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क्षत्रिय पढ़ना जरूर ये सच्चाई है आप इसको जब मानोगे तब सब कुछ खत्म हो जाएगा

क्षत्रिय पढ़ना जरूर ये सच्चाई है आप इसको जब मानोगे तब सब कुछ खत्म हो जाएगा

#क्षत्रिय पढ़ना जरूर ये सच्चाई है आप इसको जब मानोगे तब सब कुछ खत्म हो जाएगा#
संघ का दीर्घकालीन एजेंडा है कि हिन्दू समाज मे सिर्फ दो जातियाँ रहे एक ब्राम्हण और एक सामान्य हिन्दू। इसीलिए संघ हिन्दू वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत शूद्र वर्ण में आने वाली जातियों का क्षत्रियकरण कर रही है, वो समाज मे जाति और गोत्र के नाम पर इतना भ्रम उत्पन्न कर रही है कि लोग स्वतः ऊबकर जाति पाँति से दूर हो जाये । इसमें नुकसान सिर्फ क्षत्रियों का है क्योंकि न अब राजपूतों के राज रहे न ही जमीदारी और जमीन । जो अतीत का गौरव था जिस पर राजपूत गर्व की अनुभूति करता था उसे संघ द्वारा विवादित कर स्वाभिमान और सम्मान पर भी प्रहार किया जा रहा है। संघ जानता था की क्षत्रिय उसके राष्ट्रीय एकात्मवाद के सिद्धांत में बाधक बनेंगे अतः उन्होंने सबसे पहले क्षत्रिय महापुरुषों को विवादित कर सिर्फ हिन्दू घोषित किया और और राजपूतों के टाइटल अन्य वर्गों को लिखने के लिए प्रेरित किया(1931 कि जनगणना और ब्रिटिश गजेटियरों में जो जातियाँ अपना टाइटल वर्तमान में बदली है इन दस्तावेजों में उन्होंने अपनी मूल जाती ही लिखवाया है उदारहण इन अहीर को अहीर ही लिखा गया है ) जिससे समाज मे भ्रम उत्पन्न करके नकली छतरी उत्पन्न किए जा सके। और राजपूत समाज को कई अन्य समाज से लड़वाकर इनकी सामाजिक और राजनैतिक हैसियत को खत्म किया जा सके। सबूत के लिए संघ के नागपुर कार्यालय से छपने वाले साहित्य को देखे। संघ समाज मे सबसे ज्यादा विजातीय शादियों को प्रोत्साहित करता है।
संघ उन राजपूत नेताओं को आगे बढ़ाने में मदद करता है जो राजपूत समाज के लिए घातक होते है उदाहरण के लिए संघ ऐसे नेताओं को आगे बढ़ाता है जो विजातीय शादी या समगोत्रीय विवाह किए होते है ऐसे लोगो को आइकॉन बनाकर संघ क्षत्रिय समाज के युवकों को दिग्भ्रमित करना चाहता है।अतः हमारा मूल दुश्मन संघ है ना कि कोई जाति या जातीय संघटन सभी विवादों के मूल में संघ है। और हम लोगो ने इस समस्या का निराकरण नही किया तो इसी देश मे संघ हमें विदेशी घोषित करवाकर हमारे दुर्दिन को ला देगा आपको पता नही है कि इन 75 वर्षों में आपने क्या नही खोया । आपके मान सम्मान स्वाभिमान सब पर चोट किया गया। आज लोग जौहर, शाका, और जुझार का मजाक उड़ा रहे हैं और हम कुछ नही कर पा रहे है । हमें सामंती कहा जाता है हमारे पूर्वजों ने ये बलिदान समाज के लिए किया था और वही समाज हमारा मजाक उड़ा रहा है। सबसे पहले हम क्षत्रियों को क्षेत्र और कुलों के आधार पर नही बटना है राजपूत चाहे कश्मीर का हो या नेपाल का गुजरात का हो या उत्तर प्रदेश का राजपूत सिर्फ राजपूत है। कुल चाहे जो भी हम एक है । अगर हम एकजुट नही हुए तो हमारा कोई अस्तित्व नही होगा। ये ध्यान रहे।

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