विवादित ढांचा विध्वंस की बरसी आज, समूची अयोध्या शौर्य या शर्म से आगे बस सृजन के धर्म को अंगीकार कर चुकी है
विवादित ढांचा विध्वंस की बरसी आज, समूची अयोध्या शौर्य या शर्म से आगे बस सृजन के धर्म को अंगीकार कर चुकी है
अयोध्या में रामनगरी के जिस प्राचीन रामकोट मुहल्ले में रामजन्मभूमि है, उसी के नुक्कड़ पर स्थित रामप्रियाकुंज के महंत उद्धौशरण नितनेम के बाद घमौनी (धूप सेंकना) कर रहे हैं। सामने से श्रद्धालुओं का जत्था लगातार रामनगरी की ओर बढ़ रहा है। कहीं कोई तनाव या चिंता की लेशमात्र भी उपस्थिति नहीं है। डर और आशंका से परे चहुंओर बस उत्साह-उल्लास का समावेश है। हनुमानगढ़ी, रामलला के जन्मस्थान से लेकर समूची रामनगरी पूरे निश्चिंत भाव से पुण्य सलिला सरयू की पूरी रौ में प्रवाहमान है। सहज ही एहसास होता है कि स्याह स्मृतियां भुला अयोध्या सृजन की राह चुन चुकी है।
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सुबह आठ बजे का वक्त है। घंटे-घडिय़ाल की ध्वनियों के बीच अवधपुरी की सड़कों पर श्रद्धालुओं का रेला उत्सवी माहौल सृजित कर रहा है। बजरंगबली की प्रधानतम पीठ पर श्रद्धालुओं की जुटान से सामने की सड़क भी ठसाठस है। यहां से रामलला के जन्म स्थान की ओर बढ़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ के संग हम भी बढ़ते हैं। कुछ दूरी पर आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ास्थान के महंत बिंदुगाद्याचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य से मुलाकात होती है। उन्हें याद ही नहीं कि सोमवार को ढांचा ढहाये जाने की बरसी है। बोल पड़ते हैं कि वह इस तारीख को याद भी नहीं रखना चाहते हैं। कहते हैं- जब गगनचुंबी राम मंदिर के साथ संपूर्ण अयोध्या शिखर का स्पर्श करेगी, बस अब उस दिन की प्रतीक्षा है। बगल ही स्थित मंगलभवन एवं रामसुंदरधाम के महंत रामभूषणदास कृपालु रामनगरी के बदले माहौल से गदगद हो कहते हैं, आज भव्य राममंदिर के साथ दिव्य रामनगरी के निर्माण की प्रशस्त होती संभावनाएं परम संतोष देने वाली हैं। नौ बज चुके हैं। रामलला के दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी है। इसी कतार में रायपुर के युवा सुरेश भौमिक से बात होती है। पूछने पर पता चलता है कि वह ढांचा ध्वंस की बरसी उन्हें याद नहीं है। भाव में डूबकर कहते हैं-हम तो मंदिर का निर्माण देखने आए हैं। उनकी स्मृतियों को टटोलने पर दिव्य राम की पैड़ी का विश्व रिकार्डधारी भव्य दीपोत्सव ताजा हो जाता है। दर्शन के बाद वह वहीं जाने वाले हैं।
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न शौर्य, न शर्म…बस सृजन ही धर्मः सर्वोच्च फैसला आने के बाद पिछले वर्ष ही विहिप ने शौर्य दिवस खत्म करके जो पहल की उसका असर दिख रहा है। समूची अयोध्या शौर्य या शर्म से आगे बस सृजन के धर्म को अंगीकार कर चुकी है। पीढिय़ों से विवादित मस्जिद के पक्षकार रहे मो. इकबाल मुहल्ला कोटिया स्थित अपने आवास के सामने आराम फरमाते मिलते हैं। पूछते ही कहते हैं-मैंने तो फैसला आने के साथ ही विवाद खत्म कर दिया और सभी से मेरा यह कहना है कि विवाद को पीछे छोड़ अपनी और मुल्क की तरक्की में लगें, यही वक्त की मांग है। यह विकास अयोध्या में पग-पग में नजर भी आने लगा है। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के साथ श्रीराम एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन का पुनर्निर्माण, हाईवे सहित आंतरिक मार्गों का उच्चीकरण आदि से जुड़ी विकास की योजनाएं मूर्तरूप ले रही हैं। नव्य अयोध्या के लिए 12 सौ एकड़ जमीन में से आधी का अधिग्रहण हो चुका है। नया बस अड्डा बनकर तैयार है तो वहीं शहर के सारे बिजली के तार भूमिगत किए जा रहे हैं।
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