मुंबई

मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में भाजपा की हुई किरकिरी

करीब तीन सप्ताह पहले आर्या न्यूज ने प्रकाशित किया था कि मुंबई में 6 में से चार सीट भाजपा की महायुति गठबंधन हार रही है. चुनावी नतीजों ने इस खबर पर अपनी मुहर लगा दी है और महायुति मुंबई में 6 में से 4 सीट हार चुकी है.

श्रीश उपाध्याय/मुंबई: करीब तीन सप्ताह पहले आर्या न्यूज ने प्रकाशित किया था कि मुंबई में 6 में से चार सीट भाजपा की महायुति गठबंधन हार रही है. चुनावी नतीजों ने इस खबर पर अपनी मुहर लगा दी है और महायुति मुंबई में 6 में से 4 सीट हार चुकी है.
मुंबई मे मेट्रो का जाल फैलाकर यातायात सुविधा बढ़ाने का जनहित कार्य करने के बाबजूद लोकसभा चुनावो मे मिली बुरी तरह की हार पर भाजपा को गहराई से सोचना चाहिए.
आप कितना भी जनहित कार्य कर ले, अनैतिक कार्य के लिए जनता कभी भी आपका साथ नहीं दे सकती. लगातार मिल रही जीत ने भाजपा को सातवे आसमान पर पहुंचा दिया था. भाजपा वरिष्ठ नेताओ को लग रहा था कि वे कुछ भी करेंगे और जनता तो मूर्ख है, उनके साथ ही खड़ी रहेगी. लेकिन वे भूल गए कि ये हिन्दुस्थान की जनता है. सब माफ कर सकती है अनैतिकता नहीं.
भाजपा ने शिवसेना को तोड़ा तो इसका कोई खास असर लोगों पर नहीं पड़ा. लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप में सने शिवसेना नेताओ को साथ लेना , दिन रात भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कॉंग्रेस और राष्ट्रवादी कॉंग्रेस को कोसने वाली भाजपा ने उनके नेताओ को गले लगाया. यह बात जनता को कुछ हजम नहीं हुई. मुंबई में महानगर पालिका चुनाव ना कराने वाली शिवसेना से लोग नाराज थे हालांकि उनके पास कोरोना जैसी बीमारी का बहाना था . लेकिन भाजपा ने उस जनाक्रोश को अपनी ओर करने की बजाय स्वयं भी विपक्ष सी करतूत कर डाली.
भाजपा नेता यह तो चिल्लाते रहे कि महानगर पालिका में कई दशकों से काबिज शिवसेना भ्रष्टाचार कर रही थी लेकिन इसका जवाब नहीं दे पा रही थी कि 25 सालों तक भाजपा ,शिवसेना के साथ सत्ता की मलाई चाटते समय भ्रष्टाचार को क्यों नहीं रोक रही थी.
यही हालत 2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कॉंग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का था. दोनों पार्टियां एक दूसरे पर कीचड़ उड़ाती रही और जनता ने दोनों को धूल चटा दी.
जिस महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के लोगों ने उत्तर भारतीयों को मुंबई की सड़कों पर दौड़ा दौड़ा कर पीटा उसके नेता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर खड़ा कर दिया. उत्तर भारतीयों की भावना के बारे में सोचा तक नहीं. भाजपा महाराष्ट्र के शीर्ष नेतृत्व को लगा था कि वाचमैंनो की संस्था चलाने वाली कंपनी ही मुंबई में उत्तर भारतीयों का नेतृत्व करती है. जिसका परिणाम महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश तक देखने को मिला है. स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी मे मात्र डेढ़ लाख मतों से जीते है.
लोगों की पेंशन छीनना, आंदोलनो की अनदेखी करना, भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के साथ गलबहियाँ करना, इतने बड़े उत्तर भारतीय समाज को ठेंगा दिखाना, राजनीति के नाम पर अनैतिकता को बढावा देना , इन सभी कुकर्मो के ख़िलाफ़ लड़ते- लड़ते ही भाजपा सत्ता के गलियारों मे शून्य से शिखर तक पहुंची थी. सत्ता के शिखर पर पहुंच कर भाजपा इन मूल्यों को भूल गई, लेकिन ये पब्लिक है साहब, सबको ठीक करना जानती है. आपको भी इशारा मिल गया है. अभी भी जनता ने आपको सत्ता से बाहर नहीं किया क्योंकि अभी भी लोगों के दिलों मे भाजपा के लिए जगह बची है. इस मौके को अपने में सुधार के लिए उपयोग में नहीं लाया और फिर से जनता को मूर्ख समझने की गलती की तो आगामी महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश विधानसभा समेत अगले लोकसभा चुनाव तक शायद भाजपा के कॉंग्रेसीकरण को लोग पचा नहीं पाएंगे और भाजपा को सत्ता के गलियारों से बाहर का रास्ता देखना पड़ेगा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button