पहले दिन वैक्सीनेशन के लिए 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने किया रजिस्ट्रेशन

नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन के लिए 1 मई से 18 साल से ऊपर के लोगों का वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा. इसके लिए कल से Cowin और Aarogya Setu ऐप पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए। बुधवार सुबह से ही इस कदर रजिस्ट्रेशन की मारामारी शुरू हुई, कि कई बार ऐप क्रैश होने की शिकायतें भी सुनने को मिलीं। वहीं, बड़ी बात ये है कि पहले दिन वैक्सीनेशन के लिए 1 करोड़ से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हुए।

MyGovIndia द्वारा ट्वीट कर जानकारी दी गई कि महामारी को समाप्त करने की दिशा में वैक्सीनेशन महत्वपूर्ण कदम है। दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन ड्राइव के लिए 1 करोड़ से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है। बता दें कि कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए 1 मई से 18 साल और इससे ऊपर के लोग योग्य हैं। कल से इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया है। इस बीच Cowin और Aarogya Setu ऐप के लगातार क्रैश होने की शिकायत लोग सोशल मीडिया पर करते दिखाई दिए।

वहीं, टीकाकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल हो गई है। इस याचिका में कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल भी उठाए गए हैं। ये याचिका वकील दीपक आनंद मसीह ने दाखिल की है। उन्होंने टीकाकरण अभियान में 32 हजार करोड़ रुपये का घोटाला होने का दावा किया है।

याचिकाकर्ता दीपक आनंद मसीह ने याचिका में कहा है कि पश्चिमी देशों में कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली गई, लेकिन उनकी लागत और कीमत 150 से 200 रुपए से ज्यादा नहीं है। लेकिन हमारे देश में ये 600 रुपये तक आम जन तक पहुंच रही है। अब जबकि 18 साल से अधिक उम्र के युवाओं को टीका लगाना है तो कीमत भी बढ़ा दी गई है। एक अनुमान के मुताबिक 80 करोड़ लोगों को टीके की 2 खुराक लगनी है। ऐसे में टीकाकरण अभियान में टीके की कीमत का गणित 32 हजार करोड़ रुपए के घोटाले की पुष्टि करता है।

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री ने नेशनल साइंटिफिक टास्क फोर्स तो बना दी लेकिन फरवरी-मार्च में उसकी एक भी बैठक नहीं हुई। क्योंकि कुछ राज्यों में विधानसभा के चुनाव चल रहे थे। याचिका में कहा गया है कि देश में पिछले साल अक्टूबर में ही जीनोम सिक्वेंसिंग लैबोरेटरी इंस्टीट्यूट शुरू करने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक वो क्यों नहीं हुआ?

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