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वैक्सीनेशन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, यूपी सरकार से मांगा प्लॉन

लखनऊ। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देख इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को वैक्सीनेशन के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि कोराना संक्रमण पर जल्दी काबू पाने के लिए वैक्सीन खरीदने की लंबी टेंडर प्रक्रिया अपनाने के बजाए वैक्सीन निर्माताओं से भारतीय राजनयिक के जरिये सीधा संवाद करे। कोर्ट ने कहा कि पूरे प्रदेश में टीकाकरण का कार्य तीन से चार माह में पूरा कर लिया जाए तभी इसका लाभ मिलेगा। अन्यथा तेजी से फैल रहे संक्रमण और तीसरी लहर की आशंका के बीच अब तक किया गया प्रयास बेकार हो जाएगा।

इतना ही नहीं अदालत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से टीके खरीदने का रास्ता सुझाया है और पूछा है कि इस प्रक्रिया को सरकार कैसे अंजाम देगी। कोर्ट ने टीकाकरण कार्यक्रम पर भी अगली सुनवाई पर योजना मांगी है। याचिका की सुनवाई 11 मई को होगी।

कोर्ट ने कहा कि सरकार प्रयास करे कि हर व्यक्ति को सुरक्षित किया जा सके। कोवैक्सीन और कोविशील्ड के अलावा और वैक्सीन बाहर से खरीदने के लिए सरकार ने वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए नियमों में ढील दी है। वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी और इसे कोई भी खरीद सकता है। सरकार की तरफ से बताया गया कि मई में साढ़े आठ करोड़ वैक्सीन उपलब्ध हैं।

सरकार ने गलती से खाते में भेज दिए ₹36 लाख, तो शिक्षिका ने ऐसे पेश की ईमानदारी की मिसाल

नई दिल्ली। खाते में कहीं से कुछ पैसे आए तो काफी सुकून मिलता है। लेकिन, अचानक बड़ी रकम आ जाए तो यह परेशानी का सबब भी बन जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ तुकमीरपुर स्थित राजकीय कन्या उच्चतर विद्यालय नंबर-एक की शिक्षिका वंदना चौहान के साथ हुआ। मंगलवार को सुबह आंख खुली तो पता चला कि कहीं से 36 लाख रुपये खाते में आए हैं। वह घबरा गईं। इसके बाद बैंक पहुंचकर इस संबंध में शिकायत दी कि उनके खाते में इतनी बड़ी रकम पहुंची हैं। बैंक ने जांच की तो पता चला कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से राशि जारी की गई है। वास्तव में यह रकम उप्र राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड के लिए जारी की गई थी, लेकिन तकनीकी गलती से शिक्षिका के खाते में पहुंच गई। बहरहाल, बैंक ने उक्त राशि को फ्रीज कर दिया है। इस संबंध में उप्र सरकार और राशि जारी करने वाले बैंक को सूचना दे दी गई है।

बता दें कि वंदना अपने परिवार के साथ नेहरू विहार में रहती हैं। उनके पति मोहित कुमार राजकीय बाल उच्चतर विद्यालय नंबर-दो में शिक्षक हैं। वंदना ने बताया कि सुबह मोबाइल में आए मैसेज को देखा तो पता चला कि 36 लाख रुपये कहीं से खाते में आए हैं। उन्होंने तुरंत अपने पति को इसकी जानकारी दी। इसके बाद स्कूल पहुंचीं। स्कूल से छुट्टी के बाद वह पति को लेकर ज्योति नगर, लोनी रोड स्थित आइडीबीआइ बैंक की शाखा में पहुंचीं जहां उनका खाता है। शाखा प्रबंधक को उन्होंने मामले की जानकारी दी। बैंक कर्मियों ने जांच की पता चला कि यह रकम लक्ष्मी भवन, निशातगंज, लखनऊ स्थित पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से जारी हुई है।

पीएनबी में संपर्क करने पर पता चला कि उप्र सरकार की तरफ से इस राशि का भुगतान राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड को किया गया था। इस एजेंसी का खाता आइडीबीआइ बैंक के लखनऊ शाखा में है। तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ है। इसके बाद बैंक ने उनके खाते में पड़े 36 लाख रुपये को फ्रीज कर दिया है। बाकी रकम वह इस्तेमाल कर सकती हैं। वंदना ने बताया कि यह उनका वेतन का खाता है। इसमें वेतन के अलावा कुछ नहीं आता है। वेतन दो दिन पहले ही आ चुका था।

रिपोर्ट- जसवंत गोयल दिल्ली

आजम खान को एक और झटका, यूपी सरकार के नाम दर्ज होगी जौहर ट्रस्ट की 70 हेक्टेयर जमीन  

रामपुर। समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की मुश्किलें दिन- प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। शनिवार को कोर्ट ने जौहर ट्रस्ट की 70.05 हेक्टेयर जमीन उत्‍तर प्रदेश सरकार के नाम दर्ज करने का आदेश दिया है। यह जमीन अभी तक आजम खान की जौहर ट्रस्ट के नाम पर थी।

बता दें कि समादवादी पार्टी के सांसद आजम खान मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रस्ट ने शासन से 12.5 एकड़ जमीन खरीदने की अनुमति ली थी, लेकिन नियमों की अनदेखी करते हुए ट्रस्ट ने करीब 70 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन खरीद ली।

आरोप है कि इस दौरान जमीनों पर अवैध कब्जे भी किए गए और सरकारी नियमों में फेरबदल किया गया। जिसके मद्देनजर एडीएम जेपी गुप्ता की कोर्ट ने शनिवार को यह फैसला सुनाया।