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UP में कुछ खास नहीं रहा ‘रेल रोको’ आंदोलन का असर, पढिए पूरी खबर !   

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनकारी किसानों द्वारा किए गए ‘रेल रोको’ आह्वान का असर उत्तर प्रदेश में कोई कास देखने को नहीं मिला। मेरठ, बलिया, प्रयागराज, मथुरा, बहराइच, बिजनौर, अमेठी और अलीगढ़ में ट्रेनों को रोकने के लिए प्रयासरत किसानों की मंशा पर पुलिस की सतर्कता भारी पड़ गई।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक किसान मेरठ कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचे और पटरियों पर चादर बिछा दी। उन्होंने वहां कुछ देर तक हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हटा दिया। प्रयागराज में किसानों को रेलवे स्टेशन में प्रवेश करने से रोका गया। उन्होंने बाहर सड़क पर खड़े होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने बाद में एक जुलूस निकाला गया, जिसमें मांग की गई कि खेत कानूनों को निरस्त किया जाए। बलिया में, किसानों को रेलवे स्टेशन के बाहर प्रदर्शन के बाद रोक दिया गया। गृह विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ‘रेल रोको’ आह्वान का कोई असर नहीं हुआ।

वहीं, महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में हजारों किसानों चार घंटे के अखिल भारतीय विरोध के तहत रेल-रोको आंदोलन में भाग लिया, हालांकि ट्रेन सेवाएं काफी हद तक अप्रभावित रहीं।

 

सम्भल में किसानों का चक्का जाम,  पुलिस प्रशासन रहा अलर्ट

सम्भल। कृषि कानूनों के विरोध में विभिन्न किसान संगठनों ने आज अनूपशहर सम्भल रोड जाम कर दिया। मौके पर किसानों की पुलिस से नोकझोंक भी हुई। शनिवार को भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक असली के कार्यकर्ता ग्राम नारंगपुर पहुंचे। जहां, उन्होंने एक बैठक कर किसानों से कहा कि भाजपा सरकार किसान विरोधी है। सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़ेंगे। साथ ही कहा कि जब तक ये काले कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।

बैठक के बाद किसानों ने सम्भल अनूपशहर मार्ग को जाम कर दिया। लगभग एक घंटा जाम लगे रहने से मार्ग के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। अलग-अलग टाइम पर आई एंबुलेंस को किसानों ने खुद रास्ता देकर उन्हें निकलवाया।

इस दौरान बैठक में भी एक ऐसा ही नजारा देखने को मिला के एक महिला किसान कार्यकर्ता अपने तीन साल के बच्चे को गोदी में लेकर आंदोलन में शामिल रही। जाम के दौरान एसडीएम दीपेंद्र यादव व क्षेत्रअधिकारी अरुण कुमार मौके पर पुलिस बल के साथ पहुंचे। उन्होंने किसानों को समझाकर जाम खुलवाने की कोशिश की, मगर किसान कार्यकर्ता नहीं माने। किसानों ने एक घंटे तक रोड को जोम किए रखा।

मोदी सरकार के कृषि कानूनों का अमेरिका ने किया समर्थन, कहा- कृषि क्षेत्र में होगा सुधार  

नई दिल्ली।  संयुक्त राज्य अमेरिका ने मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानूनों को अपना समर्थन दिया है। बुधवार को जारी एक बयान में  बायडेन प्रशासन ने कहा कि वो उन कदमों का स्वागत करता है, जो भारत के बाजारों की कुशलता में सुधार करेंगे और निजी क्षेत्र में अधिक निवेश को बढ़ावा देंगे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यूएस स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा जारी बयान में संकेत दिया गया है कि नया बायडेन प्रशासन भारत सरकार के कृषि क्षेत्र में सुधार के कदम का समर्थन करता है जो कि निजी निवेश और किसानों के लिए बड़े बाजार को आकर्षित करेगा।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि हमें लगता है कि शांतिपूर्ण तरीके से जारी प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है। भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी बात को कहा है। अगर दोनों पक्षों में मतभेद है तो उसे बातचीत के जरिए हल करना चाहिए।

राहुल का एक और विवादित बयान, कहा- ‘अगर कृषि कानून समझ गए किसान तो देश में लग जायेगी आग’

नई दिल्ली। किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद भी किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। दिल्ली की सीमाओं पर किसान डटे हुए हैं, हलांकि कुछ दलों ने किसान आंदोलन से अपना समर्थन वापस कर आंदोलन से अलग हो गए हैं।

वहीं अब अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए एक और विवादित बयान दे डाला है। राहुल ने किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि अगर किसानों को कृषि कानून पूरा समझ आ जायेगा तो पूरे देश में आग लग जायेगी। बता दें कि राहुल गांधी ने ये बात वायनाड में एक जनसभा का संबोधित करने के दौरान कही।

https://youtu.be/NzcX6NH05sY

किसान आंदोलन : आज भी नहीं बनी बात, बेनतीजा रही बैठक

नई दिल्ली। विज्ञान भवन में शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच हुई 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। अगली बैठक की तारीख अभी नहीं बताई गई है। सरकार को उम्मीद थी कि इस बैठक से कुछ न कुछ हल जरूर निकलेगा। लेकिन किसान नेता तीनों कानूनों को हटाने की मांग पर ही अड़े हैं। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार उन्हें नए प्रस्तावों के माध्यम से उलझाना चाह रही है।

बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार आपके सहयोग के लिए आभारी है। कानून में कोई कमी नहीं है। हमने आपके सम्मान में प्रस्ताव दिया था। आप निर्णय  नहीं कर सके, आप अगर किसी निर्णय पर पहुंचते हैं तो सूचित करें। इस पर हम फिर चर्चा करेंगे।

वहीं, बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है।

 

किसान आंदोलन : आज भी नहीं निकला समाधान, अब 19 जनवरी को फिर होगी बैठक

नई दिल्ली। पिछले 50 दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन आज भी जारी है। केंद्र सरकार और किसानों के बीच आज नौवें दौर की वार्ता में भी कोई समाधान नहीं निकल सका। ऐसे में अब 19 जनवरी को किसानों और सरकार के बीच फिर से वार्ता होगी।

बता दें कि आज विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को लेकर वार्ता हो रही थी। बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि अब तक किसी भी प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पाई है। साथ ही उन्होंने बताया कि किसान संगठनों के साथ आज की बातचीत निर्णायक नहीं थी। हम 19 जनवरी को फिर से वार्ता करेंगे। इस कड़ाके की ठंड में विरोध कर रहे किसानों को लेकर सरकार चिंतित है।

किसान आंदोलनः सुप्रीम कोर्ट आदेश देगा तो नहीं निकलेगी ट्रैक्टर रैली- राकेश टिकैत

नई दिल्ली। दिल्ली के विज्ञानभवन में किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 9वें दौर की वार्ता जारी है। किसान के तीनों कानूनों की वापसी के मांग पर किसान लगातार अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि 26 जनवरी को टैक्टर रैली निकालेंगे। इसे लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट आदेश देता है तो किसान गणतंत्र दिवस पर इस रैली को वापस ले लेंगे और इसका आयोजन किसी और दिन किया जायेगा।

टिकैत ने पहले कहा था कि किसान लाल किले से इंडिया गेट तक जुलूस निकालेंगे और गणतंत्र दिवस पर अमर जवान ज्योति पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। इस दौरान बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि कानून संसद लेकर आई है और ये वहीं खत्म होंगे। सरकार को तीन कानूनों को रद करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी देने की योजना तैयार करने की जरूरत है। टिकैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित समिति के बजाय सरकार के साथ बातचीत करना बेहतर है।

गौरतलब है कि किसान 26 नवंबर से ही दिल्ली बॉर्डर पर केंद्र के तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। गतिरोध को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक आठ दौर की वार्ता हो चुकी है। आज नौवें दौर की वार्ता हो रही है। अभी तक कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी है। 8 जनवरी को, आठवें दौर की बैठक हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को सुनवाई के दौरान तीनों कानूनों को अगले आदेश तक लागू करने पर रोक लगा दी थी और गतिरोध को हल करने के लिए चार सदस्यीय पैनल नियुक्त किया था। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने गुरुवार को शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति से खुद को अलग कर लिया था।

किसान और सरकार की नौवें दौर की कल होगी वार्ता, कमेटी से एक सदस्य ने खुद को किया अलग

नई दिल्ली। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि सरकार 15 जनवरी को खुलकर किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार है। बता दें कि किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट की दखलंदाजी के बाद इस बार किसानों की साथ होने वाली सरकार की ये वार्ता कई मायनों में खास होगी।

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार की किसान नेताओं के साथ नौवें दौर की बातचीत शुक्रवार को होने वाली है और केंद्र सकारात्मक चर्चा को लेकर आशान्वित है। तोमर ने कहा कि सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच बातचीत 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे से होगी। किसान और सरकार के बीच यह नौवें दौर की वार्ता होगी। इसके पहले सरकार और किसान नेताओं के बीच आठ जनवरी को वार्ता हुई थी।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई हुई है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए एक कमेटी का गठन भी किया हुआ है, जो कि सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और इसके बाद यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी।

कमेटी से एक सदस्य ने खुद को किया अलग

वहीं, कृषि सुधार कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के मेंबर और भाकियू के प्रधान भूपेंद्र सिंह मान ने कमेटी की सदस्यता छोड़ दी है। उन्होंने एक नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद किया कि उन्हें कमेटी में शामिल किया गया, जिसने किसानों और केंद्र सरकार के बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर बातचीत करके रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी थी। वह केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति में उन्हें नामित करने के लिए आभार व्यक्त करते हैं, लेकिन वह किसान हितों से कतई समझौता नहीं कर सकते। वह इस कमेटी से हट रहे हैं और हमेशा पंजाब व किसानों के साथ खड़े हैं।

गौरतलब है कि हजारों किसान जो मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, कई हफ्तों से दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये सभी प्रदर्शनकारी किसान सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। किसानों का मानना है कि इन नए कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली कमजोर हो जाएगी।

नए कृषि कानूनों के विरोध में सांसद आवास का किया घेराव, पुलिस से हुई नोकझोंक  

कांकेर। नए कृषि कानून के विरोध में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को कांकेर के सांसद मोहन मंडावी के आवास का घेराव कर प्रदर्शन किया। इस दौरान युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की झड़प भी हुई।

कांग्रेसियों ने बौरिकेट्स तोड़कर सांसद मोहन मंडावी के घर में प्रवेश करने की कोशिश की लेकिन पुलिस की सतर्कता के कारण उन्हें कामयाबी नहीं मिली। सांसद के आवास के अंदर घुसने में विफल रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बाद में सांसद आवास के सामने ही धरने पर बैठ गए। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद युवक कांग्रेसी सांसद अवास से उठकर वापस गए। कांकेर के सांसद मोहन मंडावी धरना प्रदर्शन के वक्त अपने घर पर मौजूद नहीं थे।