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राहुल गांधी के बयान पर BJP का पलटवार, कहा- कांग्रेस ने किया है भारत की जमीन चीन को सौंपने का पाप

नई दिल्ली।  लद्दाख में चीन की सेना के साथ LAC पर बीते साल शुरू हुए तनाव को कम करते हुए बुधवार से ही दोनों सेनाओं ने समझौते के तहत वापसी शुरु कर दी है। इस समझौते के तहत सेनाएं अप्रैल-मई 2020 से पहले की स्थिति पर वापस जाएंगी। ऐसे में जहां एक ओर भारत के अडिग रूख से चीन को वापस जाने पर मजबूर होना पड़ा है तो वहीं, देश में इस मुद्दे पर राजनीति बढ़ती जा रही है। मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से इस बारे में फैलाई जा रही भ्रामक जानकारी पर रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है।

बयान में कहा गया है कि मीडिया और सोशल मीडिया में गलत जानकारी दी जा रही है। ये जानकारी की भारत की सीमा फिंगर 4 तक है पूरी तरह से गलत है। भारत की सीमा वो है जो भारत के मानचित्र में दिखाई गई है और इसमें 43 हजार वर्ग किमी से ज्यादा का वो क्षेत्र भी शामिल है जो 1962 से ही चीन के अनाधिकृत कब्जे में है। भारत के मुताबिक एलएसी भी फिंगर आठ पर है न कि फिंगर चार पर इसलिये भारत लगातार फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग के अधिकार की बात करता है। नए समझौते के तहत भारत ने अपनी कोई भूमि नहीं गंवाई है। इसके विपरीत भारत ने मौजूदा स्थिति में बदलाव की एकतरफा कोशिश को नाकाम कर दिया है।

संसद में रक्षामंत्री के बयान में ही साफ कर दिया गया है कि हॉट स्प्रिंग, गोगरा और डेपसांग समेत जो अन्य अनसुलझे मसले है उन पर भी बातचीत होगी। पैंगोग लेक से सेना वापसी के 48 घंटे के अंदर दोनों देश इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। बयान में कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय हितों और क्षेत्रों की पूरी तरह से रक्षा की गई है क्योंकि सरकार ने भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमता पर पूरा भरोसा जताया है। हमारे सैनिकों की शहादत के चलते हासिल हुई उपलब्धि पर जो लोग सवाल उठा रहे हैं वो दरअसल उनका अपमान कर रहे हैं।

बता दें कि चीन के साथ हुए समझौते पर विदेश मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया है दोनो देशो की सेनाएं अपनी पूर्व की स्थिति पर जाएंगी, जिसमें भारत अपनी एक इंच जमीन भी चीन को नही दे रहा है।

पूर्वी लद्दाख के मसले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार सुबह प्रेस कांफ्रेस करके लगाए गए आरोपों पर बीजेपी ने करारा पलटवार किया है। बीजेपी अध्यक्ष जे.पी नड्डा ने ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी के कारण आज कांग्रेस में सर्कस का नया संस्करण शुरू हो गया है। राहुल गांधी सेनाओं की वापसी को भारत का नुकसान क्यों बता रहे हैं। क्या ये कांग्रेस और चीन के बीच हुए एमओयू का हिस्सा है?  जेपी नड्डा नमे कहा कि सेना वापसी के मसले पर सशस्त्र बल जिस रणनीति का पालन कर रहे हैं उस पर सवाल उठाना क्या हमारी सेनाओं का अपमान नहीं है। उन्होंने कहा कि हालिया समझौते के तहत कोई भी भारतीय जमीन चीन को नहीं दी गई है। अगर किसी ने भारत की जमीन चीन को सौंपने का पाप किया है तो वो एक भ्रष्ट, कायर राज परिवार है, जिसने अपनी राजनीति के लिये देश को तोड़ दिया।

 

चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स का दावा, पैंगोंग से पीछे हट रहे हैं भारत और चीन के सैनिक

लद्दाख में LAC पर कई महीने से जारी भारत और चीन की तनातनी के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। ग्लोबल टाइम्स ने ट्वीट कर दावा किया है कि पेंगांग झील के उत्तर और दक्षिण दोनों किनारों से दोनों देशों ने सेनाओं को पीछे हटाना शुरू कर दिया है। ग्लोबल टाइम्स ने चीनी रक्षा मंत्रालय का हवाला देते हुए लिखा कि भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता में बनी आम सहमति के अनुसार चीनी और भारतीय बॉर्डर ट्रूप्स ने बुधवार से पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से डिसइंजेमेंट शुरू कर दिया है। हालाकि भारतीय सेना या रक्षा मंत्रालय ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
बता दें कि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई से सैन्य गतिरोध चला आ रहा है। दोनों देश मुद्दे के समाधान के लिए कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ता कर चुके हैं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच गत 24 जनवरी को मोल्डो-चुशूल सीमा स्थल पर चीन की तरफ कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता हुई थी।

China में गिरफ्तार हुई ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार, सीक्रेट जानकारी लीक करने का संदेह

नई दिल्ली : चीन में करीब 6 माह के लिए ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया है। वो यहां पर स्थानीय टीवी चैनल में काम करती थी। पत्रकार पर गोपनीय जानकारियों को अवैध तरीके से दूसरे देशों में भेजने का संदेह है। 49 वर्षीय पत्रकार चेंग ली (Cheng Lei) ने अधिकारियों से आग्रह किया कि उन्हें उनके दो छोटे बच्चों से मिलने की अनुमति दी जाए।

चीन में जन्मी पत्रकार अपने माता-पिता के साथ बचपन में ही ऑस्ट्रेलिया चली गई थीं। उनकी पढ़ाई वहां के क्वींसलैंड (Queensland) यूनिवर्सिटी में हुई। कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के कारण बीजिंग में स्कूल की छुट्टियों के दौरान उनके बच्चे स्कूल की छुट्टियों में अपने ग्रैंडपैरेंट्स के पास ऑस्ट्रेलिया चले गए थे। दोनों बच्चों की उम्र 9 और 11 साल है।

कुछ बड़ा करने की फिराक में चीन? LAC पर तैनात किए होवित्जर, मिसाइल

दिल्ली। चीन के साथ गलवान हिंसा के बाद तनाव के हालात सुधारने के लिए भारत और चीन ने नौ राउंड की सैन्य वार्ता पूरी तो की है, लेकिन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) 3488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने हथियारों के साथ पीछे हटने के कोई संकेत नहीं दिखा रही है। बल्कि उसने तो तिब्बत में मिसाइल इकाइयों और स्व-चालित होवित्जर के साथ तैयारी और मजबूत कर ली है।

राष्ट्रीय सुरक्षा नियोजकों के अनुसार, पीएल तीनों क्षेत्रों में पैंगोंग त्सो के फिंगर एरिया में  नए निर्माण के साथ सैनिकों और भारी उपकरणों की तैनाती को नए सिरे से कर रहा है। साउथ ब्लॉक के पास सबूत है कि पूर्वी लद्दाख के चुमार में एलएसी से महज 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिंकाने पीएलए कैंप के आसपास 35 भारी सैन्य वाहनों और चार 155 एमएम पीएलजेड 83 सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर की ताजा तैनाती का संकेत हैं।

वहीं, रूडोक निगरानी सुविधा के पास, एलएसी से 90 किमी दूर, सैनिकों के लिए चार नए बड़े शेड और विभाजन क्वार्टर के पास वाहनों की भारी तैनाती और नए निर्माण कार्य पिछले महीने देखे गए हैं। रुडोक और शिक्नेह दोनों कब्जे वाले अक्साई चिन क्षेत्र में हैं।

इधर, भारत चीन के साथ लगने वाली उत्तरी सीमाओं पर अपनी सर्विलांस क्षमता बढ़ाने जा रहा है। वहीं बड़ी संख्या में ड्रोन, सेंसर, सैनिक सर्वेक्षण और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण तैनात करेगा ताकि पीएलए की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके और घुसपैठ का पता लगाने के लिए भी कदम मज़बूत हों।

बता दें कि बीते साल 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पीएलए के जवानों ने भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला कर दिया था। इस हमले में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए जबकि चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों की मारे जाने की खबर है।

हालांकि, चीन ने अब तक मारे गए अपने सैनिकों की संख्या की पुष्टि नहीं की है। इस हिंसक झड़प के बाद भारत ने एलएसी पर चीन के प्रति अपने रवैये में बड़ा बदलाव करते हुए कई रणनीतिक चोटियों पर कब्जा कर लिया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- चीन के साथ अब तक हुई बातचीत का जमीन पर प्रभाव नहीं दिखा

नई दिल्ली।  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत और चीन की सेना के शीर्ष कमांडर पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को लेकर नौ दौर की वार्ता कर चुके हैं और भविष्य में भी ऐसी वार्ताएं की जाती रहेंगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि चीन के साथ अब तक हुई वार्ताओं का जमीन पर कोई असर नहीं दिखाई दिया है।

बता दें कि भारत और चीन के बीच बीते साल पांच मई से पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध चल रहा है। विदेश मंत्री ने कहा, सेना के कमांडर अब तक नौ दौर की वार्ताएं कर चुके हैं। हमें लगता है कि कुछ प्रगति हुई है लेकिन इसे समाधान के तौर पर नहीं देखा जा सकता। जमीन पर इन वार्ताओं का प्रभाव दिखाई नहीं दिया है। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल अपने-अपने समकक्षों से बात की थी और इस बात पर सहमति बनी थी कि कुछ हिस्सों में सैनिकों को पीछे हटना चाहिए।

एस जयसंकर ने कहा कि सैनिकों के पीछे हटने का मुद्दा बहुत पेचीदा है। यह सेनाओं पर निर्भर करता है। आपको अपनी (भौगोलिक) स्थिति और घटनाक्रम के बारे में पता होना चाहिए। सैन्य कमांडर इस पर काम कर रहे हैं।

 

वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा- राफेल विमानों ने बढ़ा दी है चीन कि चिंता

वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि राफेल विमानों के आने से चीन की चिंता बढ़ गई है। पूर्वी लद्दाख के पास के क्षेत्रों में अपना जे-20 लड़ाकू विमान तैनात किया था, लेकिन जब हमने इस क्षेत्र में राफेल तैनात किए, तो वह पीछे चले गए।

WHO चीफ ने चीनी स्वास्थ्य मंत्री से की बात, कोरोना को लेकर दिया ये बड़ा संकेत!

विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ वुहान में अपनी पहली साइट पर पहुंच चुके हैं। इससे पहले विशेषज्ञों ने चीनी अधिकारियों के साथ मुलाकात की। डब्ल्यूएचओ के ये विशेषज्ञ वुहान के फूड मार्केट की जांच करने वाले हैं, जहां से कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई थी। विषेषज्ञ मान रहें हैं कि इससे चीन की श्किलें बढ़ सकती हैं।

https://youtu.be/L9-LB9eaBk0

चीनी सैनिकों के घुसपैठ के प्रयास को फिर मिली नाकामी, भारतीय जवानों ने LAC से वापस खदेड़ा

नई दिल्ली। भारत और चीन सीमा पर कई महीनों से तनाव की स्थिति बनी हुई है। पिछले सप्ताह एक बार फिर से भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए चीनी सैनिकों की घुसपैठ को नाकाम कर दिया है। इस दौरान दोनों पक्षों के सैनिक जख्मी हुए।

भारतीय सेना की ओर से जारी बयान के मुताबिक, 20 जनवरी को दोनों सेनाओं के बीच मामूली झड़प हुई थी जिसे वहां लागू प्रोटोकॉल के तहत स्थानीय कमांडरों ने सुलझा लिया था। बता दें कि रविवार को दोनों देशों के बीच 9वें दौर की सैन्य वार्ता समाप्त होने के बाद ये मामला सोमवार को सामने आया है।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच रविवार को नौवें दौर की सैन्य वार्ता संपन्न हुई। चुशूल इलाके के दूसरी ओर स्थित मोल्दो में आयोजित यह वार्ता 15 घंटे से भी अधिक चली। रविवार सुबह 11 बजे से शुरू हुई वार्ता सोमवार को 2:30 am बजे संपन्न हुई। सीमा पर तनाव को सुलझाने के क्रम में कई दौर की वार्ता हुई लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। इससे पहले 6 नवंबर 2020 को सैन्य वार्ता हुई थी।

दरअसल चीन की  सेना भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास कर रही थी जिसे रोकने के लिए वहां तैनात भारतीय सैनिकों ने हमला किया। जवाबी संघर्ष में 20 चीनी सैनिक व चार भारतीय जवान जख्मी हो गए। इससे पहले पिछले साल 15 जून को दोनों देशों की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख स्थित गलवन घाटी के प्वाइंट 14 में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें एक कर्नल समेत 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। दोनों देशों के बीच विवादों में  पिछले साल लद्दाख का नाकू ला एरिया भी शामिल हो गया। पिछले साल अप्रैल-मई से सीमा LAC पर दोनों देशों  के सैनिक तैनात हैं।  2017 में भारत और चीन के सेना डोकलाम में आमने-सामने थे।

https://youtu.be/SJ3qR0qNYHc

जाते-जाते चीन को बड़ा झटका दे गए डोनाल्ड ट्रंप, 9 कंपनियों को किया ब्लैक लिस्ट

नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने जाते-जाते चीन का काम तमाम करने की मंशा साफ कर दी है। ट्रंप प्रशासन ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन चीन के खिलाफ बड़ा फैसला लिया है। ट्रंप प्रशासन ने चीन की 9 कपंनियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया है।

बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने जिन चाइनीज कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया है, उनमें दुनिया की तीसरी बड़ी स्मार्टफोन कंपनी शाओमी और प्लेन मेकर Comac समेत 9 कंपनियां शामिल हैं। इस फैसले के बाद अमेरिकी इनवेस्टर्स को इन कंपनियों में अपने निवेश से बाहर निकलना होगा। जिसके लिए निवेशकों को 11 नवंबर 2021 तक ऐसा करना होगा।

कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने चीन पहुंची WHO की टीम

नई दिल्ली। दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक्‍सपर्ट्स की एक टीम वुहान पहुंच गई है। डब्‍ल्‍यूएचओ की टीम ‘शुरुआती मामलों में संक्रमण के संभावित स्रोत का पता लगाने के लिए वुहान में अध्ययन शुरू कर दिया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व में 10 विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम बृहस्पतिवार को चीन के वुहान पहुंची। यह टीम पता लगाएगी कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति वुहान से हुई या नहीं। शुरुआती आनाकानी और अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए चीन ने डब्ल्यूएचओ की टीम को अपने यहां आने की अनुमति दी है। 10 वैज्ञानिकों की इस टीम को वुहान में दो हफ्तों का क्वारंटाइन समय बिताना होगा। इसके बाद टीम अपने काम की शुरुआत कर सकेगी।

बता दें कि कोरोना वायरस की उत्तपत्ति कहां से हुई, यह बड़ा मुद्दा है, लेकिन साल 2019 में वुहान में कोविड-19 का पहला मामला सामने आया था। बीजिंग पर यह आरोप है कि उसके वुहान शहर स्थित लैबोरेटरी से ही वैश्विक महामारी का कारण बनने वाला कोविड-19 वायरस पैदा हुआ और यहीं से पूरी दुनिया में फैल गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले यह आरोप लगाया था और इसे चीनी वायरस करार दिया था।