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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सीधे सर्वोच्च अदालत नहीं आ सकते घर खरीदार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक रियल एस्टेट परियोजना के संबंध में किसी घर खरीदार द्वारा अनुच्छेद 32 के तहत राहत की मांग पर सुनवाई नहीं की जा सकती। इस बारे में अन्य प्रावधान हैं, जिनका इस्तेमाल घर खरीदार कर सकते हैं।

संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट याचिकाओं पर तमाम सहूलियत दे चुकी अदालत के इस फैसले से रियल एस्टेट क्षेत्र को बड़ी राहत मिली है।जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ बुलंदशहर में एक रिहायशी रियल एस्टेट परियोजना के संबंध में एक घर खरीदार की याचिका पर विचार कर रही थी। इसमें प्राथमिक राहत मांगी गई थी कि बिल्डर के साथ सभी समझौतों को रद्द किया जाए। खरीदारों को धन वापस दिलवाया जाए और वैकल्पिक तौर पर यह सुनिश्चित करवाया जाए कि निर्माण कार्य पूरा हो ताकि घर उचित समय पर खरीदारों को मिले।

इन राहतों के अलावा, याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जज के नेतृत्व में एक समिति के गठन की मांग की, जो वर्तमान मामले में डेवलपर की परियोजनाओं की निगरानी और संचालन करे। याचिकाकर्ता ने फॉरेंसिक ऑडिट, सीबीआई जांच और अन्य प्राधिकारियों जैसे कि गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय और प्रवर्तन निदेशालय से भी जांच की मांग की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्थिक मंदी और अब महामारी के कारण रियल एस्टेट सेक्टर को धक्का लगा है।

 

 

 

सुप्रीम कोर्ट के जज ने की नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ, PM को बताया प्रिय और दूरदर्शी नेता

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की है। सुप्रीम कोर्ट के जज एम. आर. शाह ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे लोकप्रिय, प्रिय, जीवंत और दूरदर्शी नेता बताया। न्यायमूर्ति शाह ने गुजरात उच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खूब प्रशंसा की।

न्यायमूर्ति शाह ने कहा, ‘मुझे गुजरात उच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह में, हमारे सबसे लोकप्रिय, प्रिय, जीवंत और दूरदर्शी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में, भाग लेकर गौरव का अनुभव हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘भारतीय संविधान के तहत स्थापित भारतीय गणतंत्र की खूबियों में से एक है विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्ति का बंटवारा।’

न्यायमूर्ति ने कहा कि उन्हें गर्व महसूस हो रहा है कि गुजरात उच्च न्यायालय ने कभी लक्ष्मण रेखा को पार नहीं किया और हमेशा न्याय प्रदान किया है। पिछले साल न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा द्वारा एक समारोह में प्रधानमंत्री की प्रशंसा किए जाने के बाद वह सबकी नजरों में आ गए थे। न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) मिश्रा ने मोदी को ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर’ पर स्वीकार्य दूरदर्शी नेता बताया था।

शनिवार को भी अपने संबोधन में न्यायमूर्ति शाह ने गुजरात उच्च न्यायालय को अपनी कर्मभूमि बताया था। इस न्यायालय में उन्होंने 22 साल वकील की तरह और 14 साल न्यायाधीश की तरह सेवा दी थी। प्रधानमंत्री ने हीरक जयंती समारोह में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।

समारोह में पीएम मोदी ने भारतीय न्यायपालिका की यह कहते हुए सराहना की कि उसने लोगों के हितों की रक्षा करने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कायम रखने का अपना दायित्व बखूबी निभाया और यह काम उस समय भी किया गया जब राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता थी।

लालू यादव की जमानत पर सुनवाई आज, बेल मिली तो लालू यादव जेल से बाहर निकल जाएंगे

बिहार।लालू यादव की दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में जमानत याचिका पर 29 जनवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई निर्धारित है। इस मामले में लालू यादव को सीबीआई कोर्ट ने सात साल की सजा सुनायी है। सजा की आधी ‌‌अवधि काट लेने के आधार पर लालू प्रसाद ने जमानत प्रदान करने का आग्रह हाईकोर्ट से किया है।

यदि लालू यादव  को  जमानत मिलती है,  तो वह जेल से बाहर आ जाएंगे। लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाले के पांच मामले चल रहे हैं। चार मामलों में उन्हें सजा मिली है। तीन मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल गयी है। एक मामले में अभी सीबीआई कोर्ट में सुनवाई जारी है।

 

पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष चुनाव कराए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, बताई ये वजह;

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष चुनाव कराए जाने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। पुनीत कौर ढांडा द्वारा दाखिल इस याचिक में अपील की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र, पश्चिम बंगाल सरकार और निर्वाचन आयोग को निष्पक्ष, सुरक्षित, स्वतंत्र एवं शांतिपूर्ण विधानसभा चुनाव काराने का निर्देश दे। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत कहा कि इस मसले पर विधि सम्‍मत दूसरे उपाय आजमाए जा सकते हैं।

याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विरोधियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की कथित हत्या की घटनाएं हो रही हैं जिनकी जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को निर्देश देने की गुजारिश की गई थी। याचिकाकर्ता ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत दूसरे नेताओं पर पश्चिम बंगाल में हुए हमले की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे हालात में राज्य में निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव कराना संभव नहीं है। ऐसा केवल तभी हो सकता है जब‍ पश्चिम बंगाल के चुनाव शीर्ष अदालत की निगरानी में कराए जाएं।

जस्टिस हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी वाली इस पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि तेलंगाना के रोहिंग्‍या मतदाताओं ने खुद को पश्चिम बंगाल में वोटर के रूप में पंजिकृत करा लिया है। यही नहीं मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर वोट डालने के लिए जाने नहीं दिया जाता है। इस जनहित याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, पश्चिम बंगाल सरकार, निर्वाचन आयोग, राज्‍य चुनाव आयोग, सीबीआइ और राज्‍य के डीजीपी को भी पार्टी बनाया गया था। याचिका में कहा गया था कि राज्‍य में लगातार मानवाधिकारों की धज्ज‍ियां उड़ाई जा रही हैं।