किसान आंदोलनः सुप्रीम कोर्ट आदेश देगा तो नहीं निकलेगी ट्रैक्टर रैली- राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट आदेश देता है तो किसान गणतंत्र दिवस पर इस रैली को वापस ले लेंगे और इसका आयोजन किसी और दिन किया जायेगा।
नई दिल्ली। दिल्ली के विज्ञानभवन में किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 9वें दौर की वार्ता जारी है। किसान के तीनों कानूनों की वापसी के मांग पर किसान लगातार अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि 26 जनवरी को टैक्टर रैली निकालेंगे। इसे लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट आदेश देता है तो किसान गणतंत्र दिवस पर इस रैली को वापस ले लेंगे और इसका आयोजन किसी और दिन किया जायेगा।
Delhi: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar reaches Vigyan Bhawan to hold talks with farmer leaders over farm laws. pic.twitter.com/i9nCffmyhO
— ANI (@ANI) January 15, 2021
टिकैत ने पहले कहा था कि किसान लाल किले से इंडिया गेट तक जुलूस निकालेंगे और गणतंत्र दिवस पर अमर जवान ज्योति पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। इस दौरान बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि कानून संसद लेकर आई है और ये वहीं खत्म होंगे। सरकार को तीन कानूनों को रद करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी देने की योजना तैयार करने की जरूरत है। टिकैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित समिति के बजाय सरकार के साथ बातचीत करना बेहतर है।
Delhi: The talks between farmer leaders and the government at Vigyan Bhawan temporarily halted for the lunch break. pic.twitter.com/f89neLy284
— ANI (@ANI) January 15, 2021
गौरतलब है कि किसान 26 नवंबर से ही दिल्ली बॉर्डर पर केंद्र के तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। गतिरोध को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक आठ दौर की वार्ता हो चुकी है। आज नौवें दौर की वार्ता हो रही है। अभी तक कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी है। 8 जनवरी को, आठवें दौर की बैठक हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को सुनवाई के दौरान तीनों कानूनों को अगले आदेश तक लागू करने पर रोक लगा दी थी और गतिरोध को हल करने के लिए चार सदस्यीय पैनल नियुक्त किया था। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने गुरुवार को शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति से खुद को अलग कर लिया था।