Lifestyle: करेले की डिश बहुत ही कम लोगों को पसंद आती है और लेकिन अक्सर हम इस सब्जी के अद्भुत स्वास्थ्य लाभों को भूल जाते हैं. एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और खनिजों से भरपूर करेला खाद्य जगत की सबसे स्वास्थ्यप्रद सब्जियों में से एक है.
करेले का सेवन सब्जी के रूप में, अचार के रूप में या जूस के रूप में किया जाता है. करेले का नियमित सेवन करने से अनेकों लाभ मिलते हैं. करेला रस प्रचुर पोषक तत्वों का एक ऐसा स्रोत है जो कई स्वास्थ्य लाभों के कारण है.
2. कम कैलोरी और फाइबर में उच्च होने के कारण करेला वजन घटाने में बेहद कारगर है. यह वसा कोशिकाओं के विकास और प्रसार को रोकता है, जो शरीर में फैट स्टोर के लिए जिम्मेदार होते हैं. यह मेटाबॉलिज़्म को बढ़ावा देता है और इसके एंटीऑक्सिडेंट शरीर को शुद्ध करने में सहायता करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप फैट लॉस होता है.
3. करेला वायरस और बैक्टीरिया से लड़ता है और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है. यह एलर्जी और अपच से बचाता है. एंटीऑक्सिडेंट बीमारी के खिलाफ शक्तिशाली रक्षा तंत्र के रूप में काम करते हैं. यह किसी भी तरह के कार्सिनोजेन्स के लिए विष की तरह कार्य करता है जो विभिन्न प्रकार के कैंसर का कारण बन सकते हैं. यह कैंसर सेल के विकास को रोकता है और ट्यूमर के विकास को काफी हद तक रोकता है.
4. करेले में शक्तिशाली सूजन-रोधी प्रभाव होते हैं. यह रक्त के प्रवाह और जमावट को नियंत्रित करता है, जिसके परिणामस्वरूप तेजी से घाव भरने और बड़े पैमाने पर संक्रमण में कमी आती है. करेले में एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा होती है और यह दूषित रक्त से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है.
Tea Side Effects: ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें सुबह उठते ही चाय की चुस्की लेनी होती है। आपको भी अगर खाली पेट चाय पीने की आदत है, तो यह आपकी सेहत के लिए काफी घातक साबित हो सकता है। भले ही बहुत से लोगों के लिए ये कम्फर्ट ड्रिंक हो, लेकिन जागने के तुरंत बाद खाली पेट इन्हें पीना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। खाली पेट चाय पीने से गैस, एसिडिटी जैसी समस्या बन जाती है। इसीलिए चाय के साथ कुछ लेना जरुरी होता है।
खाली पेट चाय पीने का होता है सबसे बड़ा नुकसान!
चाय पीने से पहले या चाय के साथ कुछ बिस्किट खा लें। चाय पीने से पहले एक ग्लास पानी पी लें। चाय पीने के बाद नाश्ता कर लें। इन सब चीजों को करने से सुबह की चाय आपके शरीर पर असर नहीं करेगी। हो सके तो कोशिश करें नाश्ता करने के घंटे बाद चाय का सेवन करें। इसके अलावा सोने से पहले या रात के खाने के बाद भी चाय का सेवन नहीं करें।
सोने से पहले या रात के खाने के बाद भी ना करें चाय का सेवन
चाय या कॉफी का नेचर एसिडिक होता है। खाली पेट इनका सेवन करने से एसिडिक बेसिक संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे कई बार एसिडिटी की शिकायत होती है। दरअसल, चाय में थियोफिलाइन नामक एक योगिक होता है, जो निर्जलीकरण की वजह है। चाय या कॉफी पीने के बाद सुबह सबसे पहले मुंह के बैक्टीरिया शुगर को ब्रेक करेंगे, जिससे मुंह का एसिड का स्तर बढ़ जाएगा । कुछ लोगों को सुबह दूध से बनी चाय पीने के बाद भी फूला हुआ महसूस हो सकता है।
health tips : क्या आप रात में आने वाली खासी से परेशान हैं। दिन में आने वाली खासी रात में ज्यादा परेशान करती हैं। जब कोई व्यक्ति लेटता है तो कभी कभी ये बुरी तरह से खराब हो जाती है। हालांकि ये कुछ उपचार हैं, जो रात की खासी में राहत देकर, एक बेहतर नींद लेने में मदद कर सकती हैं।
शहद के साथ हर्बल टी पिएं- सोने से पहले एक मग बिना कैफीन वाली चाय पीने की आदत डालें। “कोई भी गर्म तरल आपके वायुमार्ग में बलगम को तोड़ने में मदद कर सकता है।” थोड़ा शहद डालें।
करवट लेकर सोएं- जब रात की खांसी की बात आती है, गुरुत्वाकर्षण आपका दुश्मन है। दिन के दौरान आपके द्वारा निगले जाने वाले सभी पोस्ट नेसल ड्रेनेज और बलगम का बैक अप हो जाता है और जब आप रात में लेटते हैं तो आपके गले में जलन होती है। जब आप सोते हैं तो अपने आप को कुछ तकियों पर चढ़ाकर गुरुत्वाकर्षण को अवहेलना करने का प्रयास करें।
एसिड रिफ्लक्स वाले लोगों के लिए एक और तरकीब यह है कि बिस्तर को 4 इंच ऊपर उठाने के लिए उसके सिरहाने के नीचे लकड़ी के ब्लॉक चिपका दें। उस कोण से, आप एसिड को अपने पेट में नीचे रख सकते हैं जहाँ वे आपके गले में जलन नहीं करेंगे। बेशक, आपको पहले अपने साथी का ओके करवाना होगा।
भाप का प्रयोग सावधानी से करें। शुष्क वायुमार्ग आपकी खांसी को बदतर बना सकते हैं। सोने से पहले नहाने या नहाने से आपको राहत मिल सकती है या सिर्फ भाप से भरे बाथरूम में बैठने से। एडेलमैन की एक चेतावनी है: “यदि आपको अस्थमा है, तो भाप वास्तव में खांसी को बदतर बना सकती है।”
अपना बेडसाइड तैयार करें। यदि आपको रात में खांसी शुरू हो जाती है, तो अपने बिस्तर के पास वह सब कुछ रखें जो आपको चाहिए – एक गिलास पानी, खांसी की दवा या ड्रॉप्स, और कुछ भी जो मदद करता हो। जितनी जल्दी आप खाँसी दौरे को रोक सकते हैं, उतना ही अच्छा है। लगातार खांसी आपके वायुमार्ग को परेशान करती है, जिससे आपकी रात की समस्या लंबे समय तक बनी रह सकती है।
बिस्तर साफ रखें। अगर आपको खांसी है और एलर्जी होने का खतरा है, तो अपने बिस्तर पर ध्यान दें। धूल के कण – छोटे जीव जो त्वचा के मृत गुच्छे खाते हैं और बिस्तर में दुबक जाते हैं – एक सामान्य एलर्जी ट्रिगर हैं। एडेलमैन कहते हैं, उनसे छुटकारा पाने के लिए, हर हफ्ते अपने सभी बिस्तरों को गर्म पानी में धो लें।
चिकित्सा पर विचार करें। ओवर-द-काउंटर खांसी की दवाएं दो तरह से मदद कर सकती हैं। एक एक्सपेक्टोरेंट बलगम को ढीला करने में मदद कर सकता है। कफ सप्रेसेंट कफ रिफ्लेक्स को रोकता है और खांसी की इच्छा को कम करता है। यह सुनिश्चित करने के लिए लेबल को ध्यान से देखें कि आपको वह दवा मिल रही है जो आपकी खांसी के लिए सही है। यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं तो अपने फार्मासिस्ट या डॉक्टर से पूछें।
अपने चिकित्सक को देखें। यदि आपको 7 दिनों से अधिक समय से रात में खांसी हो रही है, तो अपने डॉक्टर से जांच कराने का समय आ गया है। इसमें कुछ समय लग सकता है, लेकिन साथ मिलकर, आप और आपका डॉक्टर कारण का पता लगा सकते हैं — और अपनी रातों को फिर से शांतिपूर्ण बना सकते हैं।
Lifestyle : शरीर से पसीना निकलना एक अच्छी बात है. पसीना हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है. लेकिन, अगर ठंड के मौसम में जरूरत से ज्यादा पसीना निकले तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हैं. सर्दियों में पसीना किन वजह से आता है और ये किन गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है. टेंपरेचर का बढ़ना खतरे की घंटी हो सकता है.
सर्दियों में लोग पकोड़े या गरम मसालेदार खाना ज्यादा पसंद करते हैं. जिसकी वजह से भी पसीना आने लगता है. परंतु ये पसीना केवल कुछ समय के लिए होता है. अगर आपको जरूरत से ज्यादा पसीना आ रहा हो तो तुरंत डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए. उन्होंने बताया कि इसका कारण लो शुगर लेवल, मैनोपोज, मोटापा, हाइपरहाइड्रोसिस या लो ब्लड प्रेशर भी हो सकता है.
जरूरत से ज्यादा पसीना हो सकता है इन बीमारियों का संकेत
लो बीपी
सर्दियों में पसीना आना लो ब्लड प्रेशर का संकेत हो सकता है. ब्लड प्रेशर कम होने की वजह से व्यक्ति को हार्ट अटैक भी हो सकता है, दरअसल, ठंड के मौसम में ब्लड प्रेशर कम होने की वजह से हृदय तक खून पहुंचाने वाली धमनियों में कैल्शियम की मात्रा अधिक होने लगती है और वह बंद होने लगती है. इसलिए व्यक्ति को पसीना आता है और हार्ट रेट अचानक बढ़ता है.
हाइपरहाइड्रोसिस
हाइपरहाइड्रोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को किसी भी मौसम में अत्यधिक पसीना आने लगता है. इस बीमारी में चेहरे के साथ-साथ हथेलियों और तलवों में खूब पसीना आता है. वैसे शरीर का तापमान नियंत्रित रखने के लिए पसीना आना जरूरी होता है लेकिन, जरूरत से ज्यादा पसीना हथेलियों, तलवों और चेहरे पर आए तो समझ जाइए कि व्यक्ति हाइपरहाइड्रोसिस का शिकार है.
शुगर लेवल में कमी
शरीर में यदि शुगर लेवल कम होने लगे तो इसकी वजह से भी पसीना आता है. एक स्वस्थ व्यक्ति का नार्मल शुगर लेवल खाली पेट 1 डेसीलीटर खून में तक़रीबन 70 से 100 मिलीग्राम होना चाहिए. यदि इससे कम शुगर लेवल हो जाए तो पसीना आना शुरू हो जाता है.
मैनोपॉज
45 या 50 साल की उम्र दराज महिलाओं में यदि सर्दियों के दौरान पसीना निकलने लगे तो यह मेनोपॉज के संकेत हो सकते हैं. दरअसल, मेनोपॉज की शुरुआत में महिला के शरीर में हार्मोनल गतिविधियां होती हैं जिसके चलते ज्यादा पसीना आता है.
मोटापा
मोटापे की वजह से भी लोगों को सर्दियों में पसीना आता है. यदि शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा हो जाए तो इसकी वजह से पसीना आने लगता है.
lifestyle: सुबह की भागदौड़ में कई बार नाश्ते की तैयारी पहले से नहीं हो पाती। ऐसे में समझ नहीं आता कि ऐसा क्या बनाएं जो फटाफट बन जाए और हर किसी की सुबह वाली भूख भी शांत हो जाए। सुबह की भूख को शांत करने के लिए फटाफट प्याज का पराठा बनाया जा सकता है। केवल ब्रेकफास्ट ही नहीं प्याज के पराठे आप डिनर में भी तैयार कर सकती हैं। प्याज के पराठे को बनाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है और ये खाने में भी स्वादिष्ट लगता है। तो चलिए जानें कैसे तैयार करें प्याज का पराठा।
प्याज का पराठा बनाने की सामग्री
गेहूं का आटा दो कप, बारीक कटा प्याज दो, अदरक-लहसुन का पेस्ट एक चम्मच, लाल मिर्च पाउडर आधा चम्मच, हरी धनिया बारीक कटी हुई, जीरा पाउडर एक चौथाई चम्मच, अमचूर पाउडर आधा चम्मच, गरम मसाला आधा छोटा चम्मच, अजवाइन एक चौथाई चम्मच, हल्दी चुटकीभर, तेल जरूरत के अनुसार, नमक स्वादानुसार।
प्याज का पराठा बनाने की विधि
प्याज का पराठा बनाने के लिए सबसे पहले प्याज को बारीक-बारीक काट लें। अब बर्तन में गेहूं का आटा लें। इसमे थोड़ा सा नमक और एक चम्मच तेल डालकर मिला लें। फिर धीरे-धीरे पानी डालकर नर्म आटा गूंथ लें। ध्यान रहे कि आटा बिल्कुल मुलायम गूंथना है। इस गूंथे आटे को थोड़ी देर के लिए ढंककर रख दें।
कड़ाही को गैस पर रखें और तेल डालें। जब तेल गर्म हो जाए तो इसमे बारीक कटे प्याज को डाल दें। हल्का सा फ्राई होने के बाद इसमे अदरक-लहसुन का पेस्ट डालें। साथ में लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, जीरा पाउडर, अमचूर पाउडर, गरम मसाला, अजवाइन, धनिया की पत्ती और नमक डालें। सारी चीजों को अच्छी तरह से कलछी से मिला दें। तैयार है प्याज के पराठे का भरावन।
बस गूंथे हुए आटे की छोटी लोई बनाकर हाथों पर लें और इसे उंगलियों की मदद से गहरा कोटोरी जैसा बना लें। उसमे प्याज का भरावन भरें और उंगलियों की मदद से घुमाते हुए इसे बंद कर दें। हल्के हाथों की मदद से पराठे को बेल लें। तवे को गैस पर गर्म करें। जब तवा गर्म हो जाए तो पराठे डालकर पकने दें। जब दूसरी तरफ पलटना हो तो पहली तरफ तेल लागकर कर इसे पकने दें। जब पराठे दोनों तरफ से पक जाएं तो गैस पर से हटा लें। इन गर्मागर्म पराठों को आप दही, रायता या फिर चटनी के साथ परोस सकती हैं।
Dengue: डेंगू इन दिनों एक बड़ी बीमारी है जो जानलेवा हो सकती है। डेंगू वायरस मच्छर से फैलता है। डेंगू वायरस ज्यादातर दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय स्थानों में पाया जाता है, जिसमें एशिया और प्रशांत द्वीप समूह, अफ्रीका, पूर्वी भूमध्यसागरीय और मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्से शामिल हैं। भारत में इन दिनों डेंगू का प्रकोप जारी है। डेंगू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। लेकिन यह गर्भवती माताओं से उनके बच्चों में फैल सकता है।
यहां कुछ उपाय दिए गए हैं जिनका उपयोग आप घर पर अपने लक्षणों की देखभाल के लिए कर सकते हैं।
नीम
जानवरों पर किए गए प्रयोगशाला अध्ययनों में नीम के पत्ते का अर्क डेंगू वायरस के विकास को रोक सकता है। इसलिए, आप अपने संक्रमण को रोकने में मदद के लिए नीम के पत्तों का उपयोग कर सकते हैं। नीम की कुछ ताजी पत्तियों को पानी में उबाल लें। इस पानी को पीने से आप जल्दी ठीक हो सकते हैं। आप नीम के पत्ते का रस भी पी सकते हैं। नीम का जूस बनाने के लिए कुछ ताजी पत्तियों को एक कप पानी के साथ पीस लें। इस तरल को एक कप में छान लें और आपका जूस तैयार है। आप स्वाद के लिए थोड़ा शहद या नींबू का रस मिला सकते हैं।
पपीता
पपीते के पत्तों का उपयोग डेंगू बुखार के इलाज के लिए किया जाता रहा है। पारंपरिक चिकित्सा में डेंगू में बुखार को कम करने की सलाह दी जाती है। पपीते के पत्तों में डेंगू के इलाज की क्षमता की जांच की गई है। परिणामों से पता चला कि पपीते का पत्ता लोगों में प्लेटलेट काउंट, श्वेत रक्त कोशिकाओं और न्यूट्रोफिल को बढ़ाने में मदद कर सकता है। प्लेटलेट काउंट बढ़ने से रक्तस्राव को रोकने में मदद मिल सकती है, जिससे रोग की प्रगति को रोका जा सकता है। आप बुखार में मदद करने और सामान्य प्लेटलेट काउंट को बहाल करने के लिए पपीते के पत्ते के रस का सेवन कर सकते हैं। ताजा पपीते के पत्तों को एक कप पानी के साथ पीसकर रस तैयार किया जाता है। एक कप में तरल छान लें और पपीते का रस उपयोग के लिए तैयार है।
गिलोय
गुडूची एक सामान्य जड़ी बूटी है जिसका उपयोग कई स्वास्थ्य स्थितियों के लिए एक उपाय के रूप में किया जाता है। गुडूची को प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने और मनुष्यों में वायरल संक्रमण से लड़ने के लिए जाना जाता है। डेंगू के लक्षणों में मदद के लिए आप रोजाना गुडूची का जूस पी सकते हैं। ताजा कटी हुई गुडूची को एक गिलास पानी के साथ एक चिकनी स्थिरता में मिलाकर गुडूची का रस बनाया जाता है। मिश्रित मिश्रण को छान लें ताकि कोई ठोस पदार्थ निकल जाए और आपका गुडूची का रस तैयार है।
करेले
मोमोर्डिका चरंतिया, जिसे हिंदी में करेला और अंग्रेजी में कड़वे तरबूज के रूप में जाना जाता है, के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। करेला अर्क ने प्रयोगशाला अध्ययनों में डेंगू वायरस के गुणन के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई दिखाई। आप करेले को सब्जी के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं और इसे खाने और खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। डेंगू से राहत पाने के लिए आप करेले का जूस भी बना सकते हैं। करेले का जूस बनाने के लिए, छिलका छीलकर, टुकड़ों में काट लें, एक गिलास पानी डालकर इस मिश्रण को ब्लेंड कर लें। एक बार जब यह मिश्रित हो जाए, तो तरल को छान लें। आप स्वाद को संतुलित करने के लिए और पानी मिला सकते हैं, और आपका करेले का रस तैयार है।
तुलसी
ओसीमम गर्भगृह, जिसे हिंदी में तुलसी के नाम से जाना जाता है, एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के मूल निवासी एक सुगंधित जड़ी बूटी है। पारंपरिक रूप से डेंगू बुखार को रोकने के लिए तुलसी के पत्तों का उपयोग किया जाता रहा है। प्रयोगशाला अध्ययनों में डेंगू वायरस के खिलाफ तुलसी के पत्तों की निरोधात्मक कार्रवाई देखी गई है। तुलसी की चाय बनाने के लिए तुलसी के कुछ ताजे पत्तों को पानी में उबाल लें। इसे कुछ देर उबलने दें और एक कप में छान लें। आप स्वाद के लिए नींबू के रस की कुछ बूँदें या एक चम्मच शहद मिला सकते हैं।
Weight Loss Tips: इन दिनों ज्यादातर लोग अपने बढ़ते हुए वजन से परेशान हैं। ये लोग वजन कम करने के लिए न जाने कितने तरीके अपनाते हैं। जहां कुछ लोग सुबह खाली पेट गुनगुने पानी का सेवन करते हैं, तो वहीं कुछ खाना ही कम कर देते हैं। हालांकि बावजूद इसके उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिल पाती है। अगर आप भी इनमें शामिल हैं तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ हेल्दी और असरदार घरेलू उपाय जिन्हें अपानकर आसानी से वजन कम किया जा सकता है। जी हां, और यह असरदार उपाय शहद और कच्चे लहसुन का है। आयुर्वेद में दोनों का कॉम्बिनेशन वेट लॉस में काफी कारगर माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं लहसुन और शहद किस तरह से वजन कम करने में आपकी मदद कर सकता है।
वजन कम करेगा लहसुन और शहद
लहसुन और शहद दोनों ही सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसके सेवन से पाचन शक्ति दुरुस्त रहता है और अगर आपका पेट अच्छा रहेगा तो वजन भी तेजी से कम होगा। ये दोनों वजन कम करने के लिए बेस्ट घरेलू नुस्खों में से एक हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्व वजन घटाने में मददगार होते हैं। लहसुन और शहद के सेवन से न केवल वजन कम होता है बल्कि इससे इम्यूनिटी भी मजबूत होती है।
.वजन कम करने के लिए यूं करें लहुसन और शहद का इस्तेमाल .पहले लहसुन की कुछ कलियां लेकर इनका छिलका हटा लें। .उसके बाद शहद लें। .अब एक जार में लहसुन डाल दें। .फिर इसके ऊपर शहद डालें। .जब शहद और लहसुन अच्छी तरह मिक्स हो जाए तो जार को टाइट बंद करके रख दें। .उसके बाद इसमें से नियमित रूप से एक लहसुन सुबह खाली पेट सेवन करें। .इससे वजन कम हो सकता है। .हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि एक दिन में एक लहसुन से ज्यादा ना खाएं।
Health Tips: बादाम सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसे सुपरफूड भी कहा जाता है। इसमें विटामिन, मिनरल, फैटी एसिड और फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से दिमाग तेज किया जा सकता है।
बादाम व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी उपयोगी है। आज हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि सर्दियों के मौसम में बादाम का सेवन कैसे किया जा सकता है। बादाम आपके बालों के लिए भी फायदेमंद होते हैं। इसमें मौजूद प्रोटीन बालों के झड़ने को कम करता है और नए रोम के विकास में मदद करता है।
सर्दियों में बादाम को तला या भूनकर खाया जा सकता है। एक पैन में बादाम को हल्के देसी घी में भून लें। इससे यह बहुत ही स्वादिष्ट बनेगा। इसका सेवन दूध में मिलाकर भी किया जा सकता है। इससे आपकी हड्डियां मजबूत होंगी।
बादाम के दूध में राइबोफ्लेविन होता है जो आपकी दृष्टि में सुधार करने, आपकी हड्डियों को मजबूत करने और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह अपने समृद्ध कैल्शियम और विटामिन डी सामग्री के माध्यम से आपको मजबूत और स्वस्थ हड्डियां प्रदान करता है। आप अपने सुबह के शेड्यूल में बादाम का सेवन करने की आदत से दिन की अच्छी शुरुआत कर सकते हैं। यह निश्चित रूप से आपको मजबूत और स्वस्थ बनाता है।
DESK: मौसम के बदलते ही तरह-तरह की बीमारियां का सीजन शुरू हो जाता है, जिसमे एक टाईफाईड भी है. ये मानसून में अपना हाथ पावं ज्यादा पसारता है. फ़िलहाल तेलंगाना में टाईफाईड बहुत ज्यादा फैला हुआ है. स्वस्थ्य विभाग ने फेमस स्ट्रीट फ़ूड पानी पूरी को टाईफाईड फैलने के कारण बताया है. वहीं, इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या की बात करें तो मई महीने में इसकी संख्या 2,700 थी तो जून में 2752 मामले सामने आये हैं.
टाईफाईड बैकटीरीयल इन्फेक्शन से होता है, जो दूषित पानी और दूषित खाने की वजह से होता है.वही टाईफाईड के लक्षण की बात करें तो लम्बे समय तक फिवर, सर्दी ,जुखाम ,सिर में तेज़ दर्द,पेट में दर्द,और कब्ज होते हैं.अगर समय से इसका इलाज़ नही किया गया तो खून की उल्टी,चेहरा पिला हो जाता है. यह गंभीर रूप ले सकता है.
बदलते मौसम में बारिश के समय मच्छर दूषित पानी और अन्य कारणों से अनेक तरह की वायरल बीमारियां होनी शुरू हो जाती हैं. डेंगू और मलेरिया जैसे अनेक बीमारी भी इस मौसम में बहुत फैलने लगते हैं, जिसके बचाव के लिए पर्सनल हाईजिन को मेंटेन रखें, मच्छरों से बचाव के लिए उचित उपाय करें, पानी साफ़ पियें और स्ट्रीट फ़ूड को अवाइड करें.
DESK: एंग्जाइटी और डिप्रेशन ऐसी मानसिक बीमारियां हैं जिससे करीब 60 प्रतिशत लोग जूझ रहे हैं. हालांकि नियमित दवा और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके इससे बचा जा सकता है, लेकिन कुछ लोग दवाएं खाने से बचना चाहते हैं. ऐसे में कई आयुर्वेदिक दवाएं हैं जो एंग्जाइटी और डिप्रेशन को दूर करने में मदद करती हैं. आप योग और ध्यान के जरिए भी मेंटल हेल्थ को ठीक कर सकते हैं. आयुर्वेद में ऐसे कई हर्ब्स हैं जो तनाव, डिप्रेशन और एंग्जाइटी को दूर करते हैं.
1- अश्वागंधा- अश्वगंधा एक शक्तिशाली एडाप्टोजेन है जो तनाव को दूर करने में मदद करता है. इससे हार्मोंस नियंत्रित करने और शरीर को स्वस्थ बनाने में मदद मिलती है. अश्वगंधा के सेवन से नींद में सुधार आता है. ये एक ऐसी जड़ी बूटी है जो डिप्रेशन को दूर करने में मदद करती है.
2- ब्राम्ही- आयुर्वेद में ब्राह्मी एक अहम जड़ी बूटी है. दिमाग को स्वस्थ और मजबूत बनाने में ब्राम्ही मदद करती है. इससे दिमाग और मेमोरी में सुधार आता है. इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में इससे मदद मिलती है. ब्राम्ही एंग्जाइटी और डिप्रेशन से राहत देता है.
3- लेमन बाम- तनाव से राहत और चिंता को दूर करने में लेमन बाम मदद करता है. ये एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो मूड को बदल सकती है. अच्छी नींद आने में भी इससे मदद मिलती है. लेमन बाम का इस्तेमाल करने से एंग्जाइटी और डिप्रेशन के लक्षणों को दूर किया जा सकता है.
4- जटामासी- अवसाद के लक्षणों को दूर करने में जटामांसी मदद करती है. ये तनाव को दूर करने के लिए एक असरदार जड़ी-बूटी है. इससे नींद में सुधार आता है और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है. कई आयुर्वेदिक इलाज में जटामासी का उपयोग किया जाता है.
5- माका- इस जड़ी-बूटी में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो चिंता को कम करने में मदद करते हैं. इसमें पायी जाने वाली हाई फाइटोन्यूट्रिएंट सामग्री भी शरीर को एक्टिव करती है. इससे नींद की समस्या दूर होती है और हार्मोन कंट्रोल रहते हैं.