उत्तराखंड।पर्वतीय जिलों में निवेश बढ़ाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से निवेश की योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं।
हालत यह है कि पहाड़ में निवेश के इच्छुक लोग भी खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं। परियोजनाओं की स्थापना में कई ऐसी अड़चने हैं जिन्हें दूर कर निवेश को सफल बनाया जा सकता है लेकिन ऐसा न होने से निवेशक मुसीबत में पड़ गए हैं।
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में बंजर पड़ी जमीनों का उपयोग कर उद्योंगो की स्थापना के लिए सरकार सौर परियोजना योजना लेकर आई थी। राज्य के इतिहास में पहाड़ के मतलब की इससे अच्छी अभी कोई दूसरी योजना नही है। लेकिन तकनीकी कारणों से उधमी इसमे फंसकर रह गए हैं।
जमीन, लोन और यूपीएसीएल की ओर से लाइन बिछाने में हो रही देरी से पिछले साल आवंटित 20 प्रतिशत उद्योग भी अभी तक धरातल पर नही उतर पाए हैं। अक्षय ऊर्जा एसोसिएशन के सचिव मनीष कठैत के अनुसार इन परियोजनाओं की स्थापना के लिए सरकार ने 31 मार्च अंतिम तिथि तय की है।
उसके बाद प्लांट की स्थापना पर पैनाल्टी का प्रावधान किया गया है। यदि कोई उद्योग नही लगाता है तो फिर निवेशक की सिक्यॉरिटी जब्त हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि योजना बहुत अच्छी है लेकिन तकनीकी दिक्कतों की वजह से अभय तक 20 प्रतिशत भी प्लांट नही लग पाए हैं। उन्होंने बताया कि योजना की अंतिम तिथि बढ़ाने और पैनाल्टी का प्रावधान खत्म करनेवके लिए यू आर सी में आवेदन किया जा रहा है।