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SC द्वारा नियुक्ति कमेटी से एक सदस्य ने खुद को किया अलग, ये है मुख्य कारण!

वहीं, कृषि सुधार कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के मेंबर और भाकियू के प्रधान भूपेंद्र सिंह मान ने कमेटी की सदस्यता छोड़ दी है। उन्होंने एक नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद किया कि उन्हें कमेटी में शामिल किया गया, जिसने किसानों और केंद्र सरकार के बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर बातचीत करके रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी थी। वह केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति में उन्हें नामित करने के लिए आभार व्यक्त करते हैं, लेकिन वह किसान हितों से कतई समझौता नहीं कर सकते। वह इस कमेटी से हट रहे हैं और हमेशा पंजाब व किसानों के साथ खड़े हैं।

https://youtu.be/Xv1ZfMUK3Ck

किसान आंदोलनः क्या 9वें दौर की बातचीत में सुलझेगा किसानों का मुद्दा? शो में हुई जमकर बहस-बाजी

सरकार और कृषि बिल के खिलाफ किसान आंदोलन लगातार विशाल रूप लेता जा रहा है। कहीं ट्रैक्टर रैली निकाली जा रही है तो कहीं 26 जनवरी को निकाले जाने वाली ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल की जा रही है। जिसके लिए घर-घर जाकर लोगों को जागरुक करने का काम भी किया जा रहा है और आज की रैली के लिए महिलाओं का बड़ा जत्था भी ट्रैक्टर पर सवार होकर टिकरी बॉर्डर पहुंचा। वहीं रैली को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार 133 करोड़ लोगों की आवाज सुने बिना विभिन्न षड्यंत्रों को अपना रही है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए किसान संगठनों के साथ बातचीत चल रही है और दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री और वाणिज्य मंत्री कह रहे हैं कि देश के किसान संगठन कृषि कानूनों के पक्ष में हैं। ये सरकार का दो तरफा रूप दर्शाता है, तो वहीं इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम सरकार को चेतावनी देने के लिए यह रैली निकाल रहे हैं। हम मई, 2024 तक आंदोलन के लिए तैयार हैं।

आज इसी मुद्दे पर खास चर्चा देखिए पल्लवी रविंद्र सिंह के साथ

https://youtu.be/-QAeQ_TZTKE

किसान आंदोलन ने लिया भयंकर रुप , मांगे पूरी न होने पर यूपी बॉर्डर पर एक किसान ने दी जान

इस कड़ाके की ठंड में भी किसानों का हौसला टस से मस नहीं हुआ। दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन पिछले 38 दिनों से लगातार जारी है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए है। हर दिन किसान आंदोलन एक नया मोड़ ले रहा है। इसी बीच आज सुबह गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान ने सरकार से  निराश होकर आत्महत्या कर ली। किसान के शव के पास एक सुसाइड नोट मिला जिसमें सरकार को आत्महत्या का जिम्मेदार ठहराया।

बताया जा रहा है की आत्महत्या करने वाले किसान कश्मीर सिंह ने अपने सुसाइड नोट में लिखा की आखिर हम कब तक यहां सर्दी में बैठे रहेंगे। हमारी मांगे सरकार सुन नहीं रही है इसलिए अपनी जान देकर जा रहा हूं। आगे मांग करते हुए लिखा की मेरा अंतिम संस्कार मेरे पोते-बच्चे के हाथों यहीं दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर होना चाहिए। बता दें की मृतक किसान का परिवार भी यहा किसान आंदोलन में सेवा कर रहा है।

घटना स्थल पर पहुंचने के बाद सुसाइड नोट यूपी पुलिस ने अपने कब्जे में कर लिया है, और आगे की कार्रवाई की जा रही है। यह  सुसाइड नोट पंजाबी भाषा में लिखा गया था जिसका अनुवाद कराया जा रहा  है। बताते चले आज सिंघु बॉर्डर पर किसान बैठक का आयोजन किया जाएगा , जिसमें आगे की रणनीती के बारे में विचार किया जाएगा।