Think :बिहार के झटके को अवसर रूप से देख रही BJP… We Have News for You
नौ वर्ष में यह दूसरा मौक़ा है जब उन्होंने भाजपा का हाथ झटका है...
DESK : बिहार में भाजपा को लगा झटका लेकिन जनाधार और मजबूत करने का दिख रहा है उसे अवसर नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) बिहार की सत्ता गंवाने से भले ही 2024 लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण से भारतीय जनता पार्टी का समीकरण बिगड़ता दिख रहा हो, लेकिन पार्टी के नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि यह उसके लिए इस राज्य में क्षेत्रीय दलों के प्रभुत्व को समाप्त करने का एक अवसर है, जैसा कि उत्तर प्रदेश में उसने कर दिखाया है। जनता दल के नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा से नाता तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गए। नौ वर्ष में यह दूसरा मौक़ा है जब उन्होंने भाजपा का हाथ झटका है।
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उन्होंने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं में जद(यू) का जनाधार माना जाता है लेकिन 2019 के लोकसभा और 2020 के विधानसभा चुनावों में दलितों के साथ ही उन्होंने भी बड़ी संख्या में भाजपा को वोट दिया था। पार्टी के एक नेता ने कहा.
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‘‘भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर आज सबसे अधिक मजबूत है और यह सही अवसर है कि वह बिहार में क्षेत्रीय दलों के प्रभुत्व को समाप्त करे। ठीक उसी तरह जैसे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रभुत्व को समाप्त किया गया।” राज्य विधानसभा में इस समय विधायकों की संख्या 242 है जबकि बहुमत के लिए 122 विधायकों की आवश्यकता है।
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राजद के पास सबसे अधिक 79 विधायक हैं, उसके बाद भाजपा के पास 77 और जद(यू) के पास 44 विधायक हैं। जद(यू) को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के चार विधायकों और एक निर्दलीय का भी समर्थन प्राप्त है। कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं जबकि भाकपा (माले) के 12 और भाकपा तथा माकपा के पास दो-दो विधायक हैं। इसके अलावा एक विधायक असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का है।