पणी करना अपराध होगा. कोर्ट के आदेशों का पालन करना जरूरी है. हम अगर राम का खाते हैं, तो राम का गा क्यों नहीं सकते? हम कोर्ट का अनुसरण करते हैं, हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है. कोर्ट ने जो कहा है वो सही है. वहीं विशेष समुदाय के लोगों की बात करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि मानसिक रूप से विकृत लोग यूरीन कर रहे थे और यह दुर्भाग्यपूर्ण है. इस पर भी कानून बनना चाहिए.”
गुस्साए कावड़ियों के एक वीडियो पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “यह सही नहीं है. हिंदू हमेशा अहिंसक रहे हैं. जो लोग ऐसा करते हैं, वे न तो शिवभक्त हैं, न सनातनी हैं और न ही हिंदू हैं. कोई हिंदू गुंडागर्दी नहीं करते हैं.”
गुस्साए कावड़ियों के एक वीडियो पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए यूपी सरकार का कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान रूट पर जो भी दुकानदार हैं उन्हें नाम डिस्प्ले करने के लिए कहा गया था. ये इसलिए जरूरी था ताकी लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत ना हो, साथ ही शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए निर्देश जारी किया गया था.
यूपी सरकार ने कहा कि नेम प्लेट लगने से कांवड़ियों को इस बात की जानकारी रहती कि यात्रा के दौरान वो कहां खाना खा रहे हैं, इससे वो अपनी धार्मिक आस्था का खयाल रख सकेंते थे.