Tag Archives: #Diwali

दीपावली पर बाजारों से मिट्टी के कारीगरों की बंधी आस…पढ़‍िए आप भी

DESK: दीपों के पर्व दीपावली के त्यौहार की शुरुआत हो गई है। ऐसे में मिट्टी के कारीगर अपनी मेहनत को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। बिजली की झालरों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक चीजों के बीज मिट्टी के दिए बाजारों में जोरों से बिक रहे हैं। अगर मिट्टी के कारीगरों की बात की जाए तो यह लोग भी अन्य लोगों की तरह दीपावली के त्यौहार से काफी उम्मीद रखते हैं। बिजली की झालरों की वजह से मिट्टी के दिओं की बिक्रि कम हुई है।

भोजपुरी ,हिन्दी ,गुजराती ,मराठी , राजस्थानी ,बंगाली ,उड़िया ,तमिल, तेलगु ,की भाषाओं की पूरी फिल्म देखने के लिए इस लिंक को क्लीक करे:-http://www.aaryaadigital.com/ आर्या डिजिटल OTT पर https://play.google.com/store/apps/de... लिंक को डाउनलोड करे गूगल प्ले स्टोर से

मिट्टी के दिए कारीगरों की जी-तोड़ मेहनत के दम पर तैयार होते हैं। मिट्टी के दिए करवे और दीपावली के अवसर पर तैयार मिट्टी के अन्य सामान जिनसे लोगों के घर रोशन होते हैं। लेकिन बीते पिछले कई सालों से दीपावली के अवसर पर बाजार में बिजली की झालरों, बिजली के दियों तथा चाइनीज झालरों ने इन कुम्हारों की चाक की रफ्तार को धीमा कर दिया है। 1 साल में एक बार ही दीपावली का त्यौहार आता है और इस त्यौहार के समय ही मिट्टी के दिए-पुरुए, हठली, करवे आदि की बिक्री से ही इन गरीब मिट्टी के कारीगरों एक परिवार को आस बंधी रहती है।

भोजपुरी ,हिन्दी ,गुजराती ,मराठी , राजस्थानी ,बंगाली ,उड़िया ,तमिल, तेलगु ,की भाषाओं की पूरी फिल्म देखने के लिए इस लिंक को क्लीक करे:-http://www.aaryaadigital.com/ आर्या डिजिटल OTT पर https://play.google.com/store/apps/de... लिंक को डाउनलोड करे गूगल प्ले स्टोर से

दीपावली पर दिये मिट्टी के सामान बनाने की तैयारी दीपावली से काफी पहले शुरु हो जाती है। कुम्हार दीपावली के अवसर पर मिट्टी से छोटे चिराग, बड़े चिराग, हठली, दीए पुरवे आदि तैयार करते हैं। बिजली की झालरों की वजह से मिट्टी के दिओं की बिक्रि कम हुई है। जिस वजह से कुम्हारों की चाक की रफ्तार धीमी हो गई है।

शाही अंदाज में दिवाली मनाना होगा खास… दिखेगा इन जगहों को

Diwali Celebration: हिंदुओं का सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार है दीवाली. देश ही नहीं दुनिया भर में यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हैं. देश भर में मनाए जाने वाले इस त्योहार की रौनक ही अलग होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश के एक हिस्से में दिवाली प्रसिद्ध है. जी हां जिस तरह से गणेशोत्सव के लिए महाराष्ट्र जाना जाता है, शारदीय नवरात्रि के लिए  गुजरात विश्व प्रसिद्ध है. ठीक उसी तरह दिवाली के त्योहार  के लिए राजस्थान पहचाना जाता है. यहां दिवाली की शाही चकाचौंध आपको अपना दीवाना बना लेगी. अगर आप दिवाली राजस्थान में सेलिब्रेट करते हैं तो यह आपकी लाइफ के सबसे यादगार दिवाली सेलिब्रेशन्स में से एक होगी. राजस्थान में कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां दिवाली का नजारा अद्भुत होता है. यहां भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं. दिवाली के मौके पर राजस्थान में इन खास जगहों की एक्सप्लोर कर सकते हैं और दिवाली को यादगार बना सकते हैं.
पुष्कर
पुष्कर राजस्थान का मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन है. यहां ब्रह्मा को समर्पित मंदिर दुनिया का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है. इसके साथ ही यहां कि दिवाली भी देशभर में खासी मशहूर है. दिवाली के दिन जहां पूरा पुष्कर शहर दीयों की रोशनी से नहा उठता है. पुष्कर झील का नजारा देखने लायक होता है. दिवाली के दौरान पुष्कर में 5 दिनों का भव्य उत्सव होता है. इसके साथ ही ऊंट मेला लगता है. अब तक आपने यहां आकर मंदिर के दर्शन किए होंगे, लेकिन दिवाली पर यहां आकर आपका मन प्रसन्न हो जाएगा.
जयपुर
यूं तो इस गुलाबी शहर की बात हमेशा ही निराली रही है, लेकिन यहां दिवाली पर एक  अलग ही चकाचौंध देखी जा सकती है. दिवाली पर राजधानी जयपुर का नजारा आपको अपनी ओर आकर्षित करता है. इस मौके पर पिंक सिटी का हवा महल सफेद रोशनी से जगमगाता उठता है, तो वहीं जयपुर के बाजार और मेला देखने काफी तादाद में लोग पहुंचते हैं.
जैसलमेर
राजस्थान के फेमस दिवाली उत्सव में जैसेलमेर शहर का भी नाम शुमार है. इस खास त्योहार पर जैसलमेर फोर्ट को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया जाता है. यहां  दिवाली उत्सव के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. यहां के लोग दिवाली पर पारंपरिक परिधानों में नजर आते हैं, जिससे इस त्योहार की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं.

आज भाई दूज का पर्व है, यह त्योहार भाई- बहन का पावन और पवित्र त्योहार है।

आज भाई दूज का पर्व है

आज भाई दूज का पर्व है। यह त्योहार भाई- बहन का पावन और पवित्र त्योहार है। इस दिन भाई बहन के घर जाता है और बहन भाई का तिलक करती है। इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता है। भाई दूज को भैया दूज भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाई दूज हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भाई दूज की व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए।

भोजपुरी ,हिन्दी ,गुजराती ,मराठी , राजस्थानी ,बंगाली ,उड़िया ,तमिल, तेलगु ,की भाषाओं की पूरी फिल्म देखने के लिए इस लिंक को क्लीक करे:-https://aaryaadigital.com/ आर्या डिजिटल OTT पर https://play.google.com/store/apps/de… लिंक को डाउनलोड करे गूगल प्ले स्टोर से Aaryaa News – ख़बर पक्की – सही और सटीक खबरों के लिए जरुर SUBSCRIBE करे https://bit.ly/3aF3qDL

https://aaryaadigital.com/

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।

भोजपुरी ,हिन्दी ,गुजराती ,मराठी , राजस्थानी ,बंगाली ,उड़िया ,तमिल, तेलगु ,की भाषाओं की पूरी फिल्म देखने के लिए इस लिंक को क्लीक करे:-https://aaryaadigital.com/ आर्या डिजिटल OTT पर https://play.google.com/store/apps/de… लिंक को डाउनलोड करे गूगल प्ले स्टोर से Aaryaa News – ख़बर पक्की – सही और सटीक खबरों के लिए जरुर SUBSCRIBE करे https://bit.ly/3aF3qDL

https://aaryaanews.com/

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।

भोजपुरी ,हिन्दी ,गुजराती ,मराठी , राजस्थानी ,बंगाली ,उड़िया ,तमिल, तेलगु ,की भाषाओं की पूरी फिल्म देखने के लिए इस लिंक को क्लीक करे:-https://aaryaadigital.com/ आर्या डिजिटल OTT पर https://play.google.com/store/apps/de… लिंक को डाउनलोड करे गूगल प्ले स्टोर से Aaryaa News – ख़बर पक्की – सही और सटीक खबरों के लिए जरुर SUBSCRIBE करे https://bit.ly/3aF3qDL

https://aaryaadigital.com/

यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।

भोजपुरी ,हिन्दी ,गुजराती ,मराठी , राजस्थानी ,बंगाली ,उड़िया ,तमिल, तेलगु ,की भाषाओं की पूरी फिल्म देखने के लिए इस लिंक को क्लीक करे:-https://aaryaadigital.com/ आर्या डिजिटल OTT पर https://play.google.com/store/apps/de… लिंक को डाउनलोड करे गूगल प्ले स्टोर से Aaryaa News – ख़बर पक्की – सही और सटीक खबरों के लिए जरुर SUBSCRIBE करे https://bit.ly/3aF3qDL

https://aaryaanews.com/