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चमोली त्रासदी:शवों का मिलना जारी,58 में से 31 की हुई पहचान

उत्तराखंड। चमोली जिले में आई आपदा के बाद सुरंग में से शवाें का मिलना लगातार जारी है। एनडीआरएफ,एसडीआरएफ,सेना, आईटीबीपी के जवान कड़ी मेहनत कर राहत व बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। रैणी-तपोवन क्षेत्र में राहत-बचाव कार्यं को तेजी देने के लिए उन्नत उपकरण भेजे गए हैं।

आपदा में लापता लोगों की तलाश के लिए खोजी कुत्ते भी लगाए गए हैं। आपदा के बाद 58 लाशों में से 31 की पहचान की जा चुकी है। डीआईजी, एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल ने कहा कि लापता लोगों की तलाश युद्ध स्तर से की जा रही है जबकि, राहत व बचाव कार्य भी जारी है।

एयरफोर्स का एमआई-17 से एनडीआरएफ के तीन जवान बचाव उपकरण के साथ आपदा प्रभावित क्षेत्र गए हैं। जबकि 22 लोग आज वापस जौलीग्रांट हेलीपैड लाए गए हैं। गौचर स्थित एयरफोर्स के 01 एएलएच हेलीकॉप्टर से जोशीमठ से एसडीआरएफ के कमांडेंट ओर पांच जवानों को भी जौलीग्रांट लाया गया। बीआरओ की ओर से  रैणी में वैलीब्रिज़ निर्माण कार्य में तेजी लाई जा रही है।

चमोली के जलप्रलय ने छीन से एक बाप से उसके बुढ़ापे की लाठी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का रहने वाला एक इंजीनियर चमोली जल प्रलय में बहकर लापता हो गया। उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने के बाद आई जल प्रलय मे बुलंदशहर का रहने वाला एक जूनियर इंजीनियर पानी के बहाव के साथ बह गया। मदद के लिए तैनात प्रशासन को अभी तक उसकी कोई खोज-खबर नहीं मिल पाई है। वहीं घर के इकलौते चिराग के लापता होने से परिजन काफी परेशान हैं और प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि उनके बेटे को ढूढ़ा जाए।

दरअसल, गुलावठी थानाक्षेत्र में बराल गांव के चतरपाल सिंह का इकलौता बेटा सुमित कुमार चमोली जिले के ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के NTPC में टेक्नीशियन यानी जूनियर इंजीनियर था। अगस्त 2020 में उसने यहां नौकरी शुरू की थी। अभी एक महीना पहले ही वह घर से वापस काम पर गया था। 6 फरवरी की रात सुमित ने पत्नी मनीषा से फोन पर बात की थी। रविवार सुबह 7.40 बजे पत्नी को मोबाइल पर मैसेज भी किया। इसके बाद कोई फोन नहीं आया और न कोई जानकारी मिली।

जब परिजनों को खबरों से जलप्रलय की जानकारी मिली तो परिजन परेशान हो गए। मंगलवार को कंपनी के एक अधिकारी ने घर पर फोन करके बताया कि जलप्रलय में सुमित बह गया है। तलाश अभी भी जारी है। इसके बाद एनटीपीसी अधिकारियों का तीन बार फोन आ चुका है। आसपास गांवों के लोग और उनके रिश्तेदार भी घर पर पहुंच रहे हैं। पूरा गांव सुमित की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहा है।

सुमित के पिता चतरपाल सिंह सेना से सेवानिवृत्ति के बाद बैंक आफ बड़ौदा में गार्ड हैं। चतरपाल ने बताया कि पांच दिन बाद गुरुवार दोपहर बाद हलका लेखपाल जानकारी करने उनके घर पहुंचा। सुमित के दो बच्चे हैं। एक चार साल का है जबकि दूसरे की उम्र दस माह का है।

चमोली में ग्लेशियर पिघलने से बढ़ा गंगा नदी का जलस्तर, बिजनौर में किसानों की फसल चौपट

बिजनौर। उत्तराखंड के चमोली मे अचनाक ग्लेशियर पिघलने से मची तबाही के बाद अब उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में इसका असर देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे बसे जिलों को अलर्ट कर दिया गया है। वहीं बिजनौर में बने गंगा बैराज में जलस्तर बढ़ने से गंगा किनारे लगी किसानों की सब्जी की फसल खतरे में आ गई है।

दरअसल, उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर पिघलने की वजह से भारी जान-माल की हानि हुई है। जिले में ताबाही की मंजर साफ देखा जा सकता है। गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार से 22 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने की वजह से बिजनौर में बने गंगा बैराज घाट पर करीब एक मीटर तक पानी किनारे पहुंच गया है, जिससे किसानों की सब्जी की फसब पूरी तरह से चौपट हो गई है। वहीं, प्रशासन ने भी बढ़ते जलस्तर को देखते हुए ग्रामीणों को गंगा पार खेती करने से रोक दिया है।

प्रशासन ने ग्रामीणों को चेतावनी देते हुए कहा है कि कोई भी ग्रामीण गंगापार खेती करने न जाए। सुरक्षा व्यवस्था के लिए क्षेत्र में प्रशासन ने पुलिस बल तैनात कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक अभी हरिद्वार से और ज्यादा पानी छोड़े जाने की संभावना है। जिससे गंगा नदी का जलस्तर बढ़ सकता है।

बता दें कि गंगा नदी पर बने पैंटून पुल से आने-जाने वालों पर रोक लगा दी गई है। इस पुल से 12 से अधिक गांव के लोग रोजाना खेती के लिए आते-जाते हैं।

 बिजनौर से लोकेंद्र कुमार की रिपोर्ट

चमोली त्रासदी: रोंगथी में एक और झील बनी, हो सकता है बहुत बड़ा हादसा

उत्तराखण्ड। वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान ने रैंणी गांव के ऊपर ऋषिगंगा के जलागम क्षेत्र रोंगथी में एक विशाल झील बनने का खुलासा किया है। संस्थान ने झील बनने की जानकारी राज्य सरकार और चमोली जिला प्रशासन को दे दी है। संस्थान के निदेशक के मुताबिक झील से पानी की निकासी भी नहीं हो रही है, जो खतरनाक हो सकता है।

वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. कलाचंद सांई ने बताया कि रैणी, तपोवन इलाके में आपदा के कारणों का वैज्ञानिक विश्लेषण करने गई उनकी टीम ने झील बनने की जानकारी दी है। बताया जा रहा है कि इस झील का आकार काफी बड़ा है। टूटने की स्थिति में झील खतरनाक हो सकती है।

डॉ. सांई ने बताया कि कुछ स्थानीय लोगों द्वारा झील बनने की जानकारी देने के बाद वाडिया की टीम ने ऋषिगंगा कैचमेंट का दुबारा हवाई सर्वे किया। सर्वे के दौरान रोंगथी ग्लेशियर क्षेत्र में यह झील देखी गई। हालांकि अधिक ऊंचाई होने के कारण अभी ये स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि झील में कितनी मात्रा में पानी है और इसकी लम्बाई व गहराई कितनी है।

झील का मुहाना बंद है और उससे पानी की निकासी नहीं हो रही है। झील के निचले हिस्से में पड़े रॉक मास से यह पता चल रहा है कि यह पूरी तरह से नया मलबा है जो आपदा आने के बाद का है। यदि झील का मुहाना इस स्थिति में एकाएक खुला तो एक बार फिर निचले इलाकों में मुश्किल हो सकती है। अभी ये कहना मुश्किल है कि झील हादसे से पहले से मौजूद थी या आपदा के बाद बनी है।

ऋषिगंगा नदी में अचानक जल स्तर  बढ़ने से क्यों मची अफरा-तफरी, पढिए पूरी खबर ?

चमोली में बृहस्पतिवार को एक बार फिर उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब ऋषिगंगा नदी में अचानक जल स्तर तेजी से बढ़ा गया। जल स्तर नीचे जाने के कारण राहत और बचाव कार्य को रोकना पड़ गया। तपोवन टनल से मलबा निकालकर मजदूरों की तलाश में जुटी टीम को आनन-फानन बाहर निकालना पड़ा। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि चमोली जिले में बचाव कार्य को अस्थायी तौर पर रोक दिया गया है। ऋषिगंगा नदी में पानी का बहाव बढ़ गया है।