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INTERNATIONAL: चीन में कोरोना से हाहाकार… दुनिया भर के लोगों के लिए चिंता समय

AARYAA DESK :  चीन में बढ़ते कोरोना के केस दुनिया भर के लोगों को एक बार फिर से कोरोना पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। चीन में बढ़ते केसों की संख्या पर लोगों का विचार करना लाजमी भी है क्योंकि चीन का कोविड-19 प्रकोप वायरस के नए उत्परिवर्तन को जन्म दे सकता है, क्योंकि दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश कोविड जीरो प्रोटोकॉल को ढीला करने के प्रभाव से जूझ रहा है।

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चीनी शहरों में कोविड-19 मामलों की लहर देखी जा रही है। क्वारंटाइन और आइसोलेशन प्रोटोकॉल सहित सख्त प्रतिबंधों को हटाने के सरकार के फैसले के बाद प्रकोप बढ़ गया है, जिसने चीन के 1.4 बिलियन लोगों को कोविड-19 महामारी के सबसे बुरे प्रभाव से काफी हद तक अछूता कर दिया था। हांलाकि चीन इस बात को छिपाने में लगा है। चीन सरकार वायरस के वास्तविक आकड़े को छिपा रही है। मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार को बीजिंग के श्मशान घाट से पुलिस और सुरक्षा गार्डों ने पत्रकारों को खदेड़ दिया।

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मिली जानकारी के मुताबिकनवंबर के अंत में कई चीनी शहरों में विरोध प्रदर्शन के बाद कोविड -19 पर चीन का यू-टर्न आया। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सहित स्वास्थ्य एजेंसियां डेल्टा या ओमिक्रॉन जैसे नए वेरिएंट की तलाश में हैं, क्योंकि दुनिया भर के विभिन्न देशों में कोविड-19 की लहरें आ रही हैं।

China: शिनजियांग के जीरो कोविड पॉलिसी पर फूटा लोगों का गुस्सा…पढ़िए

 DESK:  चीन का शिनजियांग उन नए प्रांतों में से है जहां COVID-19 के कारण लॉकडाउन लगाया गया है. एक बार फिर इस प्रांत में ट्रैवल प्रतिबंधों को आगे बढ़ा दिया गया है. गुरुवार को कहा गया है कि 22 मिलियन लोगों के इस क्षेत्र में बाहर से आने वाली ट्रेनों और बसों को बंद कर दिया गया है. साथ ही फ्लाइट से आने वाले यात्रियों की संख्या को घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है.

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न्यूज एजेंसी एपी के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बुधवार को शिनजियांग में सिर्फ 93 और गुरुवार को 97 मामलों की घोषणा की थी. इनमें से सभी बिना लक्षण वाले हैं. शिनजियांग के नेताओं ने मंगलवार को कोरोना मरीजों का पता लगाने और इसके नियंत्रण उपायों के साथ समस्याओं को स्वीकार किया है. लेकिन प्रतिबंधों को हटाने की योजना के बारे में कुछ भी नहीं बताया.

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अधिकारी अपने क्षेत्रों में कोरोना के नए मामले ना आए इसकी कामना कर रहे हैं. वहीं शिनजियांग शहर का विशाल सर्विलांस सिस्टम हर जगह पुलिस चौकियों के साथ चेहरे और यहां तक कि आवाज पहचानने के सॉफ्टवेयर पर निर्भर है. इसके साथ सेल फोन निगरानी ने यात्रा को नियंत्रित करना विशेष रूप से आसान बना दिया है.

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पिछले महीने एक बस दुर्घटना में 27 लोग मारे गए थे. बस से लोगों को दक्षिण-पश्चिमी चीन क्वारंटाइन के लिए ले जाया जा रहा था. दुर्घटना के बाद ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ की कठोरता पर चीन में ऑनलाइन गुस्से का तूफान खड़ा हो गया. दुर्घटना में बचे लोगों ने कहा कि एक भी मामला सामने नहीं आने पर भी उन्हें अपने अपार्टमेंट छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था.

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‘जीरो कोविड पॉलिसी’ के सबसे बड़े समर्थक कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शी जिनपिंग के एक बार फिर राष्ट्रपति बनने की उम्मीद है. WHO की आलोचनाओं और चीन में अर्थव्यवस्था, शिक्षा और सामान्य जीवन में बड़े पैमाने पर संकट होने के बाद भी ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ जारी है.

भारत को टेंशन देने की तैयारी में ड्रैगन चीन म्यांमार, इकनॉमिक कॉरिडोर के जरिए बंगाल की खाड़ी में…

desk : पाकिस्तान में ग्वादर और श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह बनाकर हिंद महासागर में भारत को घेरने की कोशिश करने के बाद अब चीन बंगाल की खाड़ी में भी ऐसी ही हरकत करने की तैयारी में है. म्यांमार के बंदरगाहों पर चीन अपनी एक्सेस बना रहा है.जिससे वह हिंद महासागर में भारत को घेरने का प्रयास कर सकता है.

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दरअसल चीन ने अपने बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के तहत ही चाइना-म्यांमार इकनॉमिक कॉरिडोर का भी निर्माण किया है.इसके जरिए वह अपने युन्नान प्रांत से म्यांमार के क्याउकफ्यू पोर्ट तक पहुंचना चाहता है,जो पश्चिमी म्यांमार में आता है.बता दें कि हिंद महासागर में आने वाले इस पोर्ट पर पहुंचकर चीन बंगाल की खाड़ी में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है.

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चाइना-म्यांमार इकनॉमिक कॉरिडोर के तहत चीन कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है. खासतौर पर इस कॉरिडोर के चलते चीन की नेवी (पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेवी) बंगाल की खाड़ी में भारत की गतिविधियों पर नजर रख सकेगी। इसके अलावा चीन को अपने ऑइल शिपमेंट्स भी स्ट्रेट्स ऑफ मलक्का जाए बिना मिल सकेंगे. दरअसल हिंद महासागर में चीन लंबे समय से अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है. वहीं अमेरिका और भारत भी उसे रोकने के लिए साझा प्रयास करते रहे हैं.. दोनों ही देशों के हित चीन की बढ़ती गतिविधियों से प्रभावित होते हैं.

चीन की हर चाल पर भारत की नजर, , सेना कर रही हाईटेक निगरानी

पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके से भारत-चीन की सेनाओं की वापसी के बाद वहां शांति है। हालांकि, भारत की तरफ से इस क्षेत्र की गहन और हाईटेक निगरानी की जा रही है। सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि फिंगर-3 क्षेत्र, जहां भारतीय सेना अभी तैनात है, वहां ऊंचे स्थानों से दूरबीन और नाइट विजन उपकरणों की मदद से स्थिति पर नजर रखी जा रही है। फिंगर-3 की ऊंची पहाड़ियों से पूरे इलाके पर नजर रखना संभव है। इसके अलावा अत्याधुनिक ड्रोन भी तैनात किए गए हैं, जिनके जरिये पूरे क्षेत्र पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है। दोनों देशों की सेनाएं समझौते के तहत ही पीछे हटी हैं, लेकिन भारतीय सेना हर प्रकार से एहतियात बरत रही है।

भारतीय सेना अब फिंगर-3 के निकट धन सिंह थापा पोस्ट के करीब आ चुकी है, जबकि चीनी फौज फिंगर-8 तक पीछे हट चुकी है। फिंगर-1 से फिंगर-8 तक का पूरा इलाका 134 किलोमीटर लंबा है। जो इलाका खाली हुआ है, वह भी तकरीबन सौ किलोमीटर के दायरे में फैला है।

तय समझौते के तहत इस क्षेत्र में अस्थाई तौर पर गश्त स्थगित रखी गई है। भारतीय सेना फिंगर-8 और चीन की सेना फिंगर-4 तक गश्त करती थी। सूत्रों ने कहा कि इसके शुरू होने में अभी लंबा वक्त लग सकता है, क्योंकि पहले टकराव के अन्य बिन्दुओं, जिनमें डेप्सांग (डेपसांग), डेमचौक, हॉट स्प्रिंग और गोगरा शामिल हैं, उन पर सारा ध्यान है। पिछली बैठक में भी इन्हीं पर जोर दिया गया था।

सूत्रों के मुताबिक, हाट स्प्रिंग और गोगरा में सेनाएं पहले ही काफी हद तक पीछे हट चुकी हैं। वहां पर मई से पूर्व की स्थिति बहाल करने में ज्यादा मुश्किल नहीं है। अलबत्ता डेप्सांग और डेमचौके के मुद्दे जटिल हैं। उन्हें सुलझाने में अभी वक्त लग सकता है। सूत्रों ने कहा कि भारत-चीन में अगले कुछ दिनों में 11वें दौर की बैठक हो सकती है। या फिर विदेश मंत्रालयों के बीच बनी संयुक्त समिति आपस में चर्चा कर सकती है।

चीनी सैनिकों के पीछे हटने पर सेना प्रमुख ने जताई खुशी, कहा- 10वीं वार्ता से आया बेहतर परिणाम

चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम होने और पैंगोग त्सो के उत्तर और दक्षिण के किनारों से भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने के बाद सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने बुधवार को खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि 10वें दौर की वार्ता से दोनों देशों के लिए बेहतर परिणाम सामने आया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला दोनों देशों के लिए जीत की स्थिति है।

सेना प्रमुख ने कहा कि एक पड़ोसी के तौर पर हम चाहेंगे कि सीमा पर शांति और स्थिरता रहे और कोई नहीं चाहता कि भविष्य में भी सीमा पर किसी तरह की अस्थिरता बने रहे। उन्होंने आगे कहा कि भारत का रिश्ता वैसा ही होगा, जिस तरह से हम इसे बनाना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से सरकार की सोच है कि चीन के साथ हमारा रिश्ता उसी तरीके से विकसित होगा, जैसे हमारी इच्छा उसे विकसित करने की होगी।

सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि लद्दाख गतिरोध के दौरान चीन और पाकिस्तान के बीच कोई सांठ-गांठ नहीं था। उन्होंने कहा कि भारत हर तरह की परिस्थिति के लिए रणनीति बनाता है और इसमें सफल भी होता आया है।

बता दें कि भारत और चीन के बीच सीमा पर लगातार तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में यह बड़ी जानकारी देते हुए बताया था कि लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील इलाके से सेना की वापसी शुरू हो गई है। अब इस जानकारी की पुष्टि सेना ने तस्वीरों के जरिए भी कर दी है। तस्वीर में दोनों देश की सेना आपस में बात करते नजर आ रहे थे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख के विवादास्पद पेंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी इलाके में अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने  को लेकर चीन के साथ समझौता पक्का हो गया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह पिछले साथ अप्रैल मई में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बिगड़ी स्थिति के बाद भारत और चीन के बीच लगातार चल रही बातचीत का नतीजा है।

 

 

 

Galwan Valley में चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ाने वाले इस भारतीय कैप्टन को मिला सम्मान

नई दिल्ली। मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने मंगलवार को गलवान के जाबांज 16 बिहार रेजिमेंट के कैप्‍टन सोइबा मानिंग्बा रंगनमे से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कैप्‍टन सोइबा को सम्‍मानित किया।

इसकी जानकारी मुख्यमंत्री बीरेन सिंह (CM N Biren Singh) ने ट्विटर के माध्यम से दी है। बता दें कि हाल ही में चीन ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों की झड़प का एक वीडियो जारी किया था। जिसमें कैप्‍टन सोइबा मानिंग्बा चीनी सैन्‍य अफसरों पर हावी पड़ते दिखाई दिए थे। बता दें कि गलवान घाटी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) से गतिरोध के दौरान भारतीय सेना के कैप्टन सोइबा ने अपने जवानों का नेतृत्व किया था।

मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, “16 बिहार रेजीमेंट के मणिपुर के सेनापति जिले के कैप्टन कैप्टन सोइबा मानिंगबा रंगनामेई से मिलिए, चीनी पीएलए के खिलाफ संघर्ष के दौरान गलवान में अपने जवानों का नेतृत्व कर रहे थे। राष्ट्र के लिए खड़े होने के दौरान आपने (सोइबा) जो वीरता दिखाई है, उसने हम सभी को गौरवान्वित किया है।

 

16 घंटे चली भारत-चीन के बीच बातचीत, सैन्य वापसी पर हुई चर्चा

नई दिल्ली। भारत और चीन ने शनिवार को एक और दौर की सैन्य वार्ता की, जिसमें चर्चा का मुख्य बिंदु पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग जैसे क्षेत्रों से भी सैन्य वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रहा। पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी छोर से भारत और चीन के सैनिकों, अस्त्र-शस्त्रों तथा अन्य सैन्य उपकरणों को हटाए जाने की प्रक्रिया पूरी होने के दो दिन बाद कोर कमांडर स्तर की 10वें दौर की यह वार्ता संपन्न हुई।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बैठक चीन की ओर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मोल्दो सीमा क्षेत्र में सुबह 10 बजे शुरू हुई। कोर कमांडर स्तर पर चर्चा दोपहर 2 बजे तक जारी रही, सूत्रों के मुताबिक सेना की वापसी पर गोगरा, हॉटस्प्रिंग और डेपसांग प्लेन के साथ लंबी बातचीत हुई।

 

गलवान में भारत व चीन के बीच बना तनाव का माहौल, चीन ने लगाया भारतीय सैनिकों पर पहले हमले का आरोप

जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार करने और उनकी संख्या बताने के बाद अब चीन ने एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें झड़प के कुछ कथित अंश डाले गए हैं। इस वीडियो के जरिए चीन ने मारे गए अपने सैनिकों की तस्वीरें दिखाई हैं तो झड़प के लिए उसने भारत पर आरोप मढ़े हैं। माना जा रहा है कि जिस तरह लद्दाख में महीनों तक अड़े रहने के बाद चीन को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा, उससे उसकी किरकिरी हुई है और इससे ध्यान हटाने के लिए वह प्रोपेगेंडा में जुट गया है।

प्रोपेगेंडा में माहिर चीन ने झड़प की पूरी कहानी पलटकर पेश की है। सरकारी मीडिया में जारी वीडियो में भारत का नाम लिए बिना कहा गया है कि अप्रैल 2020 में विदेशी सेना ने पूर्व में हुए समझौतों का उल्लंघन किया और बॉर्डर लाइन पार करके सड़कों और पुलों का निर्माण शुरू कर दिया। चीन ने भारत पर एकतरफा यथास्थिति में बदलाव के प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा कि इसी वजह से यहां तनाव बढ़ा। 

चीन का कहना है कि भारतीय सैनिकों ने नदी के ठीक किनारे टेंट लगा दिए थे और जब पीएलए ने इसका विरोध किया तो बड़ी संख्या में पहुंचे भारतीय सैनिकों ने उनपर हमला कर दिया। इसके जवाब में पीएलए सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई और फिर झड़प हुई जिसमें उन्हें (भारत) भारी नुकसान उठाना पड़ा। हर बार की तरह चीन ने सारा दोष भारत पर मढ़ते हुए खुद को क्लीनचिट देने की कोशिश की है।

चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने शुक्रवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि पिछले वर्ष जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में उसके 4 सैन्यकर्मी मारे गये थे। चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने चीनी सेना के अखबार ‘पीएलए डेली की एक खबर के हवाले से कहा कि इन सैनिकों को सम्मानित किया गया है।

पीएलए डेली के मुताबिक काराकोरम पर्वतों पर तैनात रहे पांच चीनी अधिकारियों और सैनिकों को ‘सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ऑफ चाइना (सीएमसी) ने भारत के साथ सीमा पर टकराव में अपना बलिदान देने के लिए सम्मानित किया है। यह घटना जून 2020 में गलवान घाटी में हुई थी। 

 

 

LAC पर विवादित जगहों से तैनाती हटाने को लेकर कल बातचीत करेगी भारत और चीन की सेना

नई दिल्ली। LAC की विभिन्न विवादित जगहों से तैनाती हटाने को लेकर भारत और चीन के सैन्य प्रतिनिधि शनिवार यानी कल 10वें दौर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कमांडर्स हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और 900 वर्ग किमी वाले डेपसांग मैदान जैसे टकराव वाली जगहों को लेकर बात करेंगे।

यह बातचीत सुबह 10 बजे चीनी पक्ष के मोल्डो में शुरू होगी। डेपसांग को पिछले साल मई में शुरू हुए गतिरोध का हिस्सा नहीं माना जा रहा था। लेकिन भारत ने सैन्य कमांडर की हालिया बैठकों में जोर दिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर सभी मुद्दों को हल किया जाना चाहिए।

 

चीन ने दी गलवान में मारे गए अपने 5 सैनिकों की जानकारी, कहीं संख्या में झोल तो नहीं ?

जून 2020 में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में करीब 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इस घटना में चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे लेकिन चीन ने इसे लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया था। लेकिन अब इतने समय बाद आखिरकार चीन ने माना है कि इस सब में उसके भी सैनिक मारे गए थे।

चीन ने 5 सैनिकों का जानकारी साझा की जिनमें से 4 की मौत हुई थी। ये पीएलए शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजीमेंटल कमांडर क्यूई फबाओ, चेन होंगुन, जियानगॉन्ग, जिओ सियुआन और वांग ज़ुओरन हैं। इसमें चार की मौत गलवान के खूनी झड़प में हुई थी, जबकि एक की मौत रेस्क्यू के वक्त नदी में बहने से हुई थी।

बता दें कि भारत इस झड़प में लगभग 50 चीनी सैनिकों के मारे जाने का दावा करता रहा है। वहीं रूसी एजेंसी TASS ने 45 चीनी जवानों के मारे जाने की बात कही है। ऐसे में संदेह है कि चीन अपने नागरिकों को तसल्ली देने के लिए मरने वाले सैनिकों की संख्या को बेहत कम करके बता रहा है।