आगरा संवाददाता अजय यादव. आगरा के थाना शाहगंज क्षेत्र के रूई की मंडी में संपत्ति के विवाद में भाई ने बहन की गोली मारकर हत्या कर दी। इस दौरान भाभी भी गोली लगने से घायल हो गई। घटना के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है।
घटना थाना शाहगंज क्षेत्र के जोगीपाड़ा की है। शनिवार सुबह 27 वर्षीय पूनम की घर में हत्या कर दी गई। उसकी भाभी नीरू चौधरी घायल हुई है। एसपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि हत्या के पीछे संपत्ति विवाद सामने आया है। गोली मारने का आरोप मृतक के भाई निक्कू चौधरी पर है। वह घटना के बाद से फरार हो गया है। घटना से शाहगंज बाजार में दहशत फैल गई। पुलिस जांच करने में लगी हुई है। बाजार भी बंद हो गया।
सूचना पर एसपी सिटी विकास कुमार मौके पर पहुंच गए। एसपी सिटी ने बताया कि परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद था। इसी को लेकर फायरिंग हुई। घटनास्थल पर पुलिस जांच कर रही है।
आगरा संवाददाता अजय यादव। आगरा के जिस घर में शादी की तैयारियां हो रही थीं, आज वहां पर मातम है। परिवार वालों को रो-रोकर बुरा हाल है। व्यापारी की मौत के बाद उनका परिवार टूट गया है। जिस बेटी के हाथ पीले करने के लिए सालों से ख्वाब सजाए थे, उस बेटी के सिर से पिता का साया उठ गया। हम बात कर रहे हैं, ताजगंज के व्यापारी प्रदीप अरोड़ा की। 50 साल के प्रदीप की मंगलवार दोपहर हार्ट अटैक से मौत हो गई। 26 जनवरी को उनकी बेटी स्नेहा की शादी होनी थी।
परिजनों के मुताबिक, 27 सितंबर को जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था कि ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में कोई भी व्यवसायिक गतिविधि नहीं होगी। इसके बाद से ही प्रदीप तनाव में आ गए थे। प्रदीप की सब्जी मंडी के पास किराने की दुकान थी।
80 साल पुरानी दुकान के एक दम से बंद होने के डर से वो सहम गए थे। मगर, जब एडीए ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए नोटिस जारी किए तो इससे उनको गहरा अघात लगा। इसके चलते उन्हें 6 अक्टूबर को हार्ट अटैक आया। उस समय उन्हें हॉस्पिटल ले गए तो उनकी जान बच गई थी।
मृतक प्रदीप अरोड़ा के परिजनों का कहना है कि दुकान बंद होने के सदमे से हार्ट अटैक आने से उनकी मौत हुई
मृतक के साले मुकेश अरोड़ा ने बताया कि जब से एडीए ने 17 अक्टूबर का अल्टीमेटम दिया था, तब से वो गुमसुम रहने लगे थे। वो एक ही बात कहते थे कि दुकान बंद हो गई तो बेटी की शादी कैसे करूंगा। उनकी बेटी की 26 जनवरी को शादी होने वाली थी।
आगरा संवाददाता अजय यादव। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के बीएएमएस कॉपी प्रकरण में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें तीन लोग विश्वविद्यालय से जुडे़ हैं, जबकि एक आरोपी कॉपी बदलने के दूसरे गैंग का सरगना है। पुलिस इन आरोपियों से पूछताछ कर रही है। अब तक कॉपी प्रकरण में आठ की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि एक ने कोर्ट में सरेंडर किया था।
एसपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की बीएएमएस और एमबीबीएस कॉपी प्रकरण में छात्र नेता राहुल पाराशर को कस्टडी रिमांड पर लिया गया था।
आरोपी ने पुलिस को कई अहम जानकारी दी थीं। इन जानकारी के बाद पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकडे़ गए आरोपियों में शिवकुमार दिवाकर, भीकम सिंह, उमेश और शैलेंद्र हैं। अभी तक ये माना जा रहा था कि केवल राहुल पाराशर ही कॉपी बदलने का गैंग चला रहा है, लेकिन ऐसे कई गैंग काम कर रहे हैं। इसमें शिवकुमार दिवाकर का भी गैंग है।
शिवकुमार मुख्यत एमबीबीएस की कॉपी बदलता था। ये राहुल पाराशर के साथ भी काम करता था। इसने बड़ी संख्या में एमबीबीएस के छात्रों की कॉपी बदलवाई है। उनकी सबकी सूची तैयार कर विवेचना में शामिल किया जाएगा।
एसपी सिटी ने बताया कि शिवकुमार के अलावा बाकी के तीन आरोपी विवि के कर्मचारी हैं। इसमें भीकम सिंह छलेसर कैंपस स्थित एजेंसी का कर्मचारी है। इसका कॉपी बदलने में रोल पाया गया है। इसके अलावा उमेश विवि के मूल्यांकन केंद्र का कर्मचारी है। इसकी भी कॉपी बदलने में भूमिका मिली है।
वहीं, शैलेंद्र विवि के फार्मेसी विभाग का कर्मचारी है। ये कॉपी बदलने वाले गैंग को ब्लैंक कॉपी उपलब्ध करवाता था। माना जा रहा है कि इनके अलावा विश्वविद्यालय के और भी कर्मचारी इस खेल में शामिल हो सकते हैं।
27 अगस्त को बीएएमएस की कापियां बदलने की जानकारी हुई। एक मुकदमा लिखा गया। टेंपो चालक को जेल भेजा गया। उसके बाद दिल्ली से डॉक्टर अतुल यादव को पकड़ा गया। सॉल्वर पुनीत और दलाल दुर्गेश ठाकुर की गिरफ्तारी हुई। बीएएमएस के 14 छात्रों की हर परीक्षा में हस्तलेख अलग निकले। इस संबंध में एक मुकदमा लिखा गया।
इसके बाद एमबीबीएस की दो दर्जन से अधिक छात्रों की कापियों में हस्तलेख अलग मिला। इस संबंध में भी मुकदमा लिखाया गया। अभी तक तीन मुकदमे लिखाए जा चुके हैं। महत्वपूर्ण परीक्षाओं में कापियां बदलने के बहुत साक्ष्य पुलिस जुटा चुकी है। अभी तक आठ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जबकि राहुल पाराशर ने कोर्ट में सरेंडर किया था।
आगरा संवाददाता अजय यादव। आगरा में गंदगी, जलभराव और सड़क न बनने से परेशान लोगों ने अपनी कॉलोनियों के नाम बदल दिए हैं। यहां तक कि कुछ लोगों ने घरों पर मकान बिकाऊ के पोस्टर भी लगा दिए हैं।
लोगों ने अपनी कॉलोनियों के नाम अब घिनौना नगर, नरक पुरी, दुर्गंधशील कॉलोनी और बदबू विहार रख दिया है। ये हालात तब हैं, जब इन कॉलोनियों में एक घर इंटरनेशनल क्रिकेटर दीपक चाहर का भी है। यहां पर उनकी मां रहती हैं। हालांकि, दीपक घर कम ही आते हैं। यह मामला दौरेठा नंबर 1 और 2 का है। यहां पर करीब 2000 मकान हैं। इनमें 12 हजार लोग रहते हैं। कॉलोनी में रहने वाले लोगों की माने, तो 14 साल से कोई विकास नहीं हुआ है। कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
अब थक-हार कर लोगों ने कॉलोनी के नाम बदल दिए हैं। लोगों ने अपने घरों पर बदले हुए नामों के पोस्टर लगाए हैं। इसके अलावा जगह-जगह साइन बोर्ड भी लगे हुए हैं। स्थानीय निवासी राजेंद्र सिंह ने बताया कि उनके इलाके में सालों से विकास कार्य नहीं हुए हैं। कॉलोनी में सैकड़ों मकान हैं। मगर, इसके बाद भी प्रशासन द्वारा इलाके की अनदेखी की जा रही है। ऐसे में पूरा क्षेत्र उपेक्षित है। घरों के सामने से नाला बह रहा है। गंदगी का अंबार लगा रहता है।