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नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी ने लगाया कैंप, नारी सशक्तिकरण को लेकर महिलाओं को किया जागरुक

नई दिल्ली। दिल्ली के बवाना इलाके में नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के मकसद से प्रगति एनजीओ के सहयोग से नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी द्वारा एक जागरूकता कैंप का आयोजन किया गया। इस जागरूकता कैंप में जाने माने कानूनिदों ने उपस्थित होकर महिलाओं को जागरूक करने का काम किया।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर देशभर में जश्न का माहौल आज भी बदस्तूर जारी है। जगह-जगह नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी फेहरिस्त में दिल्ली के बवाना इलाके में नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी द्वारा प्रगति एनजीओ की मदद से जागरूकता कैंप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस ऑथोरिटी के मेम्बर सेक्रेटरी कंवलजीत अरोड़ा और नोर्थ डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी के सेक्रेटरी हरजीत सिंह जसपाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।

कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का काम किया गया। साथ ही महिलाओं तक कानून की जानकारियां भी उपलब्ध कराई गई। कार्यक्रम के दौरान जाने माने कानूनविद जजों ने भाग लेकर बताया कि लीगल सर्विस कैसे लोगों के काम आती है। इस दौरान उपस्थित सभी अतिथियों ने बताया कि कैसे बिना कोई फीस दिए कोई भी महिला या समाज से जुड़ा गरीब व्यक्ति लीगल सर्विस अथॉरिटी की मदद लेकर अपना मुकदमा लड़ सकता है या कानून की जानकारी पाकर अपने साथ या समाज में हुए किसी अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकता है।

गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर देशभर में महिलाओं के सम्मान अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, और इसी फेहरिस्त में नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के मकसद से प्रगति एनजीओ की से बवाना में नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, ताकि नारी सशक्त बने और अपने अधिकारों को लेकर मजबूत बने।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पढ़िए रमा तिवारी की कहानी, जिला ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का नाम किया रोशन

नई दिल्ली। देश की महिलाएं आज लगभग सभी क्षेत्रों में पुरुषों को कड़ी टक्कर दे रही हैं। आज महिलाएं पुरुष के कंधे से कंधा मिलकर साथ ही नहीं बल्कि उनसे 2 कदम आगे चल रही हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे है जो गंगा प्रहरी के रूप में न सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत को सफल बना रही है। बल्कि भारत सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे के अंर्तगत उत्कृष्ट कार्य करते हुए मां गंगा की सेवा में लगी हुई है।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी इस बेटी की अटूट मेहनत को देखते हुए सम्मानित किया है। कन्नौज जिला मुख्यालय से सटे करीब 10 किलोमीटर दूर गंगागंज मेंहदीघाट गांव की रहने वाली रमा तिवारी महज 25 वर्ष की उम्र में एक अलग पहचान हासिल कर चुकी हैं। रमा ने समाजशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इतना ही नहीं रमा गंगा घाट पर आने वाले श्रद्धालुआओं, मछुवारों के साथ-साथ ग्रामीणों में स्वच्छता की अलग जगा रही हैं। उनकी टीम गांव-गांव जाकर स्वच्छता का पाठ पढ़ा रही है।

किसान की बेटी हैं रमा

जिले के छोटे से गांव गंगागंज मेंहदीघाट के रहने वाले गंगा जगमोहन तिवारी पेशे से किसान है और मां मीना तिवारी गृहणी है। बावजूद इसके रमा ने अपने सपनों को साकार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मेहनत का ही नतीजा है कि आज वह जिले की यूथ आईकॉन के रूप में पहचानी जाती हैं। रमा तिवारी बताती है कि जब उन्हें स्वच्छता ग्राही के बारे में जानकारी मिली तो लोगों के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा जागी। जिसके बाद उन्होंने विकास भवन पहुंचकर स्वच्छताग्राही के बारे में जानकारी ली साथ ही स्वच्छता ग्राही का फार्म भर दिया। वह बताती हैं कि उनका सलेक्शन स्वच्छता ग्राही में हो गया। जिसके बाद तिर्वा मेडिकल कॉलेज में पांच दिवसीय ट्रेनिंग दी गई। उसके बाद उन्होंने लोगों में स्वच्छता की अलख जगाने का काम शुरू कर दिया।

कड़ी मेहनत से कभी हार नहीं मानी- रमा तिवारी

रमा ने बताया कि स्वच्छताग्राही बनने के बाद सबसे पहले उनको अपनी ही ग्राम पंचायत मेंहदीपुर ओडीएफ बनाने की जिम्मेदारी मिली। बताया कि गांव में काम करना मुश्किल था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। लोगों को स्वच्छता के बारे में बताने व गंगा को साफ सुथरा रखने के लिए जागरूक किया। जल्द ही इसमें कामयाबी भी मिली। गंगा किनारे बसे गांवों में पहली ओडीएफ ग्राम पंचायत मेहंदीपुर होने का दर्जा भी मिला। जिसके बाद डीएम ने सम्मानित भी किया।

चौपाल लगाकर लोगों को किया जागरूक

रमा बताती है कि ग्राम पंचायत के बाद उनको ब्लॉक स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी गई। गांव-गांव जाकर लोगों को ट्रेनिंग देने के साथ साथ जोड़ने का काम किया। जिसके बाद टीम गंगा घाट पर जाकर लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने का काम शुरू किया। बताया कि सबसे पहले घाट पर रहने वाले बाबाओं से मिशन की शुरूआत की। उसके बाद मछुवारों और फिर गंगा स्नान को आने वाले श्रद्धालुओं को साफ सफाई के बारे में जानकारी दी। घाटों पर कूड़ा करकट न फैले इसके लिए जगह जगह टीन के डस्टबिन भी रखवाएं। रमा बताती है कि लोगों को सभा, चौपाल लगाकर, रैलियों के माध्यम से स्वच्छता का अलख जा रही है। आज उनके साथ करीब 30 युवक-युवतियां गंगा प्रहरी बनकर काम कर रहे है। पूरी टीम गंगा घाट पर श्रमदान कर स्वच्छ बनाने का काम करती है।

गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए लोग बढ़चढ़ कर आगे आ रहे है। लोग गंगा दूत बनकर मिशन को आगे बढ़ा रहे है। रमा ने बताया कि गंगा किनारे बसे प्रत्येक गांव से 10-10 लोग गंगा दूत बनकर जुड़े है। जो गांव गांव स्वच्छता का पाठ पढ़ा रहे है। रमा ने बताया कि उनको कन्नौज ब्लॉक व गुगरापुर ब्लॉक का गंगा प्रहरी टीम लीडर की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।

रमा तिवारी का कहना है कि नेहरू युवा केंद्र में उनका एक युवती क्लब भी बना हुआ है। नेहरू युवा केंद्र में उनको अब ट्रेनर्स के तौर पर बुलाया जाता है। जहां युवतियों को ट्रेनिंग देकर आगे बढ़ने में मदद करती है। बताया कि उनका क्लब रक्तदान, वृक्षारोपण, जल संरक्षण जैसे सामाजिक कामों में सहयोग करता है।

कोरोना काल में बच्चों को दी निशुल्क शिक्षा

रमा बताती है कि कोरोना काल में स्कूल बंद होने पर गांव के छोटे-छोटे बच्चे दिन पर घूमते रहते थे। बच्चों को घूमता देख उनको पढ़ाने का विचार आया। जिसके बाद उन्होंने बच्चों के घर घर जाकर मां-पिता से बात की। बच्चों को निशुल्क क्लास में पढ़ने के लिए प्रेरित किया। बताया कि 5 बच्चों के साथ उन्होंने क्लास को शुरू किया था। धीरे-धीरे मेहनत रंग लगाई। अब क्लास में करीब 40 बच्चे पढ़ने आ रहे है। बताया कि अब दूसरे गांवों से भी बच्चों को निशुल्क क्लास लगाने के लिए लोग आकर संपर्क कर रहे है। बताया कि जल्द ही गंगा किनारे बसे दाईपुर, मित्रसेनपुर, महमूदपुरबीजा गांव में निशुल्क क्लास शुरू करने जा रही है।

रमा तिवारी सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है। उन्होंने नमामि गंगे, स्वच्छ भारत मिशन, ग्रामीण व युवा कल्याण समेत कई क्षेत्रों में काम कर रही है। उनको अब तक करीब 12 से ज्यादा राज्य स्तर व जिला स्तर पर अवार्ड देकर सम्मानित किया जा चुका है। जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें विवेकानंद यूथ अवार्ड से सम्मानित किया था। इसके अलावा गजेंद्र सिंह शेखावत ने नमामि गंगे अवार्ड, उमा भारतीय ने गंगा ग्राम स्वच्छता सम्मेलन अवार्ड देकर सम्मानित किया है। वहीं उपेंद्र तिवारी ने आदर्श युवा यूथ आईकॉन अवार्ड से सम्मानित किया है। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी उन्हें यूथ आईकॉन अवार्ड से सम्मानित किया है। जिला स्तर पर पूर्व राज्यमंत्री अर्चना पांडेय ने लोकल चैम्पियन अवार्ड से सम्मानित किया। इसके अलावा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ समेत कई अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

बेटियों को परिवार सहयोग जरूर दे- रमा

रमा तिवारी ने कहा कि गांव में अभी भी लोग बेटियों पर अंकुश लगाते है। उनको आगे बढ़ने से रोकते है। बेटियों को परिवार के लोग थोड़ी सी भी मदद करें तो वह बेटों से आगे निकल सकती है। पढ़ी लिखी बेटी अपने माता पिता के घर के अलावा पति का घर भी रोशन कर सकती है। पिता गंगा जगमोहन व मां मीना तिवारी ने बताया कि जब बेटी को प्रदेश स्तर पर नामचीन हस्तियों के हाथों अवार्ड मिलता है तो गर्व महसूस होता है। आज लोग बेटी के नाम से पहचानते है। यह माता पिता के लिए गर्व की बात है। सीना फर्क से चौड़ा हो जाता है।

बिहार के मुजफ्फरपुर में सामने आई शर्मसार कर देने वाली घटना, 5 युवकों ने 10वीं की छात्रा के साथ किया गैंगरेप

देश में बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा का सवाल अभी भी वहीं खड़ा हुआ है, सरकारें आती हैं जाती हैं मगर,  महिला सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं किया जाता हैं। जब भी कोई बड़ी घटना सामने आती हैं, तब सरकार के हाथ-पांव फूल जाते है, और तुरंत कार्रवाई शुरु कर दी जाती है। मगर, उस घटना के निपटने के बाद हालात वैसे ही हो जाते हैं ।

हाल में मुजफ्फरपुर क्षेत्र में दिल दहला देने वाली घिनौनी घटना सामने आई है। बता दें, कोचिंग से घर की तरफ लौट रही 10वीं की छात्रा को अगवा कर उसके साथ 5 दरिंदों ने गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया। यह घटना सोमवार शाम की है, और लापरवाह पुलिस के चलते केस 3 दिन बाद दर्ज किया गया।

सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है की जिस वक्त वारदात हुई छात्रा अपनी कोचिंग से अपने घर की तरफ लौट रही थी, उस समय मंचलों ने छात्रा को अगवा कर लिया। सुजावलपुर क्षेत्र में एक बंद पेट्रोल पंप के कमरे में  छात्रा के साथ दरिंदों ने बंदुक की नोक पर इस घिनौनी घटना को अंजाम दिया। घटना स्थल से किसी तरह भाग कर मासूम पिडीता सड़क तक पहुंची, वहां एक राहगीर की नजर पिड़ीता पर पड़ी, और उसने इस घटना की जानकारी युवती के परिजनों को दी। मौके पर पहुंचे परिजनों ने मामले की जानकारी फौरन पुलिस को दी, मगर पुलिस मानों किसी गहरी नींद में थी और इस मामले पर कोई कारवाही नहीं की गई।

बता दे, पिड़ीता के परिवार नें एक आरोपी को पकड भी लिया था, मगर पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। पूरे 3 दिन बाद मामले को पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। पिड़ीता को मेडिकल चेकअप के लिया भेज दिया गया और आगे की कार्रवाई जारी है।

 

 

 

16 दिसंबर 2012 की वो मनहूस रात, निर्भया की मां के हौसले बुलंद

16 दिसंबर 2012 की रात देश के लिए किसी मनहूस रात से कम नहीं थी। आज इस कांड को पूरे 8 साल हो चुके है, मगर हमारे जहन से आज भी वो दिल्ली की दर्दनाक तस्वीरें उतरी नहीं है । हर मां बाप की आंखों में खौफ के आंसू आज भी है। दिल्ली की दौड़ती सड़कों पर इस घिनौनी हरकत के बाद भी हर दिन बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे है। देश की ना जाने कितनी बेटियों ने अपनी जान गवाई है और बार बार प्रशासन को याद दिलाना पड़ा है कि बस अब और नहीं । मगर 2012 हो या 2020 हाल कुछ बदले नहीं है आज भी बच्चियां अपनी इज्जत का बलिदान दे रही है।

आज निर्भया की मां आशा देवी ने अपनी बलात्कारियों के खिलाफ शुरू की अपनी मुहिम के लिए कहा कि मेरी बेटी को इंसाफ मिल गया है और चार दोषियों को फांसी हुई। 2012 के बाद मैं आठ साल तक लड़ी। हम आगे भी दूसरी बच्चियों के इंसाफ के लिए लड़ते रहेंगे। जो हर साल हम प्रोग्राम करते थे इस साल कोरोना की वजह से नहीं कर पाएंगे लेकिन ऑनलाइन प्रोग्राम करेंगे।

आगे उन्होंने कहा कि किसी के भी मन में कानून का खौफ नहीं है। कानूनों में जो भी कमियां हैं उसे सरकार और कानून जल्द दूर करे। जब हमारा सिस्टम और सरकार जिम्मेदारी से काम करेगा तभी अपराध रुकेंगे। निर्भया केस का फैसला बेशक हो गया लेकिन इससे देश में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में कमी नहीं आई है।

 इतना ही नहीं निर्भया के पिता ने हादसे की याद में एनजीओ सेव द चिल्ड्रन तथा युवा की ओर से शुरू की गई ऑनलाइन पेटिशन में शामिल होते हुए कहा कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। उन्होंने ये भी कहा की इस से पहले मुझे बोलते हुए नहीं सुना होगा। आज मैं समझता हूं मेरी आवाज सुनना आपके लिए जरूरी है। मेरा नाम बद्रीनाथ सिंह है। उस हादसे के बाद मुझे निर्भया के पिता के रूप में ही जाना गया। और आगे भी मुझे जीवन भर इसी पहचान से जाना जाएगा

आगे निर्भया के पिता ने कहा कि आठ साल पहले जब मेरी बेटी मुझसे छीन ली गई तो महिलाओं की अगुवाई में लोग सड़कों पर उतरे और इंसाफ के लिए मेरे परिवार की लड़ाई को अपनी लड़ाई बना लिया। मैंने सोचा था यह केस हमारे देश को हमेशा के लिए बदल देगा लेकिन आज भी समाचार देखता हूं तो हर दिन किसी न किसी बेटी से दरिंदगी की खबर होती है। निर्भया के बाद भी कुछ नहीं बदला है।