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भारत ने हमेशा विश्व शांति के लिए किया काम-पीएम मोदी बोले,मन की बात में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 82वें संस्करण पर राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने 100 करोड़ टीकाकरण के लिए देशवासियों को बधाई दी। पीएम ने कहा कि 100 करोड़ वैक्सीन के लक्ष्य को पार करने के बाद आज देश नए उत्साह, नई ऊर्जा से आगे बढ़ रहा है। हमारे टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता, भारत के सामर्थ्य को दिखाती है।

भारत, दुनिया के उन पहले देशों में से है, जो ड्रोन की मदद से अपने गांव में जमीन के डिजिटल रिकार्ड तैयार कर रहा है। अपातकाल में मदद पहुंचाने से लेकर कानून व्यवस्था की निगरानी तक ड्रोन से की जा रही है। हमें ड्रोन टेक्नोलाजी (Drone Technology) में अग्रणी देश बनना है। इसके लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है: पीएम मोदी

आप लोकल खरीदेंगे तो आपका त्योहार भी रोशन होगा और किसी गरीब भाई-बहन, किसी कारीगर, किसी बुनकर के घर में भी रोशनी आएगी। मुझे पूरा भरोसा है जो मुहिम हम सबने मिलकर शुरू की है, इस बार त्योहारों में और भी मजबूत होगी। इतने त्योहार एक साथ होते हैं तो उनकी तैयारियां भी काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। आप सब भी अभी से खरीदारी का प्लान करने लगे होंगे, लेकिन आपको याद है, खरीदारी मतलब ‘वोकल फार लोकल’: पीएम मोदी

पहले ये धारणा बन गई थी कि सेना और पुलिस जैसी सेवा केवल पुरुषों के लिए ही होती है लेकिन आज ऐसा नहीं है। पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (Bureau of Police Research and Development) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या दोगुनी हो गई है। 2014 में जहां इनकी संक्या 1 लाख 5 हजार थी, वहीं इसमें अब 2020 तक दोगुनी से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है: पीएम मोदी

स्वच्छता के प्रयास तभी पूरी तरह सफल होते हैं जब हर नागरिक स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझे। अभी दीपावली पर हम सब अपनी घर की साफ सफाई में तो जुटने ही वाले हैं, लेकिन इस दौरान हमें ध्यान रखना है कि हमारे घर के साथ हमारा आस-पड़ोस भी साफ रहे: पीएम मोदी

भारत ने सदैव विश्व ​शांति के लिए काम किया है। हमें इस बात का गर्व है कि भारत 1950 के दशक से लगातार संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा रहा है। गरीबी हटाने, जलवायु परिवर्तन और श्रमिकों से संबंधित मुद्दों के समाधान में भी भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है: पीएम मोदी

1947-48 में जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार का सार्वजनिक घोषणापत्र तैयार हो रहा था तो उस घोषणापत्र में लिखा जा रहा था All Men are created Equal, लेकिन भारत के एक दल ने इस पर आपत्ति जताई और फिर सार्वजनिक घोषणापत्र में लिखा गया- All Human Beings are created Equal: पीएम मोदी

भारत ने सदैव विश्व ​शांति के लिए काम किया है। हमें इस बात का गर्व है कि भारत 1950 के दशक से लगातार संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा रहा है। गरीबी हटाने, जलवायु परिवर्तन और श्रमिकों से संबंधित मुद्दों के समाधान में भी भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है: पीएम मोदी

अगले महीने, 15 नवम्बर को हमारे देश के महापुरुष, वीर योद्धा, भगवान बिरसा मुंडा जी की जन्म-जयंती आने वाली है। भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी संस्कृति, अपने जंगल, अपनी जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उन्होंने हमें अपनी संस्कृति और जड़ों की प्रति गर्व करना सिखाया: पीएम मोदी

आप कल्पना करिए, जब आजादी के आंदोलन से जुड़ी रंगोली बनेगी, लोग अपने द्वार पर, दीवार पर, किसी आजादी के मतवाले का चित्र बनाएंगे, आजादी की किसी घटना को रंगों से दिखाएंगे, तो, अमृत महोत्सव का भी रंग और बढ़ जाएगा: पीएम मोदी

सरदार साहब कहते थे कि, हम अपने एकजुट उद्यम से ही देश को नई महान ऊंचाईयों तक पहुंचा सकते हैं। अगर हममें एकता नहीं हुई तो हम खुद को नई-नई विपदाओं में फंसा देंगे। यानी राष्ट्रीय एकता है तो ऊंचाई है, विकास है। हमारी आजादी का आंदोलन तो इसका सबसे बड़ा उदाहरण है: पीएम मोदी

हम 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हैं। हम सभी का दायित्व है कि हम एकता का संदेश देने वाली किसी न किसी गतिविधि से जरूर जुड़ें। अगले रविवार, 31 अक्तूबर को सरदार पटेल जी की जन्म जयंती है। मन की बात के हर श्रोता की तरफ से, और मेरी तरफ से, मैं, लौहपुरुष को नमन करता हूं : पीएम मोदी

100 करोड़ वैक्सीन डोज़ के बाद आज देश नए उत्साह और नई ऊर्जा से आगे बढ़ रहा है। हमारे वैक्सीन कार्यक्रम की सफलता भारत के सामर्थ्य को दिखाती है, सबके प्रयास के मंत्र की शक्ति को दिखाती है: पीएम मोदी

हमारे स्वास्थ्यकर्मियों ने अपने अथक परिश्रम और संकल्प से एक नई मिसाल पेश की। उन्होंने इनोवेशन के साथ अपने दृढ़ निश्चय से मानवता की सेवा का एक नया मानदंड स्थापित किया: पीएम मोदी

मन की बात कार्यक्रम का प्रसारण आल इंडिया रेडियो के पूरे नेटवर्क, दूरदर्शन, एआइआर न्यूज और मोबाइल ऐप के साथ साथ आफिशियल यूट्यूब चैनल और ट्विटर पर किया जाएगा। मन की बात प्रधानमंत्री का मासिक रेडियो संबोधन है, जो हर महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित होता है, लेकिन इस बार कार्यक्रम का प्रसारण महीने के दूसरे आखिरी रविवार को किया जा रहा है। इससे पहले पीएम मोदी ने 26 सितंबर को मन की बात के 81वें एपिसोड में भारतीय संस्कृति में वर्षा जल संचयन के महत्व को रेखांकित किया था। पीएम मोदी ने जल-जीलानी एकादशी और छठ के पारंपरिक त्योहारों की तुलना राष्ट्रीय जल मिशन (एनडब्ल्यूएम) के अभियान कैच द रेन से की थी।

राष्ट्रपति बाइडन को दिया भारत आने का निमंत्रण-प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को भारत आने का निमंत्रण दिया है। यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी। इससे पहले गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी ने उपराष्ट्रपति  कमला हैरिस को भी भारत आने का निमंत्रण दिया। शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे और इसलिए वे न्यूयार्क पहुंच गए हैं। 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच द्विपक्षीय बैठक पर बोलते हुए विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जो बाइडन के बीच बैठक में पाक का भी नाम आया और आतंकियों को संरक्षण देने पर निशाना भी साधा गया

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विदेश सचिव ने बताया कि नई दिल्ली को आपसी सुविधानुसार जल्द से जल्द अमेरिकी राष्ट्रपति के आने का इंतजार रहेगा। यह जानकारी विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने अपनी ब्रीफिंग में दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिनों के अमेरिकी दौरे पर हैं। पहले दिन गुरुवार को उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री योशहिदे सुगा, आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्काट मारिसन और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ बैठक की। आज शुक्रवार को दूसरे दिन राष्ट्रपति बाइडन के साथ द्विपक्षीय बैठक की और क्वाड समिट में शामिल हुए। अब शनिवार को वे संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे।

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प्रधानमंत्री मोदी की 24 सितंबर, 2021 से शुरू होने वाली यह सातवीं अमेेरिकी यात्रा है। इस दौरान वर्ष 2015 में ओबामा ने और वर्ष 2020 में ट्रंप ने बतौर राष्ट्रपति भारत का दौरा किया। बता दें कि  बाइडन और मोदी एक दूसरे को बखूबी जानते हैं और इसकी झलक इनके कार्यकारी संबंधों स्पष्ट है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद मोदी ने सबसे पहले राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मिल कर भारत व अमेरिकी रिश्तों को गहराई देने की जो कोशिश शुरू की थी वह पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में नई ऊंचाई पर पहुंची थी।

राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड’ अब होगा ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड

भारत के खेल इतिहास में सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्व जिसे हॉकी के जादूगर के नाम से जाना जाता है। मेजर ध्यानचंद ने भारत को दुनिया में अलग पहचान दिलाई और अब भारत सरकार ने उनको सबसे बड़ा सम्मान देते हुए उनके नाम पर खेल के सबसे बड़ा अवार्ड का नाम रखने की घोषणा की है। खेल रत्न अवार्ड खेल की दुनिया में शानदार उपलब्धि हासिल करने वाले खिलाड़ी को दिया जाता है। इसका नाम राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड है जिसे अब बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड किया जाएगा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी देशवासियों को दी।  उनके ट्विटर हैंडल से पोस्ट में लिखा गया कि मेजर ध्यानचंद भारत के महान खिलाड़ियों में से हैं और उनके नाम पर खेल के सबसे बड़े अवार्ड का नाम रखा जाना ही उचित होगा।ट्विटर संदेश में लिखा गया, मेजर ध्यानचंद भारत के खिलाड़ियों में अग्रणीय हैं जिन्होंने भारत को गौरवान्वित किया और सम्मान दिलाया। यह बिल्कुल सही होगा अगर देश के खेल के सबसे बड़े अवार्ड का नाम उनके नाम पर रखा जाए।

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पीएम के ट्विटर हैंडल पर इस बड़े संदेश को हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में ही जारी किया गया है। मेजर ध्यानचंद ने भारतीय हॉकी को पूरी दुनिया में मशहूर किया। ओलंपिक में भारत को कई गोल्ड मेडल दिलाने वाले इस खिलाड़ी के हॉकी स्टिक को मैगनेट का माना जाता था। ऐसा कहा जाता था कि अगर एक बार गेंद उनके पास चली आए तो वह स्टिक से चुंबक की तरह से चिपक जाती है और किसी भी विरोधी का इसे छीन पाना नामुमकिन जैसा हो  जाता था।यह खेल की दुनिया में दिया जाने वाला सबसे बड़ा भारतीय खेल सम्मान है। अपने-अपने खेल में अमूल्य योगदान करने वाले खिलाड़ियों को खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया जाता है। इस सम्मान को पाने वाले खिलाड़ी को 25 लाख की पुरष्कार राशि और एक प्रमाणपत्र दिया जाता है। 

 

दो मंत्रिमंडल के पहले बड़े फेरबदल में रविशंकर प्रसाद, रमेश पोखरियाल निशंक, हर्षवर्धन और प्रकाश जावडेकर समेत 12 मंत्री मंत्रिमंडल से बाहर

मोदी सरकार-दो मंत्रिमंडल के पहले बड़े फेरबदल में रविशंकर प्रसाद, रमेश पोखरियाल निशंक, हर्षवर्धन और प्रकाश जावडेकर समेत 12 मंत्री मंत्रिमंडल से बाहर

हो गए। निशंक और हर्षवर्धन जैसे मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाने के पीछे उनके खराब प्रदर्शन को अहम कारण बताया जा रहा है। लेकिन रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावडेकर के इस्तीफे इस पैमाने पर खरे नहीं उतरते हैं। ये दोनों न सिर्फ 2014 से मंत्री थे, बल्कि कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी बखूबी संभाल भी रहे थे। माना जा रहा है कि इन दोनों को संगठन के लिए सरकार से मुक्त किया गया है।

हर्षवर्धन की स्थिति मोदी सरकार एक से ही डांवाडोल रही है। पेशे से डाक्टर और पोलियो उन्मूलन अभियान की रूपरेखा तैयार करने में उनके योगदान को देखते हुए 2014 में उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन दो साल में ही उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय से हटाकर अर्थ साइंस मंत्रालय में भेज दिया गया और स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी जेपी नड्डा को सौंपी गई। 2019 में उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ विज्ञान व तकनीकी मंत्रालय की भी जिम्मेदारी सौंपी गई। कोरोना जैसे वैश्विक संकट के दौर में इन दोनों मंत्रालय की अहम भूमिका थी। लेकिन हर्षवर्धन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपनी भूमिका तराशने में विफल रहे। इसकी जगह नीति आयोग के सदस्य डाक्टर वीके पाल और भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डाक्टर विजय राघवन ने आगे बढ़कर कमान संभाल ली। प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गई अपनी प्रदर्शन रिपोर्ट में उनके पास बताने के लिए कुछ खास नहीं था। इसीलिए इस बार उन्हें मंत्रिमंडल से पूरी तरह से बाहर कर दिया गया।

शिक्षा मंत्री के रूप में कई प्रयोगों के बाद जब रमेश पोखरियाल निशंक को लाया गया, तो उम्मीद की गई कि वे देश की शिक्षा प्रणाली भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप लागू करने में सफल होंगे। कई पुस्तकों के लेखक और भारतीय संस्कृति के जानकार के रूप में उनसे ऐसी अपेक्षा अनुचित भी नहीं थी। लेकिन नई शिक्षा नीति के अंतिम रूप देने के अलावा उनके पास बताने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है। कोरोना के कारण देश की पूरी शिक्षा प्रणाली अस्त-व्यस्त रही। शिक्षा के क्षेत्र में कोई नवाचार लाकर उसे नई दिशा देने की जगह निशंक उससे निपटने के लिए संघर्ष करते दिखे। शिक्षा मंत्रालय की सभी संस्थाओं पर उनकी पकड़ इतनी कमजोर दिखी कि उन विभागों द्वारा वित्त प्रदत्त पत्रिकाओं में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जहर उगला जाता रहा और उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी। मामला जानकारी में आने के बाद भी वे तत्काल कार्रवाई करने में विफल रहे। शिक्षा मंत्रालय के हालात को लेकर प्रधानमंत्री की नाराजगी को इस बात से समझा जा सकता है कि वहां निशंक के साथ-साथ उनके राज्यमंत्री संजय धोत्रे को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

इसी तरह रसायन और उर्वरक मंत्री के रूप में सदानंद गौड़ा कोरोना काल में जरूरी दवाओं और उनके लिए जरूरी बल्क ड्रग की सप्लाई सुनिश्चित करने में विफल रहे। इसकी जिम्मेदारी सचिवों की उच्च स्तरीय समिति को निभानी पड़ी। यही स्थिति श्रम मंत्रालय में संतोष गंगवार की भी रही। कोरोना काल में श्रमिकों के बड़े पैमाने पर पलायन और उनकी दुश्वारियों को दूर करने के लिए एक पोर्टल बनाने की घोषणा की गई, लेकिन अभी तक यह बनकर तैयार नहीं हो पाया। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट सरकार की फटकार भी लगा चुकी है।

इस्तीफा देने वाले एक अन्य मंत्री थावरचंद गहलोत को सम्मानजनक विदाई दी गई और उन्हें पहले ही कर्नाटक का राज्यपाल बना दिया गया। इसके अलावा 2019 में जीत के बाद अपनी सादगी के लिए चर्चा में आने के बाद प्रधानमंत्री ने प्रताप चंद्र षड्ंगी को राज्यमंत्री बनाकर उनपर भरोसा भी जताया, लेकिन बीते दो सालों में उनका योगदान शून्य रहा। यही हाल राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो, रतनलाल कटारिया और देवाश्री चौधरी का भी रहा। इन सभी को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 31 जुलाई तक एक देश, एक राशन कार्ड योजना को लागू करने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 31 जुलाई तक एक देश, एक राशन कार्ड योजना को लागू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के मुताबिक ऐसे हर परिवार के लिए और परिवार के हर सदस्य के लिए राशन-पानी का इंतजाम उसी स्थान पर होना चाहिए, जहां वे रह रहे हों। गौरतलब है कि पिछले साल जब पूरी दुनिया पहली बार कोरोना संकट की मार ङोल रही थी, समस्याओं के समाधान के लिए नए-नए उपायों पर बल दिया जा रहा था, तब प्रवासी मजदूरों के भरण-पोषण की समस्या ने पूरे देश का ध्यान खींचा था।

जिन राज्यों में मजदूर काम करने गए थे, उन राज्यों के राशन कार्ड नहीं होने से सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लाभ वे नहीं उठा पा रहे थे। तब इस योजना की जरूरत बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही थी। तब मोदी सरकार ने भी ‘एक देश, एक राशन कार्ड’ योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का एलान किया था। हालांकि इसकी शुरुआत अप्रैल, 2018 में ही हो गई थी, लेकिन कई सारी समस्याओं के कारण इसका दायरा तय समय में नहीं बढ़ाया जा सका।

यह भी एक तथ्य है कि मार्च, 2021 से पहले 100 फीसद नेशनल पोर्टेबिलिटी हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था। इससे जो मजदूर जिस राज्य में हैं, उन्हें उसी राज्य में उनके मूल राज्य के राशन कार्ड पर अनाज मिल जाता, लेकिन जून गुजर जाने तक भी इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सका। अब अदालत ने राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को इस बाबत सख्त निर्देश दिए हैं। इसके मद्देनजर असंगठित मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक पोर्टल डेवलप करने का निर्देश कोर्ट ने दिया है।

इस योजना के तहत लाभार्थी किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के सरकारी दुकानों से राशन खरीदने में सक्षम हो पाएंगे। जैसे उत्तर प्रदेश का एक मजदूर अगर हैदराबाद में काम करने गया है तो वह उत्तर प्रदेश वाले राशन कार्ड पर हैदराबाद में भी सब्सिडी वाला अनाज प्राप्त कर सकता है। साथ ही अगर कोई मजदूर अपने राज्य के अंदर ही एक जिले से दूसरे जिले में काम करने जाता है तो वहां भी वह राशन कार्ड की सुविधा हासिल कर सकता है। हालांकि इसके लिए मोबाइल सिम कार्ड की तरह ही राशन कार्ड को भी पोर्टेबल कराना जरूरी होगा। पहले तो राशन कार्ड को आधार से लिंक करना होगा। इसके बाद सिम कार्ड पोर्टेबिलिटी में हम जिस तरह नेटवर्क कंपनी बदलते हैं उसी तरह इस योजना में हमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान बदलनी होगी।

यूपी मिशन 2022 पर नजर, अनुप्रिया पटेल समेत इन चेहरों को मिल सकती जगह-मोदी कैबिनेट विस्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अपनी कैबिनेट का विस्तार करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में होने वाला यह पहला कैबिनेट विस्तार होगा। केंद्र में होने वाले इस कैबिनेट विस्तार में उत्तर प्रदेश से चार से पांच चेहरे शामिल किए जा सकते हैं। इस विस्तार में राजनीतिक समीकरण के लिहाज से जातीय और क्षेत्रीय संतुलन होगा। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले ओबीसी प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। यहां की राजनीति में ओबीसी का खासा प्रभाव को देखते हुए यह फैसला लिया जा सकता है।

मोदी कैबिनेट के विस्तार में उत्तर प्रदेश बड़ा हिस्सा मिल सकता है। दरअसल उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य में अगले साल की शुरुआत में ही चुनाव है। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश से चार से पांच मंत्री बनाए जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश में सहयोगी अपना दल से अनुप्रिया पटेल के साथ-साथ भाजपा के कोटे से वरुण गांधी शामिल हो सकते हैं। दोनों युवा भी हैं, शिक्षित भी और जातिगत समीकरण के खांचे में भी फिट हैं। सांसद अनुप्रिया पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में सबसे युवा मंत्रियों में शुमार थीं। उत्तर प्रदेश के हर प्रमुख जाति समूह से केंद्र में कोई न कोई प्रतिनिधि होगा। अन्य में सहयोगी दलों को भी शामिल किया जा सकता है।केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार को उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के नजरिए से अहम माना जा रहा है। विस्तार के माध्यम से भाजपा कुछ खास जाति-वर्ग के मतदाताओं के बीच बड़ा मैसेज देना चाहेगी। अपने सहयोगी दल निषाद पार्टी के इकलौते सांसद प्रवीण निषाद भी मंत्री बनाए जा सकते हैं। इनके अलावा सांसद रीता बहुगुणा जोशी या सीमा द्विवेदी में से किसी एक को मंत्री का ओहदा मिलने की चर्चाएं भी तेज हैं।

केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद के नाम की भी चर्चा है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश ब्राह्मण वोटबैंक को साधने के लिहाज से उनको कैबिनेट में शामिल करने को लेकर बीजेपी फैसला ले सकती है। वहीं गोरखपुर के सांसद रवि किशन शुक्ला के अलावा रामशंकर कठेरिया और सत्यपाल सिंह केंद्र में मंत्री बनाए जा सकते हैं

कोरोना से जंग अभी ख़तम नहीं हुई – पीएम मोदी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की मंत्री मंडल के साथ बैठक

कोरोना से जंग अभी ख़तम नहीं हुई – पीएम मोदी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की मंत्री मंडल के साथ बैठक

पीएम मोदी ने राज्यसभा में विपक्ष को पढ़ाया पाठ….

नई दिल्ली  : देश में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा जो कभी किसानों के हक की बात करता था. आज वही सरकार द्वारा किए गए कृषि सुधारों का विरोध कर रहा है। ऐसा केवल राजनीति के तहत किया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि कोरोना काल में भी  किसानों ने रिकॉर्ड उत्‍पादन किया है। देश में खाद्यान्‍न का भंडार भरा रहा।

किसान आंदोलन की आड़ में सियासी रोटियां –

उन्‍होंने कहा कि श्रमजीवी और बुद्धिजीवियों के बीच एक नई जमात अब सामने आ रही है जिनका नाम आंदोलनजीवी। ये छात्रों का आंदोलन हो या किसानों का या और कोई, हर जगह पहुंच जाते हैं। उन्‍होंने कहा कि ये आंदोलनजीवी लोगों को गुमराह करने का काम करते हैं। उन्‍होंने किसानों का समर्थन देने वाले विदेशियों पर भी तंज कसा। उन्‍होंने कहा कि एफडीआई जो फॉरेन डिस्‍ट्रक्टिव आइडियोलॉजी है, से बचने की देश को सख्‍त जरूरत है। आपको बता दें कि किसानों के समर्थन में कई विदेशियों ने किसान आंदोलन का समर्थन बिना कृषि सुधारों को जाने बिना किया है। पीएम मोदी ने इनपर ही अपना निशाना साधा है। उन्‍होंने ये भी कहा कि कोरोना काल में भी पड़ोसी देश ने सीमा पर तनाव व्‍याप्‍त करने की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इसका हमारे जवानों ने डटकर मुकाबला किया और चीन को करारा जवाब भी दिया। सीमा के सवाल पर सरकार किसी के सामने झुकने वाली नहीं है।

कोरोना काल में भारत ने मानवता को बचाने का काम किया है

उन्‍होंने कहा कि दुनिया के किसी भी अस्‍पताल के ऑपरेशन थियेटर में जब मरीज डॉक्‍टरों की भीड़ में किसी भारतीय को देखता है तो उसका हौसला बढ़ जाता है। यही आत्‍मविश्‍वास भारत ने इतने वर्षों में कमाया है। केंद्र और राज्‍यों ने मिलकर देश को यहां तक पहुंचाया है। कोरोना काल में आए संकट को अवसर में बदलने का काम दोनों ने मिलकर किया है।

हमारा मन लोकतात्रिक है – पीएम मोदी

उन्‍होंने कांग्रेस के सांसद बाजवा के कहे गए बयानों पर तंज लेते हुए कहा कि जब वो उन्‍हें सुन रहे थे तो उन्‍हें लगा कि वो शायद इमरजेंसी और सिख विरोधी हिंसा की भी बात करेंगे। उन्‍होंने इस दौरान नेताजी का वो बयान भी सदन में पढ़ा जिसमें उन्‍होंने कहा था कि भारत पश्चिमी सभ्‍यता से प्रभावित नहीं रहा है। भारत का इतिहास इस बात का गवाह रहा है। आज भारत को उसके ऊपर हो रहे हमले से बचाने की जरूरत है। ये सत्‍यम शिवम सुंद्रम से सुसोजित है। पीएम मोदी ने कहा कि जाने अंजाने में आज हमनें उनके आदर्शों को भुला दिया है। हम दुनिया के दिए शब्‍दों को आगे लेकर बढ़ जाते हैं और अपना शब्‍द भूल जाते हैं। हम केवल बड़ा लोकतंत्र ही नहीं है बल्कि हम इसकी जड़ हैं। हमें आने वाली पीढ़ी को बताना होगा। हमारा मन लोकतात्रिक है। आपातकाल के दौरान पूरा देश जेल में बदल चुका था। इसके बाद भी इसकी लोकतांत्रिक जड़ों को नहीं हिला पाया। इसलिए लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है।

भारत में दुनिया के दूसरे सबसे अधिक इंटरनेट यूजर्स हैं

आत्‍मनिर्भर भारत पर बोलते हुए उन्‍होंने कहा कि पूरी दुनिया के लोग कोरोना काल में निवेश को तरस रहे हैं। भारत में ऐसा नहीं है। वहीं दुनिया भारत को डबल डीजिट की तरफ बढ़ते देख रही है। आज भारत में दुनिया के दूसरे सबसे अधिक इंटरनेट यूजर्स हैं। कुछ समय पहले डिजिटाइलेजशन को लेकर सवाल उठते थे। आज नजारा सभी के सामने है। आने वाले समय में भी हम आगे बढ़ रहे हैं। जल थल और नभ में भी हम आगे बढ़ रहे हैं।

गरीबों के मन में आत्‍म्‍विश्‍वास को जगाना होगा

2014 में जब पहली बार सदन में आया तो कहा था कि उनकी सरकार गरीबों को समर्पित है। आज भी इसमें बदलाव नहीं हुआ है। हमें देश को आगे बढ़ाने के लिए गरीबी को खत्‍म करना ही होगा। इसको कम या रोका नहीं जा सकता है। गरीबों के मन में आत्‍म्‍विश्‍वास को जगाना होगा इसके बाद वो फिर खुद इसको खत्‍म करने में जुट जाएगा। दो करोड़ से अधिक गरीबों के लिए घर बने और आठ करोड़ से अधिक गैस कनेक्‍शन दिए गए। इन योजनाओं से गरीबों के जीवन में बदलाव आया है और उनका आत्‍मविश्‍वास बढ़ा है। चुनौतियों के बीच हमें ये तय करना होगा कि समस्‍या का हिस्‍सा बनें या इसका समाधान तलाशें। समस्‍या का हिस्‍सा बनने से केवल राजनति की जा सकती है। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि सभी साथ मिलकर काम करेंगे।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कई बातें सदन में रखीं

किसान आंदोलन पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि किस बात को लेकर आंदोलन इसको किसी ने स्‍पष्‍ट नहीं किया। इसके मूलभूत बातों पर किसी पर ध्‍यान नहीं दिया। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कई बातें सदन में रखीं। देवेगौड़ा ने सरकार के सहयोग का समर्थन किया और उन्‍हें सुझाव भी दिया। इसके लिए उनका आभार। पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह जी ने कहा था 36 फीसद ऐसे किसान हैजिनके पास दो बीघा कम है। 18 फीसद के पास आधा हैक्‍टेयर से कम है। वो कितनी भी मेहनत करे उनकी गुजर बसर करना मुश्किल है। छोटे किसानों का जीवन यापन मुश्किल है। देश में ऐसे किसानों की संख्‍या बढ़ रही है उनके पास बेहद कम जमीन है। 12 करोड़ किसानों के पास केवल दो हैक्‍टेयर से भी कम की जमीन है। इनके बारे में सोचना जरूरी है।

 सीधे किसानों के खाते में पैसे भेजे गए

चुनाव के दौरान कर्जमाफी की घोषणा में छोटे किसान नहीं आते हैं। इसमें केवल राजनीति होती है। इस तरह की घोषणाओं से इनका कोई फायदा नहीं होता है। 2014 के बाद किसानों को लाभ देने के लिए सरकार ने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा तो 90 हजार करोड़ रुपये का क्‍लेम किसानों को दिया गया। किसान क्रेडिट कार्ड का दायरा बढ़ाया गया। पौने दो करोड़ किसान आज इसके दायरे में हैं और फायदा उठा रहे हैं। पीएम सम्‍मान निधि योजना के तहत सीधे किसानों के खाते में पैसे पहुंचाए गए। बंगाल में राजनीति की वजह से इसमें रुकावट आई। एक लाख 15 हजार करोड़ रुपये किसानों को मिला है। यूरिया को छोटे किसानों तक पहुंचाने का किसान सरकार ने किया। पेंशन की सुविधा उन्‍हें दी। सड़कों के माध्‍यम से हम किसानों तक पहुंचे। किसान रेल की शुरुआत हुई तो दूर दराज के किसानों को नई राह दिखाई दी। किसान उड़ान योजना का फायदा आज किसान ले रहे हैं।

शरद पवार ने नए कानून का किया समर्थन

छोटे किसानों के सशक्तिकरण की वकालत हर किसी ने की है। हर सरकार ने इसके बारे में कहा है। शरद पवार ने नए कानून में सुधारों का समर्थन किया है। उन्‍होंने कहा कि हमें जो अब लगा है वो हमनें किया है। आगे भी इसमें सुधार की गुंजाइश है। लेकिन इसकी वकालत करने वालों ने अचानक यू टर्न ले लिया है। उनके ऊपर राजनीति हावी हैं। उन्‍हें ये बताना चाहिए कि सुधारों को किया जाना चाहिए। उन्‍होंने इस संदर्भ में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का एक बयान भी राज्‍य सभा में पढ़ा। उन्‍होंने कहा कि पीएम मनमोहन सिंह ने किसान को अपनी उपज कहीं भी बेचने का अधिकार देने की बात कही थी। लिहाजा विपक्ष को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की बात इस सरकार को माननी ही पड़ी है। दूध के क्षेत्र में एक ऐसी सप्‍लाई चेन बनी है जो बेहद मजबूत है। इसका लाभ इन लोगों को मिल रहे हैं। ये मजबूती पिछली सरकारों में मिली है। इसका करीब 8 लाख करोड़ रुपये का कारोबार है।

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