नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हफ्ते के अंत में संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे। खास बात ये है कि पहली बार इस सम्मेलन में सशस्त्र बलों के जवान हिस्सा लेंगे। समाचार एजेंसी एएनआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अब तक संयुक्त कमांडरों का सम्मेलन में केवल कमांडर-इन-चीफ रैंक के अधिकारी ही शामिल होते थे। सम्मेलन में कमांडर इन चीफ के संबंधित सेवा प्रमुखों भी शामिल होते थे जिन्हें प्रधानमंत्री संबोधित करते थे। इस सम्मेलन में सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा होती है।
सूत्रों ने एएनआई को बताया कि यह पहली बार होगा जब जवान सैन्य बलों और उनके ऑपरेशनों के कामकाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चाओं में भाग लेंगे। सूत्रों ने यह भी बताया कि इस चर्चा में जवानों को शामिल किए जाने का सुझाव खुद प्रधानमंत्री कार्यालय से ही आया था। चर्चा में भाग लेने वाले जवानों में जूनियर कमीशंड अधिकारी और गैर-कमीशन अधिकारी शामिल होंगे। सम्मेलन में उनकी ओर से प्रेजेंटेशन दिए जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि बलों के कामकाज के मामले में जवानों की अंतर्दृष्टि बहुत काम आती है।
पीएम मोदी ने इस सम्मेलन को दक्षिण ब्लॉक से निकाल कर इसे सैन्य बेसों पर आयोजित कराने का काम किया है। साल 2014 में सरकार बनने के बाद पीएम मोदी के ही निर्देश संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस को विमानवाहक पोत INS विक्रमादित्य, भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून और जोधपुर एयरबेस पर आयोजित किया गया है। हालांकि उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर कमांडर कांफ्रेंस में अपना पहला संबोधन साउथ ब्लॉक में ही दिया था।
इस बार कांफ्रेंस गुजरात के केवडिया में सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सामने आयोजित की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक वहां सम्मेलन के दौरान सेना के शीर्ष अधिकारी और जवान कैंपों में ठहरेंगे। पिछले साल अक्टूबर महीने में सैन्य कमांडरों के चार दिवसीय सम्मेलन हुआ था जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भाग लिया था। राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में चीन को सख्त संदेश देते हुए कहा था कि सेना के जवान एलएसी पर तब तक डटे रहेंगे जबतक कि गतिरोध खत्म नहीं हो जाता।