Ravi Kishan MP Gorakhpur

अब मासूमों को फेकें नहीं, हमें दें…: जिला अस्पताल में शुरू हुआ आश्रय पालना…पढ़िए पूरी खबर

गोरखपुर आर्या न्यूज़ संवाददाता उज्जवल कुमार। फेके नहीं हमें दें, ये शब्द सुनने में जितने अच्छे लग रहे हैं, उतने ही अच्छे इसके मकसद हैं। जी हां एक एसी संस्था जो राजस्थान के बाद यूपी के गोरखपुर में आश्रय पालना स्थल के नाम से आई है।  जिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने पहले भूमि पूजन करके इसकी आधारशिला रखी और अब गोरखपुर के सांसद रवि किशन ने इस पालना आश्रय का उद्घाटन किया है।

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दरअसल, तमाम ऐसी माताएं है, जो किसी न किसी मज्बूरी के कारण अपने बच्चे को लावारिस जगहों पर छोड़ कर चली जाती हैं, और ऐसे तमाम मासूम काल के गाल में समा जाते हैं। लेकिन अब ऐसे में मासूमों के लिए ये पालना मां की गोद साबित होगा। गोरखपुर में लावारिस मिलने वाले बच्चों को यहां बकायदा पालन-पोषण दिया जाएगा।

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मां भगवती विकास संस्थान ने शुरू किया पालना आश्रय
फेंके नहीं हमें दें, इसी स्लोगन के साथ आश्रय पालना स्थल योजना के तहत राजस्थान से आए मां भगवती विकास संस्थान के संस्थापक संचालक योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल गोरखपुर पहुंचे। उन्होंने यहां महिला जिला अस्पताल के परिसर में इस पालन आश्रय का पहले CMO से भूमि पूजन कराया और फिर अब सांसद रवि किशन ने इसका उदघाटन किया।

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बच्चा रखने के दो मीनट बाद बजेगा अलार्म
इससे उन्हें पता चल जायेगा कि किसी ने यहां इस पालने में बच्चा रखा है। खास बात यह है कि इसमें उस बच्चे को रखने वाले को किसी प्रकार की कोई परेशानी भी नहीं होगी। क्योंकि 2 मिनट बाद अलार्म बजेगा, तब तक बच्चा रखने वाला वहां से निकल सकता है।

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बच्चा रखने वालों की गोपनीयता नहीं होगी भंग
उन्होंने बताया, यहां इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि अगर बच्चा रखने वाले की पहचान भी हो गई तो भी उसकी कोई भी गोपनीयता भंग नहीं की जाएगी। ये अद्भुत पालना यूपी में पहली बार वो भी गोरखपुर में शुरू हुई है। इस एक पालने की कीमत तकरीबन 3 लाख रूपये है।

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बचाई जा सकेंगी मासूमों की जिंदगियां
सांसद रवि किशन ने कहा, गोरखपुर के जिला अस्पताल के परिसर से इसकी शुरुवात की गई है। यूपी में ये पहला पालना वाला प्रोजेक्ट है, जिसके जरिये उन तमाम मासूमो की जिंदगियो को बचाई जा सकेगी, जो जिन्दगी के रंग देखने बगैर इस दुनिया से चले जाते थे।

अब इस पालना के जरिये न केवल उन्हें जिन्दगी मिलेगी, बल्कि उनकी देख भाल भी अछे से हो सकेगी। निश्चित रूप से पालना आश्रय के जरिये अब सैकड़ों मासूमो की जिंदगियों को बचाया जा सकेगा।

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