चांद पर उतरेगी पहली महिला एस्ट्रोनॉट… 50 साल बाद नासा करेगा ये काम, जानिए मिशन की हर डिटेल…

DESK : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अब अपने विशाल न्यू मून रॉकेट को पहली उड़ान के लिए तैयार कर रही है. स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) के नाम से विख्यात इस रॉकेट को 29 अगस्त की अपनी निर्धारित उड़ान के लिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में पैड 39B पर ले जाया जा रहा है. यह एक डेब्यू आउटिंग परीक्षण होगा, जिसमें कोई चालक दल नहीं है, लेकिन भविष्य के मिशन में नासा अंतरिक्ष यात्रियों को इस विमान की मदद से वापस चांद पर भेजेगा.

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100 मीटर लंबे इस विशाल रॉकेट को लॉन्चिंग पैड तक लाने के लिए प्रयोग किया जा रहा वाहन महज एक किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से अपनी दूरी तय कर रहा है. BBC की रिपोर्ट के अनुसार इस 6.7 किमी (4.2 मील) की यात्रा को पूरा करने में 8-10 घंटे लग सकते हैं. नासा के अनुसार इसका बड़ा आकार बड़ी ऊर्जा पैदा करने में मदद करता है. अपोलो के सैटर्न वी रॉकेट की तुलना में एसएलएस 15 प्रतिशत अधिक थ्रस्ट पैदा करता है. यह अतिरिक्त जबरदस्त थ्रस्ट वाहन को न केवल पृथ्वी से बहुत दूर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में मदद करेगा, बल्कि इसके अतिरिक्त, अधिक उपकरण और कार्गो चालक दल लंबी अवधि के लिए पृथ्वी से दूर रह सकेंगे.

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इसका क्रू कैप्सूल भी क्षमता में एक कदम ऊपर है. इस कैप्सूल को ओरियन कहा जाता है, यह 1960 और 70 के दशक के ऐतिहासिक कमांड मॉड्यूल की तुलना में अधिक चौड़ा होने के कारण बहुत अधिक विशाल है. नासा ने कहा है कि इस मिशन के माध्यम से वे पहली महिला को चांद पर उतारेंगे. स्पेस एजेंसी ने आगे बताया कि जैसे ही एसएलएस अपने लॉन्च पैड पर पहुंचेगा इंजीनियरों के पास तैयारी के लिए सिर्फ डेढ़ सप्ताह का समय होगा. नासा ने टेस्ट फ्लाइट के लिए 29 अगस्त का दिन तय किया है. साथ ही 2 सितंबर और 6 सितंबर के दिन को स्टैंड बाई पर रखा गया है.

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गर्मी सहने की क्षमता का टेस्ट
यह रॉकेट चन्द्रमा के चारों ओर चक्कर लगा कर वापस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा, जहां कैलिफोर्निया से दूर प्रशांत महासागर में रॉकेट क्रैश करा दिया जायेगा. इस टेस्ट के माध्यम से नासा रॉकेट पर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के बाद हीटशील्ड पर पड़ने वाले प्रभाव की भी जांच करेगा. टेस्ट में पास होने के बाद नासा चांद के अपने मिशन की तैयारियों में जुट जायेगा.

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यूरोपीय देश भी शामिल
नासा के साथ इस मिशन में यूरोप के दस से अधिक देश भी शामिल हैं. यूरोप नासा के इस मिशन में रॉकेट के प्रोपल्शन मॉड्यूल पर कार्य कर रहा है, जो रॉकेट को ऊपर धकेलने में मदद करेगा. एयरोस्पेस निर्माता एयरबस के सियान क्लीवर ने BBC को बताया कि यूरोप के 10 से अधिक देश इस यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ काम कर रहे हैं. यूरोप की स्पेस एजेंसी जिस मॉड्यूल पर काम कर रही है, वहीं रॉकेट को चांद तक पहुंचने में मदद करेगा.

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