NGT ने शिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त करने की याचिका पर दिए निर्देश
NGT ने कहा- शिप्रा नदी की जिम्मेदारी अधिकारियों पर एनजीटी ने शिप्रा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए लगी याचिका पर निर्देश दिए
उज्जैन स्थित शिप्रा नदी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए एनजीटी ने आदेश पारित किया है। ट्रिब्यूनल ने नदी के आसपास अतिक्रमण पर्यावरण कानून एवं नियमों के उल्लंघन एवं विभिन्न योजना का क्रियान्वयन में आ रही देरी में चिंता व्यक्त करते हुए इसे मानव वध एवं हिंसक अपराध माना। कहा कि इसके परिणाम आने वाली पीड़ियों को भुगतना पड़ेंगे।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि शिप्रा नदी के संरक्षण व निगरानी की जिम्मेदारी अधिकारियों पर है। औद्योगिक एवं घरेलू कचरे को नदियों के जल में मिलने से रोकने के लिए बड़े कदम उठाने की जरुरत है। नियमों का उल्लंघन होने पर मुआवजे के निर्धारण से संबंधित दिशा निर्देश दिए हैं।
पर्यावरणविद् सचिन दवे ने बताया कि शिप्रा को प्रदूषण मुक्त एवं सतत जल प्रवाह के उद्देश्य से शिप्रा अध्ययन यात्रा शिप्रा के उद्गम से शिप्रा के संगम क्षीपावरा तक 280 किलोमीटर यात्रा की 3 वर्ष तक अध्ययन एवं उसके बाद रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी में याचिका लगाई थी, जिसमें 28 पक्षकार बनाए थे। लगातार चल रही सुनवाई में एनजीटी ने उज्जैन, इंदौर, देवास और रतलाम जिले के कलेक्टरों की रिपोर्ट को भी शामिल किया है।
नोडल एजेंसी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट कोर्ट कमिश्नर द्वारा शिप्रा की वस्तुत: स्थिति पर विस्तृत निर्देश 10 नवंबर 2023 को न्यायाधीश शिवकुमार सिंह एवं डॉ अफरोज अहमद की खंडपीठ ने दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार राज्य स्तर पर नदी पुर्नस्थापना समिति इसी प्रकार से है, जिस प्रकार से गंगा नदी संरक्षण सुरक्षा प्रबंध आदेश 2016 में निर्देशित किया है।
नदी संरक्षण के लिए यह निर्देश भी दिए
1. चारों जिलों के कलेक्टर को नदी जलस्त्रोत के बाद मैदानी क्षेत्रो पर अतिक्रमण रोकने नदी तल एवं बाढ़ के मैदानी क्षेत्रों का सीमांकन एवं सुरक्षा के लिए उचित कार्रवाई के निर्देश दिए। कलेक्टरों को निर्देश दिए कि एसटीपी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सीईटीपी कामन ट्रीटमेंट प्लांट ईटीपी पर आवश्यकतानुसार उनका राज्य स्तरीय निगरानी समिति को सूचित करें एवं उनके परिचालन के निर्देश दिए।
2. अनौपचारिक अपशिष्ट किसी भी जलस्त्रोतो में ना मिले इसके लिए राज्य स्तर पर मुख्यसचिव एवं राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय निगरानी समिति इस कार्य की प्रगति का समय पर अवलोकन करें। शिकायतों का पंजीकरण करने के लिए केंद्रीय निगरानी समिति जैव विविधता उद्यान की स्थापना का विवरण खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत करे।
3. उज्जैन, देवास, रतलाम, इंदौर क्षेत्र में एसटीपी का पूर्व क्रियान्वन एवं नदियों के तट पर सघन वृक्षारोपण एवं उसकी जिओ टेकिंग के साथ ही पीसीबी को निगरानी रखने एवं कार्रवाई के आदेश दिए। उपरोक्त निर्देश का अनुपालन की जिम्मेदारी पर्यावरण शहरी विकास विभाग के सचिव मेंबर सचिन पीसीबी एवं नर्मदा व शिप्रा नदी के तट पर स्थित जिलो के जिला कलेक्टर को दी है।