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#जहां यज्ञकुंड में कूद पड़ी थी_सती-गुप्त नवरात्र पर विशेष

अनादि काल से शक्ति उपासना की पुण्य भूमि बिहार के तीन शक्ति पीठों (गया सर्वमंगला, छिन्न मस्तिका, हजारीबाग, झारखंड तथा अम्बिका भवानी आमी दिघवारा सारण) में मूर्धन्य आमी वाली अम्बिका भवानी के सच्चे दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। चाहे दक्षिणमार्गी वैष्णवी शक्ति साधक हो या वाममार्गी कपालिनी के साधक। बहरहाल साधकों को सिद्धियां एवं श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी करती हैं सर्वेश्वरी। चाहे शरद नवरात्र हो, बासंतिक नवरात्र हो या फिर चैत्र नवरात्र श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा सकती है।

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सारण जनपद का यह शक्ति पीठ जिला मुख्यालय छपरा एवं सोनपुर के मध्य में स्थित है। उत्तर में हरिहर नाथ और पश्चिम में बाबा धर्मनाथ छपरा चतुष्कोण में समान दूरी पर स्थित है तो त्रिभुजास्थिति में समान दूरी पर पशुपतिनाथ, काठमांडू,नेपाल, रावणेश्वर महादेव बैद्यनाथ धाम,विश्वेश्वर महादेव वाराणसी उप्र स्थित है। शिव शक्ति से संरक्षित एवं समन्वित अम्बिका भवानी आमी स्थल वैष्णव शक्ति एवं अवधूत कपालिक साधकों की साधना भूमि है। प्रखंड मुख्यालय दिघवारा से 6 किमी पश्चिम, अम्बिका भवानी हाल्ट से 1 किमी दक्षिण एनएच 19 से सटे गंगा तट पर ऊंचे टीले पर स्थित भवानी मंदिर सारण गजेटियर के अनुसार दक्ष प्रजापति यज्ञ स्थल के रूप में मान्य है।

प्रयाग के कल्याण मंदिर द्वारा प्रकाशित बिहार में शक्ति साधना नामक पुस्तक के द्वितीय खंड में आये वर्णन के अनुसार बिहार की भूमि में शक्ति उपासना वैदिक काल से ही नहीं, अनादि और आदि काल से होती आ रही है। इस पावन भूमि में तीन शक्ति स्थान मूर्धन्य हैं। इनका पौराणिक आधार है ये है अम्बिका भवानी, सर्वमंगल गया एवं छिन्नमस्तिकाहजारीबाग, यद्यपि विद्वत जनों में मार्कण्डेय पुराण में वर्णित सुरथ समाधि की तपोभूमि एवं दक्ष प्रजापति की यज्ञ भूमि को लेकर मतभेद है। किन्तु श्रद्धालु एवं साधक भेद बुद्धि से ऊपर उठ अभेद एवं अघोर बनकर साधनारत रहते हैं। विशेषकर, शरद एवं चैत्र नवरात्र के अवसर पर। मार्कण्डेय पुराण में वर्णित सुरथ और समाधि वैश्य कथा को त्रिदण्डी स्वामी उनके शिष्य एवं गजेन्द्र मोक्ष धाम के पीठाधीश्वर स्वामी लक्ष्मणाचार्य, शिववचन सिंह शिवम प्रभृति विद्वान अम्बिका स्थान को प्रमाणित करते हुए स्वीकार करते हैं कि पूरे विश्व में मिट्टी की प्रतिमा यदि कहीं है तो वह आमी में। मेषध ऋषि का आश्रम भी गंगा सोन व घाघरा के संगम चिरांद में प्रमाणित है।

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यह वहीं स्थल है जहां राजा सुरथ और वैश्य समाधि को वैष्णवी शक्ति का साक्षाकार हुआ। मंदिर में अंकित अम्बे, अम्बिके अम्बालिके शब्द भी महालक्ष्मी के पर्याय है। उत्खनन से प्राप्त शंख, और उसपर अंकित चित्र आदि शक्ति वैष्णवी की अदृश्य उपस्थिति दर्शाते हैं।सारण गजेटियर एवं बिहार सरकार के पूर्व पुरातत्वनिदेशक डा. प्रकाश चरण प्रसाद इसे दक्ष क्षेत्र एवं शिव शक्ति समन्वय स्थल मानते हैं। डा. प्रसाद इसे प्राचीन मातृ शक्ति रूप मानते हुए मां की मिट्टी की प्रतिमा की प्रागैतिहासिक काल की प्रतिमा स्वीकार करते हैं। उनके अनुसार ऐसी प्रतिमाओं के लिए प्राण प्रतिष्ठा आवश्यक नहीं है। शिव एवं शक्ति क्षेत्र प्रमाणित करते हुए पुरातत्ववेता का कहना है कि यहां गंगा शिव रूप में लिंगाकार है। गंडक व सोन का संगम रहा आमी लिंगाकार शिव एवं अंडाकार शक्ति रूप में है। नौ दुर्गा की नौ पिण्डियों के साथ एकादश रूद्र यहां स्थापित हैं।

यह संगम निर्णय भूमि है, जो साधना और सिद्धि के लिए उपयुक्त है। डा. देवेन्द्र नाथ शर्मा, महा पंडित राहुल सांकृत्यायन, डा. राजेश्वर सिंह राजेश, भू-वैज्ञानिक प्रो. विपिन प्रसाद उक्त पावन स्थल का सांस्कृतिक विकास कुषाण काल से स्वीकारते हैं। भू-वैज्ञानिक एवं एसडीडी कालेज रामपुर के भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. विपिन प्रसाद के अनुसार सिद्धपीठ अम्बिका स्थल गंगा, सोन एवं नारायणी का संगम था। भौगोलिक परिवर्तन स्वरूप दो नदियों की धारा बदल गयी। बहरहाल शिव शक्ति स्थल बनाम सुरथ समाधि स्थल विवाद का हल श्रद्धालुगणों में नहीं है। जानकारों मानना है कि सुरथ समाधि एवं दक्ष प्रजापति स्थल आमी ही है। यदि दक्ष क्षेत्र कनखल (उतराखंड) प्रमाणिक है तो औधेश्वर भगवान रूद्र देव के 108 मतुण्डमाल प्रमाणित करते है कि त्रेता के पूर्व सतयुग में सती दहन यही हुआ था।

अनूप नारायण सिंह

#भाजपा के युवा तुर्क के नेताओं में शुमार सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी किस गुनाह की सजा#

भाजपा के युवा तुर्क के नेताओं में शुमार सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी किस गुनाह की सजा भुगत रहे हैं यह ना तो उन्हें पता है और ना ही उनके चाहने वाले समर्थकों को जब कभी केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होता है पूरे सारण प्रमंडल में यह बात लोगों के जेहन में आने लगती है कि शायद इस बार कैबिनेट मिनिस्टर के रूप में राजीव प्रताप रूडी भी शपथ ग्रहण करें पर हर बार पार्टी के द्वारा उन्हें नजरअंदाज ही कर दिया जाता है बावजूद इसके राजीव प्रताप रूडी पहले से ज्यादा प्रखर हो गए हैं और क्षेत्र के लोगों के बीच लोकप्रिय भी लगातार सारण के लोगों से कनेक्ट रहते हैं।बिहारके छपरा में 30 मार्च, 1962 को जन्में रूडी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पटना के सेंट माइकल्स हाई स्कूल से पूरी की। इसके बाद वह आगेकी पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ आ गए और पंजाब यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। अर्थशास्त्रमें मास्टर डिग्री करने के बाद उन्होंने बिहार के मगध विश्वविद्यालयमें प्रवक्ता की नौकरी शुरू की। उन्होंने वकालत (एलएलबी) की भी पढ़ाई की है।

रूडीने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत जनता दल के साथकी। 1990 में उन्होंने जनता दल के ही टिकट पर बिहार के तरैयाविधानसभा से सीट से विधायक चुना गया। बाद में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया औरबीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीते। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी के अगुवाईवाली एनडीए की सरकार में 1999 में वह दूसरी बार सांसदचुने गए। वाजपेयी की सरकार में ही उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के राज्यमंत्री का कार्यभार सौंपा गया। बाद उन्हें उड्डयन मंत्रालय में काम करने का मौका मिला। सत्ता परिवर्तन हुआ और फिर केंद्र में कांग्रेस की सरकार आ गई। साल 2010 में रूडी को बिहार से राज्यसभा सांसद चुना गया और 2014 में हुएलोकसभा चुनाव में उन्होंने राबड़ी देवी को हराकर एक बार फिर से सांसद बन गए।

रूडीका राजनैतिक करियर बहुत ही शानदार रहा है। उन्होंने अपने 25 साल केलंबे कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और उसे बखूबी निभाया भी।2014 के चुनावों में भाजपा के राजीव प्रताप रूडी ने लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी को हराया और बिहार में सारण निर्वाचन क्षेत्र के सांसद बने। वे अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे। वे नरेंद्र मोदी की सरकार में कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे, लेकिन बाद में 2017 में कैबिनेट फेरबदल में उन्हें पद से हटा दिया गया। उन्हें तीन बार लोकसभा के लिए चुना गया और वर्तमान में वे सारण के सांसद के रूप में कार्य कर रहे हैं। दिसंबर 2018 में उन्हें पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया।

महाराष्ट्र के प्रभारी के रूप में उन्होंने ऐसा कार्य किया कि भाजपा शिवसेना से अलग अपने पैरों पर खड़ी ही नहीं हुई बल्कि महाराष्ट्र में सरकार भी बनाने में सफल हुई। पर बिहार का यह चमकता सितारा साजिशों का शिकार हो गया वह भी अपने लोगों के द्वारा। सारण की जनता बिहार की जनता और उसके लाखों चाहने वाले जानना चाहते हैं कि आखिर साफ-सुथरी प्रगतिशील छवि वाले इस नेता को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान क्यों नहीं मिल पा रहा है।वे कौन लोग हैं जो राजीव प्रताप रूडी के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं। जिस व्यक्ति को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होकर देश के विकास का वाहक बनना था वह एक सांसद के रूप में अपने संसदीय क्षेत्र तक ही सीमित होकर क्यों रह गया है।
© अनूप नारायण सिंह

#अब अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होने जा रहा है पटना का तारामंडल।#

पटना। राजधानी पटना के बेली रोड पर अवस्थित तारामंडल नवीनीकरण के बाद नए तकनीकों से लैस होने जा रहा है इस संदर्भ में आज एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है जिसके अंतर्गत तारामंडल को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।बिहार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने इस अवसर पर कहा कि विभाग अत्याधुनिक तकनीकों से पूरी तरह से लैस हो रहा है यह बिहार के विकास में अग्रणी भूमिका निभाएगा इसी कड़ी में तारामंडल के नवीनीकरण का कार्य प्रारंभ हो रहा है। इंदिरा गांधी विज्ञान परिसर तारामंडल पटना के वर्तमान opto mechanical projection system एवं डोम स्क्रीन के स्थान पर अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित 3डी 2 डी आरजीबी लेजर प्रोजेक्शन और चैन सस्पेंडेड डोमस्क्रीन तथा ऑप्टिकल टेलीस्कोप के अधिष्ठापन हेतु 36 करोड़ 13 लाख 20 हजार की लागत से आवश्यक सिविल एलिट्रिकल एवं उन्नयन कार्य का कार्यान्वयन नेशनल काउंसिल आफ साइंस म्यूजियम के माध्यम से ट्रन की बेसिस पर 2 वर्षो में पूरा करने हेतु बिहार काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी पटना एवं नेशनल काउंसिल आफ साइंस म्यूजियम कोलकाता के बीच आज दिनांक 9 जुलाई को बिहार सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह की गरिमामय उपस्थिति में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया

समिति पत्र में निर्धारित शर्तों के अनुसार स्वीकृत राशि छतीस करोड़ तेरह लाख 20 हजार का 15% 54198000 तत्काल विमुक्त की गई है। नेशनल काउंसिल आफ साइंस म्यूजियम कोलकाता भारत सरकार सांस्कृतिक मंत्रालय के अंतर्गत मंत्रालय अंतर्गत स्वशासी संस्था है। जिसके माध्यम से देश के विभिन्न स्थानों पर साइंस सेंटर, साइंस सिटी,इन्नोवेशन हब का निर्माण और विकास किया जाता है।बिहार काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पटना की ओर से डॉ अनंत कुमार, परियोजना निदेशक एवं नेशनल काउंसिल आफ साइंस म्यूजियम कोलकाता की ओर से श्री सुरेंद्र कुमार निदेशक मुख्यालय द्वारा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया इस अवसर पर सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग लोकेश कुमार सिंह निदेशक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग संजीव कुमार एवं बी सी डी के कर्मचारी भी उपस्थित थे

#राज्य सरकारके  स्तर पर सौराठ सभा को कभी कोई खास महत्व नहीं मिला#

सौराठ में वर मेला 1820 में लगना शुरू हुआ. मैथिल ‘वर मेला’ शब्द को पसंद नहीं करते. वे इसे सभागाछी कहते हैं. यह सभागाछी मधुबनी जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम रहिका प्रखंड में है. बरगद के पेड़ों से भरे बाईस बीघा जमीन वाले सभा क्षेत्र में माधवेश्वरनाथ महादेव मंदिर है. इतिहासकारों के अनुसार इसका निर्माण राजा माधव सिंह ने शुरू कराया था. लेकिन, वह इसे पूरा नहीं करा सके. निर्माणकाल में ही उनकी मृत्यु हो गयी. बाद में उनके पुत्र छत्र सिंह ने मंदिर को पूरा कराने के साथ ही जलाशय का निर्माण करवाया, धर्मशाला भी बनवाया. उस कालखंड में इस वर मेले की बड़ी ख्याति थी. मैथिल ब्राह्मण चाहे देश के किसी कोने में क्यों नहीं रहते हों, उक्त अवधि में संतान की शादी तय करने के लिए यहां खिंचे चले आते थे. लाखों लोग जुटते थे. कहते हैं कि सवा लाख लोगों के जमा हो जाने पर यहां के एक विशेष पीपल वृक्ष के पत्ते कुम्हलाने-मुरझाने लगते थे. सवा लाख से कम संख्या हो जाने पर फिर पूर्ववत हो जाते थे. हालांकि, वह पेड़ अब सूख गया है. पंजीकार विश्वमोहन मिश्र के मुताबिक 1971 में यहां करीब डेढ़ लाख लोग आये थे. 1991 में करीब पचास हजार लोगों का जुटान हुआ था. अब तो संख्या सौ-दो सौ तक भी नहीं पहुंच पाती है. किसी-किसी साल एक भी शादी तय नहीं होती. इसकी वजह भी है. मै पिछले सल भी नहीं हुई थी और इस साल भी नहीं. यह नकारात्मकता कुछ हद तक कोरोना से भी प्रभावित थी. वैसे, इसकी खास वजह भी है. मैथिलों में भी कुल, मूल व गोत्र के महत्व अब गौण पड़ गये हैं. वर का व्यक्तिगत गुण,आचार-विचार व रोजगार प्रधान हो गये हैं. आधुनिकता की बयार है सो अलग. इस साल 27 जून 2021 से 7 जुलाई 2021 तक ग्यारह दिवसीय सौराठ मेला लगा जो औपचारिकताओं में ही सिमटा रहा.

महत्वपूर्ण बात यह भी कि राज्य सरकारके  स्तर पर सौराठ सभा को कभी कोई खास महत्व नहीं मिला. नब्बे के दशक के पूर्व की कांग्रेस की सरकार हो या फिर उसके बाद की लालू-राबड़ी एवं नीतीश कुमार की सरकार, किसी ने भी इसकी गरिमा बचाये रखने की पहल नहीं की. सभागाछी में सभावासियों की सुविधा के लिए प्रशासन के स्तर पर कभी-कभार कुछ व्यवस्था जरूर हुई. पेयजल के लिए चापाकल, पंजीकारों की बैठकी, पोखर के किनारे चबूतरा आदि बनवाये गये. लेकिन, समुचित देखरेख के अभाव में सब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़े हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2009 में घोषणा की थी कि सौराठ सभा की 22 बीघा जमीन पर पुरातत्व विश्वविद्यालय खुलेगा. वहां मिथिला पेंटिंग की पढ़ाई होगी. ये घोषणाएं अभी तक हवा में ही हैं. बहरहाल, सभागाछी का हाल यह है कि उसकी ढेर सारी जमीन अतिक्रमित हो गयी है, आसपास के लोगों द्वारा. कहा जाता है कि अतिक्रमणकारियों में ब्राह्मण समाज के लोग ही अधिक हैं. ऐसे में जब अपनों की सोच ऐसी हो तो सुधार की बात बेमानी लगती है. निरंतरता बनी रहेगी या नहीं, यह भविष्य के गर्भ में है, अस्तित्वविहीनता की ओर बढ़ रही सौराठ सभा की परंपरा को बनाये रखने के लिए कुछ सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग आगे आये. पहचान खो रही मिथिलांचल की संस्कृति, रीति-रिवाज, प्रथा एवं परम्परा को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया. लेकिन, ये तमाम प्रयास मुकम्मल रूप में तभी कारगर होंगे जब मैथिलों की नयी पीढ़ी अपनी अनूठी संस्कृति की विशेषताओं को जानेगी, समझेगी और सांस्कृतिक धरोहरों की मिट रही पहचान को बनाये रखने के प्रति सजग, सचेत एवं तत्पर होगी. लेकिन, आधुनिकता में आकंठ डूबी यह पीढ़ी ऐसा कुछ करेगी, दूर-दूर तक इसकी कोई संभावना नहीं दिखती. इसलिए कि सभागाछी में पारम्परिक पोशाक धोती-कुत्र्ता, चादर एवं सिर पर पाग धारण कर ललाट पर चंदन-टीका लगा चादर बिछा कर बैठे वर का दर्शन शायद ही कभी होता है. जरूरत परंपरा और आधुनिकता में समन्वय स्थापित कर जन चेतना जागृत करने की है.

#जानिए क्यों बाढ़ के पानी के बीच चिंतन मुद्रा में है भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी#

सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही यह तस्वीर है बैकुंठपुर गोपालगंज से भाजपा के पूर्व विधायक और वर्तमान में बिहार प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी की जो अपने क्षेत्र बैकुंठपुर के बाढ़ प्रभावित इलाके में बैठे गहन चिंतन मनन में लगे हुए उन्होंने इस तस्वीर अपने सोशल मीडिया पर शेयर की है और साथ में एक विचारोत्तेजक कविता की चार पंक्तियां लिखी है इस कविता के लाइनों में बहुत कुछ छुपा हुआ है मिथिलेश कुमार तिवारी विधायक का चुनाव हारने के बाद से ही बैकुंठपुर में कुछ ज्यादा ही सक्रिय है इन्हीं के सोच के परिणाम स्वरूप नारायणी रिवर फ्रंट का निर्माण डुमरिया घाट जो बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में आता है मे किया गया है हाल ही में दिल्ली में कई मंत्रालयों में जाकर इन्होंने बैकुंठपुर गोपालगंज समेत पूरे सारण प्रमंडल के विकास के लिए कई योजनाओं की गुहार लगाई है पटना में होते हैं तो क्षेत्र के समस्याओं को लेकर सीधे विभागीय मंत्रियों तक पहुंच जाते हैं

मिथिलेश कुमार तिवारी ने इस संदर्भ में बताया कि फर्क नहीं पड़ता कि आप चुनाव जीते हैं या हारे हैं फर्क पड़ता है कि जनता जब संकट में होती है तब आप कहां होते हैं जनता को आप से ढेर सारी आशा होती है जनता को लगता है कि नेता उनका नेतृत्व करेगा और संकट की इस घड़ी में सदैव बैकुंठपुर के लोगों के बीच है बाढ़ की समस्या ने उन्हें भी आहत किया है। उन्होंने बताया कि बाढ़ की समस्या के स्थाई निराकरण के लिए विधायक रहते ही उन्होंने कई सारी कारी योजनाओं को बनाकर राज्य और केंद्र सरकार को सौंपा है जिस पर काम भी हो रहा है सारण तटबंध के पक्कीकरन नदी के गाद की सफाई और जल निकासी की व्यवस्था इसमें प्रमुख है

#जा सकती है इस विधायक की सदस्यता?#

सारण जिले के माँझी विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक माहौल एक बार फिर गर्म हो गया है। माँझी विधानसभा क्षेत्र से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे राणा प्रताप सिंह उर्फ डब्लू सिंह ने मुख्य चुनाव आयुक्त को एक आवेदन दिया है। इस आवेदन में राणा प्रताप ने कहा है कि माँझी विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ सतेन्द्र यादव ने चुनाव के वक्त चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्र में अपने ऊपर आपराधिक मुकदमो को छुपाया

है। दिए गए आवेदन में राणा प्रताप ने कहा है कि माँझी विधायक पर कोपा थाना में कांड संख्या 13/2007 दर्ज है जिसपर सुनवाई जारी है लेकिन सतेन्द्र यादव ने इस मामले का जिक्र अपने शपथ पत्र में नही किया है।

वही राणा प्रताप ने दिए आवेदन में कोपा थाना क्षेत्र में ही दर्ज कांड संख्या 42/2009 का भी जिक्र करते हुए कहा है कि इस मामले की भी जानकारी विधायक सतेन्द्र यादव ने शपथ पत्र में नही दिया है।बातचीत में राणा प्रताप सिंह उर्फ डब्लू सिंह ने कहा कि माँझी विधायक ने अपने ऊपर चल रहे आपराधिक मुकदमो को छिपाने का कार्य किया है। इससे सम्बंधित आवेदन मुख्य चुनाव आयुक्त को दिया गया है साथ ही इस मामले में शीघ्र जांच कर विधायक सतेन्द्र यादव पर कार्यवाई करने की मांग चुनाव आयुक्त से की है।आपको बता दे कि वर्ष 2020 में सम्पन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में माँझी विधानसभा क्षेत्र से डॉ सत्येन्द्र यादव व राणा प्रताप सिंह आमने सामने थे। सत्येन्द्र यादव को महागठबंधन ने अपना उम्मीदवार बनाया था जबकि राणा प्रताप सिंह निर्दलीय चुनाव लड़े थे।राणा प्रताप सिंह द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त को दिए इस आवेदन के बाद माँझी की राजनीति गरमाने लगी है। इस मामले में माँझी विधायक डॉ सतेन्द्र यादव से सम्पर्क नही हो सका है जिस कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका है।

#6 उच्चस्तरीय पुल का कार्यरम्भ मंत्री सुमित कुमार सिंह जी द्वारा किया गया..#

6 उच्चस्तरीय पुल का कार्यरम्भ मंत्री सुमित कुमार सिंह जी द्वारा किया गया..

चकाई प्रखंड अंतर्गत अत्यंत नक्सल प्रभावित पोझा पंचायत के बेलखरी नदी पर T05 पोझा से पथरिया पथ में बहुप्रतीक्षित मांग उच्चस्तरीय पुल का कार्यरम्भ  के अलावे अत्यंत नक्सल प्रभावित क्षेत्र बोंगी पंचायत में T05 पोझा से पथरिया पथ में बोंगी नदी पर उच्चस्तरीय पुल, पोझा से पथरिया रोड मे पथरिया जोर पर उच्चस्तरीय पुल, T05 पोझा से पथरिया में मधुपुर नदी पर उच्चस्तरीय पुल, पोझा से पथरिया रोड में मड़वा जोरिया 1 पर उच्चस्तरीय पुल,एवं मड़वा जोरिया 2 पर उच्चस्तरीय पुल का कार्यरम्भ मंत्री सुमित कुमार सिंह जी द्वारा किया गया।

बताते चलें कि चुनाव के दौरान किये गए वायदे को आज पूरा करते हुए इन 6 पुलों का कार्यरम्भ किया गया।मौके पर जिप सदस्य गोविंद चौधरी जी,राजीव रंजन पांडेय जी,युवा जदयू के प्रखंड अध्यक्ष मिथलेश राय जी,कृष्णा मण्डल जी,पवन जी,प्रकाश पण्डित जी,भैया लाल मरांडी जी,उल्फत अंसारी जी सहित बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण जन उपस्थित थे।

अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में ढाई लाख रुपये किलो से भी अधिक ?

#गमलेमेंमियाजाकी
एक ऐसा आम, जिसकी कीमत अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में ढाई लाख रुपये किलो से भी अधिक है। इसको #मियाजाकी के नाम से जाना जाता है।इस खास आम को विश्व का सबसे महंगा फल माना जाता है। बिहार में इनदिनों इसकी खूब चर्चा हो रही है।इस अनोखे आम का पेड़ विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह के पटना स्थित आवास पर भी है। हाल ही ही में जनाकरों ने #मंत्री जी को बताया है कि आपके आवास पर लगा यह आम #मियाजाकी ही है।

मंत्री से जब इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मुझे अचानक ही जानकारी मिली है कि मेरे आवास पर मियाजाकी आम का पेड़ है, जो विश्व का सबसे महंगा फल है। अब, इसके पैदावार से जुड़ी वैज्ञानिक जनकारी इकठ्ठा कर बिहार में इसके बागवानी के संभावनाएं तलाशने का प्रयास करूंगा। ताकि चकाई विधानसभा, जमुई जिला, अंगक्षेत्र समेत बिहार किसानों को लाभ मिल सके।मैं हमेशा प्रयास करता हूं कि क्षेत्र और प्रदेश के युवा और किसान आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो और विकास की नई गाथा लिखे। इसके लिए संभावनाओं को टटोल कर विभिन्न योजनाओं को विस्तार देना हमारी प्राथमिकता में है।मियाजाकी आम की पैदावार मुख्य रूप से जापान में होती है। यह आम #जापान के #क्यूशू प्रांत के #मियाजाकी शहर में उगाया जाता है। इसलिए बिहार में इसको मियाजाकी कहा जाता है।