Tag Archives: Allahabad High court

गजब का हाईटेक अर्दली…वर्दी पर बारकोड लगा कर लेता था बख्शीश…निलंबित

DESK:  इलाहाबाद हाई कोर्ट से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां जज के अर्दली को निलंबित कर दिया गया. दरअसल, हाईकोर्ट के जज का अर्दली बारकोड के जरिए वकीलों से बख्शीश लिया करता था. हाईकोर्ट के माननीय का अर्दली इतना हाईटेक था की बार कोड को अपनी वर्दी पर लगाए हुए था और बख्शीश लेने के लिए वकीलों के आगे बढ़ा दिया करता था.

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पेटीएम वालेट के जरिए वकीलों से बख्शीश लेने वाले कोर्ट जमादार का नाम राजेन्द्र कुमार बताया जा रहा है जिसे गुरुवार को महानिबंधक ने निलंबित कर दिया. राजेन्द्र कुमार फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई करने का आदेश दिया था.

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मुख्य न्यायाधीश के आदेश के बाद हाई कोर्ट के महानिबंधक आशीष गर्ग ने अर्दली राजेन्द्र कुमार को निलंबित कर दिया गया. निलंबित राजेन्द्र कुमार जस्टिस अजीत सिंह का अर्दली है. राजेंद्र कुमार पर आरोप है कि फुटकर न होने की दशा में बार कोड स्कैन कर वकीलों से बख्शीश लेता था जिसके बाद उसके विरुद्ध कार्रवाई की गई है.

Allahabad HC Bharti 2022: कम पढ़े-लिखे लोगों के लिए नौकरी…जल्द करें आवेदन

Allahabad High Court Recruitment 2022: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुछ समय पहले ग्रुप सी और ग्रुप डी पदों पर बंपर वैकेंसी निकाली थी. इनके लिए आवेदन की प्रक्रिया काफी समय से चल रही है अब इन पर अप्लाई करने की लास्ट डेट भी पास आ गई है. इसलिए अगर योग्य और इच्छुक होने के बावजूद किसी वजह से आप अभी तक इन पदों के लिए अप्लाई नहीं कर पाए हैं तो जल्द से जल्द फॉर्म भर दें. इलाहाबाद कोर्ट के इन पदों पर आवेदन करने की लास्ट डेट 13 नवंबर 2022 है.

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ऑनलाइन करना है अप्लाई: इलाहाबाद हाईकोर्ट की इन वैकेंसी के लिए कैंडिडेट्स को ऑनलाइन आवेदन करना होगा. ऐसा करने के लिए उन्हें एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की वेबसाइट पर जाना होगा, जिसका पता है – recruitment.nta.nic.in इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट से भी आवेदन कर सकते हैं, जिसका पता ये है – allahabadhighcourt.in

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भरे जाएंगे इतने पद

इस रिक्रूटमेंट ड्राइव के माध्यम से कुल 3932 पद भरे जाएंगे. इनका डिटेल इस प्रकार है.

स्टेनोग्राफर ग्रेड III (हिंदी) – 881 पद

स्टेनोग्राफर ग्रेड III (इंग्लिश) – 305 पद

जूनियर असिस्टेंट (ग्रुप सी) – 819 पद

पेड अपरेंटिस (ग्रुप सी) – 202 पद

ड्राइवर – 26 पद

ग्रुप डी – 1699 पद

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कौन कर सकता है अप्लाई: इलाहाबाद हाईकोर्ट के इन पदों पर आवेदन करने के लिए शैक्षिक योग्यता पद के अनुसार अलग है. बेहतर होगा हर पद के बारे में अलग-अलग और विस्तार से जानकारी हासिल करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर दिया नोटिस चेक कर लें. हालांकि मोटे तौर पर ये कहा जा सकता है कि इन पदों के लिए क्लास 6वीं पास से लेकर ग्रेजुएशन किए कैंडिडेट्स तक अप्लाई कर सकते हैं. यानी उच्च शिक्षा न होने के बावजूद यहां नौकरी पायी जा सकती है. इन वैकेंसी के लिए आयु सीमा 18 से 40 साल तय की गई है.

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कितना है आवेदन शुल्क: स्टेनोग्राफर पद पर आवेदन करने के लिए जनरल, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैंडिडेट्स को 1000 रुपये और एससी, एसटी कैंडिडेट्स को 800 रुपये शुल्क देना होगा. वहीं जूनियर असिस्टेंट पद के लिए   जनरल, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैंडिडेट्स को 800 रुपये और एससी, एसटी कैंडिडेट्स को 650 रुपये शुल्क भरना होगा. बाकी पदों के लिए जनरल, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैंडिडेट्स को 800 रुपये और एससी, एसटी कैंडिडेट्स को 600 रुपये देने होंगे.

लाउडस्पीकर मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा लाउडस्पीकर पर अजान मौलिक अधिकार नहीं…

desk : लाउडस्पीकर पर अजान की इजाजत को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बदायूं के मौलवी की ओर दी गई याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि लाउडस्पीकर पर अजान पढ़ना मौलिक अधिकार नहीं है।

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बदायूं की नूरी मस्जिद के मुतवल्ली इरफान की ओर से दायर याचिका को जस्टिस विवेक कुमार बिरला और जस्टिस विकास बधवार की बेंच ने खारिज कर दिया है। इरफान ने अजान के लिए लाउडस्पीकर लगाने की इजाजत मांगते हुए एसडीएम तेहसील बिसौली को आवेदन दिया था। एसडीएम की ओर से इसे खारिज करने के बाद इरफान ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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इरफान ने कोर्ट से मांग की थी कि सरकार और प्रशासन को मस्जिद में लाउडस्पीकर/माइक लगाने की इजाजत देने का निर्देश दिया जाए। उसने यह भी दलील दी कि एसडीएम का फैसला अवैध है और उसके मौलिक अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने इरफान की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि कानून तय हो चुका है कि मस्जिद पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने इरफान के तर्कों को अस्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

HC की योगी सरकार पर तल्‍ख टिप्‍पणी, कहा- छोटे शहरों और गांवों में चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे

उत्तर प्रदेश में कोविड-19 को रोकने और पीड़ितों के उपचार के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा की गई चिकित्सा व्यवस्था पर मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक तल्ख टिप्पणी की। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश के गांवों और छोटे शहरों में मेडिकल सिस्टम राम भरोसे (भगवान की दया पर) है।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने राज्य में कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक, 22 अप्रैल को शाम 7-8 बजे 64 वर्षीय मरीज संतोष कुमार शौचालय गया था जहां वह बेहोश होकर गिर गया. जूनियर डॉक्टर तुलिका उस समय रात्रि ड्यूटी पर थीं। उन्होंने बताया कि संतोष कुमार को बेहोशी के हालत में स्ट्रेचर पर लाया गया और उसे होश में लाने का प्रयास किया गया, लेकिन उसकी मृत्यु हो गई।

रिपोर्ट के मुताबिक, टीम के प्रभारी डाक्टर अंशु की रात्रि की ड्यूटी थी, लेकिन वह उपस्थित नहीं थे। सुबह डॉक्टर तनिष्क उत्कर्ष ने शव को उस स्थान से हटवाया, लेकिन व्यक्ति की शिनाख्त के सभी प्रयास व्यर्थ रहे। वह आइसोलेशन वार्ड में उस मरीज की फाइल नहीं ढूंढ सके। इस तरह से संतोष की लाश लावारिस मान ली गई और रात्रि की टीम भी उसकी पहचान नहीं कर सकी, इसलिए शव को पैक कर उसे निस्तारित कर दिया गया।

इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा, यदि डॉक्टरों और पैरा मेडिकल कर्मचारी इस तरह का रवैया अपनाते हैं और ड्यूटी करने में घोर लापरवाही दिखाते हैं तो यह गंभीर दुराचार का मामला है, क्योंकि यह भोले भाले लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ जैसा है. राज्य सरकार को इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है.

हाईकोर्ट के आदेश का योगी सरकार ने दिया जवाब, लखनऊ, वाराणसी समेत 5 शहरों में नहीं लगेगा लॉकडाउन

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पांच शहरों में लॉकडाउन लगाने से इनकार कर दिया है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि लॉकडाउन लगाने से गरीबों पर मार पड़ती है।

बता दें कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हाईकोर्ट ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सोमवार की सुबह सरकार को यूपी के पांच शहरों लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर और गोरखपुर में 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था।

जिसके बाद यूपी सरकार की तरफ से कहा गया कि एसीएस सूचना नवनीत सहगल ने कहा कि आज माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में यूपी सरकार के प्रवक्ता ने अवगत कराया है कि प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़े हैं औरसख्ती कोरोना के नियंत्रण के लिए आवश्यक है। सरकार ने कई कदम उठाए हैं, आगे भी सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। जीवन बचाने के साथ गरीबों की आजीविका भी बचानी है। अतः शहरों मे सम्पूर्ण लॉकडाउन अभी नहीं लगेगा। लोग स्वतः स्फूर्ति से भाव से कई जगह बंदी कर रहे हैं।

 

तांडव वेबसीरीज को लेकर कोर्ट सख्त, अमेजन प्राइम इंडिया हेड की जमानत याचिका खारिज

अली अब्‍बास जफर के निर्देशन में बनी वेबसीरीज तांडव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्‍त रुख अपनाया है। कोर्ट ने अमेजन प्राइम इंडिया हेड की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अमेजन प्राइम की वेब सीरीज तांडव के कॉन्टेंट पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति के नाम पर हिंदू देवी-देवताओं का अपमान नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान संविधान निर्माताओं का उद्देश्य था। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने गुरुवार को अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।

बता दें कि कोर्ट ने अमेजन की वेबसीरीज तांडव के कंटेट पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने 4 फरवरी को अग्रिम जमानत पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखने तक अपर्णा पुरोहित की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। वहीं लखनऊ में उनके बयान भी दर्ज हुए थे।

अपर्णा पुरोहित ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) (1)(बी), 295-ए, 505 (1) (बी) 505 (2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 और 67 व एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(आर) के तहत अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी।