उत्तर प्रदेश

शुरु हुआ बसपा बनाम सपा का घमासान, मौज में बीजेपी !

X से ना Y से अपनी लड़ाई सपाई से. यूपी की राजनीति में ये लाइन कई बार सुनने को मिल ही जाती है. अब लोकसभा चुनाव हो,

X से ना Y से अपनी लड़ाई सपाई से. यूपी की राजनीति में ये लाइन कई बार सुनने को मिल ही जाती है. अब लोकसभा चुनाव हो, विधानसभा चुनाव हो, या यूपी की राजनीति का कोई आम दिन. जो बात साफ साफ दिखाई देती है वो है बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच की जंग. अब सेंगोल पर सियासत को ही देख लिजिए, समाजवादी पार्टी ने सेंगोल का मुद्दा संसद में उठाया और राजनीति गर्मा गई उत्तर प्रदेश की. बसपा सुप्रीमों मायावती ने संसद से सेंगोल की हटाने मांग पर प्रतिक्रिया दी है।

मायावती ने सेंगोल को लेकर समाजवादी पार्टी को घेरा है। मायावती ने कहा कि सपा के हथकंडों से सवाधान रहने की जरूरत है। वो जरूरी मुद्दों पर चुप रहती है। यूपी की राजनीति पर नजर रखने वाले इस बात को अच्छे से जानते की लोकसभा चुनावों से पहले बसपा इंडिया गठबंधन में जाएगी या नहीं, जाएगी तो समाजवादी पार्टी औऱ अखिलेश यादव को वो मंजूर होंगे या नहीं, बसपा के इंडिया गठबंधन में ना होने से दलित वोट बिखरेगा और इसका फायदा बीजेपी को होगा,

ऐसी तमाम तरह की बातें यूपी की राजनीति में चल रही थी. फिर मायावती ने गठबंधन में आने से इनकार कर दिया, लेकिन ये बात साफ हो गई की बसपा और सपा अब मंच सांझा नहीं कर सकते है. हांलाकि माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद सपा बनाम बसपा की लड़ाई खत्म हो जाए, लेकिन वो होता नहीं दिखता है. क्योंकि सेंगोल के मामले पर जहां समाजवादी पार्टी बीजेपी को घेरने के मूड में थी, वहां अब बसपा समाजवादी पार्टी को घेरती दिख रही है.

मायावती ने को एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि सेंगोल को संसद में लगाना या नहीं, इस पर बोलने के साथ-साथ सपा के लिए यह बेहतर होता कि यह पार्टी देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में तथा आम जनहित के मुद्दों को भी लेकर केन्द्र सरकार को घेरती। उन्होंने आगे कहा कि जबकि सच्चाई यह है कि यह पार्टी अधिकांश ऐसे मुद्दों पर चुप ही रहती है तथा सरकार में आकर कमजोर वर्गों के विरूद्ध फैसले भी लेती है। इनके महापुरूषों की भी उपेक्षा करती है। इस पार्टी के सभी हथकण्डों से जरूर सावधान रहें।

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