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सोमवार को होगी अगली सुनवाई,सुप्रीम कोर्ट का पंजाब हाई कोर्ट को सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का आदेश

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान सुरक्षा में चूक मामले में आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि राज्य और केंद्र दोनों ने कमेटी बनाई हैं, क्यों ना दोनों को जांच करने दी जाए। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार की कमेटी सिर्फ सुरक्षा में चूक की जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीएम की सुरक्षा को लेकर हम गंभीर हैं, राज्य और केंद्र अपनी कमेटी पर खुद से विचार करें।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को रिकॉर्ड सुरक्षित करने के आदेश दिए गए हैं। पीएम मोदी के रूट की सभी जानकारी को सुरक्षित रखने को कहा गया है। कोर्ट ने पंजाब सरकार, पंजाब पुलिस, एसपीजी और दूसरी एजेंसियों से रजिस्ट्रार जनरल को जरूरी जानकारी देने को भी कहा। एनआईए से भी सहयोग करने को कहा गया है। मामले की सुनवाई सोमवार को फिर होगी। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक का मामला मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना की बेंच के सामने उठाया था। सुनवाई के दौरान मनिंदर सिंह ने कहा कि यह केवल कानून और व्यवस्था का मुद्दा नहीं है बल्कि एसपीजी अधिनियम के तहत एक मुद्दा है।

मनिंदर सिंह ने कहा कि यह एक वैधानिक जिम्मेदारी है। इसमें कोताही नहीं बरती जा सकती है। यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है, सिर्फ कानून व्यवस्था का नहीं है और राज्य सरकार को वैधानिक स्तर पर इसकी अनुपालन करनी होती है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मसला है और प्रधानमंत्री की सुरक्षा में भारी चूक हुई है इस मामले में स्पष्ट जांच जरूरी है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी जरूरी है। सिंह ने कहा कि राज्य सरकार के पास इस मामले में अधिकार नहीं है कि वह जांच कराएं या विशेष तौर पर एसपीजी एक्ट से जुड़ा मुद्दा है और इस मामले में अदालत को जांच करानी चाहिए। सुनवाई के दौरान कनाडा के आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस की भी चर्चा हुई है। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि पीएम की सुरक्षा में चूक जिसमें राज्य शासन और पुलिस प्रशासन दोनों पर जिम्मेदारी थी उसकी जांच राज्य सरकार नहीं कर सकती। कहा गया कि जांच में एनआईए का होना भी जरूरी है। यह भी कहा गया कि पंजाब के गृह सचिव खुद जांच और शक के दायरे में हैं तो वो कैसे जांच टीम का हिस्सा हो सकते हैं?

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ब्लू बुक’ नियमों की अनदेखी की,पंजाब पुलिस ने नहीं किया खुफिया इनपुट का पालन-PM Security Breach

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुधवार को पंजाब के फिरोजपुर में होने वाली रैली सुरक्षा कारणों में चूक के चलते रद करनी पड़ी थी। मामले में गृह मंत्रालय ने पंजाब पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शनों को लेकर खुफिया इनपुट थे, बावजूद इसके पंजाब पुलिस ने ‘ब्लू बुक’ नियमों (Blue Book Rules) का पालन नहीं किया। विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) की ब्लू बुक में प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़े दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

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अधिकारी ने बताया कि ब्लू बुक के अनुसार, राज्य की पुलिस को किसी भी प्रतीकूल स्थिति, जैसी पंजाब में देखने को मिली, उस समय एक आकस्मिक मार्ग की तैयारी पहले से करके रखनी होती है। उन्होंने बताया कि इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी लगातार पंजाब पुलिस के संपर्क में थे और उन्हें प्रदर्शनों के बारे में बता दिया था और पंजाब पुलिस ने भी पूरी सुरक्षा का आश्वासन दिया था। उन्होंने बताया कि एसपीजी के जवान पीएम के चारों ओर घेरा बनाकर रहते हैं लेकिन सुरक्षा के बाकी उपायों की जिम्मेदारी राज्य सरकार के हाथों में होती है। स्थिति में होने वाले बदलाव की जानकारी राज्य की पुलिस एसपीजी को देती है और उसी हिसाब से वीआईपी की गतिविधि बदली जाती है। गृह मंत्रालय ने अब पंजाब पुलिस से संबंधित स्थान पर सुरक्षा बलों, बैरिकेड की तैनाती और सुरक्षा को लेकर अपनाए गए दूसरे उपायों की जानकारी मांगी है। अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा में हुई चूक के मामले में खुफिया एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी गई है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पंजाब के फिरोजपुर पहुंचकर 42,750 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला रखनी थी। गृह मंत्रालय ने बताया कि पीएम बुधवार सुबह पंजाब के बठिंडा एयरपोर्ट पर उतरे थे। यहां से उन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए हुसैनवाला के राष्ट्रीय शहीद स्मारक आना था। लेकिन बारिश के कारण मौसम ठीक होने के लिए 20 मिनट कर इंतजार करना पड़ा। जब मौसम ठीक नहीं हुआ, तो प्रधानमंत्री को सड़क के रास्ते ले जाने का फैसला हुआ। जिसमें दो घंटे का समय लगता।

स्मृति ईरानी ने कहा- पंजाब में कांग्रेस के खूनी इरादे नाकाम

नई दिल्ली-पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस पर हमलावर है। इसे लेकर भाजपा ने प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पजाब सरकार और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आज पंजाब में कांग्रेस के खूनी इरादे नाकाम रहे। जो लोग कांग्रेस पार्टी में मोदी से घृणा करते हैं वो आज प्रधानमंत्री को, उनकी सुरक्षा को कैसे भंग किया जाए, इसके लिए प्रयासरत थे। स्मृति ईरानी ने आगे सवाल करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री की सुरक्षा का प्रबंध और रास्ते में किसी भी तरह का गतिरोध नहीं है ऐसा आश्वासन पंजाब पुलिस ने पीएम के सुरक्षा दस्ते को दिया। क्या जानबूझकर झूठ बोला गया? जिन लोगों ने पीएम की सुरक्षा को भंग किया, उन लोगों को पीएम की गाड़ी तक किसने और कैसे पहुंचाया?’

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स्मृति ईरानी ने आगे कहा, ‘पंजाब में कानून-व्यवस्था इतनी खराब है कि डीजीपी का दावा है कि वह पीएमओ और पीएम सुरक्षा विवरण प्रदान करने में असमर्थ हैं। कांग्रेस को इसका जवाब देना चाहिए। हमारे देश के इतिहास में पहले कभी किसी राज्य सरकार ने जानबूझकर प्रधानमंत्री को नुकसान पहुंचाने का परिदृश्य नहीं बनाया। हम जानते हैं कि कांग्रेस मोदी से नफरत करती है, लेकिन आज उन्होंने भारत के पीएम को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की।स्मृति ईरानी ने आगे कहा, ‘राज्य सरकार की ओर से सुरक्षा का नेतृत्व करने वालों ने प्रधानमंत्री को सुरक्षित करने के किसी भी आह्वान या प्रयासों का जवाब क्यों नहीं दिया? पंजाब सरकार में से किसने पीएम के रूट की जानकारी दी? वीडियो के तौर पर साक्ष्य अब सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। यह ऐसे प्रश्नों को सामने लाते हैं।’ स्मृति ईरानी ने यह भी कहा, ‘जब पीएम मोदी की सुरक्षा भंग हुई, तो कांग्रेस नेता खुशी से झूम उठे। उन्होंने उनसे पूछा कि हाऊ इज द जोश ! पीएम मोदी ने वापस जाते समय हमेशा की तरह उदारता दिखाते हुए कहा कि ‘जिंदा लौट रहा हूं!’

बठिंडा एयरपोर्ट पर वापस पहुंच अधिकारियों से बोले पीएम,अपने सीएम को थैंक्स कहना, मैं जिंदा लौट रहा हूं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आज फिरोजपुर में पीजीआइ के सैटेलाइट सेंटर का शिलान्यास करना था। इसके बाद उन्हें रैली को संबोधित करना था, लेकिन सुरक्षा कारणों से रैली रद कर दी गई है। बठिंडा एयरपोर्ट पर पीएम ने लौटते वक्त अफसरों से कहा कि सीएम चन्नी को शुक्रिया कहना कि वह एयरपोर्ट तक जिंदा लौट आए हैं।  पीएम विमान से सुबह बठिंडा पहुंचे थे। यहां पंजाब सरकार की ओर से वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने उनका स्वागत किया। यहां से वह बारिश के कारण सड़क मार्ग के जरिए फिरोजपुर के लिए रवाना हुए। पहले पीएम मोदी को बठिंडा एयरपोर्ट पर उतरने के बाद हेलीकाप्टर से पहुंचना था, लेकिन मौसम खराब होने के कारण हेलीकाप्टर उड़ान नहीं भर सका। इस कारण मौके पर ही उनके लिए रूट का प्रबंध किया गया। रास्ते में कुछ लोगों ने मार्ग अवरुद्ध कर दिया। इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पीएम की सुरक्षा में चूक माना है और पंजाब सरकार से जवाब मांगा है।

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एएनआइ के मुताबिक सुबह पीएम बठिंडा पहुंचे, जहां से उन्हें हेलिकाप्टर से हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाना था, पर बारिश और खराब दृश्यता के कारण पीएम ने लगभग 20 मिनट तक मौसम साफ होने का इंतजार किया। जब मौसम में सुधार नहीं हुआ, तो यह तय किया गया कि वह सड़क मार्ग से राष्ट्रीय मेरीटर्स मेमोरियल का दौरा करेंगे, जिसमें 2 घंटे से अधिक समय लगेगा। डीजीपी पंजाब पुलिस द्वारा आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था की पुष्टि के बाद वह सड़क मार्ग से यात्रा करने के लिए आगे बढ़े। हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक से लगभग 30 किलोमीटर दूर, जब पीएम का काफिला एक फ्लाईओवर पर पहुंचा तो देखा कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने सड़क को अवरुद्ध कर दिया है। पीएम 15-20 मिनट फ्लाईओवर पर फंसे रहे। गृह मंत्रालय के मुताबिक पीएम की सुरक्षा में यह बड़ी चूक थी। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और यात्रा की योजना के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही बता दिया गया था। इस सुरक्षा चूक के बाद, बठिंडा हवाई अड्डे पर वापस जाने का निर्णय लिया गया। गृह मंत्रालय (एमएचए) का कहना है कि वह इस गंभीर सुरक्षा चूक का संज्ञान ले रहा है और राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। राज्य सरकार को भी इस चूक की जिम्मेदारी तय करने और सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है।

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बता दें, पीएम मोदी को फिरोजपुर से 42,750 करोड़ रुपये के प्रोजेक्टों का नींव पत्थर रखना था। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी रैली में पहुंचे। बारिश के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रैली में शामिल नहीं हुए। हालांकि अन्य नेताओं का मंच से भाषण चल रहा है। पीजीआइ सैटेलाइट सेंटर के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, गजेंद्र शेखावत, मीनाक्षी लेखी ने भी हिस्सा लेना था। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी पहले ही कह चुके थे कि स्टाफ के दो सदस्य कोविड पाजिटिव आने के कारण वह खुद नहीं पहुंच पाएंगे, लेकिन वर्चुअल तौर पर मौजूद रहेंगे।

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किसानों को आज देंगे नायाब तोहफा, बलरामपुर में सरयू नहर परियोजना का करेंगे लोकार्पण-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश तथा प्रदेश में वर्षों से लम्बित पड़ी परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करने के क्रम में उत्तर प्रदेश के किसानों को 40 वर्ष पुरानी सरयू नहर परियोजना की सौगात देंगे। प्रदेश में 1971-72 में शुरू हुई परियोजना की शुरुआती लागत 78 करोड़ थी, लेकिन 2018 में इसको फिर से शुरू कर अंजाम तक लाया गया है।पीएम मोदी के निर्देश पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चालीस वर्ष पुरानी इस परियोजना को चार वर्ष में पूरा कराया है। जिसका लाभ 14 लाख 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि को मिलेगा। 9802 रुपए की इस परियोजना का लाभ नौ जिलों के 30 लाख किसानों को मिलेगा। इसकी मुख्य नहर 350 किलोमीटर लम्बी है, जबकि सहायक नहरों की लम्बाई 6600 किलोमीटर है। यह परियोजना के तहत पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा व रोहिणी नदी से जुड़ी है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को बलरामपुर में बहराइच मार्ग पर हंसुवाडोल गांव में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का लोकार्पण करेंगे। लम्बे लंबे इंतजार के बाद प्रधानमंत्री शनिवार को दोपहर एक बजे बटन दबाकर नौ जिलों बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज व संतकबीरनगर को जोडऩे वाली सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का शुभारंभ करेंगे। परियोजना का निर्माण 1971-72 में शुरू हुआ था, जो इस वर्ष पूरी हुई।पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि बलरामपुर की मिट्टी को नमन कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्वी उत्तर प्रदेश को सिंचाई के लिए नायाब तोहफा देंगे। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के लोकार्पण कार्यक्रम में दो लाख लोगों के आने की संभावना है। 9802 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई इस परियोजना से 14 लाख 50 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी, जिसका लाभ 30 लाख किसानों को मिलेगा। मुख्य नहर 350 किलोमीटर लंबी है। इससे निकली नहरों की लंबाई 6600 किमी है। पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा व रोहिणी को जोड़कर नहर बनाई गई है।

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सरयू नहर परियोजना जहां किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए मुफ्त पानी की सुविधा मिलेगी। वहीं, दूसरी तरफ बाढ़ की त्रासदी भी कम होगी। नदियों के पानी का डायवर्जन नहरों में होने से बाढ़ का असर कम होगा। सिंचाई के साथ इस परियोजना से तीन जिलों की दूरी भी कम हो जाएगी। राप्ती मुख्य नहर के दोनों तरफ पक्की सड़क भी बनाई जाएगी। नहर किनारे से निकली सड़क की पटरी श्रावस्ती से सीधे सिद्धार्थनगर तक जाती है। इससे तीन जिलों श्रावस्ती, बलरामपुर व सिद्धार्थनगर की आपस में दूरी कम हो जाएगी। अब तक श्रावस्ती से सिद्धार्थनगर 102 किलोमीटर है। इस मार्ग से यह दूरी 30 किमी कम हो जाएगी। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना पर काम 1978 में शुरू हुआ लेकिन प्रदेश में शासन करने वाली सरकारों की प्राथमिकता बदलने के साथ बजटीय समर्थन की निरंतरता, अंतरविभागीय समन्वय और पर्याप्त निगरानी के अभाव में इसमें देरी हुई और लगभग चार दशकों के बाद भी पूरा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन और राष्ट्रीय महत्व की लंबे समय से लम्बित परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की उनकी प्रतिबद्धता ने परियोजना पर बहुत आवश्यक ध्यान केंद्रित किया। किसान कल्याण और सशक्तिकरण के लिए इस परियोजना को 2016 में समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लक्ष्य के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि सिंचाई योजना को शीर्ष वरीयता पर रखा। प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ ने शपथ लेने के बाद इस प्रोजेक्ट पर ध्यान दिया

बाबा दरबार से गंगधार तक विस्तारित श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कारिडोर 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनता को समर्पित करेंगे

वाराणसी में बाबा दरबार से गंगधार तक विस्तारित श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कारिडोर 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनता को समर्पित करेंगे। इसे ध्यान में रखते हुए 10 दिसंबर तक संपूर्ण कार्य पूरा कर लिया जाना है। इस खास मौके पर बाबा दरबार की साज-सज्जा के लिए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पट  एक दिसंबर को बंद रहेगा। अगले दिन दो दिसंबर को सुबह छह बजे श्रद्धालुओं के लिए पट खुलेंगे।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में तीन दिन प्रवास करेंगे। पीएम 13 दिसंबर को ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करेंगे। अगले दिन 14 दिसंबर को बरेका प्रेक्षागृह में महापौर सम्मेलन को संबोधित करेंगे तो शहंशाहपुर में नवनिर्मित बायो गैस प्लांट परिसर में जीरो बजट खेती पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में भागीदारी करेंगे। 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री सम्मेलन में होंगे। इस दौरान स्वर्वेद महामंदिर उमरहा में विहंगम योग संत समाज के 98वें वार्षिकोत्सव में भी शामिल हो सकते हैं।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन दिवसीय प्रवास में बरेका अतिथि गृह में ही ठहरेंगे। इसे देखते हुए अतिथि गृह नए सिरे से सजाया-संवारा जा रहा है। हालांकि प्रोटोकाल जारी होने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि प्रधानमंत्री बनारस में किन कार्यक्रमों में शामिल होंगे, लेकिन प्रशासन अपने स्तर पर तैयारी में पूरी तरह जुटा है। इसमें श्रीकाशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के अगले दिन देश भर से जुटे 200 महापौर का सम्मेलन, सीएम समिट, जीरो बजट खेती पर संगोष्ठी खास है। महापौर सम्मेलन में पीएम ‘अपने-अपने शहरों में ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में बढ़ाए गए कदम’ पर चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री ने अपने पहले कार्यकाल में ही ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण को लेकर हृदय योजना लागू की थी। इसके तहत बनारस में भी बहुत से कार्य हुए हैं।

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कानून वापसी का एलान करते हुए भी प्रधानमंत्री ने उनकी खासियतों पर जोर देकर कहा कि प्रदर्शनकारी उनके फायदों को नहीं देख सके

गुरु नानक जयंती के अवसर पर तमाम लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर यही उम्मीदे लगाए बैठे होंगे कि वह किसी न किसी गुरुद्वारे अवश्य जाएंगे। पंजाब में आसन्न विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनके अमृतसर जाने की संभावना भी जताई जा रही थी। मोदी का व्यक्तित्व जिस प्रकार आश्चर्यचकित करने वाला है उससे ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही थीं कि वह फिर से खोले गए करतारपुर कारिडोर गुरुद्वारा दरबार साहिब भी जा सकते हैं। ऐसे अनुमानों के बीच जब यह घोषणा हुई कि प्रधानमंत्री सुबह नौ बजे राष्ट्र के नाम संबोधन देंगे तो हर कोई हैरत में पड़ गया।गुरु पर्व से जुड़े शुरुआती संबोधन के बाद जब प्रधानमंत्री खेती और किसानों के हित में अपनी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का ब्योरा देने लगे, तो अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया कि वह किस दिशा में जा रहे? उन्होंने कृषि कानूनों की पृष्ठभूमि को समझाना शुरू किया। विशेषज्ञों की राय और छोटे एवं सीमांत किसानों के प्रति फिक्र जताने के साथ ही उन्होंने उस बड़े तबके को धन्यवाद दिया, जिसने इन सुधारों का समर्थन किया। फिर वह किसानों के विरोध-प्रदर्शन वाले बिंदु पर आए। उन्होंने जोर देकर कहा कि कुछ राज्यों के किसानों का एक छोटा वर्ग ही इन सुधारों का विरोध करने पर अड़ा था। उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों से सरकार की वार्ता के प्रयासों का उल्लेख किया कि वह गतिरोध का हल निकालने के लिए किस प्रकार सक्रिय थी। ऐसे संभावित स्वीकार्य हल में कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव भी था। स्पष्ट है कि वह प्रदर्शनकारी किसानों के अड़ियल और अतार्किक रवैये की ओर संकेत कर रहे थे। आखिर में जब उन्होंने एलान किया कि कुछ असंगत प्रदर्शनकारी समूहों की इच्छा को देखते सरकार इन कानूनों को निरस्त कर रही है, तो इस घोषणा ने सभी को चकित कर दिया। लोगों को भरोसा ही नहीं हो रहा था।

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पीएम की अप्रत्याशित घोषणा के बाद सरकार समर्थकों और विरोधियों, दोनों को कुछ नहीं सूझ रहा था। यहां तक कि सरकार के इस रुख से खुश होने वाले भी यह नहीं समझ सके कि मजबूत फैसले लेने और अपने रुख पर अडिग रहने वाली सरकार यकायक कैसे झुक गई? जबकि पिछले कुछ महीनों से यही लग रहा था किसान संगठनों का विरोध-प्रदर्शन निस्तेज हो रहा है। इससे जुड़े अहम किरदार निढाल दिखने लगे थे। संयुक्त किसान मोर्चा के विभिन्न धड़ों में भी दरारें पड़ने लगी थीं। किसानों द्वारा सड़कों की घेराबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का धैर्य भी जवाब देने लगा था। ऐसे में यह दलील उतनी गले नहीं उतरती कि सरकार महज प्रदर्शनकारियों के दबाव में आकर इन कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर हुई। नि:संदेह इसके पीछे चुनावी परिदृश्य भी है। पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कुछ समय बाद चुनाव होने हैं। वहां कृषि कानूनों का कुछ असर दिख सकता था। पंजाब में तो यह बड़ा मुद्दा बन गया था। वहीं उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से और उत्तराखंड के तराई इलाके में भी यह मुद्दा प्रभावित करता। वैसे इतना बड़ा फैसला केवल चुनावी फायदे को देखकर नहीं लिया गया होगा, जिस पर नरेन्द्र मोदी ने अपनी भारी राजनीतिक पूंजी दांव पर लगा रखी थी। ऐसे में इसके और बड़े निहितार्थ रहे होंगे, जिन्होंने सरकार को इतना बड़ा यू-टर्न लेने पर बाध्य कर दियाएक अनुमान तो यही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सरकार की चिंता बढ़ रही थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रदर्शनकारियों के बीच खालिस्तानी और पाकिस्तानी तत्वों की बढ़ती पैठ को लेकर लगातार आगाह करते आ रहे थे। इससे पंजाब में तीन दशक पहले जैसी अशांति एवं अस्थिरता का खतरा बढ़ रहा था। ऐसे तत्वों का तराई इलाके में भी प्रभाव है, जहां सिखों की बड़ी आबादी रहती है। पाकिस्तान में बदलते घटनाक्रम को देखते हुए सरकार यह जोखिम नहीं ले सकती थी। ऐसे में यह कदम इन तत्वों को मात देने और शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और अमरिंदर सिंह के नए राजनीतिक धड़े के बीच गठजोड़ की राह खोलने वाला एक दांव हो सकता है, ताकि पंजाब में राष्ट्रवादी ताकतों को मजबूती दी जा सके। इसका समांतर लाभ आम आदमी पार्टी के प्रभाव को कम करने के रूप में भी मिलेगा, जिस पर भाजपा कांग्रेस से भी कम एतबार करती है।यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि भाजपा को इसका कितना चुनावी लाभ मिलेगा, क्योंकि चुनाव में कई और पहलू भूमिका निभाते हैं।

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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कुछ सत्ता विरोधी रुझान जरूर है। इसके बावजूद फिलहाल योगी सरकार आगे दिख रही है, लेकिन इससे इन्कार नहीं कि अखिलेश यादव ने माहौल बनाना शुरू कर दिया है, जो और गति पकड़ सकता है। वहीं उत्तराखंड में भाजपा अपनी ही समस्याओं से घिरी है। पंजाब को लेकर अकाली दल और अमरिंदर का मेल भी संदेह से परे नहीं है। इसलिए इन सन्निहित नकारात्मक पहलुओं को देखते हुए इसे एक ‘चुनावी मास्टरस्ट्रोक’ के रूप में चित्रित करना भी इसका सरलीकरण होगा। फिलहाल सबसे बड़ी चिंता यही है कि इसका असर मोदी सरकार के शेष कार्यकाल की कार्यक्षमता पर पड़ सकता है। इससे विपक्ष को लगेगा कि सरकार पर निरंतर दबाव बनाकर उसे झुकाया जा सकता है। हालिया उपचुनावों के मिश्रित नतीजों के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एकाएक कटौती से विपक्ष को पहले ही इसका स्वाद लग गया है। चूंकि अगले दो वर्षों में कई राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, तो इससे बड़े सुधारों को आगे बढ़ाने की सरकारी क्षमता सीमित हो जाएगी। इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून, अनुच्छेद 370 और श्रम कानूनों जैसे उसके अन्य कदमों पर भी पेच फंस सकता है। बाहरी मोर्चे पर पहले से ही तनाव बढ़ा हुआ है। देश कोविड से लगे झटके के बाद अभी पूरी तरह उबर नहीं पाया है। उसकी तीसरी लहर की आशंका को भी खारिज नहीं किया जा सकता। ऐसे में सरकार के फ्रंटफुट पर खेलने की क्षमता प्रभावित होगी।दिलचस्प है कि कानून वापसी का एलान करते हुए भी प्रधानमंत्री ने उनकी खासियतों पर जोर देकर कहा कि प्रदर्शनकारी उनके फायदों को नहीं देख सके। उन्होंने यह भी कहा कि इन कानूनों को जल्दबाजी में लागू नहीं किया जा सकता यानी अगले आम चुनाव से पहले तो बिल्कुल नहीं। इसका सबसे बड़ा नुकसान देश में कृषि सुधारों के भविष्य को भुगतना होगा।

कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन को शह देने में जुटे विपक्ष की रणनीति को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक झटके में मात दे दी

कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन को शह देने में जुटे विपक्ष की रणनीति को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक झटके में मात दे दी। आंदोलन ने बेशक पूरे प्रदेश को अपनी जद में न लिया हो, लेकिन राज्य के पश्चिम और तराई क्षेत्र की लगभग 125 सीटों पर चुनावी दंगल तगड़ा होने की आशंका जरूर थी। अंतत: किसानों की मांग पर बड़ा दिल दिखाते हुए सरकार ने जो यू-टर्न लिया है, वह विपक्ष के हाथ से किसानों का मुद्दा छीनकर उल्टे पांव लौटा सकता है।कुछ माह बाद ही विधान सभा का चुनाव होने जा रहा है। सत्ताधारी भाजपा के सामने सरकार बचाने तो लगातार चुनावों में हार देख रही सपा, बसपा और कांग्रेस के सामने अस्तित्व बचाने का संकट है। ऐसे में इन विरोधी दलों ने कानून व्यवस्था से लेकर महंगाई तक तमाम मुद्दों को सिक्के की तरह उछालकर देखा, लेकिन उससे जनता को उम्मीदों के मुताबिक शायद वह न जोड़ सके। इधर, केंद्र सरकार द्वारा करीब एक वर्ष पहले लागू किए तीन कृषि कानूनों का ही एकमात्र मुद्दा ऐसा रहा, जिस पर समूचे विपक्ष की आस जा टिकी। दिल्ली-यूपी की सीमा पर लगभग एक वर्ष से चल रहे आंदोलन के बहाने सभी दलों ने भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की। सभी ने इन्हें काला कानून बताते हुए आंदोलन का समर्थन किया।

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भले ही आंदोलनकारियों ने विपक्षी दलों को अपना मंच साझा नहीं करने दिया, लेकिन इन पार्टियों के रणनीतिकारों ने इस मुद्दे पर ही चुनावी बिसात बिछाना ज्यादा मुफीद समझा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने किसान पंचायतें कीं तो समाजवादी पार्टी ने किसान पटेल यात्रा प्रदेश में निकाली। बसपा प्रमुख मायावती भी कृषि कानूनों को वापस लिए जाने मांग दोहराती रहीं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि इन कानूनों के विरुद्ध प्रदेश में आंदोलन तमाम प्रयासों के बाद भी विस्तार नहीं ले सका, लेकिन पश्चिम और तराई क्षेत्र में भाजपा के लिए राह कठिन जरूर लगने लगी थी। मेरठ, मुजफ्फरनगर, हापुड़, मुरादाबाद, सहारनपुर, बागपत, शामली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी आदि जिलों की लगभग 125 सीटों पर विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने का मौका दे दिया। ज्यों-ज्यों चुनाव तेजी पकड़ता, वैसे-वैसे यह पार्टियां कृषि कानूनों पर चर्चा के सहारे कानून व्यवस्था, महंगाई आदि की चर्चा कर माहौल खराब कर सकते थे। अब कानूनों को वापस लेने से चुनाव में यह मुद्दा ही नहीं रहेगा।केंद्र सरकार के इस फैसले ने भाजपा संगठन को भी सुकून दिया है। अभी तक विधान सभा चुनाव की रणनीति में पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर खास सतर्कता बरती जा रही थी। पार्टी किसानों का मन टटोल रही थी। खास तौर पर पश्चिम और तराई क्षेत्र के नेताओं के मन में संकोच था कि किसानों के बीच जाने पर कहीं इस मुद्दे का सामना न करना पड़े। मौजूदा विधायक और चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे नेताओं ने अब ठंडी सांस ली होगी।

लखनऊ में शुक्रवार से तीन दिवसीय 56वें डीजीपी सम्मेलन का शुभारंभ गृह मंत्री अमित शाह ने किया

देश की आंतरिक सुरक्षा को मुस्तैद करने के लिए बड़े जतन कर रही नरेन्द्र मोदी सरकार अब आतंकवाद से लेकर साइबर अपराध पर अंकुश लगाने की बड़ी तैयारी में है। इसको लेकर लखनऊ में शुक्रवार से तीन दिवसीय 56वें डीजीपी सम्मेलन का शुभारंभ गृह मंत्री अमित शाह ने किया। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 20 व 21 नवंबर को शामिल होंगे। गृह मंत्री तथा सहकारिता मंत्री अमित शाह दिन में करीब दो बजे विशेष विमान से लखनऊ के चौधरी चरण सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट, अमौसी पर पहुंचे। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के साथ कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, ब्रजेश पाठक तथा आशुतोष टंडन ने उनका स्वागत किया। गृह मंत्री अमित शाह इसके बाद गोमतीनगर विस्तार में सिगनेचर बिल्डिंग में पहुंचे। वहां पर उन्होंने डीजीपी सम्मेलन का उद्घाटन किया।  गृह मंत्री अमित शाह ने संयुक्त प्रारूप में आयोजित सम्मेलन का शुभारंभ किया। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के डीजीपी, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रमुख लखनऊ में डीजीपी मुख्यालय, गोमतीनगर में होने वाले इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। इसके साथ ही शेष आमंत्रित पुलिस अधिकारी आइबी/राज्य आइबी मुख्यालयों में 37 विभिन्न स्थानों से वर्चुअल माध्यम से सम्मेलन में भागीदारी करेंगे। सम्मेलन में अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, आइबी व सीबीआइ के निदेशक तीनों दिन भागीदारी करेंगे। सम्मेलन का मुख्य आयोजन डीजीपी मुख्यालय के नौवें तल पर हो रहा है। कार्यक्रम में 68 लोग अतिथि के रूप में मौजूद हैं।

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उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित हो रहे पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षकों (आइजी) के 56वें वार्षिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 20 और 21 नवंबर को भागीदारी करेंगे। प्रधानमंत्री के साथ देश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी साइबर अपराध, आतंकवाद विरोधी चुनौतियों, वामपंथी उग्रवाद, मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम के नई तरीकों से लेकर जेल सुधार और पुलिस आधुनिकीकरण से जुड़े अन्य मुद्दों पर मंथन करेंगे। इसके साथ ही सम्मेलन में देश की आंतरिक सुरक्षा पर सिलसिलेवार चर्चा होगी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 से डीजीपी सम्मेलन में गहरी रुचि ली है। वह इस सम्मेलन के सभी सत्रों में भाग लेकर स्वतंत्र और अनौपचारिक चर्चाओं को प्रोत्साहित करते रहे हैं। जिससे शीर्ष पुलिस अधिकारियों को देश को प्रभावित करने वाली प्रमुख नीतियों और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सीधे प्रधानमंत्री को जानकारी देने का बड़ा अवसर मिलता है। लखनऊ में पहली बार हो रहे सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अतिथि गुरुवार शाम से ही पहुंच गए थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार रात करीब 8:45 बजे झांसी से लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचेंगे और राजभवन जाएंगे। 20 नवंबर की सुबह नौ बजे प्रधानमंत्री राजभवन से सड़क मार्ग से डीजीपी मुख्यालय पहुंचकर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। शाम सात बजे प्रधानमंत्री डीजीपी मुख्यालय से वापस राजभवन जाएंगे और रात आठ बजे वापस डीजीपी मुख्यालय पहुंचेंगे और रात्रिभोज में शामिल होंगे। 20 नवंबर की रात भी प्रधानमंत्री राजभवन में ठहरेंगे और 21 नवंबर की सुबह करीब 9:20 बजे डीजीपी मुख्यालय पहुंचकर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके बाद शाम करीब 4:10 बजे प्रधानमंत्री डीजीपी मुख्यालय से अमौसी एयरपोर्ट जाएंगे और वहां से दिल्ली रवाना होंगे।वर्ष 2014 से इस वार्षिक सम्मेलन का आयोजन दिल्ली के बाहर आरंभ किया गया है। पहले यह सम्मेलन परंपरागत रूप से दिल्ली में ही आयोजित होता था। बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते डीजीपी सम्मेलन का वर्चुअल आयोजन हुआ था। इससे पूर्व वर्ष 2014 में गुवाहाटी, वर्ष 2015 में कच्छ, वर्ष 2016 में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद, वर्ष 2017 में बीएसएफ अकादमी टेकनपुर, वर्ष 2018 में केवडिय़ा और वर्ष 2019 में आइआइएसईआर, पुणे में डीजीपी सम्मेलन आयोजित हो चुका है।

उत्तर प्रदेश को लूटते नहीं थकते थे और हम काम करते करते नहीं थकते हैं-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

महोबा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अर्जुन सहायक बांध समेत 32.64 अरब की परियोजनाओं का लोकार्पण करके बुंदेलखंड की वर्षों की प्यास बुझाई। इन परियाजनाओं से न सिर्फ लोगों की प्यास बुझी है बल्कि सूखी धरा पर फसलों की हरियाली लौटी है। लोकार्पण कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री के निशाने पूर्ववर्ती परिवारवादी सरकारें रहीं, नाम लिए बगैर उन्होंने पूर्व की सरकारों की उपेक्षा से बुंदलखंड की दुर्गति की कहानी बयां की और कर्मयोगियों की सरकार द्वारा क्षेत्र में काराए विकास कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि वो उत्तर प्रदेश को लूटते नहीं थकते थे और हम काम करते करते नहीं थकते हैं। उन्होंने कर्मयोगियों की डबल इंजन वाली सरकार द्वारा ही नल से जल देने की बात कही। उन्होंने कहा कि वो समस्याओं की राजनीति करते हैं और हम समाधान की राष्ट्रनीति करते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधन की शुरुआत में कहा कि जौन महोबा की धरा में अल्हा ऊदल और वीर चंदेलों की वीरता कण कण में समाई है, वा महोबा के वासियों को हमाओ कोटि-कोट प्रणाम पहुंचे। कहा, जनजाति सप्ताह मनाया जा रहा है, इस समय में आल्हा ऊदल की भूमि पर आना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है। गुलामी के उस दौर में भारत में एक नई चेतना जगाने वाले गुरुनानक देव का प्रकाशपर्व है, देश और दुनियों के लोगों को गुरुपर्व की अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं। आज ही भारत की वीर बेटी और बुंदेलखंड की शाम वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती भी है। यहां से मैं झांसी जाऊंगा, जहां डिफेंस का बड़ा कार्यक्रम चल रहा है।

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प्रधानमंत्री ने कहा, बीते सालों में हम कैसे कमरों में बंद भारत सरकार को देश के कोने कोने में लाए हैं, महोबा इसका साक्षात उदाहरण है। कुछ महीने पहले यहां से पूरे देश के लिए उज्जवाला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत की गई। मुझे याद है कुछ साल पहले मैंने महोबा से ही देश की करोड़ों मुस्लिम बहनों को वादा किया था कि मैं मुस्लिम बहनों को तीन तलाक से मुक्ति दिलाकर रहूंगा, महोबा में किया वादा अब पूरा हो चुका है। भाइयो बहनों और किसान भाइयों को बहुत बड़ी सौगात सौंपने आया हूं। आज अर्जुन सहायक परियोजना, रतौली बांध, भावनी बांध और रतौली चिल्ली स्प्रिंकलर परियोजना का लोकार्पण करने का मौका मिला है। तीन हजार करोड़ की लागत से बनी इन परियोजनाओं से हमीरपुर, महोबा, बांदा और ललितपुर के लाखों लोगों को फायदा हो। इससे पीने के शुद्धा पानी भी मिलेगा, पीढ़ियों का इंतजार अब समाप्त होने जा रहा है। आपका प्यार मेरे लिए बहुत कुछ है। गुरुनानक देव जी ने कहा है कि पानी को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिये क्योंकि पानी से ही जीवन मिलता है। महोबा का क्षेत्र तो सैंकड़ों वर्ष पहले जल संरक्षण और प्रबंधन का उत्तम माडल हुआ करता था। बुंदेल, परिहार और चंदेल राजाओं के काल में यहां तालाबों और सरोवरों पर जो काम हुआ वह आज भी जल संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण है। सिंध, बेतवा, केन जैसी नदियों के पानी ने बुंदेलखंड को समृद्धि और प्रसिद्धि भी दी। यही बुंदेलखंड का चित्रकूट की धरती ने प्रभु राम को आशीर्वाद दिया और वन संपदा ने उनका साथ दिया। लेकिन सवाल यह है कि कुछ समय बाद यही क्षेत्र पानी की चुनौतियां और पलायन का केंद्र कैसे बन गया। क्यों इस क्षेत्र के लोग बेटियों का ब्याह करने से कतराने लगे क्यों यहां कि बेटियां पानी वाले क्षेत्र में शादी करने की कामना करने लगीं, इसे यहां के लोग बेहतर जानते हैं।

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