22 जनवरी को रामलला आये और अब भोले के भक्तों को महादेव के आने का इंतजार है. पहले राम मंदिर के लिए हिन्दू पक्ष ने कोर्ट में लंबी लडाई लड़ी और अब एक बार फिर हिन्दू पक्ष इतिहास दोहराने के लिए तैयार है. राम मंदिर बनने से पहले ही नारे लगने लगे थे कि अय़ोध्या तो बस अभी झांकी है काशी मथुरा बाकी है और ठीक ऐसा ही होता भी नजर आ रहा है. पहले रामलला की प्राण प्रतिष्ठता फिर कुछ दिन बाद ज्ञानवापी पर एएसआई की सर्वे रिपोर्ट. जिसमें इस बात के प्रमाण मिले कि जिस जगह मौजूदा निर्माण है पहले वहां मंदिर था और फिर कुछ दिन के अंदर बनारस जिला कोर्ट का फैसला आया जिसमें हिंदू पक्ष को व्यास जी तहखाने में पूजा का अधिकार मिल गया.खैर अब कोर्ट का फैसला आ चुका है और व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना भी शुरू हो चुकी है लेकिन आज हम आप को प्वाइंट में बताएंगे की अब तक फैसला आने से पहले क्या कुछ हुआ ज्ञानवापी केस में.
- काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ था. याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई. प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल थे.
- मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजास्थल कानून बना दिया. ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजास्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजास्थल में नहीं बदला जा सकता. अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है.
- अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया था. लेकिन ज्ञानवापी मामले में इसी कानून का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी. 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया.
- 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि किसी भी मामले में स्टे ऑर्डर की वैधता केवल छह महीने के लिए ही होगी. उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा.
- इसी आदेश के बाद 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई.
- 2021 में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दी गई.
- आदेश में एक कमिशनर नियुक्त किया गया और इस कमिशनर को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए. 10 मई तक अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी थी.
- छह मई को पहले दिन का ही सर्वे हो पाया था, लेकिन सात मई को मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। मामला कोर्ट पहुंचा.
- 12 मई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने कमिश्नर को बदलने की मांग खारिज कर दी और 17 मई तक सर्वे का काम पूरा करवाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि जहां, ताले लगे हैं, वहां ताला तुड़वा दीजिए. अगर कोई बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई करिए, लेकिन सर्वे का काम हर हालत में पूरा होना चाहिए.
- 14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया. याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी. शीर्ष अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने से इनकार करते हुए कहा था कि हम बिना कागजात देखे आदेश जारी नहीं कर सकते हैं. मामले की सुनवाई 17 मई को करने को कहा.
- 14 मई से ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ. सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की जांच हुई. इस पूरे प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी भी हुई.
- 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ. हिंदू पक्ष ने दावा किया कि कुएं से बाबा मिल गए हैं. इसके अलावा हिंदू स्थल होने के कई साक्ष्य मिले. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला.
- इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने पूजा स्थल कानून 1991 का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिका खारिज करने की मांग की. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जल्द से जल्द सुनवाई का आदेश दिया था.
- 12 सितंबर को कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी और कहा कि इस मामले में सुनवाई जारी रहेगी.
- 12 सितंबर को ही इस मामले से जुड़ी पांच याचिकाओं को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इनमें से तीन पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
- 24 जनवरी 2024 को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया. जिला जज ने वादी पक्ष को सर्वें रिपोर्ट दिए जाने का आदेश दिया.
- 25 जनवरी 2024 को रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई. रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है. इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई.
- 31 जनवरी 2024 को वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी.
और अब साल 2024 में कोर्ट के फैसले के बाद ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर व्यास तहखाने में नियमित पूजा शुरू हो गई है. ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में रोज पांच आरती का समय भी तय हो गया है. सबसे पहले मंगला आरती होगी, उसके बाद भोग आरती, अपराह्न् आरती, संध्या आरती और शयन आरती होगी. वाराणसी कोर्ट का फैसला आने के कुछ घंटे बाद ही आधी रात में ज्ञानवापी के अंदर मंत्र गूंजने लगे. शंख और घंटे की ध्वनि के बीच हर हर महादेव का जयघोष होने लगा हालांकि, फैसले के विरोध में मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी-ज्ञानवापी करता इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया कोर्ट में याचिका दायर की. मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी के जिला अदालत में भी अर्जी देकर हिंदू पक्ष को उस स्थान पर पूजा करने से रोकने के लिए अदालत से अनुरोध किया है.लेकिन अब जिला कोर्ट… हाई कोर्ट… सुप्रीम कोर्ट… तीन कोर्ट से ठोकर खाने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी बड़बोले पन पर उतर आये हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया कि कानून की किताबों को आग लगा दो……..मगर अब बड़बोले पन से बौखलाने से कुछ नहीं होगा क्योंकि 30 साल बाद हिंदू पक्ष को वयास जी तहखाने में पूजा का अधिकार मिल गया है ..जिसके बाद अब ज्ञानवापी बम-बम के जयकारे गूंजने लगे है