बदहाल व्यवस्था: अस्पताल ही बीमार, चारों ओर गंदगी का अंबार, कैसे हो मरीजों का उपचार…
अस्पताल में भर्ती मरीज भी अस्पताल की गंदगी के कारण इलाज कराना पसंद नही कर रहे है...
Desk: उत्तर प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की तमाम तस्वीरें सामनें आती रहती है. आज एक और तस्वीर सामने प्रदेश के रायबरेली से आई है. यहां पर एक अस्पताल सफाई के अभाव में खुद रो रहा है. आलम ये है कि अस्पताल में भर्ती मरीज भी अस्पताल की गंदगी के कारण इलाज कराना पसंद नही कर रहे है. भर्ती मरीजों का कहना है कि जहां अल्पताल ही बीमार है वहां इलाज कैसे संभव है. ये पूरा मामला जनपद के जिला अस्पताल का है. जहा पर वार्डों के भीतर तक सफाई का आभाव है. अस्पताल में देखनें के बाद ऐसा लग रहा है जैसे कई महीनों से सफाई का आभाव है.
सबसे हैरानी की बात ये है कि इसी जिला अस्पताल की तस्वीर को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए डिप्टी सीएम नें कार्रवाई के निर्देश दिए थे, बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन के कानों पर जू रेंगते नजर नही आ रहा है. आपको बता दें कि साफ सफाई की जिम्मेदारी जिसे सौंपी गई है वो कागजों पर कर के काम पूरा कर ले रहे है. यही कारण है कि जिला अस्पताल गंदगी और बदबू का शिकार है. अस्पताल के सीएमएस ने बताया कि जिस फर्म को सफाई का काम सौपा गया है उसके पास सफाईकर्मी नही है ऐसे में अस्पताल की सफाई कैसे हो.
दरअसल जिला अस्पताल में सफाई का काम सन 2017 से ऑल ग्लोबल सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नाम की फर्म कर रही है. जो लगातार 5 सालों से अपना कब्जा जिला अस्पताल में बनाये हुए है. फर्म के अंडर में सुपर वाईजर मिलाकर कुल 53 कर्मचारी कागजो में काम करते है पर जमीनी हकीकत में आपको एक शिफ्ट में तीन या चार ही सफाई कर्मी जिला अस्पताल में काम करते देखे जा सकते है. हालांकि सीएमएस के दफ्तर के बाहर आपको अच्छी खासी सफाई देखनें को मिलेगी. लेकिन अस्पताल के भीतर की तस्वीर अपको वास्तविकता बताएगी.
ऐसे में सवाल ये है कि जो अस्पताल खुद बीमार हो उसमें लोगो को उपचार कैसे होगा. अस्पाताल की ये स्थिति देखने के बाद मरीज असपताल में इलाज कराने से बच रहे है. इस बीच देश में तमाम संक्रामक बीमारी अपना पांव पसार रही है. ऐसे में अस्पताल में सफाई न होना मरीजो के जान के सात खिलवाड़ किया जाता है. आश्चर्य करनें वाली बात ये है कि अस्पताल में 53 सफाईकर्मी मौजूद है लेकिन अस्पताल की दूर्व्यवस्था अपने आप में अलग कहानी बयां कर रही है. महीने में लाखों रुपये का पेमेंट सरकार से लेने के बाद जिम्मेदार फर्म इतनी बड़ी लापरवाही करके मरीजो को बीमार कर रहा है और जिम्मेदारों को ये गंदगी व दुर्गध क्यो नही दिखाई दे रही ऐसे कई सवाल लोग पूछ रहे हैं.