भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर अमेरिका से बहुत अच्छी खबर आई |
भारत बायोटेक-आइसीएमआर-एनआइवी ने विकसित किया है |
भारत बायोटेक-आइसीएमआर-एनआइवी ने किया है विकसित
बता दें कि हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) और पुणे की राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) के साथ मिलकर कोवैक्सीन को विकसित किया है और कंपनी भारत के साथ ही दूसरे देशों में इसका वितरण भी कर रही है।
भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर अमेरिका से बहुत अच्छी खबर आई है। अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान एनआइएच ने कोवैक्सीन को कोरोना वायरस के सबसे खतरनाक वैरिएंट डेल्टा के खिलाफ बहुत अधिक प्रभावी बताया है। अमेरिकी संस्था के मुताबिक को-वैक्सीन अल्फा वैरिएंट के खिलाफ भी कारगर है।
एनआइएच ने कहा है कि को-
वैक्सीन लेने वाले लोगों के ब्लड सीरम को लेकर दो अध्ययन किए गए। दोनों ही अध्ययनों में यह देखने को मिला कि वैक्सीन मजबूत एंटीबाडी पैदा करती है जो अल्फा यानी बी.1.1.7 और डेल्टा यानी बी.1.617 दोनों वैरिएंट को प्रभावी तरीके से असरहीन करती है। अल्फा वैरिएंट इंग्लैंड में और डेल्टा वैरिएंट भारत में सबसे पहले सामने आया था। अमेरिका के इस शीर्ष स्वास्थ्य शोध संस्थान का भारत के साथ विज्ञान के क्षेत्र में निकट संबंधों का लंबा इतिहास रहा है।
एनआइए ने कहा कि उसकी आर्थिक मदद से एक सहायक पदार्थ विकसित किया गया था, जिसने कोवैक्सीन को और प्रभावी बना दिया। भारत समेत दुनिया के विभिन्न देशों में कोवैक्सीन अब तक ढाई करोड़ से ज्यादा लोगों को लगाई जा चुकी है। सहायक पदार्थ वैक्सीन की प्रतिरक्षा क्षमता को मजबूत करने और उसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए विकसित किया जाता है। निष्कि्रय कोरोना वायरस से बनी है वैक्सीन कोवैक्सीन में सार्स-कोव-2 के निष्कि्रय वायरस का इस्तेमाल किया गया है।
यह निष्कि्रय वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद अपनी प्रतिकृति तो पैदा नहीं कर सकता, लेकिन उसके खिलाफ एंटीबाडी पैदा हो जाती है। एनआइएच ने कहा कि कोवैक्सीन के दूसरे चरण के परीक्षण के नतीजे प्रकाशित हुए हैं, जिससे पता चलता है कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और वायरस के खिलाफ बेहतर प्रतिरक्षा प्रदान करती है। संस्थान के मुताबिक कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण का सुरक्षा संबंधी डाटा इस साल के अंत तक उपलब्ध होगा। लक्षण वाले मरीजों में 78 फीसद प्रभावी संस्थान के मुताबिक तीसरे चरण के परीक्षण के अंतरिम रिपोर्ट में वैक्सीन लक्षण वाले मरीजों में 78 फीसद कारगर पाई गई है, जबकि, कोरोना के गंभीर लक्षणों के खिलाफ यह सौ फीसद प्रभावी है। वहीं, बिना लक्षण वाले संक्रमितों में यह 70 फीसद प्रभावी मिली है।