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कांग्रेस में चार मंत्रियों व 21 विधायकों की अमरिंदर के खिलाफ बगावत-पंजाब

कांग्रेस का अंतर्कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पंजाब विधानसभा के मानसून सत्र से पहले यह कलह और तेज हो गई है। सिद्धू खेमे ने सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत कर दी है और उनको हटाने की आवाज उठा दी है। कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के घर चार कैबिनेट मंत्री समेत 21 विधायक और तकरीबन आधा दर्जन पूर्व विधायक एकत्रित हुए। बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री चरणजीत चन्‍नी ने कहा कि अब मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह में हमारा भरोसा नहीं रहा है। हम केंद्रीय नेतृत्‍व से मुख्‍यमंत्री को बदलने की मांग करेंगे।

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दूसरी ओर पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह से बगावत करने वाले चारों कैबिनेट मंत्रियों बैठक के लिए बुलाया है। यह बैठक थोड़ी ही देर में शुरू हाेगी। इन मंत्रियों को नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे का समझा जाता है। बताया जाता है कि इस बैठक सीएम बदलने की मांग को लेकर हाईकमान से मिलने के लिए रणनीति तैयार की जाएगीबैठक समाप्‍त हो गई है। बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री से पंजाब के मसले हल नहीं होने वाले है। इसलिए प्रदेश कांग्रेस का पांच सदस्य एक शिष्टमंडल आज ही दिल्ली जाकर हाईकमान से मिलेगा। इस प्रतिनिधिमंडल में तृप्‍त राजेंद्र सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखविंदर सिंह सरकारिया परगट सिंह और वह खुद होंगे। बाजवा ने कहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह अकाली दल से मिले हुए हैं। कांग्रेस पंजाब में आती तो नेशनल लेवल पर भी पार्टी का रिवाइवल कर सकती है। कैप्टन चाहते हैं कि मैं (कैप्टन) जाऊं वो (अकाली) आ जाएं।

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कांग्रेस के विधायक व पार्टी के प्रदेश महासचिव परगट सिंह ने कहा कि कांग्रेस के विधायक मुख्यमंत्री की वर्किंग से संतुष्टि नहीं है। इसलिए वह पार्टी हाई कमान से मिलेंगे। बैठक में सुखबिंदर सिंह सरकरिया भी थे। बैठक में कार्यकारी प्रधान संगत सिंह गिलजियां भी थेवहीं सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि हमने मंत्रियों के रूप में अच्‍छा काम किया है और मंत्री पद जाने का कोई डर नहीं है। रंधावा के इस बयान से यदि स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि कैप्टन के विरोध में आने वाले मंत्रियों को अपना विभाग बदलने या मंत्रिमंडल जाने का भी डर है। सुरेंद्र नावा ने नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार मालविंदर सिंह माली द्वारा कश्मीर मुद्दे पर की गई टिप्पणी को व्यक्तिगत करार दिया है। उनका कहना है कि या माली का व्यक्तिगत बयान है इसका कांग्रेस से कोई लेना देना नहीं है

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सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि यह बात यहां तक बढ़ने नहीं थी। उन्‍होंने कहा कि क्या कारण है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अमृतसर में जाकर 1000 लोगों की बैठक कर सकते हैं, विधायकों के साथ बैठक कर सकते हैं, लेकिन कैबिनेट बैठक वर्चुअल होती है। रंधावा का इशारा था कि मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह मंत्रियों के सवालों से बचना चाहते हैं, इसीलिए वर्चुअल कैबिनेट बैठक कर रहे हैं पहले से ही इस तरह की बैठक की तैयारी थी और माना जा रहा था कि इसमें मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोधियों की यह मंशा मुख्यमंत्री को बदलने का प्रस्ताव लाने की थी। बैठक में  21 विधायक और चार मंत्री ही पहुंचे । इसकी वजह से इस प्रस्ताव को लाने की संभावना कम दिखाई दे रही थी। यह बैठक ऐसे समय में की जा गई जब 2 दिन बाद 26 अगस्त को पंजाब कैबिनेट की बैठक होने वाली है। कैबिनेट बैठक में विधानसभा का मानसून सत्र कब बुलाया जाए इसको लेकर फैसला होना हैजानकारी के अनुसार इस बैठक में कांग्रेस के प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू अभी उपस्थित नहीं हुए । उनके भी बैठक में हाजिर होने की पूरी संभावना थी। बता दें कि कांग्रेस में कैप्टन विरोधी खेमा लंबे समय से मुख्यमंत्री को बदलने का प्रस्ताव लाने को लेकर के प्रयास कर रहा है हालांकि पूर्ण बहुमत न होने के कारण अभी तक प्रस्ताव लाने की कोशिश कामयाब नहीं हो पाई थी।

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पंजाब विधानसभा में कांग्रेस के 80 विधायक आज की बैठक में मंत्रियों में तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा, सुखविंदर रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी, समेत विधायकों में कुलदीप सिंह वैध, सुरजीत सिंह धीमान, अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, जूनियर अवतार हैनरी, हरजोत कमल, अमरीक सिंह ढिल्लों, संतोख सिंह भलाईपुर, परमिंदर सिंह पिंकी, मदनलाल जलालपुर, गुरकीरत कोटली, लखबीर सिंह लक्खा, देवेंदर घुबाया, प्रीतम सिंह कोर्ट भाई, कुलबीर जीरा, दर्शन बराड़, सिंह गोल्डी, परगट सिंह, काका रणदीप सिंह, अंगद सिंह उपस्थित हैं। जबकि इसके अलावा आधा दर्जन पूर्व विधायक भी उपस्थित रहेमाना जा रहा है कि कैप्टन विरोधी खेमा न सिर्फ पार्टी हाईकमान बल्कि मुख्यमंत्री पर भी दबाव बनाना चाहता है। कांग्रेस का एक धड़ा बेअदबी और पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी पर कड़ी कारवाई न किए जाने ने नाराज चल रहा है। सुखजिंदर रंधावा पहले ही खुल कर एडिशनल चीफ सेक्रेटरी होम, डीजीपी विजिलेंस बीके उप्पल और एडवोकेट जनरल अतुल नंदा का इस्तीफा मांग चुके हैं।

पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमे प्रधान बनाएटी का जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू बुधवार को विधायकों के साथ श्री दरबार साहिब में नतमस्तक होने पहुंचे

पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमे प्रधान बनाएटी का जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू बुधवार को विधायकों के साथ श्री दरबार साहिब में नतमस्तक होने पहुंच चुके हैं। उनके साथ कांग्रेस नेताओं, 62 कांग्रेस विधायकों और कई मंत्रियों मौजूद हैं। यह पूरी कसरत नए पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष सिद्धू का ‘पावर शो’ है। इससे सिद्धू के पंजाब कांग्रेस में मजबूत होने और सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह खेमे के कमजोर पड़ने का संकेत मिलता है।

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श्री दरबार साहिब में काफी संख्‍या में लाेग उमड़ पड़े। पूरा परिसर कांग्रेसियों से अटा पड़ा है। इससे पहले होली सिटी स्थित उनकी कोठी पर सुबह कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के अलावा बड़ी संख्या में विधायक पहुंचे। श्री दरबार साहिब परिसर में दाखिल होते ही सिद्धू व विधायकों ने ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल’ के जयकारे लगाए। दोपहर करीब 01:40 बजे सिद्धू माथा टेकने के लिए मुख्य भवन में दाखिल हुए।

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सिद्धू की कोठी पर कांग्रेस के 83 में से 62 विधायक पहुंचे। ऐसे में सिद्धू मजबूत दिख रहे हैं और सवाल उठ रहे हैं कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह कमजोर पड़ गए हैं।नवजोत सिद्धू और उनके आवास पर पहुंचे विधायक बसों में दरबार साहिब पहुंचे। कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया। यह सभी को स्वीकार्य होना चाहिए। कैप्टन अमरिंदर सिंह अब सिद्धू को माफी मांगने को कह रहे हैं।उन्होंने कहा कि यदि वह माफी मंगवाना चाहते थे तो सिद्धू के प्रधान बनने से पहले अपनी बात सोनिया गांधी व राहुल गांधी के समक्ष रखते। जब प्रताप सिंह बाजवा प्रधान बने थे, तब हम कैप्टन के साथ थे, लेकिन हाईकमान के फैसले के बाद प्रताप सिंह बाजवा के विरोधी होने के बावजूद हमने अपने हलके में उनकी रैली करवाई थी।

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हाईकमान का फैसला सर्वमान्य है।बुधवार सुबह सिद्धू की कोठी में पहुंचे विधायकों में हरमिंदर गिल, सुनील दत्ती, सुरजीत धीमान, राजा बड़िंग, सुखजीत रंधावा, हरजोत कमाल, दविंदर घुबाया, प्रीतम कोटभाई, परमिंदर पिंकी, बरिंदरजीत पहरा, सुखविंदर डैनी, तृप्त राजिंदर बाजवा, अंगद सैनी, शेर सिंह घुबाया, संगत गिलजियां, परगट सिंह शामिल हैं।बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) की कमान मिलने के बाद मंगलवार को गुरुनगरी पहुंचे थे और इस दौरान वह अपने पुराने अंदाज में दिखे थे। गोल्डन गेट पर लगे भव्य स्वागत के लिए कांग्रेस वर्करों ने ‘आ गया सिद्धू, छा गया सिद्धू, बोले सो निहाल-सतश्री अकाल, कांग्रेस जिंदाबाद के नारे लगाए और कांग्रेस पार्टी के झंडे फहराकर उनका स्वागत किया। 40 मिनट के स्वागत समारोह में सिद्धू व उनके समर्थकों ने पूरी ताकत दिखाई। उनके स्वागत में आतिशबाजी भी हुई। किसी ने बुके तो किसी ने सिरोपा और फूलों मालाओं से उनका सम्मान किया।

कैप्टन अमरिंदर सिंह की स्थिति असहज होती जा रही है

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के तमाम विरोध और जातीय समीकरण दिखाने के बावजूद कांग्रेस हाईकमान ने जिस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू काे कांग्रेस का प्रधान बना दिया है और वह लगातार सभी मंत्रियों, विधायकों, पूर्व प्रधानों आदि से मिलकर अपना काफिला बड़ा कर रहे हैं, उससे कैप्टन अमरिंदर सिंह की स्थिति असहज होती जा रही है।दरअसल, उनके अपने अति नजदीकी साथी भी अब सिद्धू खेमे में दिखाई दे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ ऐसा पहली बार हो रहा है, बल्कि 1997 से ही वह सत्ता संघर्ष में ऐसे ही दौर से गुजर रहे हैं लेकिन कैप्टन की जो स्थिति आज हुई है वैसी कभी नहीं हुई है। ऐसे में उनके पास सिद्धू के खिलाफ लड़ाई के क्या विकल्प रह जाते हैं।माना जा रहा है कि जिस दिन नवजोत सिद्धू श्री दरबार साहिब में नतमस्तक होने के लिए जाएंगे, 80 में से से 65 विधायक उनके साथ होंगे। यह ठीक उसी तरह है जैसे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसी तरह का संघर्ष करके प्रताप बाजवा से प्रधानगी छीनी थी। तब भी लगभग सभी विधायक बाजवा के साथ न होकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के खेमे में चले गए थे, क्योंकि वह जानते थे कि आने वाला समय कैप्टन का है। तो क्या अब इन सभी विधायकों को यह लगने लगा है कि कांग्रेस का सूर्य अब नवजोत सिद्धू के रूप में उदय हो रहा है।

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क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसा फौजी इतनी जल्दी हार मानने वाला है या अभी योद्धाओं की तरह लड़ेगा। 1997 में जब वह शिरोमणि अकाली दल का हिस्सा थे तो प्रकाश सिंह बादल ने पार्टी प्रधान रहते हुए उन्हें तलवंडी साबो से टिकट नहीं दिया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शिअद को अलविदा कह दिया और कांग्रेस में आ गए। ठीक उसी तरह जिस तरह 2017 के कैप्टन,अमरिंदर सिंह अकाली दल को छोड़कर कांग्रेस में आए और 2002 के चुनाव से पूर्व पार्टी ने उन्हें प्रदेश की कमान सौंप दी। कमान सौंपने से पहले कांग्रेसियों ने उनका ठीक उसी तरह विरोध किया जैसा आज कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके नजदीकी सिद्धू का कर रहे हैं।2002 में सरकार बनने पर राजिंदर कौर भट्ठल ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पहले सीएमशिप को लेकर बाद में डिप्टी सीएम बनने को लेकर, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह असहज नहीं हुए। 2007 के चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष शमशेर सिंह दूलो और उनके बीच टिकटों का लेकर टकराव हुआ, लेकिन कैप्टन ने दूलो की ज्यादा चलने नहीं दी। 2017 के चुनाव से पूर्व तो प्रताप बाजवा और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच प्रधानगी को लेकर जमकर संघर्ष हुआ। इसी तरह के एक फार्मूले में सुनील जाखड़ को विपक्ष के नेता और प्रताप बाजवा को प्रधानगी गंवानी पड़ी।

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अब कैप्टनअमरिंदर सिंह के पास क्या विकल्प हैं, यह सवाल राजनीतिक गलियारों में उठने लगा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के तमाम विरोध के बाद जिस तरह से हाईकमान ने सिद्धू के हाथ कमान सौंपी है उससे कांग्रेस में अपना भविष्य तलाशने वाले अब पीछे हट गए हैं। वह सिद्धू के साथ खुलकर चले गए हैं। कैप्टन उम्र के भी ऐसे पड़ाव पर खड़े हैं जहां अब कोई अलग राह तलाश नहीं कर पाएंगे।दूसरा नवजोत सिद्धू अपना कोई खेमा नहीं बना रहे हैं, बल्कि सभी को साथ लेकर चल रहे हैं। ऐसे में कैप्टन उनका विरोध एक हद तक ही कर पाएंगे। उन्हें सिद्धू के साथ सहज होना ही पड़ेगा। यहां मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा की टिप्पणी काफी सटीक है जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने ऊपर व्यक्तिगत हमला करने वाले सुखपाल खैहरा को पार्टी में ले लिया है तो सिद्धू ने तो सिर्फ मुद्दों पर आधारित टिप्पणियां ही की हैं।

नवजोत सिंह सिद्धू का चिपका,पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर लगातार आक्रामक

कांग्रेस हाईकमान द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश प्रधान बनाए जाने की घोषणा के साथ ही चंडीगढ़ स्थित पंजाब कांग्रेस मुख्यालय का रंगरूप भी बदलने लगा है। यहां पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का पोस्टर लगा होता था, लेकिन सिद्धू समर्थकों ने रातोरात इसे बदलकर यहां नवजोत सिंह सिद्धू का पोस्टर लगा दिया है।बता दें, पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर लगातार आक्रामक रहे हैं। लंबे समय से नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश प्रधान बनाए जाने की चर्चा चल रही थी, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के दबाव  में हाईकमान कोई फैसला नहीं ले पा रहा था।

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पुराने कांग्रेसी भी सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष का पद देने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने इसकी परवाह किए बिना गत रात्रि नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी। हालांकि सिद्धू पर नकेल कसने के लिए चार कार्यकारी प्रधान भी नियुक्त किए गए हैं।सिद्धू जब भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे तब भी कैप्टन सिद्धू को पार्टी में लाए जाने के पक्ष में नहीं थे। शुरुआती एक वर्ष तो सिद्धू व कैप्टन में ठीक-ठीक बनी। सिद्धू को कैप्टन ने अपने मंत्रिमंडल में स्थान दिया और उन्हें स्थानीय निकाय मंत्री बनाया। कुछ समय बाद कैप्टन ने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया। सिद्धू को स्थानीय निकाय के बजाय ऊर्जा विभाग दिया गया, लेकिन सिद्धू इसके लिए राजी नहीं हुए और मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। कैप्टन मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिए जाने के बाद सिद्धू लंबे समय तक चुप रहे।

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लेकिन इस बीच इस वर्ष की शुरुआत में वह अचानक सक्रिय होने शुरू हो गए। इंटरनेट मीडिया के जरिये सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधना शुरू कर दिया। इसके बाद कैप्टन विरोधी धड़ा बयानबाजी तेज करने लगा। कांग्रेस हाईकमान को पार्टी में उठ रहे असंतोष को शांत करने के लिए बैठकें करनी पड़ी। फिर भी सिद्धू कैप्टन पर आक्रामक रहे। अब हाईकमान ने सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी साल में आगे सिद्धू-कैप्टन की क्या केमिस्ट्री रहती है। 

#एनआईए की गिरफ्त में आए इमरान मलिक और नासिर खान#इन आरोपितों के पिता मूसा खान एक रिटायर फौजी#

#एनआईए की गिरफ्त में आए इमरान मलिक और नासिर खान#इन आरोपितों के पिता मूसा खान एक रिटायर फौजी

बिहार के दरभंगा रेलवे स्टेशन पर बीते वर्ष 17 जून को पार्सल में ब्लास्ट होने के बाद सिकंदराबाद से आए कपड़े के बंडल वाले पार्सल की पड़ताल हो रही है। एनआइए ने दो आरोपितों को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया। एनआईए की गिरफ्त में आए इमरान मलिक और नासिर खान मूल रूप से कैराना के हैं। यह दोनों सगे भाई पिछले कई वर्ष से हैदराबाद में रहकर कपड़े का कारोबार करते थे। इन आरोपितों के पिता मूसा खान एक रिटायर फौजी हैं।

बिहार के दरभंगा रेलवे स्टेशन पर पार्सल में विस्फोट के मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) ने जांच तेज कर दी है। इसमें शामली का बड़ा कनेक्शन सामने आ रहा है। शामली में पिता-पुत्र पर शिकंजा कसने के बाद एनआइए ने यहां के दो भाइयों को हैदराबाद से गिरफ्तार किया है। शामली निवासी फौजी के दोनों पुत्रों के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से कनेक्शन हैं।

हैदराबाद से एनआइए ने जिन दो भाइयों इमरान मलिक और नासिर खान को गिरफ्तार किया है, वह दोनों शामली के कैराना नगर के मोहल्ला कायस्थवाड़ा के निवासी हैं। शामली में अब तक चार लोगों का नाम दरभंगा रेलवे स्टेशन के पार्सल में ब्लास्ट कांड से जुड़ गया है। इसी कारण शामली का कैराना एक बार फिर से सुर्खियों में है।

शामली के पुलिस अधीक्षक सुकीर्ति माधव ने कहा कि हैदराबाद में पकड़े गए दोनों भाइयों के बारे में अभी तक किसी भी जांच एजेंसी ने शामली पुलिस से संपर्क नहीं किया है। इतना ही नहीं, अभी तक हमसे कोई भी जानकारी साझा नहीं की गई है।

उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने पहले भी 23 जून को कैराना के मोहल्ला बिसातयान व ऑल खुर्द निवासी हाजी सलीम उर्फ टूईया व कफील को भी हिरासत में लिया था। एसटीएफ ने पूछताछ के लिए दोनों को एनआईए को सौंप दिया था। जिनसे अब लगातार पूछताछ की जा रही है।

वैक्सीन संकट, लुधियाना, अमृतसर सहित सात जिलों में टीकारण बंद,जिलों के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों का स्टाक खत्म

#पंजाब में गहरा रहे वैक्सीन संकट को लेकर पंजाब के सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू कह चुके हैं कि केंद्र सरकार की ओर से भाजपा शासित राज्यों में वैक्सीन की सप्लाई लगातार जारी है#

पंजाब में गहरा रहे वैक्सीन संकट को लेकर पंजाब के सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू कह चुके हैं कि केंद्र सरकार की ओर से भाजपा शासित राज्यों में वैक्सीन की सप्लाई लगातार जारी है जबकि पंजाब को कम सप्लाई दी जा रही है। वहीं पंजाब सरकार वैक्सीन की सप्लाई को लेकर लगातार केंद्र सरकार के साथ संपर्क कर रही है।

लुधियाना। कोरोना के खिलाफ जंग में देशभर में चल रहे टीकाकरण अभियान को पंजाब में झटका लगा है। वैक्सीन की कमी के कारण राज्य के सात जिलों में टीकाकरण का काम बिलकुल बंद हो गया है। जबकि शेष जिलों में भी वैक्सीन की बहुत कम खुराकें बची हैं और अगर जल्द वैक्सीन न मिली तो यहां भी टीकाकरण अभियान रुक सकता है। इस स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही केंद्र सरकार को अवगत करा चुके हैं।

सेहत विभाग के इन जिलों के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों का स्टाक खत्म हो गया है। चंडीगढ़ से बुधवार को भी वैक्सीन नहीं आई और वीरवार को भी आने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है। अमृतसर के सिविल सर्जन कार्यालय की ओर से सेहत विभाग के चंडीगढ़ स्थित उच्चाधिकारियों से लगातार संपर्क किया गया तो जवाब मिला कि शुक्रवार को वैक्सीन भेजी जाएगी। यह स्थिति केवल अमृतसर ही नहीं अपितु राज्य के अन्य जिलों में भी है।