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‘जय श्री राम’ के नारे से क्यों नाराज हुईं ममता? कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कारण

नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर के मौके पर कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में आयोजित कार्यक्रम में जय श्रीराम के नारे लगने और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गुस्सा दिखाने के मामले पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। ममता बनर्जी की ओर से विरोध करने पर भाजपा ने भी जमकर पलटवार किया है। लोगों के मन मे भी सवाल उठ रहा है कि आखिर जय श्री राम के नारे से ममता बनर्जी इतनी नाराज क्यों हो गई?

कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कारण

ममता के नाराज होने का कारण बताते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर कहा है, ”ममताजी ने आज बहुत ही पवित्र मंच पर जय श्रीराम के नारे पर राजनैतिक एजेंडा सेट किया। हम इसकी निंदा करते है, नेताजी की 125वीं जयंती के मंच जहां प्रधानमंत्री उपस्थित हो। वहां चुनाव को देखते हुए राजनैतिक एजेंडा सेट करना। अल्पसंख्यक लोगों को खुश करने की तुष्टिकरण की नीति है।”

इससे पहले, कैलाश विजयवर्गीय ने नारेबाजी के वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा था कि जय श्रीराम के नारे से स्वागत, ममताजी अपमान मानती हैं। यह कैसी राजनीति है।

नेता जी के परपोते ने भी दी प्रतिक्रिया

नेताजी के परपोते और बीजेपी नेता चंद्र कुमार बोस ने भी कहा कि चाहे आप जय हिंद कहें या फिर जय श्रीराम, मुझे दोनों में कोई भिन्नता नहीं दिखती है। जय श्रीराम कोई ऐसा नारा नहीं है कि जिसमें इस तरह की प्रतिक्रिया दी जाए।

क्या है नारेबाजी का पूरा मामला?

दरअसल, ममता बनर्जी ने शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाने के लिए विक्टोरिया मेमोरियल में आयोजित एक कार्यक्रम में तब बोलने से इनकार कर दिया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में वहां जय श्री राम के नारे लगाए गए। कार्यक्रम में बनर्जी ने अपना भाषण शुरू नहीं किया था। उसी समय तभी भीड़ में शामिल कुछ लोगों द्वारा नारा लगाया गया। बनर्जी ने कहा कि कि ऐसा अपमान अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, यह एक सरकारी कार्यक्रम है, कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं। एक गरिमा होनी चाहिए। किसी को लोगों को आमंत्रित करके अपमानित करना शोभा नहीं देता। मैं नहीं बोलूंगी। जय बंगला, जय हिंद।

सीएम ममता बनर्जी के साथ विक्टोरिया मेमोरियल का दौरा कर रहे हैं PM मोदी

नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्ष के मौके पर आयोजित कई कार्यक्रमों उद्घाटन करने व इसमें हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में शाम करीब 5:00 बजे से ‘पराक्रम दिवस’ समारोह के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करेंगे। इस कार्यक्रम में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी आमंत्रित हैं। इस दिन सिर्फ कार्यक्रम ही नहीं बल्कि विक्टोरिया मेमोरियल में दो नए गैलरी का भी पीएम उद्घाटन करेंगे। एक गैलरी नेताजी को लेकर तैयार किया गया है, जिसका नाम निर्भीक सुभाष रखा गया है। दूसरी गैलरी देश के अन्य स्वतंत्रता आंदोलनकारियों को लेकर तैयार की गई है जिसका नाम विप्लवी भारत रखा गया है।

इस अवसर पर पीएम मोदी एक स्थायी प्रदर्शनी और नेताजी पर एक प्रोजेक्शन मैपिंग शो का भी उद्घाटन पीएम करेंगे। प्रधानमंत्री नेताजी की चिट्ठियों से जुड़ी एक किताब का भी विमोचन भी करेंगे। पीएम द्वारा एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया जाएगा। नेताजी की थीम पर आधारित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘आमरा नूतन जिबनेरी’ भी आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम से पहले प्रधानमंत्री मोदी कोलकाता में ही नेशनल लाइब्रेरी (राष्ट्रीय पुस्तकालय) का भी दौरा करेंगे। यहां एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ’21वीं सदी में नेताजी सुभाष की विरासत का फिर से दौरा’ सहित कई कार्यक्रमों और एक आर्ट गैलरी व चित्र प्रदर्शनी का पीएम उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री कलाकारों और सम्मेलन के प्रतिभागियों के साथ बातचीत करेंगे।

पराक्रम दिवस 2021: नेताजी की जयंती पर वरूण ने तितलियों से बनाया पोट्रेट, तस्वीरें वायरल

नई दिल्ली। स्वतंत्रता सेनानियों की जब भी बात की जाए तो सुभाष चंद्र बोस का नाम हमेशा सबसे पहले आता है। सुभाष चंद्र बोस ऐसे बहादुर सेनानी थे, जिन्होंने जीते जी अंग्रेजों को खुद से हाथ तक नहीं लगाने दिया। उसी सोच को दिखाने के लिए शहर के कलाकार वरूण टंडन ने सुभाष चंद्र बोस का 125 वर्ग फुट का पोट्रेट तितलियों से बनाया गया। सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य पर पोट्रेट बंगा भवन सेक्टर-35 में तैयार किया गया है। पोट्रेट में इस्तेमाल की गई तितलियां बेकार कपड़े और कागजों को काट कर बनाई गई है, जो कि देखने में बेहद आकर्षक लग रही है। आर्टिस्ट वरूण ने बताया कि सुभाष चंद्र बोस का सभी के जीवन में बहुत अहम योगदान है। आज के युवाओं को उनके नक्शे कदमों पर चलने की जरूरत है। उनकी सोच को दिखाने के लिए पोट्रेट को तैयार किया गया है।

पोट्रेट के लिए लाखों तितलियों का किया गया है निर्माण

पोट्रेट में इस्तेमाल हुई तितलियों की संख्या लाखों में है। आर्टिस्ट वरूण के अनुसार इन तितलियों को बनाने के लिए करीब 15 दिन का समय लगा है। वहीं पोट्रेट को तैयार करने में छह दिन का समय लगा है। इस बार 125वीं जयंती को बंगा भवन में मनाया जा रहा है जिसका मुख्य कारण सुभाष चंद्र बोस का जन्म पश्चिम बंगाल में होना है। बंगा भवन से बंगाल के हजारों लोग जुड़े है।

खुद का बेटा होने के नाते इस पोट्रेट को देखने के लिए भी भारी दर्शक आ रहे है। सबसे बड़ी खुशी उस समय हो रही है जब बच्चे आकर सुभाष चंद्र बोस के बारे में पूछते है कि आखिर यह कौन है और पोट्रेट का निर्माण तितलियों से क्योंकि किया गया। बंगा भवन के प्रभारी राजेश रॉय ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस सिर्फ पश्चिम बंगाल के नहीं बल्कि पूरे देश के बेटे थे और उनके जीवन के सिद्धांतों का पता यदि बंगा भवन में चलता है तो यह पूरे बंगाल समुदाय के लिए गौरव का विषय है।