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आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में मुरादाबाद पहुंचे भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत  

मुरादाबाद। जिले के मूंढापांडे थाना क्षेत्र के टोल प्लॉजा पर किसान लगातार कृषि अध्यादेश के विरोध में धरने पर बैठे हैं। जिसके चलते पुलिस-प्रशासन किसानों पर प्रशासन कार्रवाई कर रहा है। किसानों पर पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई की भनक लगते ही भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत बुधवार को दिल्ली से मुरादाबाद पहुंचे हैं। राकेश टिकैत  मुंडापांडे टोल पर पहुंचकर प्रशासनिक अधिकारियों के आने का इंतजार कर रहे हैं।

मूंढापांडे टोल प्लाजा पर राकेश टिकैत के पहुंचते ही किसानों ने उनका जोरदार स्वागत किया। किसानों ने भारतीय राकेश टिकैत के समर्थन में नारेबाजी करते हुए टोल प्लाजा को फ्री करा दिया।  राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि वो किसलिए मुरादाबाद पहुंचे हैं तो उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं  तो पुलिस किसानों को परेशान कर रही है।  जिला प्रशासन ने किसानों के खिलाफ मुदकमा पंजीकृत किया है। इसलिए हम यहां पर आए हैं।

राकेश टिकैत ने कहा कि हम चाहते हैं कि किसानो की गिरफ्तारी हो प्रशासन गिरफ्तारी। यह लोग जिस जगह पर प्रोटेस्ट कर रहे हैं,पुलिस इन्हें परेशान कर रही है, धूप में किसानों को बैठा रखा है, ना तो यहाँ पर पीने के लिए पानी है, ना ही लाइट है, ना ही कोई व्यवस्था, जिससे किसान बेहद परेशान हैं। उन्होंने कहा कि  लगातार यहां पर किसान 8 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों का यह मांगे न पूरी होने तक जारी रहेगा।

लाल किला हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस का बड़ा खुलासा, बताया क्या था प्रदर्शनकारियों का मकसद

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने लाल किले पर हुई हिंसा मामले में बृहस्पतिवार को चार्जशीट दाखिल कर दी है। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कई चौकानें वाले खुलासे किए हैं।  पुलिस  के अनुसार लाल किले पर हिंसा सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी। उपद्रव करने वाले लाल किले पर कब्जा करने की फिराक में थे ताकि वहां किसान प्रोटेस्ट के लिए जगह बनाई जा सके।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली पुलिस का दावा है कि इसी इरादे से योजना बनाकर बड़ी संख्या में बुजुर्ग किसानों को भीड़ में शामिल किया गया और लाल किले में दाखिल करवाया गया। इस काम के लिए 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्व को इसलिए चुना गया था ताकि देश-विदेश में सरकार की अस्मिता को ठेस पहुंचाकर सरकार को शर्मिंदा किया जा सके।

बता दें कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर मार्च निकाला था। इस दौरान दिल्ली में प्रदर्शनकारी किसानों ने जमकर हुड़दंग मचाते हुए हिंसा को अंजाम देने के साथ आंदोलन के बहाने पूरी दुनिया के सामने भारत को शर्मसार करने की भी साजिश रची गई थी।

 

 

किसानों के समर्थन पीएसपी किसान सभा ने किया प्रदर्शन, कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग

गोरखपुर। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया किसान सभा ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसानों के देशव्यापी आंदोलन का समर्थन किया। पैडलेगंज स्थित कार्यालय पर आज सभा के प्रदेश अध्यक्ष अंशुमान सिंह के नेतृत्व में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर किसान बिल वापस लेने का मांग की।

किसान बिल वापस लेने की मांग को लेकर प्रदेश अध्यक्ष अंशुमान सिंह ने नगर मजिस्ट्रेट अभिनव रंजन श्रीवास्तव के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। अंशुमान सिंह ने कहा कि विगत वर्ष 2020 से लगायत देश का अन्नदाता भूखे – प्यासे, गर्मी, बरसात, सर्दी और भयानक महामारी कोविड -19 के काल के गाल में जाना कबूल करते हुए देशहित में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर किसानहित में कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार लगातार अन्नदाताओं का अपमान कर रही है।

उन्होंने कहा कि इस कानून से किसान के अलावा कामगार, नौजवान भी प्रभावित हो रहा है। चंद कारपोरेट घरानों को छोड़कर सारी आम अवाम लाचार व विवश होकर रह जायेगी। इस संदर्भ में 12 मई को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा गया था कि महामारी का शिकार लाखों अन्नदाताओं को बचाने के लिए कृषि कानून को वापस लेना जनहित में होगा। किसानों के देश व्यापी आन्दोलन का प्रगतिशील समाजवादी पार्टी समर्थन करते हुए कृषि काला कानून को वापस लेने की मांग करती है। कृषि काला कानून को वापस लिया जाना जनहित में होगा।

रिपोर्ट- सचिन यादव

कृषि कानूनों का किसानों ने जमकर किया विरोध, जगह-जगह फूंके सरकार के पुतले

मेरठ। पश्चिमी यूपी के जिलों में किसान आज केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में काला दिवस मना रहे हैं। वहीं, मेरठ में किसानों ने अपने घरों, ट्रैक्टरों पर काले झंडे लगाकर विरोध जताया है और मोदीपुरम क्षेत्र के सिवाया टोल प्लाजा पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया है।

बता दें कि टोल प्लाजा के साथ-साथ परतापुर के घोपला गांव में केंद्र सरकार का पुतला दहन किया गया। इस मामले की सूचना मिलने पर परतापुर पुलिस गांव में पहुंची तो भाकियू कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और सरकार के विरोध में अपने घरों व वाहनों पर काले झंडे लगाकर कृषि कानूनों का विरोध किया। किसानों ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार बिल्कुल बेकार है। इस सरकार ने किसानों के लिए कुछ भी नहीं किया। वैसे तो बड़े-बड़े वादे और दावे यह सरकार कर रही थी लेकिन उसके मुकाबले किसानों के हक में कुछ फैसला नहीं आया है। लेकिन जब तक सरकार तीनों किसी कानून भी वापस नहीं लेगी तो हम किसान लोग ऐसे ही धरना प्रदर्शन करते रहेंगे।

भारतीय किसान यूनियन के जिला महासचिव मेरठ विनेश प्रधान, श्यामवीर तलियान, रंजीत सिंह, धर्मबीर, अनिल, कल्लू, रामपाल ओमबीर, अमित, जगबीर, राजकुमार आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट– शाहिद मंसूरी

किसान आंदोलनः एक बार फिर से ‘भारत बंद’ का ऐलान, आंदोलन के 4 महीने पूरे होने पर होगा भारत बंद!

नई दिल्ली। कृषि संबंधी नए कानून की वापसी को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन महीनों से जारी है। कृषि कानून वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लागू करने को लेकर आंदोलनरत किसानों ने एक बार फिर से भारत बंद का ऐलान किया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार किसान संगठन की ओर से 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया गया है। बता दें कि 26 मार्च को किसान आंदोलन के 4 माह पूरा हो जाएंगे। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि निजीकरण व पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के विरोध में किसान संगठन और ट्रेड यूनियन 15 मार्च को प्रदर्शन करेंगे। बता दें कि दिल्ली के सिंघू बॉर्डर से लेकर टीकरी बॉर्डर और यहां तक कि गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसानों का जमावड़ा अब भी है।

26 नवंबर 2020 से धरने पर बैठे हैं किसान

पिछले साल 26 नवंबर को किसानों का दिल्ली कूच पंजाब और हरियाणा से निकले किसानों के जत्थे दिल्ली की तरफ कूच कर गए। पंजाब-हरियाणा की सीमा पर जमकर बवाल हुआ। सिंधु बॉर्डर पर टकराव के बावजूद किसान आगे बढ़ते चले आए। रात में किसान तमाम मुश्किलों और हरियाणा पुलिस की चुनौतियों का सामना करते हुए सिंघु बॉर्डर पहुंचे। जहां उन्हें दिल्ली पुलिस ने रोक दिया। दिल्ली चलो का अभियान दिल्ली की सीमा के भीतर नहीं आ पाया। तय हुआ कि दिल्ली के बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन की अनुमति दी जाए, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया।

सरकार-किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत

बता दें कि 1 दिसंबर से सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ। पहले दौर की बैठक के बाद एक के बाद एक 11 दौर की बातचीत सरकार और तकरीबन 40 किसान संगठनों के नेताओं के बीच हुई। अलग-अलग प्रस्तावों के बावजूद, किसान तीन कानून की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग पर अड़े रहे। सरकार ने कानून को लगभग डेढ़ साल तक स्थगित करने तक का प्रस्ताव भी दिया, जिसे किसानों ने सर्वसम्मति से ठुकरा दिया

8 दिसंबर 2020 को किसानों ने किया था भारत बंद

बता दें कि कृषि कानून के विरोध में 8 दिसंबर को किसान संगठनों ने तीन घंटे का भारत बंद किया था। कई जगहों पर ट्रैफिक रोका गया, बाज़ारों को भी बंद रखने का किसान संगठनों ने आह्वान किया, जिसका असर कुछ राज्यों के अलावा देश में कम हीं देखने को मिला।

26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में हुआ बवाल

बता दें कि किसान आंदोलन के बीच 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में जमकर बवाल हुआ था। किसान यूनियन और पुलिस की बीच बैठकों के दौर के बाद गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर रैली का रूट तय किया गया, लेकिन ट्रैक्टर रैली निर्धारित समय से पहले ही दिल्ली की सीमा में प्रवेश कर गई। तय रूट के अलावा भी किसानों के कई गुटों ने आईटीओ और लाल किले की ओर कूच कर दिया। सड़कों पर पुलिस और किसानों के बीच टकराव हुआ, हिंसा हुई और यहां तक कि लाल किले की प्रचीर पर किसानों का एक जत्था पहुंचा और वहां सिक्खों के धार्मिक झंडे को फहराया गया। आंदोलन में शामिल कुछ लोगों ने पुलिस पर भी हमला किया, जिसमें कई पुलिस कर्मी घायल हो गए थे।

किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे, केएमपी हाइवे पर लगाया जाम, पढ़िए पूरी खबर  

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्‍ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का आज सौ दिन पूरा हो गया। ऐसे में अपने आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर किसानों ने आज यानी शनिवार को कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे पर जाम लगाकार विरोध जर्ज कराया। किसानों ने एक्सप्रेस-वे के कुछ स्थानों पर  यातायत को बाधित रखा।

किसानों का यह प्रदर्शन सुबह 11बजे से शुरू होकर अपराह्न चार बजे तक चला। इसके अलाव किसानों ने अपने घरों पर काले झंडे फहराकर और हाथों में काली पट्टी बांधकर केंद्र सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की।

बता दें कि पिछले 100 दिनों से दिल्ली के पास कई स्थानों पर कई किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून बनाने की है।

वहीं, दूसरी तरफ  सरकार ने तीनों कानूनों को कृषि सुधारों की दिशा में बड़ा कदम बताते हुए कहा है कि इससे किसानों को लाभ होगा और अपनी उपज बेचने के लिए उनके पास कई विकल्प होंगे।

 

 

केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान ने जेपी नड्डा को दी किसान आंदोलन की रिपोर्ट, कहा- बीजेपी के लिए अच्छे संकेत नहीं

नई दिल्ली। कई महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसान डटे हुए हैं। किसानों का ये आंदोलन भारतीय जनता पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं साबित हो रहे हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग तीन महीने से चल रहे आंदोलन पर रिपोर्ट दी है।

संजीव बलियान ने कहा कि किसान आंदोलन बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है। पिछले सप्ताह जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह ने हरियाणा, पश्चिमी यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश की चालीस जाट बहुल सीटों से आने वाले सांसदों विधायकों और प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की थी। इस बैठक में तय किया गया था कि सांसद आम जनता के बीच जाकर कृषि कानूनों के बारे में बताएं कि किस तरह से ये कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं। उन्हें ये भी बताएं कि ये आंदोलन नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने की मंशा से विपक्षी दलों की ओर से चलाया जा रहा है।

माना ये भी जा रहा है कि किसान आंदोलन को लेकर जो फीडबैक मिला है, वह बीजेपी के लिए अच्छा नहीं है। अगर किसान आंदोलन लंबा चलेगा तो 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी का जाट वोट बैंक खिसक सकता है।

उत्तराखंड : कृषि कानूनों के विरोध में किसान ने बर्बाद की गेहूं की फसल

काशीपुर में आज किसान आंदोलन के समर्थन में एक किसान ने अपनी 25 एकड़ गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चलावाना शुरू कर दिया। मामले की जानकारी होने पर मौके पर पहुंचे किसान नेताओं ने किसान को समझाया बुझाया लेकिन तब तक 6 एकड़ गेहूं की फसल बर्बाद हो चुकी थी।

बता दें कि देशभर में किसान आंदोलन की आग लगातार जारी है। किसानों के द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार धरने प्रदर्शन किए जा रहे हैं। सराकर के साथ वार्ता के बाद भी कोई हल न निकलने से किसान अब सरकार के द्वारा लागू किये गए तीनों कृषि कानूनों के विरोध में अब महापंचायत का आयोजन कर रहे हैं। इसी क्रम में आज काशीपुर में ग्राम बाँसखेड़ा के रहने वाले अवतार सिंह नामक एक किसान ने अपनी 25 एकड़ के क्षेत्र में फैली गेहूं की फसल को नष्ट करने की नीयत से उस पर ट्रैक्टर की मदद से हैरो चलवाना शुरू कर दिया।

इसका पता जैसे ही किसान नेताओं को चला तो उन्होंने मौके पर आकर उन्हें समझाया बुझाया लेकिन तब तक 6 एकड़ गेहूं की फसल बर्बाद हो चुकी थी। इस दौरान अवतार सिंह ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह करार देते हुए कहा कि आज आंदोलन का 94वां दिन है। अब तक 200 के लगभग किसान आंदोलन के दौरान शहीद हो गए, लेकिन तानाशाह प्रधानमंत्री ने उनके लिए एक शब्द भी नहीं बोला। उन्होंने कहा कि पहले इस किसान आंदोलन को महज पंजाब, हरियाणा के किसानों का आंदोलन कहा जा रहा था, जबकि इस आंदोलन में देश के काफी हिस्सों के किसान सम्मिलित थे लेकिन सरकार इस आंदोलन को केवल दो से तीन प्रदेशों का बताकर इस आंदोलन को कुचलने के प्रयास में लगी है।

रिपोर्ट – जसीम खान

1 मार्च को रूद्रपुर में होगी किसानों की महापंचायत, राकेश टिकैत करेंगे किसानों को संबोधित

नई दिल्ली। देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान महापंचायत कर रहे हैं। इसी क्रम में 1 मार्च को रूद्रपुर के गांधी पार्क में किसानों ने एक विशाम महापंचायत का आयोजन किया है। बता दें कि इस पंचायत को संबोधित करने व सम्मलित होने किसान नेता राकेश टिकैत आ रहे हैं।

किसानों की होने वाली इस महापंचायत में राकेश टिकैत के नेतृत्तव में किसान केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग करेंगे। होने वाली महापंचायत को सफल बनाने के लिए किसानों ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है।

स्थानीय किसान नेता ने जानकारी देते हुए बताया कि आने वाली 1 मार्च को रूद्रपुर में किसान महपंचायत का आयोजन किया गया है। जिसमें हमारे किसान नेता राकेश टिकैत शामिल होंगे। इस पंचायत को सफल बनाने के लिए दिनेशपुर गुरुद्वारा में बैठक की गई है। उन्होंने कहा कि रूद्रपुर में होने वाली किसान महापंचायत में हजारों की संख्या में किसान पहुंचेंगे।

किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी का बड़ा बयान, कहा- हिंसा की जांच के नाम पर क्रूरता कर रही है पुलिस

नई दिल्ली।  किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि 26 जनवरी हिंसा की जांच के नाम पर दिल्ली पुलिस क्रूरता कर रही है। उन्होंने किसानों से कहा कि अगर दिल्ली पुलिस नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाती है तो पेश न हों।

गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि पुलिस अगर गिरफ्तार करने आए तो पुलिस को गांव में ही घेर कर बिठा लो। उन्होंने कहा कि पुलिस वालों को बिठाकर खिलाओ-पिलाओ जब तक जिला अधिकारी ना आ जाएं और ये ना कह दें कि दोबारा दिल्ली पुलिस गांव नहीं आएगी, तब तक नहीं जाने देना। उन्होंने कहा कि लेकिन इस दौरान उनके साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार न हो।