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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे सकता है भारत… सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई आज

DESK: सुप्रीम कोर्ट में आज समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलेगी या नही इस मुद्दे को लेकर होगी सुनवाई। देश के अलग-अलग हाईकोर्ट से आई, सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रासफंर करने के बाद होगी बहस. समलैंगिक विवाह के मुद्दे को लेकर पिछली सुनवाई 14 दिसंबर 2022 को हुई थी।

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समलैंगिक जोड़ो के विवाह को लेकर स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता देने की नई याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था। वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने इस मामले पर कहा कि इस मुद्दे पर लोग दिलचस्पी रखते है इसकी लाइव स्ट्रीमिंग करानी चाहिए।

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समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाला 33वां देश बन सकता है, भारत
यदि भारत में समलैंगिक विवाह को मान्यता मिल गई तो ये दुनिया का 33वां ऐसा देश बनेगा। नीदरलैंड ऐसा पहला देश के जहां समलैंगिक विवाह को मान्यता प्राप्त हुई थी। दुनिया में अब तक 32 देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई हैं।

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हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडन ने समलैंगिक विवाह के कानून को मान्याता देने कि घोषणा कर दी थी। इसके तहत समलैंगिक शादीयों को भी सामान्य शादी कि मान्यता दी थी। ऐसे में इस मुद्दे में रूचि रखने वाले लोगो को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार हैं।

विधायकों और सांसदों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला… जानिए आप भी

DESK:  ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ का जिक्र करते हुए आपने कई लोगों को सुना होगा। दरअसल कई बार बहसों के दौरान ये बात सामने आती है कि फ्रीडम ऑफ स्पीच यानी बोलने की आजादी सभी को है और ये अधिकारी हमें संविधान ने दिया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सांसदों और विधायकों के ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ के अधिकार पर कुछ कहा है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है।

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दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को लागू करते हुए भी विधायकों और सांसदों सहित किसी मंत्री द्वारा दिए गए बयान के लिए परोक्ष तौर पर सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। सरल शब्दों में कहें तो ये साफ है अगर कोई सांसद बयान देता है तो उसे पार्टी के साथ जोड़ना गलत होगा.

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जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली और जस्टिस बी आर गवई, ए एस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बी वी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया।

इसी पीठ ने एक दिन पहले 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। फैसले में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत उल्लिखित प्रतिबंधों को छोड़कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई अतिरिक्त प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, जो अनुच्छेद 19 का पालन करता है।

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क्या था मामला?
मामला कौशल किशोर बनाम उत्तर प्रदेश सरकार का है। ये 2016 की बुलंदशहर रेप की घटना से संबंधित है। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्य मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने इस घटना को एक ‘राजनीतिक साजिश’ करार दिया था। इसके बाद कुछ लोगों ने आजम खान के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सामने एक रिट याचिका दायर की और उन्हें बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश देने की बात भी कही।

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कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला राज्य के दायित्व और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संबंध में गंभीर चिंता पैदा करता है। इसके बाद इस मामले पर कई सवाल खड़े किए गए।

आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका… कही ये बड़ी बात..

उत्तर प्रदेश : सपा नेता आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है.तजा मामले में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के मामले में बेटे अब्दुला पर चल रहे केस को यूपी से बाहर ट्रांसफर करने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया है. आपको बता दे कि आजम ने अपनी इस याचिका में कहा था कि उनको यूपी में न्याय नहीं मिलेगा.

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सुप्रीम कोर्ट ने आजम की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा की इस मामले में सर्वोच्च अदालत के दखल की कोई वजह नहीं दिखती है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि राज्य में आपको न्याय नहीं मिलेगा, आप हाईकोर्ट जाएं, आप चाहे तो याचिका वापस लें. आजम खान की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हमारे क्लाइंट के खिलाफ 87 एफआईआर है और इन सभी मामलों को राज्य से बाहर स्थानांतरित किया जाए.

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कपिल सिब्बल ने कहा की हमको यूपी में न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है इसलिए कृपया सभी मुकदमों को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की कृपा करें. सर्वोच्च अदालत ने आजम खान के इस आग्रह को खारिज कर दिया और कहा ऐसा नहीं है की आपको राज्य में न्याय नहीं मिलेगा.

दुनिया हमारे देश को बहुत उम्मीदों से देख रही है: PM मोदी

DESK : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह में हिस्सा लिया और इस दौरान ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों और वेबसाइट का उद्घाटन किया।

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इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है, जिसके बल पर देश आगे बढ़ रहा है। उन्होंने ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा आज कि वैश्विक परिस्थितियों में पूरे विश्व की नजर भारत पर है।

भारत के तेज विकास, तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और मजबूत होती अंतरराष्ट्रीय छवि के बीच दुनिया हमें बहुत बड़ी उम्मीदों से देख रही है। इन सब के पीछे हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है। दुनिया भारत को बहुत उम्मीदों से देख रही है, एक ऐसा देश जिसके बारे में आशंका जताई जाती थी कि वे अपनी आज़ादी बरकरार नहीं रख पाएगा। आज वही देश पूरी सामर्थ्य से अपनी सभी विविधताओं पर गर्व करते हुए यह देश आगे बढ़ रहा है।

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पीएम ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें एक ऐसा संविधान दिया है, जो ओपेन व फ्यूचरिस्टिक है और अपने आधुनिक विजन के लिए जाना जाता है। इसलिए स्वाभाविक तौर पर हमारे संविधान की स्पिरिट यूथ सेंट्रिक है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान के प्रेंबल की शुरुआत में जो ‘वी द पीपुल’ लिखा है। यह सिर्फ तीन शब्द नहीं है। यह एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है। एक विश्वास है। मोदी ने कहा कि संविधान में लिखी यह भावना उस भारत की मूल भावना है, जो दुनिया में लोकतंत्र की जननी रहा है। ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ रहा है। यही भावना हमें वैशाली के गणराज्य में भी दिखती है वेद की ऋचाओं में भी दिखती है।

ज्ञानवापी पर SC का आदेश, जारी रहे ‘शिवलिंग’ मिलने वाली जगह का संरक्षण

DESK:  वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए अगले आदेश तक वजूखाने का संरक्षण जारी रखने का आदेश दिया है, जहां से ‘शिवलिंग’ मिला था। इससे पहले अदालत ने 12 नवंबर तक संरक्षण का आदेश दिया था, जिसकी तारीख शनिवार को खत्म हो रही थी। ऐसे में अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए इसे बढ़ाने का आदेश दे दिया है।

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हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच से अपील की थी कि इस संरक्षण को जारी रखा जाए। इस पर अदालत ने सुनवाई करते हुए 17 मई के अपने आदेश को जारी रखा। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 17 मई को आदेश दिया था कि ज्ञानवापी के अंदर जिस वजूखाने से शिवलिंग मिला था, उसे संरक्षित रखा जाए।

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फिलहाल वहां केंद्रीय बलों की तैनाती है और उसका संरक्षण किया जा रहा है ताकि उसके स्वरूप से कोई छेड़छाड़ न हो सके और यथास्थिति बनी रहे। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया, ‘सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग मिलने वाली जगह को सील रखे जाने के फैसले को अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया है। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर अर्जी पर जवाब देने के लिए हमें तीन सप्ताह का वक्त दिया है।

पूर्व PM राजीव गांधी हत्याकांड मामले में SC का बड़ा फैसला…दोषियों को किया रिहा

DESK:  पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद सभी छह आरोपियों को रिहा करने के आदेश दे दिया है। दोषियों नलिनी और आरपी रविचंद्रन दोनों ने समय से पहले रिहाई की मांग को लेकर शीर्ष अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था। न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायाधीश बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि मामले के दोषियों में से एक आरोपी ए. जी. पेरारिवलन के मामले में शीर्ष अदालत का पहले दिया गया फैसला इन दोनों के मामले में भी लागू होता है।

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ये 6 दोषी होंगे रिहा
राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी,  विचंद्रन,मुरुगन, संथन, जयकुमार,और रॉबर्ट पॉयस को रिहा करने के आदेश दिया है। पेरारिवलन पहले ही इस मामले में रिहा हो चुके हैं। संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत प्रदत्त शक्ति का इस्तेमाल करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसने 30 साल से अधिक जेल की सज़ा पूरी कर ली थी।

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1991 में हुई थी राजीव गांधी की हत्या
बता दें कि 21 मई 1991 की रात राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरुंबदूर में एक चुनावी सभा के दौरान हत्या कर दी गई थी। इसके लिए धानु नाम की एक महिला आत्मघाती हमलावर का इस्तेमाल किया गया था।

लोगों को सांस लेने दें, मिठाई पर खर्च कर; पटाखा बैन पर बोला सुप्रीम कोर्ट

DESK:  दिल्ली में पटाखों पर लगी संपूर्ण रोक को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका पर तुरंत सुनवाई की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस दौरान कहा कि ‘लोगों को साफ हवा में सांस लेने दें और अपने पैसे मिठाइयों पर खर्च करें।’ इससे पहले आज ही दिल्ली हाई कोर्ट ने भी दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर यह कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया कि मुद्दा अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

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इससे पहले हाईकोर्ट में दो व्यापारियों ने अपनी याचिका में जोर देकर कहा था कि डीपीसीसी द्वारा 14 सितंबर को लगाया गया “आखिरी मिनट का प्रतिबंध” मनमाना और अवैध है और उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। व्यापारियों का कहना था कि उच्च न्यायालय ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति दे।

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एक दिन पहले ही दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि राजधानी में पटाखों का उत्पादन, भंडारण और बिक्री सजा योग्य अपराध है। उन्होंने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने पर 5000 हजार रुपए जुर्माना और 3 साल तक जेल की सजा हो सकती है।

दुकान जाने के डर से ताजगंज के व्यापारी की मौत….आया हार्टअटैक

आगरा संवाददाता अजय यादव। आगरा के जिस घर में शादी की तैयारियां हो रही थीं, आज वहां पर मातम है। परिवार वालों को रो-रोकर बुरा हाल है। व्यापारी की मौत के बाद उनका परिवार टूट गया है। जिस बेटी के हाथ पीले करने के लिए सालों से ख्वाब सजाए थे, उस बेटी के सिर से पिता का साया उठ गया। हम बात कर रहे हैं, ताजगंज के व्यापारी प्रदीप अरोड़ा की। 50 साल के प्रदीप की मंगलवार दोपहर हार्ट अटैक से मौत हो गई। 26 जनवरी को उनकी बेटी स्नेहा की शादी होनी थी।

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परिजनों के मुताबिक, 27 सितंबर को जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था कि ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में कोई भी व्यवसायिक गतिविधि नहीं होगी। इसके बाद से ही प्रदीप तनाव में आ गए थे। प्रदीप की सब्जी मंडी के पास किराने की दुकान थी।

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80 साल पुरानी दुकान के एक दम से बंद होने के डर से वो सहम गए थे। मगर, जब एडीए ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए नोटिस जारी किए तो इससे उनको गहरा अघात लगा। इसके चलते उन्हें 6 अक्टूबर को हार्ट अटैक आया। उस समय उन्हें हॉस्पिटल ले गए तो उनकी जान बच गई थी।

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मृतक प्रदीप अरोड़ा के परिजनों का कहना है कि दुकान बंद होने के सदमे से हार्ट अटैक आने से उनकी मौत हुई

मृतक के साले मुकेश अरोड़ा ने बताया कि जब से एडीए ने 17 अक्टूबर का अल्टीमेटम दिया था, तब से वो गुमसुम रहने लगे थे। वो एक ही बात कहते थे कि दुकान बंद हो गई तो बेटी की शादी कैसे करूंगा। उनकी बेटी की 26 जनवरी को शादी होने वाली थी।

मतदाताओं को मुफ्त चुनावी उपचार बांटने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, CJI ने माना बेहद गंभीर मुद्दा…

DESK. चुनाव से पहले पार्टियों द्वारा मुफ्त उपहार बांटने के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। भारत के मुख्य न्यायधीश ने इसे एक बहुत ही गंभीर मुद्दा बताया। इसके साथ ही सीजेआई की तरफ से केंद्र सरकार से स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए कदम भी उठाने को कहा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने एक याचिका दायर की जिसमें चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह राजनीतिक दलों को चुनाव से पहले सार्वजनिक निधि से तर्कहीन मुफ्त का वादा करने या वितरित करने वाले दलों की मान्यता को रद्द किया जाए।

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नूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, गिरफ्तारी पर लगी रोक… अगली सुनवाई…

DESK : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में अपने खिलाफ दर्ज कई मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने के साथी गिरफ्तारी से राहत की मांग की है. सुनवाई के दौरान नुपुर शर्मा ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ से कहा कि  उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए. उन्होंने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद कई धमकियां मिलीं और कुछ घटनाओं का जिक्र भी किया

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नुपुर शर्मा ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया था और अपनी वापस ली गई याचिका को बहाल करने का आग्रह किया था. नुपुर शर्मा ने टीवी पर प्रसारित एक कार्यक्रम के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर की गई उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी के संबंध में दर्ज अलग-अलग प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने के आग्रह वाली याचिका को शीर्ष अदालत से पुन: बहाल करने का अनुरोध किया है.

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इतना ही नहीं, शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर की गई उनकी टिप्पणी के संबंध दर्ज अलग-अलग प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने के आग्रह वाली याचिका पर एक जुलाई को सुनवाई के दौरान अवकाशकालीन पीठ की ओर से की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने की भी गुजारिश की है

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने पैगंबर मोहम्मद खिलाफ टिप्पणी को लेकर कई राज्यों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ मिलाने की शर्मा की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गयी कार्यालय रिपोर्ट की जानकारी के मुताबिक इस संबंध में नुपुर शर्मा की रिट याचिका न्यायालय की ओर से एक जुलाई 2022 को खारिज कर दी गयी थी. याचिकाकर्ता नुपुर शर्मा की ओर से अधिवक्ता रचिता राय ने नौ जुलाई को एक याचिका दायर कर आदेश के स्पष्टीकरण की मांग की है. इसके अलावा नोटरीकृत हलफनामा दाखिल करने से छूट के लिए आवेदन के साथ उचित निर्देश जारी करने की भी मांग की गयी है.

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शीर्ष अदालत ने पैगंबर के खिलाफ शर्मा की विवादित टिप्पणियों के लिए उन्हें आड़े हाथों लिया था और कहा था कि उनकी ‘बेलगाम जुबान’ ने ‘पूरे देश को आग में झोंक दिया’ और देश में जो भी हो रहा है, उसके लिए वह ‘अकेले’ जिम्मेदार हैं. अदालत ने कहा था, “उनका अपनी जुबान पर काबू नहीं है और टीवी पर गैर जिम्मेदाराना बयान दिए और पूरे देश को आग में झोंक दिया. फिर भी वह 10 साल से वकील होने का दावा करती हैं…उन्हें अपनी टिप्पणियों के लिए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.?