बीजेपी को संभालने किए RSS की एंट्री, नागपुर से चलेगा उत्तर प्रदेश ?
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई मोर्चो पर लड़ना पड़ रहा है, एक तरफ जहां यूपी के उपचुनाव योगी के लिए चुनौती बने हुए हैं,
Uttar Pradesh के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई मोर्चो पर लड़ना पड़ रहा है, एक तरफ जहां यूपी के उपचुनाव योगी के लिए चुनौती बने हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ केशव प्रसाद मोर्य को लेकर आ रही खबरें बता रही है कि यूपी बीजेपी में बहुत खटास पैदा हो गई है. यूपी में बीजेपी के दो फाड़ हो चुके हैं. जिनमें से एक है योगी आदित्यनाथ हैं और दूसरे हैं केशव प्रसाद मोर्य. अब खबर है कि योगी और मोर्य के बीच ‘शांति-बहाली’ का जिम्मा RSS को सौंपा गया है और अगर RSS भी मामले को शांत ना करा सकी तो यूपी के अंदर या तो योगी रहेंगे या फिर केशव. चुनाव मुश्किल तो होगा लेकिन यही वो रास्ता होगा जो आपसी राजनीति और वर्चस्व की लड़ाई में पुर्ण विराम लगाएगा.
यूपी के अंदर या तो योगी रहेंगे या फिर केशव
इस बीच खबर आई है कि गुरु पूर्णिमा पर RSS के गुरु-दक्षिणा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिरकत की. इस मीटिंग में क्या हुआ और क्या नहीं, इस बात ने केशव प्रसाद मोर्य को बेचैन किया होगा. लेकिन मोर्य बेचैनी और दिल की धड़कन तो उस वक्त बढ़ेगी जब योगी और मोदी की मीटिंग होगी. जानकारों का कहना है कि यूपी के मामले को लेकर दिल्ली में पार्टी की हाई लेवल मीटिंग होने वाली है , जिसमें योगी आदित्यनाथ, अमित शाह और मोदी होंगे.
वैसे मोदी और शाह से योगी की मीटिंग राज्य में विधानसभा की दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव की रणनीति को लेकर भी हो सकती है. इन सीटों पर चुनाव का ऐलान अभी नहीं हुआ है, लेकिन इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव की कमान अपने हाथ में ले रखी है. अगर चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो योगी आदित्यनाथ की स्थिति और मजबूत हो जाएगी. वहीं अगर नतीजे सही नहीं आते तो योगी विरोधी खेमा और हावी होने की कोशिश करेगा.
अगर केशव प्रसाद मोर्य की बात करें तो
कार्यकर्ताओं की अनेदखी और नाराजगी को उन्होंने बड़ा मुद्दा बनाया है. वो खुले आम कह चुके हैं कि संगठन सरकार से बड़ा है और ये भी बोल चुके हैं कि कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है. इस बात से साफ पता चलता है कि मोर्य RSS और कार्यकर्ता दोनों को साधने की कोशिश कर रहे है.
वहीं यूपी बीजेपी की हालत को लेकर RSS की चिंता बढ़ी हुई है. संगठन का मानना है कि कार्यकर्ताओं के दर्द के नाम पर कोई नेता निजी फायदा न उठा ले और उत्तर प्रदेश में बीजेपी कमजोर न पड़ जाए.
अब अगर आप बीजेपी की राजनीति को समझते होंगे तो यूपी की कलह का इलाज भी जान जाएंगे. बीजेपी और RSS का शिर्ष नेतृत्व उप चुनाव के रिजल्ट से पहले कोई एक्शन नहीं लेगा और हालांकि रिजल्ट के बाद भी बहुत कुछ नहीं होगा. केशव प्रसाद को शांत रहने के निर्देश दिए जाएंगे और बहुत मुम्किन है कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाए. अब आपकी क्या है कमेंट करके जरूर बताएं.