दुनिया भर में कोरोना टीकाकरण अभियान बड़े पैमाने पर जारी हैं। जॉन्स हॉपकिन्स कोरोना वायरस रिसोर्स सेंटर के अनुसार, महामारी के कारण 22 लाख से अधिक लोगों की जान जाने के आंकड़े सामने आए है। जबकि वैक्सीन निर्माताओं का दावा है कि उलंनके टीके यूके और दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोनो वायरस के उत्परिवर्ती उपभेदों से प्राप्तकर्ता को ढाल सकते हैं, अमेरिका के एक कोरोना रोगी के मामले ने वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा दिया है।
बता दें, रोगी 45 वर्षीय व्यक्ति को पहले बोस्टन में ब्रिघम और महिला अस्पताल में पिछले साल भर्ती कराया गया था और बाद में कोरोना के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया था। कई महीनों तक वायरस से जूझने के बाद उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन एक ऐसी केस फाइल को पीछे छोड़ दिया,जिसने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है।
इस घटना में यह निकल कर सामने आ रहा है की रोगी एंटीफॉस्फोलिड सिंड्रोम नामक एक दुर्लभ विकार से भी ग्रस्त था।
बता दें की वैज्ञानिकों ने पाया कि 154 दिनों के दौरान मरीज का कोरोना के लिए इलाज किया जा रहा था,उसके शरीर में वायरस कई बार उत्परिवर्तित हुआ। सूत्रों के मुताबिक उत्परिवर्तन वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर केंद्रित था।
इस संबंध में एक अध्ययन से अब पता चलता है कि कोरोना रोगियों में जिनकी बीमारी लंबे समय तक चली है उनमें , कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स होने की संभावना जताई जा रही है।