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मुरादाबाद : कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने टोल प्लाजा पर जाम लगाकर किया प्रदर्शन

मुरादाबाद। कृषि कानूनों के विरोध में मुरादाबाद-रामपुर हाइवे स्थित टोल प्लाजा पर भाकियू से जुड़े किसानों ने प्रदर्शन जारी है। पिछले दो घंटे से किसान हाइवे पर बैठे हुए हैं और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं, सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस फोर्स मौके पर मौजूद है। किसानों ने टोल प्लाजा पर किसान यूनियन के बैनर लगा दिए हैं। किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों का विरोध करते हुए उन्हें कल छह महीने हो गए हैं, जिसे उन्होंने काला दिवस के रूप में मनाया है।

दअरसल, किसान पिछले छह महीने से कृषि कानून का विरोध करते आ रहे हैं। जिसे लेकर दिल्ली बॉर्डर पर भी लगातार धरना चल रहा है। इस विरोध को कल छह महीने पूरा होने पर कई प्रदेशों में इसे काला दिवस के रूप में मनाया था।  जगह-जगह किसानों ने काले झंडे लहरा कर अपना विरोध दर्ज कराया तो कई जगह पर नए कृषि कानूनों के पुतले भी जलाए गए। इसी कड़ी में बृहस्पतिवार सुबह नौ बजे मुरादाबाद-लखनऊ हाइवे स्थित टोल प्लाजा पर भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसानों ने अपना धरना शुरू करते हुए केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।

इन किसानों ने बैनर टोल प्लाजा के बीच लगाकर एक साइड से हाइवे जाम कर दिया। इसकी सूचना पर भारी पुलिस फोर्स के साथ अधिकारी मौके पर पहुंच गए, और धरने पर बैठे किसानों से टोल प्लाजा खाली करने के लिए कहा।

उत्तराखंड : कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन को 6 माह पूरा होने पर किसानों ने मनाया काला दिवस

बाजपुर  (उत्तराखंड) बाजपुर में भारतीय किसान यूनियन ने कृषि कानूनों के विरोध में किसानों द्वारा किए जा रहे धरना प्रदर्शन को बुधवार को 6 माह पूरे होने पर काला दिवस मनाया। किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए भगत सिंह चौक पर सरकार का पुतला फूंका। किसानों के प्रदर्शन के दौरान भारी संख्या में पुलिस-प्रशासन मौके पर मौजूद रहा।

बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में गाजीपुर बॉर्डर समेत विभिन्न बॉर्डर पर किसान बीते 6 माह से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के प्रदर्शन को 6 माह पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर के किसानों से काला दिवस मनाने का आह्वान किया था। इसके चलते बाजपुर के भगत सिंह चौक पर भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष कर्म सिंह पड्डा के नेतृत्व में दर्जनों किसान एकत्र हुए। जहां किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार का पुतला आग के हवाले किया।

इस दौरान कर्म सिंह पड्डा ने कहा कि भले ही किसानों को कितनी भी परेशानियों का सामना करना पड़े किसान अपने हक की लड़ाई लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान सैकड़ों किसान शहीद हो चुके हैं, लेकिन सरकार ना जाने कितने किसानों की कुर्बानी मांग रही है।

रिपोर्ट- गौतम चुनारा

 

किसानों के समर्थन पीएसपी किसान सभा ने किया प्रदर्शन, कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग

गोरखपुर। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया किसान सभा ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसानों के देशव्यापी आंदोलन का समर्थन किया। पैडलेगंज स्थित कार्यालय पर आज सभा के प्रदेश अध्यक्ष अंशुमान सिंह के नेतृत्व में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर किसान बिल वापस लेने का मांग की।

किसान बिल वापस लेने की मांग को लेकर प्रदेश अध्यक्ष अंशुमान सिंह ने नगर मजिस्ट्रेट अभिनव रंजन श्रीवास्तव के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। अंशुमान सिंह ने कहा कि विगत वर्ष 2020 से लगायत देश का अन्नदाता भूखे – प्यासे, गर्मी, बरसात, सर्दी और भयानक महामारी कोविड -19 के काल के गाल में जाना कबूल करते हुए देशहित में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर किसानहित में कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार लगातार अन्नदाताओं का अपमान कर रही है।

उन्होंने कहा कि इस कानून से किसान के अलावा कामगार, नौजवान भी प्रभावित हो रहा है। चंद कारपोरेट घरानों को छोड़कर सारी आम अवाम लाचार व विवश होकर रह जायेगी। इस संदर्भ में 12 मई को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा गया था कि महामारी का शिकार लाखों अन्नदाताओं को बचाने के लिए कृषि कानून को वापस लेना जनहित में होगा। किसानों के देश व्यापी आन्दोलन का प्रगतिशील समाजवादी पार्टी समर्थन करते हुए कृषि काला कानून को वापस लेने की मांग करती है। कृषि काला कानून को वापस लिया जाना जनहित में होगा।

रिपोर्ट- सचिन यादव

किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे, केएमपी हाइवे पर लगाया जाम, पढ़िए पूरी खबर  

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्‍ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का आज सौ दिन पूरा हो गया। ऐसे में अपने आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर किसानों ने आज यानी शनिवार को कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे पर जाम लगाकार विरोध जर्ज कराया। किसानों ने एक्सप्रेस-वे के कुछ स्थानों पर  यातायत को बाधित रखा।

किसानों का यह प्रदर्शन सुबह 11बजे से शुरू होकर अपराह्न चार बजे तक चला। इसके अलाव किसानों ने अपने घरों पर काले झंडे फहराकर और हाथों में काली पट्टी बांधकर केंद्र सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की।

बता दें कि पिछले 100 दिनों से दिल्ली के पास कई स्थानों पर कई किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून बनाने की है।

वहीं, दूसरी तरफ  सरकार ने तीनों कानूनों को कृषि सुधारों की दिशा में बड़ा कदम बताते हुए कहा है कि इससे किसानों को लाभ होगा और अपनी उपज बेचने के लिए उनके पास कई विकल्प होंगे।

 

 

उत्तराखंड : कृषि कानूनों के विरोध में किसान ने बर्बाद की गेहूं की फसल

काशीपुर में आज किसान आंदोलन के समर्थन में एक किसान ने अपनी 25 एकड़ गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चलावाना शुरू कर दिया। मामले की जानकारी होने पर मौके पर पहुंचे किसान नेताओं ने किसान को समझाया बुझाया लेकिन तब तक 6 एकड़ गेहूं की फसल बर्बाद हो चुकी थी।

बता दें कि देशभर में किसान आंदोलन की आग लगातार जारी है। किसानों के द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार धरने प्रदर्शन किए जा रहे हैं। सराकर के साथ वार्ता के बाद भी कोई हल न निकलने से किसान अब सरकार के द्वारा लागू किये गए तीनों कृषि कानूनों के विरोध में अब महापंचायत का आयोजन कर रहे हैं। इसी क्रम में आज काशीपुर में ग्राम बाँसखेड़ा के रहने वाले अवतार सिंह नामक एक किसान ने अपनी 25 एकड़ के क्षेत्र में फैली गेहूं की फसल को नष्ट करने की नीयत से उस पर ट्रैक्टर की मदद से हैरो चलवाना शुरू कर दिया।

इसका पता जैसे ही किसान नेताओं को चला तो उन्होंने मौके पर आकर उन्हें समझाया बुझाया लेकिन तब तक 6 एकड़ गेहूं की फसल बर्बाद हो चुकी थी। इस दौरान अवतार सिंह ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह करार देते हुए कहा कि आज आंदोलन का 94वां दिन है। अब तक 200 के लगभग किसान आंदोलन के दौरान शहीद हो गए, लेकिन तानाशाह प्रधानमंत्री ने उनके लिए एक शब्द भी नहीं बोला। उन्होंने कहा कि पहले इस किसान आंदोलन को महज पंजाब, हरियाणा के किसानों का आंदोलन कहा जा रहा था, जबकि इस आंदोलन में देश के काफी हिस्सों के किसान सम्मिलित थे लेकिन सरकार इस आंदोलन को केवल दो से तीन प्रदेशों का बताकर इस आंदोलन को कुचलने के प्रयास में लगी है।

रिपोर्ट – जसीम खान

बिजनौर: कृषि कानून के विरोध में किसान ने छह बीघा गेहूं की फसल जोतकर नष्‍ट की

बिजनौर। चांदपुर तहसील के गांव कुलचाना निवासी किसान सोहित ने छह बीघा गेहूं की फसल जोत दी है। किसान सोहित का कहना है कि सरकार किसान की सुनने को तैयार नहीं है। कृषि बिलों के विरोध में फसल जोत दी है। किसान ने कहा कि अब वह दिल्‍ली आंदोलन में जाएगा। किसान द्वारा गेहूं की फसल नष्ट करने का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

कुलचाना निवासी संजीव कुमार के पुत्र सोहित कुमार ने शनिवार की सुबह अपने छह बीघे के खेत में खड़ी गेहूं की फसल ट्रैक्‍टर से जोतकर नष्‍ट कर दी है। किसान सोहित ने बताया कि उसके पास 13 बीघे गेहूं की फसल थी। जिसमें से खाने के लिए सात बीघा गेहूं की फसल छोड़कर अन्‍य छह बीघे के खेत को जोत दिया है। अब वह गेहुं को बचेंगे नहीं सिर्फ खाने के लिए पैदा करेंगे। किसान सोहित का कहना है कि दिल्‍ली में पिछले काफी लम्‍बे समय से किसानों का दिल्‍ली में आंदोलन चल रहा है। सरकार कृषि बिलों को वापस लेने को तैयार नहीं है। अब खडी फसल जोतकर दिल्‍ली जाने की बात कही है।

भाकियू युवा के प्रदेश अध्‍यक्ष दिगम्‍बर सिंह ने बताया कि किसान भाकियू का कार्यकर्ता है। उसने छह बीघा गेहूं की फसल नष्‍ट कर दी है और दिल्‍ली आंदोलन में शामिल होने की बात कही है।

रिपोर्ट- लोकेन्द्र कुमार

 

बुलंदशहर : किसान महापंचायत में बोले जयंत चौधरी, आखिर कृषि कानून लागू करने की जिद पर क्यों अड़ी है सरकार?

बुलंदशहर। खुर्जा क्षेत्र के फिरोजपुर गांव में बुधवार को किसान महापंचायत का आयोजन हुआ। पंचायत में रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने पीएम मोदी की नीयत पर सवाल उठाया। जयंत चौधरी ने कहा कि कृषि बिल कुछ तथाकथित किसानों के लिए बनाया गया है। देश का किसान नहीं चाहता कि कानून लागू हो, लेकिन सरकार कानून को किसानों पर थोपना चाहती है।

जयंत चौधरी ने कहा कि इससे न सिर्फ दाल में काला लगता है, बल्कि पूरी दाल ही काली लग रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आखिर कृषि कानून लागू करने की जिद पर क्यों अड़े हैं, क्या सरकार का कोई स्वार्थ इन कृषि कानूनों में है, जो सरकार इन बिलों को लागू करना चाहती है?

इसके अलावा जयंत चौधरी ने कहा कि जब तक किसान सरकार को वोट की चोट नहीं देंगे तब तक सरकार की लाठी किसान को  सहनी पड़ेगी। जयंत चौधरी ने यह भी कहा कि सरकार ने जो फोन नंबर किसानों को दिया है वो शायद जिओ के हैं। जयंत चौधरी ने कहा कि महापंचायत में जो किसानों की भीड़ आ रही है, वह उससे उत्साहित हैं और महापंचायत में किसान बिना बुलाये आ रहे हैं।

पीएम मोदी के आंदोलन जीवी परजीवी वाले बयान जयंत चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों को आंदोलन जीवी कहा। आंदोलन जीवी परजीवी कहना किसानों का अपमान है।

पीएम मोदी के आंदोलन खत्म करने की अपील पर राकेश टिकैत ने कही ये बात …

नई दिल्ली। राज्यसभा में सोमवार को अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने किसानों से अपने आंदोलन को खत्म करने की अपील की। पीएम मोदी की इस अपील पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने टिप्पणी की है।

राकेश टिकैत ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी बातचीत करना चाहते हैं तो हमारा मोर्चा और कमेटी बातचीत करने के लिए तैयार हैं। हमारे पंच भी वही हैं और हमारा मंच भी वही है। एमएसपी पर क़ानून बने यह किसानों के लिए फायदेमंद होगा। उन्होंने कहा कि देश में भूख पर व्यापार नहीं होगा। अनाज की कीमत भूख पर तय नहीं होगी। भूख पर व्यापार करने वालों को देश से बाहर निकाला जाएगा। देश में आज पानी से सस्ता दूध बिक रहा है। किसानों की दूध पर लागत ज्यादा आ रही है, लेकिन उसको दाम कम मिल रहा है। दूध का रेट भी फिक्स होना चाहिए।

इसके अलावा टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से जनता से गैस पर सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी, उसी तरह अब उन्हें सांसदों और विधायकों से अपील करनी चाहिए कि वह जो पेंशन ले रहे हैं, वह छोड़ दें। अगर सांसद और विधायक पेंशन छोड़ देंगे तो किसान भारतीय यूनियन उनका धन्यवाद करेगा।

किसान आंदोलन  : सोशल मीडिया पर पुलिस की पैनी नजर

नई दिल्ली।  26 जनवरी को दिल्ली में पैदा हुईं अराजक परिस्थितियों के बाद दिल्ली पुलिस अब किसी तरह की गुंजाइश बाकि नहीं रखना चाहती। दिल्ली की सीमाओं पर पुख़्ता तैयारियों के बाद अब सोशल मीडिया पर भी कड़ी नज़र रखी जा रही है ताकि कोई अफवाह न फैले। वहीं, कल यानी शनिवार को कुछ किसान संगठनों की ओर से प्रस्तावित चक्का-जाम को लेकर भी सुरक्षा के पूरे इंतज़ाम किए गए हैं।

किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर भड़काऊ ट्वीट के मामले में दिल्ली पुलिस बेहद सतर्कता बरत रही है। टूल-किट डॉक्युमेंट्स के विदेशी लिंक सामने आने के बाद, पुलिस सोशल मीडिया की विशेष निगरानी बरत रही है। दिल्ली पुलिस के अनुसार सोशल मीडिया पर अफवाह न फैलाई जाए, इसे लेकर भी प्रशासन अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है।

किसान आंदोलन की आड़ में शांतिभंग करने की अंतर्राष्ट्रीय साजिश के संकेत मिलने के बाद,  भारत सरकार हर स्तर पर चौकस दिख रही है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने साफ कहा कि हम मिलकर देश के ख़िलाफ हर साज़िश को मात देंगे।

वहीं, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने मौजूदा परिस्थितियों के लिए विपक्षी पार्टियों को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि वही इस आंदोलन को हवा दे रहे हैं। दिल्‍ली पुलिस की साइबर सेल ने स्‍वीडिश ऐक्टिविट ग्रेटा थनबर्ग की ओर से ट्वीट किए डॉक्‍युमेंट की जांच शुरू कर दी है। गुरुवार को दर्ज एफआईआर के बाद पुलिस अब इस बात की जांच में जुटी है कि आरोपी टूल-किट के पीछे कौन-कौन लोग या संस्थाएं हैं। उधर, शनिवार यानी 6 फरवरी को किसान संगठनों ने देशभर में चक्का जाम करने की घोषणा की है। किसान संगठनों का कहना है कि देशभर भर में 3 घंटे का सांकेतिक चक्का जाम किया जाएगा। हालांकि, कई किसान संगठनों का कहना है कि दिल्ली में चक्का जाम नहीं होगा, लेकिन 26 जनवरी की हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस अपनी तरफ से तैयारियां पूरी रखनी चाहती है। दिल्ली पुलिस ने किसी भी तरह के हंगामे से निपटने के लिए पूरी व्यवस्था की है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि दिल्ली की सीमाओं पर ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि कोई भी प्रदर्शनकारी कल शहर में घुस ना पाए। इसके लिए पड़ोसी राज्यों की पुलिस के साथ भी दिल्ली पुलिस लगातार संपर्क बनाए हुए है।

फिलहाल 26 जनवरी की घटना के बाद दिल्ली , यूपी हरियाणा समेत तमाम राज्यों की सरकारें सतर्क हैं और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार भी।

 

राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गिनाए कृषि कानूनों के फायदे  

नई दिल्ली। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर 15 घंटे तक चली मैराथन बहस खत्म हो गई। तीन दिन तक चली चर्चा के केंद्र में देश के किसान रहे। जिसमें विपक्ष ने कृषि कानूनों को वापस लेने की बात की तो सत्ता पक्ष ने सिलसिलेवार तरीके से विपक्ष की आशांकाओं को खारिज कर दिया। सत्तापक्ष की तरफ से मोर्चा कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संभाला और कहा कि कृषि कानून में खराबी कहां है।

कृषि मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार किसानों की हर शंका को दूर करने के लिए तैयार है।  कृषि मंत्री ने सदन में विपक्ष पर चुटकी ली और कहा कि विरोध सब कर रहे हैं लेकिन कोई बता नहीं पा रहा कि आखिर खामी क्या है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अनेक विपक्षी पार्टियों ने किसानों के लिये अपनी प्रतिबद्दता दिखाने की कोशिश की।  चर्चा में सभी दलों का प्रतिनिधित्व हो सके, इसके लिये आसन ने पूरा ख्याल रखा,  इसलिए सदन की कार्यवाही को आधे घण्टे के लिए बढ़ाया गया। जिस तरह से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में चर्चा हुई है, उम्मीद है आगे भी विपक्ष इसी तरह सत्ता पक्ष के साथ सहयोग करेगा।