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गंगा में स्नान करने आई नवविवाहिता की डूबसे से हुई मौत,पिछले महीने ही हुई थी शादी…

desk : भागलपुर सुलतानगंज के अजगैबीनाथ गंगा घाट मे डुबने कि घटना मे लगातार बढोतरी हो रही हैं।लेकिन जिला प्रशासन का कोई भी ध्यान अबतक नहीं पड़ने से आज सुबह 8 बजे लगभग देवघर के जटाहि गांव के रहनेवाली खुशी कुमारी की डूबने से मौत हो गई। बताया गया कि खुशी की पिछले महीने 22 अप्रैल को शादी हुई थी। जो परिजन के साथ गंगा स्नान करने अजगैबीनाथ गंगा घाट पहुंची थी। गंगा मे गढ्ढा होने पर गहरा पानी मे चले जाने से तीन लोग डुबने लगे तभी स्थानीय लोगों कि मदद से दो लोगों को बचा लिये गए और खुशी कुमारी पर स्थानीय लोगों की नजर नहीं पड़ने पर डूब गई।

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डुबे महिला के भाई गोलु कुमार ने बताया कि परिवार के साथ गंगा स्नान करने पहुचे थे तभी गहरे पानी मे हमारे बहन खुशी कुमारी डुबने से मौत हो गई हैं। खुशी कुमारी पिता अशौक महतौ देवघर ,जटाहि गांव के रहनेवाले हैं। घटना से परिजनों में कोहराम मच गया हैं। घटना स्थल पर पुलिस पहुचकर एसडीआरएफ टीम को बुलाकर शव कि खोजबीन मे लग गई हैं।

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अजगैबीनाथ में बीते सोमवार को भी ऐसी ही एक घटना हुई थी, जब विशाल कुमार नाम के डूबने से मौत हो गई। बताया गया कि प्रशासन को फोन करने के बाद भी विशाल कुमार का शव अब भी नहीं खोजा जा रहा हैं।फोन करने पर भी प्रशासन द्वारा कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं।

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वही स्थानीय ग्रामीण ने कहा कि यहां हर समय एसडीआरएफ टीम की नियुक्ति किया जाए। गंगा घाट मे बेरिकेटिंग एंव बैनर पोस्टर लगाया जाए।जिससे डूबने की घटना से बचाया जा सके।

विवाहित प्रेमिका के सिर पर इश्क का बुखार, प्रेमी संग हो गई फरार, पुलिस ने प्रेमी को पकड़ा…

desk : अपने पुराने प्रेमी के साथ फरार हुई शादीशुदा महिला ,युवती के पति ने इस बाबत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बॉयफ्रेंड संग गिरफ्तार कर लिया महिला को घेराबंदी कर पकड़ा गया है।

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दानापुर की रहने वाली प्रेमिका का मायके के पड़ोस में रहने वाले एक लड़के के साथ प्रेम संबंध था। इसी बीच परिजनों ने उसकी शादी कहीं और करवा दी। वह अपने पहले प्यार को न भुला सकी। दोनों कॉलेज में साथ पढ़ते थे और यहीं उन्हें एक-दूसरे से प्यार हो गया। शादी के बाद भी युवती लड़के के साथ फोन पर बात करती थी। बीती रात अपने प्रेमी के साथ फरार हो गई थी। पति ने प्रेमी पर पत्‍नी को भगाकर ले जाने का केस दर्ज कराया। आरोप लगाया कि घटना वाली रात प्रेमी तेतरिया गांव आया था। वह मेरी पत्नी को भगा ले गया।

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पूर्व प्रेमी के साथ फरार हुई शादीशुदा महिला को पुलिस ने बॉयफ्रेंड संग गिरफ्तार कर लिया है। बरामदगी के बाद युवती को कोर्ट के सामने पेश किया गया। यहां से उसे माता-पिता के हवाले कर दिया गया। महिला के पति ने इस बाबत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस को जब उनके बारे में सूचना मिली तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

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16 चक्कों वाले ट्रक को बिहार में प्रतिबंध करने का फैसले को किया रद्द, हाईकोर्ट का ऐलान …

desk : बिहार की राजधानी पटना में हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को बड़ा झटका दिया है। पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा 16 चक्के वाले ट्रकों के जरिये गिट्टी,बालू आदि के ढुलाई पर लगाए गए प्रतिबन्ध को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट का यह फैसला राज्य सरकार के लिए बड़ी हार के रूप में देखा जा रहा है। वहीं कोर्ट के फैसले के बाद ट्रक एसोसिएशन की बड़ी जीत हुई है।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने बिहार ट्रक ऑनर एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर 7 अप्रैल,,2022 को सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया।

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बिहार सरकार ने 16 दिसम्बर, 2020, द्वारा जारी अधिसूचना जारी कर इन वाहनों द्वारा गिट्टी,बालू ढुलाई पर रोक लगा दिया था। बिहार सरकार द्वारा रोक के आदेश के विरुद्ध याचिकाकर्ताओं ने ये मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया। इन याचिकाओं में बिहार सरकार द्वारा 16 चक्कों के ट्रक के जरिये गिट्टी व बालू आदि की ढुलाई पर 16 दिसंबर, 2020 को ही एक अधिसूचना जारी कर प्रतिबंध को challenge किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामलें की सुनवाई 3 जनवरी,2022 को की।

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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामलें को सुनवाई करते हुए इसे वापस पटना हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए भेज दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को 8 सप्ताह के भीतर सुनवाई कर मामलें का निपटारा करने को कहा।

इन मामलों पर पटना हाई कोर्ट में फिजिकल कोर्ट शुरू होने के बाद सुनवाई शुरू हुई थी। इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार समेत अन्य सम्बंधित सभी पक्षों को अपना अपना पक्ष लिखित तौर पर कोर्ट के समक्ष दायर करने का निर्देश दिया था।

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हाईकोर्ट के फैसले से बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा है। जिसने प्रतिबंध के पीछे यह तर्क दिया था कि बिहार की सड़के इतने भारी वाहन की क्षमता नहीं उठा सकती है। अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद पटना हाईकोर्ट के इस निर्णय से उन वाहन मालिकों को बड़ी राहत मिली, जिनके भारी वाहनों द्वारा गिट्टी,बालू आदि की ढुलाई पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था।

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छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है।

छठ पर्व का पहला दिन जिसे ‘नहाय-खाय’ के नाम से जाना जाता है,उसकी शुरुआत चैत्र या कार्तिक महीने के चतुर्थी कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होता है

छठ पर्वछठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहारझारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।

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छठ पूजा सूर्य, उषा, प्रकृति,जल, वायु और उनकी बहन छठी म‌इया को समर्पित है ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की देवतायों को बहाल करने के लिए धन्यवाद और कुछ शुभकामनाएं देने का अनुरोध किया जाए। छठ में कोई मूर्तिपूजा शामिल नहीं है।

त्यौहार के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब ‘अवसर’ या ‘त्यौहार’) आमतौर पर महिलाएं होती हैं।

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नहाय खाय

छठ पर्व का पहला दिन जिसे ‘नहाय-खाय’ के नाम से जाना जाता है,उसकी शुरुआत चैत्र या कार्तिक महीने के चतुर्थी कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होता है ।सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र किया जाता है। उसके बाद व्रती अपने नजदीक में स्थित गंगा नदी,गंगा की सहायक नदी या तालाब में जाकर स्नान करते है। व्रती इस दिन नाखनू वगैरह को अच्छी तरह काटकर, स्वच्छ जल से अच्छी तरह बालों को धोते हुए स्नान करते हैं। लौटते समय वो अपने साथ गंगाजल लेकर आते है जिसका उपयोग वे खाना बनाने में करते है । वे अपने घर के आस पास को साफ सुथरा रखते है । व्रती इस दिन सिर्फ एक बार ही खाना खाते है । खाना में व्रती कद्दू की सब्जी ,मुंग चना दालचावल का उपयोग करते है .तली हुई पूरियाँ पराठे सब्जियाँ आदि वर्जित हैं. यह खाना कांसे या मिटटी के बर्तन में पकाया जाता है। खाना पकाने के लिए आम की लकड़ी और मिटटी के चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है। जब खाना बन जाता है तो सर्वप्रथम व्रती खाना खाते है उसके बाद ही परिवार के अन्य सदस्य खाना खाते है ।

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खरना और लोहंडा

छठ पर्व का दूसरा दिन जिसे खरना या लोहंडा के नाम से जाना जाता है,चैत्र या कार्तिक महीने के पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन व्रती पुरे दिन उपवास रखते है . इस दिन व्रती अन्न तो दूर की बात है सूर्यास्त से पहले पानी की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करते है। शाम को चावल गुड़ और गन्ने के रस का प्रयोग कर खीर बनाया जाता है। खाना बनाने में नमक और चीनी का प्रयोग नहीं किया जाता है। इन्हीं दो चीजों को पुन: सूर्यदेव को नैवैद्य देकर उसी घर में ‘एकान्त’ करते हैं अर्थात् एकान्त रहकर उसे ग्रहण करते हैं। परिवार के सभी सदस्य उस समय घर से बाहर चले जाते हैं ताकी कोई शोर न हो सके। एकान्त से खाते समय व्रती हेतु किसी तरह की आवाज सुनना पर्व के नियमों के विरुद्ध है।

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पुन: व्रती खाकर अपने सभी परिवार जनों एवं मित्रों-रिश्तेदारों को वही ‘खीर-रोटी’ का प्रसाद खिलाते हैं। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को ‘खरना’ कहते हैं। चावल का पिठ्ठा व घी लगी रोटी भी प्रसाद के रूप में वितरीत की जाती है। इसके बाद अगले 36 घंटों के लिए व्रती निर्जला व्रत रखते है। मध्य रात्रि को व्रती छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद ठेकुआ बनाती है ।

संध्या अर्घ्य

छठ पर्व करते छठव्रती

 

छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है,चैत्र या कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। पुरे दिन सभी लोग मिलकर पूजा की तैयारिया करते है। छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद जैसेठेकुआ, चावल के लड्डू जिसे कचवनिया भी कहा जाता है, बनाया जाता है । छठ पूजा के लिए एक बांस की बनी हुयी टोकरी जिसे दउरा कहते है में पूजा के प्रसाद,फल डालकर देवकारी में रख दिया जाता है। वहां पूजा अर्चना करने के बाद शाम को एक सूप में नारियल,पांच प्रकार के फल,और पूजा का अन्य सामान लेकर दउरा में रख कर घर का पुरुष अपने हाथो से उठाकर छठ घाट पर ले जाता है। यह अपवित्र न हो इसलिए इसे सर के ऊपर की तरफ रखते है। छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में प्रायः महिलाये छठ का गीत गाते हुए जाती है|

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नदी या तालाब के किनारे जाकर महिलाये घर के किसी सदस्य द्वारा बनाये गए चबूतरे पर बैठती है। नदी से मिटटी निकाल कर छठ माता का जो चौरा बना रहता है उस पर पूजा का सारा सामान रखकर नारियल चढाते है और दीप जलाते है। सूर्यास्त से कुछ समय पहले सूर्य देव की पूजा का सारा सामान लेकर घुटने भर पानी में जाकर खड़े हो जाते है और डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करते है।

सामग्रियों में, व्रतियों द्वारा स्वनिर्मित गेहूं के आटे से निर्मित ‘ठेकुआ’ सम्मिलित होते हैं। यह ठेकुआ इसलिए कहलाता है क्योंकि इसे काठ के एक विशेष प्रकार के डिजाइनदार फर्म पर आटे की लुगधी को ठोकर बनाया जाता है। उपरोक्त पकवान के अतिरिक्त कार्तिक मास में खेतों में उपजे सभी नए कन्द-मूल, फलसब्जी, मसाले व अन्नादि यथा गन्ना, ओल, हल्दी, नारियल, नींबू(बड़ा), पके केले आदि चढ़ाए जाते हैं। ये सभी वस्तुएं साबूत (बिना कटे टूटे) ही अर्पित होते हैं।

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उषा अर्घ्य

सूर्यदेव को अर्घ्य देते छठव्रती

चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्योदय से पहले ही व्रती लोग घाट पर उगते सूर्यदेव की पूजा हेतु पहुंच जाते हैं और शाम की ही तरह उनके पुरजन-परिजन उपस्थित रहते हैं। संध्या अर्घ्य में अर्पित पकवानों को नए पकवानों से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है परन्तु कन्द, मूल, फलादि वही रहते हैं। सभी नियम-विधान सांध्य अर्घ्य की तरह ही होते हैं। सिर्फ व्रती लोग इस समय पूरब की ओर मुंहकर पानी में खड़े होते हैं व सूर्योपासना करते हैं। पूजा-अर्चना समाप्तोपरान्त घाट का पूजन होता है | पूजा के पश्चात् व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं जिसे पारण या परना कहते हैं। व्रती लोग खरना दिन से आज तक निर्जला उपवासोपरान्त आज सुबह ही नमकयुक्त भोजन करते हैं।

व्रत

छठ उत्सव के केंद्र में छठ व्रत है जो एक कठिन तपस्या की तरह है। यह छठ व्रत अधिकतर महिलाओं द्वारा किया जाता है; कुछ पुरुष भी इस व्रत रखते हैं। व्रत रखने वाली महिलाओं को परवैतिन कहा जाता है। चार दिनों के इस व्रत में व्रति को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैय्या का भी त्याग किया जाता है। पर्व के लिए बनाये गये कमरे में व्रति फर्श पर एक कम्बल या चादर के सहारे ही रात बिताती हैं। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नये कपड़े पहनते हैं। जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की गयी होती है व्रति को ऐसे कपड़े पहनना अनिवार्य होता है। महिलाएँ साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ करते हैं। ‘छठ पर्व को शुरू करने के बाद सालों साल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला इसके लिए तैयार न हो जाए। घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है।

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बिहार में जातिगत जनगणना के मुद्दे पर तेजस्‍वी से मिले CM नीतीश के सुर

बिहार विधानसभा के मानसून सत्र (Bihar Assembly Monsoon Session) के पहले दिन से ही जातिगत जनगणना (Caste Census) जैसे अहम मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के सुर अलग-अलग दिख रहे हैं। दोनों अपने-अपने स्टैंड पर कायम हैं। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) एवं मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के स्‍टैंड एक हो गए हैं। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले सोमवार को बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ने स्पष्ट कहा कि उनकी पार्टी जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है और इसे किसी भी हाल में नहीं होने देगी। इससे समाज में फासला बढ़ेगा और सद्भाव खत्म होगा। कोई व्यवस्था अगर पहले से बनी हुई है तो उसमें बदलाव का सवाल ही पैदा नहीं होता है। उधर, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (PM Narendra Modi Government) से इस मामले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है।

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जातिगत जनगणना के पक्ष में जेडीयू

हरिभूषण ठाकुर का यह बयान वैसे वक्त में आया है, जब बिहार बीजेपी के बड़े नेताओं ने इस संवेदनशील मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। दूसरी ओर जेडीयू ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह जातिगत जनगणना के पक्ष में है। दिल्ली में 31 जुलाई को होने वाली जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह इस पर दोबारा विचार करे।

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दशक भर से बनता आया चुनावी मुद्दा

बिहार में जातिगत जनगणना दशक भर पहले से ही चुनावी मुद्दा बनता आया है। नीतीश कुमार शुरू से ही इसके पक्ष में हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने भी इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। हाल में लोकसभा (Lok Shabha) में केंद्र सरकार की ओर से राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai) के जवाब के बाद बिहार में इस मुद्दे पर सर्वाधिक चर्चा हो रही है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने तो राज्य सरकार को अपने खर्च पर जातिगत जनगणना कराने की सलाह दे डाली है।

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मानसून सत्र में मुद्दे का गरमाना तय

मानसून सत्र में आगे इस मुद्दे के और जोर पकड़ने के आसार हैं। इससे सत्ता पक्ष के दोनों बड़े दलों में समन्वय का संकट खड़ा हो सकता है। ऐसे में विपक्ष की भी कोशिश इस मुद्दे को हवा देने की होगी।

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बिहार : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी करना MLC टुन्ना पांडेय को पड़ गया भारी, निलंबित

बिहार। बीजेपी एमएलसी टुन्ना पांडेय को पार्टी ने निलंबित कर दिया गया है। लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ आपत्तिजनक बयानबाजी करने पर पार्टी ने उनके खिलाफ यह कदम उठाना पड़ा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने शुक्रवार को टुन्नाजी पांडेय के निलंबन का पत्र जारी किया।

आपको बता दें कि टुन्नाजी पांडेय ने जदयू नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी की थी। जिसके बाद पार्टी की अनुशासन समिति की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। 10 दिनों में उन्हें जवाब देना था लेकिन नोटिस मिलने के बावजूद टुन्नाजी पांडेय ने गठबंधन धर्म के खिलाफ बयानबाजी की। जिस पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। बता दें कि टुन्नाजी पांडेय स्थानीय प्राधिकार कोटे से सीवान से चुनकर विधान पार्षद बने हैं। उनका कार्यकाल इसी साल 16 जुलाई को समाप्त होगा।

 

क्या नीलकमल सिंह का करियर बर्बाद करने की साजिश है ऑडियो क्लिप ?  यहां पढ़िए पूरी खबर

कुछ दिन पहले से एक ऑडियो इंटरनेट और सोशल मीडिया में खूब वायरल किया जा रहा है, जिसमें कुछ दोस्त निजी जिंदगी में हंसी ठहाका करते हुए सुनाई दे रहे हैं।  लेकिन इस ऑडियो से ये साफ नहीं हो पा रहा है कि इसमें स्टार सिंगर नीलकमल सिंह की आवाज़ है या उनकी आवाज़ में कोई मिमिक्री करके उनको बदनाम करने की कोई कोशिश कर रहा है।

गौरतलब है कि जो ऑडियो क्लिप वायरल की गई है, उसमें भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की अभिनेत्री अक्षरा सिंह का नाम पवन सिंह के साथ जोड़कर कुछ अपशब्द कहे गए हैं। ऐसा लग रहा है कि ये कोई गाना तैयार करने के समय का है और कहा जा रहा है कि यह नीलकमल सिंह की आवाज़ है। मगर नीलकमल सिंह के फैन्स का कहना है कि हम इस साजिश की भर्त्सना करते हैं। नीलकमल सिंह बड़े अच्छे सिंगर हैं और नेक इंसान हैं। सब लोग उन्हें बहुत चाहते हैं। इस ऑडियो क्लिप के माध्यम से जालसाजी के शिकार हुए हैं नीलकमल सिंह। इस ऑडियो को वायरल करके स्टार सिंगर को बदनाम करने की बड़ी साजिश रची गई है।

उनके एक और चाहने वाले का कहना है कि इस ऑडियो से नीलकमल सिंह की आवाज़ स्पष्ट नहीं हो रही है। ऑडियो सुनकर यह भी लग रहा है कि जान बूझकर एक साजिश के तहत किसी को उकसाया गया है। अगर कोई सिंगर गाता है तो इस तरह के कमेंट बिल्कुल नहीं करता। जानबूझकर सिंगर की आवाज़ में किसी और से बुलवाया गया है ताकि इस तरह से नीलकमल सिंह की छवि को धूमिल किया जाए। एक उभरते हुए सिंगर का रियर बर्बाद किया जाए। आजकल मिमिक्री और डिजिटल मीडिया के दौर में कुछ भी संभव है।

बता दें कि भोजपुरी सिंगर नीलकमल सिंह का नाम ऐसे गायकों में शुमार किया जाता है, जिन्होंने जातिवाद और अश्लीलता से दूर रहकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इनके करोड़ों फैन्स हैं, अनगिनत लोग इनका गाना सुनते हैं। मगर इनके एक भी गाने पर कभी अश्लीलता का इल्ज़ाम आज तक नहीं लगा है। वर्षों से भोजपुरी इंडस्ट्री में नीलकमल काम कर रहे हैं, मगर इनका नाम कभी किसी विवाद से नहीं जुड़ा। नीलकमल सिंह हमेशा किसी किस्म की कंट्रोवर्सी से दूर रहे हैं। वह जब भी कोई नया गाना लेकर आते हैं, इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि उनके गाने मे कोई भी अश्लील शब्द न हो। नीलकमल सिंह के साथ लगता है कि एक गहरी साजिश की गई है ताकि इल्ज़ाम लगाकर उन्हें बदनाम करके उनका करियर तबाह किया जाए, मगर उनके फैन्स उन्हें बहुत चाहते हैं और वो जानते हैं कि जब कोई तरक्की करता है तो उसकी टांग खिंचाई करने वाले भी पैदा होते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि नीलकमल सिंह निर्दोष भी हो सकते हैं।

खुशखबरी : बिहार में 5 जून से पटरी पर दौड़ेंगी 12 पैसेंजर ट्रेनें, यहां समझिए पूरा शेड्यूल  

नई दिल्ली। बिहार में कोरोना के मामले कम होते देख रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए 12 पैसेंजर मेमू ट्रेन चलाने का ऐलान किया है। ये सभी ट्रेनें बिहार के विभिन्न स्टेशनों पर अप-डाउन करेंगी। रेलवे ने इस संबंध में ट्वीट कर जानकारी दी है। कोरोना संक्रमण के कारण इन ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया था।

बिहार में अब 1 जून तक रहेगा लॉकडाउन, सीएम नीतीश कुमार ने दी जानकारी

पटना। बिहार में लॉकडाउन की अवधि एक सप्ताह यानी एक जून तक बढ़ा दी गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को ट्वीटर के माध्यम से खुद इसकी जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा कि राज्य में लॉकडाउन का अच्छा प्रभाव पड़ा है और कोरोना संक्रमण में कमी दिख रही है। इसलिए बिहार में 25 मई के आगे एक सप्ताह के लिए 1 जून, 2021 तक लॉकडाउन जारी रहेगा।

बता दें कि लॉकडाउन लगाने के बाद बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या में भले कमी आई है, लेकिन सरकार अभी लॉकडाउन को पूरी तरह से खत्म करने के पक्ष में नहीं है।

इससे पहले बिहार में संक्रमण की रफ्तार पर काबू पाने के लिए सरकार ने पहले पांच मई से 10 दिन के लिए लॉकडाउन लगाया था। इसके बाद लॉकडाउन की समयसीमा को बढाते हुए इसे 25 मई कर दिया था जो अब 1 बढ़ाकर 1 जून कर दिया गया है। राज्य में लॉकडाउन के बाद कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। राज्य में रविवार को 4002 नए मामले सामने आए थे।

 

 

सीएम नीतीश कुमार का ऐलान, बिहार में अब 25 मई तक रहेगा लॉकडाउन

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देख बिहार सरकार ने एक बार फिर राज्य में लॉकडाउन बढ़ा दिया है। सीएम नीतीश कुमार  ने कहा कि आज सहयोगी मंत्रीगण एवं पदाधिकारियों के साथ बिहार में लागू लॉकडाउन की स्थिति की समीक्षा की गई। लॉकडाउन का सकारात्मक प्रभाव दिख रहा है। इसलिए बिहार में अगले 10 दिनों अर्थात 16 से 25 मई, 2021 तक लॉकडाउन को बढ़ाने करने का निर्णय लिया गया है।

हालांकि बिहार में लॉकडाउन को लेकर पहले की तरह ही पाबंदियां जारी रहेंगी। इस दौरान बिहार में सभी कार्यालय बंद रहेंगे, लेकिन जिला प्रशासन, पुलिस, सिविल डिफेंस आपूर्ति, विभाग स्वास्थ्य विभाग, दूरसंचार विभाग, डाक विभाग जैसे कार्यालयों को इससे अछूता रखा गया है।

बताते चलें कि इससे पहले मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों से लॉकडाउन को लेकर उनकी राय मांगी थी। जिसमें पटना के अलावा मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, कटिहार, वैशाली के साथ ही कुछ अन्य जिलाधिकारियों  ने लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने का आग्रह किया था। जिलाधिकारियों के इस फीडबैक के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सहयोगी दलों, कैबिनेट के मंत्रियों व अधिकारियों से विमर्श कर लॉकडाउन की मियाद बढ़ाने की मंजूरी दी है।