DESK: अमेरिका के कैलिफॉर्निया में किडनैपिंग का शिकार हुए भारतीय मूल के परिवार के लोगों के शव पाए गए हैं। मरने वालों में 8 महीने का मासूम बच्चा भी शामिल है। इन लोगों को मर्स्ड काउंटी से किडनैपप कर लिया गया था और उनकी तलाश की जा रही है। कैलिफॉर्निया प्रशासन ने भारतीय मूल के परिवार के लोगों की मौत की पुष्टि की है। सोमवार को यह परिवार लापता हो गया था और तब से ही उनकी तलाश की जा रही थी। इस मामले में 48 साल के एक शख्स को हिरासत में लिया गया है।
हालांकि शुरुआती दौर में किडनैपिंग का लग रहा यह केस अब बड़ा मोड़ ले चुका है। जघन्य हत्याकांड के चलते सनसनी फैल गई है और भारतीय मूल के लोगों में डर का माहौल है।मर्स्ड काउंटी के शेरिफ वर्न वार्नके ने कहा कि यह घटना बेहद जघन्य और डराने वाली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने जिस शख्स को हिरासत में लिया है, उसे सर्विलांस वीडियो में देखा गया था। वीडियो में देखा जा सकता है कि आरोपी शख्स परिवार को जबरदस्ती ट्रक में धकेल रहा है।
8 महीने का बच्चा और उसकी मां जसलीन कौर, पिता जसदीप सिंह और अंकल अमनदीप सिंह सोमवार से ही लापता थे। इसके बाद उनके परिवार के सदस्यों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी और पुलिस उनकी तलाश में जुटी थी। लेकिन परिवार के सभी लोगों के शव ही पाए गए।
हिरासत में लिए गए शख्स पर 2005 में भी बंदूक के दम पर लूट करने और दूसरे लोगों को फंसाने का आरोप दर्ज है। इस केस में पुलिस का मानना है कि वह अकेला नहीं था और उसके साथ कुछ और भी लोग थे। पुलिस की ओर से एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें जसदीप और अमनदीप सिंह के हाथ बंधे हुए दिख रहे हैं। उन्हें हथियारों का डर दिखाकर ट्रक में चढ़ाया जा रहा है। इसके बाद बदमाश ट्रक को लेकर रवाना हो जाते हैं। इसके बाद वे बंदूकधारी बच्चे को लिए हुए जसलीन को भी किडनैप करके ले जाते हैं।
DESK: ईरान में हिजाब के खिलाफ जमकर विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। महिलाएं सड़कों पर आकर हिजाब को उतार फेंक रही हैं। इस बीच एक इराकी मूल की स्वीडिश राजनेता ने ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए यूरोपीय संसद में बहस के दौरान अपने बाल काट लिए। अबीर अल-सहलानी ने ईरान की महिलाओं के दमन पर जोरदार भाषण दिया। उन्होंने नागरिकों के खिलाफ सभी तरह की हिंसा को बिना शर्त और तत्काल बंद करने की मांग की है। उन्होंने ईरान में महिलाओं की आजादी की भी मांग की है।
संसद में अपने संबोधन के दौरान सहलानी कैंची निकालती हैं और अपनी पोनीटेल काट कर सामने रखते हुए कहती हैं, “जब तक ईरान की औरतें आजाद नहीं हो जाती, हम आपके साथ खड़े रहेंगे।”
ईरान में हिजाब के खिलाम उग्र विरोध प्रदर्शन
ईरान की कुख्यात पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद 22 वर्षीय महिला महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इसके बाद बाद ईरान में हिजाब विरोधी विरोध शुरू हो गया। महसा की गिरफ्तारी इसलिए की गई थी, क्योंकि उसने कथित तौर पर इस्लामिक हिजाब को बुहत ही ढीले-ढाले तरीके से पहना था। महिला के परिवार ने पुलिस कर्मियों पर उसे डंडों से सिर पर पीटने का आरोप लगाया है। परिवार के लोगों ने दावा किया है कि पुलिस ने उनके एक वाहन पर उसका सिर पट दिया।
अधिकारियों का दावा है कि किसी भी दुर्व्यवहार के कोई सबूत नहीं हैं। पुलिस का कहना है कि हिरासत के दौरान अमिनी की अचानक हृदय की गति रुक गई। इस कारण उसकी मौत हो गई।अमिनी की मौत की खबर फैलते ही पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। पूरे देश में महिलाओं ने महिलाओं की पोशाक पर ईरान के सख्त नियमों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपने सिर का स्कार्फ हटाकर और अपने बाल काटकर प्रदर्शन किए।
DESK: नॉर्थ कोरिया लगातार अपने हथियारों की टेस्टिंग कर रहा है। अमेरिका और दक्षिण कोरिया की आपत्ति के बावजूद वह बाज नहीं आ रहा है। बीते दो सप्ताह में वह छह मिसाइल टेस्ट कर चुका है। गुरुवार को एक बार फिर नॉर्थ कोरिया ने पूर्वी समुद्र में मिसाइल टेस्ट किया। न्यू एजेंसी ने दक्षिण कोरियाई सेना के हवाले से यह खबर दी है। दो दिन पहले ही नॉर्थ कोरिया ने जापान पर इंटरमीडिएट रेंज मिसाइल दागी थी। पांच साल में पहली बार नॉर्थ कोरिया ने ऐसा किया था।
बुधवार को अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने सुबह के ही वक्त कोरियाई प्रायद्वीप के पास चार मिसाइल लॉन्च कीं। इसके जरिए जापान पर दागी गई मिसाइल का जवाब देने की कोशिश की गई। हालांकि 24 घंटे के अंदर ही नॉर्थ कोरिया ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की।
दक्षिण कोरिया के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने कहा, हमारी सेना और खुफिया एजेंसियां हर तरह से नॉर्थ कोरिया पर नजर बनाए हुए हैं। सुबह के 6 बजे के करीब प्योंगयांग के समसोक इलाके से नॉर्थ कोरिया ने मिसाइल दागी है।
अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने मिलकर चार मिसाइल दागी हैं। इससे पहले भी मंगलवारको दक्षिण कोरिया ने विस्फोटक कार्रवाई की थी। इसमें साउथ कोरिया के एफ-16के विमानों का इस्तेमाल किया गया था और हवा से सरफेस पर दो मिसाइल लॉन्च की गई थीं। इस साल नॉर्थ कोरिया रेकॉर्ड हथियारों का टेस्ट कर चुका है।
DESK : विदेश मंत्री एस. जयशंकर नवरात्रि उत्सव में शामिल होने के लिए 50 राजदूतों एवं उच्चायुक्तों के साथ शनिवार को गुजरात के वडोदरा शहर पहुंचे। उत्सव दौरान सभी विदेशी राजदूत भारतीय संस्कृति की झलक देख खुशी से झूम उठे । विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के साथ विदेशी राजदूत मां दुर्गा की आरती करने के बाद गरबा महोत्सव में शामिल हुए। इस दौरान रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव कहा – ‘मैंने पहली बार गरबा खेला और मुझे बहुत पसंद आया। यह बहुत ही अच्छा महोत्सव है।
Seeking the blessing of Maa Amba ji at the Navratri celebrations in Vadodara. pic.twitter.com/AoDoEwngoc
भारत में फिजी गणराज्य के उच्चायुक्त कमलेश प्रकाश ने कहा – इतना बड़ा आयोजन कहीं और नहीं होता। जितने यहां लोग इकट्ठे हुए हैं उतने शायद हमारे देश की जनसंख्या है। भारत की संस्कृति बेहद समृद्ध व अद्भुत है। प्रधानमंत्री मोदी का जादू है जो लोगों को चुंबक की तरह जोड़कर रखता है। हमें फिजी में इतने बड़े स्तर पर यह देखने को नहीं मिलता। डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वेन ने इस मौके पर कहा – यह बहुत ही ज़्यादा अच्छा त्योहार है। इतने सारे लोगों को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है। मैं सभी भारतीयों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
विदेश मंत्री डॉ.एस जयशंकर ने वडोदरा में नवरात्रि उत्सव दौरान कहा कि गर्व की बात है कि विदेश के 50 से ज्यादा राजदूतों के साथ हम यहां आए हैं। वे वड़ोदरा में समय बिताएंगे। उनमें काफी उत्साह है, वे गुजरात की उन्नति देखना चाहते हैं। मुझे उम्मीद है कि उनके मन में गुजरात के बारे में एक अच्छी छवि बनेगी। बता दें कि राज्य की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाने वाला वडोदरा गरबा के लिए प्रसिद्ध है। गरबा में हजारों लोग शामिल होते हैं और वे देवी की आराधना में गीत-संगीत के बीच पारंपारिक परिधानों में नृत्य करते हैं।
AARYAA DESK : इंडोनेशिया में एक फुटबॉल मैच के दौरन भड़की भीड़ में 129 लोगों की मौत। इंडोनेशिया मीडिया के मुताबिक अरेमा एफसी और पर्सेबाया सुरबाया के बीच मैच चल रहा था. और फिर अरेमा टीम को हारता देख दर्शक मैदान में उतर आए.
इंडोनेशिया मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अरेमा की टीम हार गई। बड़ी संख्या में लोंग मैदान की तरफ भागने लगे। सुरक्षाकर्मियों से झड़प करने के बाद लोग चीजें फेंकना शुरू कर देते है हिंसा बढ़ता देख पुलिस लोगों को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ती है। आंसू गैस से बचने के प्रयास में सैकड़ों प्रशंसक निकास द्वार की ओर भागते हैं जिसमें कुछ की मौत दम घुटने से तो कुछ की भीड़ में कुचलकर हो जाती है।
स्थानीय समाचार चैनलों के वीडियो फुटेज में प्रशंसकों को मलंग के कांजुरुजन स्टेडियम में स्टेडियम में पिच पर स्ट्रीमिंग करते हुए दिखाया गया है, जब अरेमा एफसी पर्सेबाया सुरबाया से हार गए थे। पुलिस ने कहा कि लगभग 3,000 लोगों ने पिच पर धावा बोल दिया था। स्टेडियम के बाहर वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया। इनमें एक पुलिस ट्रक भी शामिल है। घटना इतनी दर्दनाक थी कि 129 लोगों के मौत के सात 180 लोग घायल है जिनमें कई लोगों की हालात गंभीर बनी हुई है।
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान को अरबों रुपये की राशि से हाथ धोना पड़ रहा है। इसकी दो बड़ी वजह हैं। पहली अमेरिका द्वारा जब्त की गई राशि और आईएमएफ द्वारा रोकी गई रकम। इसका असर देश के आर्थिक हालात पर पड़ेगा।अफगानिस्तान के और खराब होने वाले हैं हालात, तालिबान की बढ़ेगी परेशानी, US के बाद IMF ने भी रोकी अरबों डालर की रकम
अफगानिस्तान में बद से बदतर होते हालात के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अफगानिस्तान को मिलने वाली करीब 460 मिलियन डालर की राशि की निकासी को रोक दिया है। आईएमएफ ने ये फैसला वहां पर तालिबान के कब्जे के बाद लिया है। आईएमएफ का कहना है कि तालिबान के आने के बाद देश में असमंजस की स्थिति है। आईएमएफ का ये फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दबाव के बाद सामने आया है। बाइडन का कहना है कि ये रकम किसी भी सूरत में तालिबानियों के हाथों में नहीं जानी चाहिए |
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने विदेश में जमा देश की अरबों डालर की राशि को भी जब्त करने के आदेश दिए थे। इसके तहत अफगानिस्तान सेंट्रल बैंक की करीब 70 हजार करोड़ रुपये (9.4 अरब डालर) की रकम को जब्त कर लिया गया था। इसकी जानकारी द अफगान बैंक (डीएबी) के कार्यवाहक गवर्नर अजमल अहमदी ने दी थी। गौरतलब है कि अहमदी तालिबान के आने से पहले देश छोड़ चुके थे।
अपनी जानकारी में उन्होंने बताया था कि विदेश में अफगानिस्तान के करीब 9.4 अरब डालर जमा हैं। इनमें से लगभग 50 हजार करोड़ रुपये (7 अरब डालर) अमेरिकी फेडरल रिवर्ज बांड और संपत्ति के रूप में हैं। इसके अलावा इसमें 10 हजार करोड़ रुपये (1.3 अरब) का सोना भी है।
अमेरिका के इस फैसले से तालिबान ही नहीं अफगानिस्तान में भी आर्थिक संकट गहरा सकता है। आपको बता दें कि अफगानिस्तान काफी लंबे समय से विदेशों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से मिलने वाली वित्तीय मदद से ही चलता आया है। लेकिन अब इस पर लगी रोक से यहां की पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो सकती है। देश की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से जरूरी सेवाओं और खाने-पीने की चीजों के दामों में बेतहाशा तेजी हो सकती है। देश में इसकी वजह से कई चीजों की कमी तक हो सकती है। अमेरिका और आइएमएफ के फैसले के बाद तालिबान के लिए ये चुनौतियों से भरा समय है।
गौरतलब है कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अफगानिस्तान में वो सरकार बने की तरफ आगे बढ़ रहा है। इसको लेकर दोहा में बातचीत भी चल रही है। साथ ही वो इस मुद्दे पर कुछ देशों के साथ बातचीत कर भी चुका है। इसके अलावा तालिबान ने विश्व बिरादरी से भी बात करने को कहा है। वहीं दूसरी तरफ दुनिया के कई देश स्थिति पर लगातार निगाह रखे हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) सोमवार को अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से पैदा हुए हालात पर एक आपात बैठक करेगी। बीते एक हफ्ते में सुरक्षा परिषद की यह दूसरी बैठक है
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) सोमवार को अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से पैदा हुए हालात पर एक आपात बैठक करेगी। बीते एक हफ्ते में सुरक्षा परिषद की यह दूसरी बैठक है। भारत इस बैठक की अध्यक्षता करेगा। बता दें कि अगस्त महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की अध्यक्षता भारत के पास है। इससे पहले हुई बैठक में भी अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा हुई थी।
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इस बीच संरा महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने तालिबान एवं अन्य पक्षकारों से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने अफगान लोगों की जान बचाने और उन्हें मानवीय सहायता पहुंचाने को भी कहा है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने रविवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र सभी अफगान लोगों खासकर महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने और जरूरतमंद नागरिकों को जीवन रक्षक मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
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एक ओर तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान के आने के बाद पूरी दुनिया आतंकवाद के फिर सिर उठाने की आशंका से चिंतित है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का तालिबान को लेकर एक बार फिर शर्मनाक बयान आया है। उन्होंने तालिबान के कब्जे पर कहा है कि अफगानिस्तान ने अपनी गुलामी की बेडि़यों को तोड़ दिया है।
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का बयान ऐसे समय में आया है, जब तालिबान वहां महिलाओं के साथ बर्बरता कर रहा है। घरों में लूटपाट और आगजनी की जा रही है। तालिबान आतंकी महिलाओं को उठाकर जबरन शादी कर रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यह बयान सत्तारूढ़ तहरीक ए इंसाफ पार्टी के एक कार्यक्रम में दिया है। उन्होंने कहा कि जब आप कोई संस्कृति अपनाते हैं तो इसे श्रेष्ठ मानकर उसके गुलाम हो जाते हैं। यह मानसिक गुलामी वास्तविक गुलामी से भी बदतर होती है।
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भारत पाकिस्तान को कई बार इस बारे में चेतावनी दे चुका है कि गिलगिट बाल्टिस्तान भारत के जम्मू कश्मीर का ही अंग है और हमेशा रहेगा। इस पर उसका कोई हक नहीं है। इसके बाद भी वो कानूनी संशोधन कर इसको अस्थायी दर्जा देने की तैयारी कर रहा है।
गुलाम कश्मीर को लेकर कई बार दी गई भारत की सख्त चेतावनी के बावजूद पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा है। वह यहां गिलगिट-बाल्टिस्तान को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने पर आमादा है। इतना ही नहीं पाकिस्तान ने इसके लिए एक कानूनी मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है। पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से ये जानकारी सामने आई है।
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आपको बता दें कि भारत पहले ही पाकिस्तान को साफ तौर पर बेहद सख्त लहजे में चेतावनी दे चुका है कि जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र और लद्दाख भारत का कानूनी और अविभाज्य अंग है। भारत ने स्पष्ट रूप से गिलगिट-बाल्टिस्तान के क्षेत्र को लेकर भी यही बात कही है। कुछ दिन पहले भी भारत ने बेहद स्पष्ट शब्दों में पाकिस्तान और चीन को ये चेतावनी दी थी कि इस इलाके में बनने वाला आर्थिक कॉरिडोर अवैध है क्योंकि ये इलाका भारतीय क्षेत्र में आता है। भारत ने ये भी कहा था कि यहां पर हो रहे किसी भी तरह के अवैध निर्माण को बंद कर दिया जाना चाहिए।
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भारत ने ये भी कहा है कि पाकिस्तान और उसकी न्याय पालिका का अवैध रूप से और जबरन कब्जे वाले क्षेत्र पर कोई अधिकार नहीं है। डान अखबार के मुताबिक कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित इस कानून में सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय को समाप्त किया जा सकता है। इस क्षेत्र के चुनाव आयोग का पाकिस्तान के चुनाव आयोग में विलय हो सकता है। गिलगिट-बाल्टिस्तान के इस कानून को 26 वां संविधान संशोधन विधेयक नाम दिया गया है। इसका मसौदा तैयार कर प्रधानमंत्री इमरान खान को भेज दिया गया है।
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उल्लेखनीय है कि चीन के कर्ज में दबा पाकिस्तान गिलगिट-बाल्टिस्तान क्षेत्र में भी बलूचिस्तान की तरह चीन की परियोजनाओं के अनुकूल कानून में परिवर्तन करना चाहता है। इससे पूर्व पाकिस्तान का दमनकारी चेहरा यहां चुनाव कराने में भी सामने आ गया है, जब हाल में इमरान सरकार ने चुनाव के दौरान अराजकता और हिंसा कराई। इस हिंसा का सैकड़ों नागरिक शिकार हुए। इसको लेकर विपक्षी नेताओं के साथ ही जनता ने सेना के खिलाफ विद्रोह कर दिया। विरोधी नेताओं में से कुछ ने तो भारत से सहायता लेने की भी इमरान सरकार को धमकी दे दी।
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पीएमएल-एन की नेता मरियम नवाज ने गुलाम कश्मीर में कराए गए चुनाव और इसमें इमरान सरकार द्वारा कराई गई हिंसा की कुछ क्लीपिंग भी ट्वीट की थीं। मरियम का कहना था कि उन्होंने न तो गुलाम कश्मीर के और न ही पाकिस्तान के चुनाव परिणामों को कभी माना है और न ही मानेंगी, क्योंकि इनमें बड़े पैमाने पर इमरान खान की पार्टी ने धांधली करवाई थी।
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नई दिल्ली। म्यांमार में तख्तापलट हो चुका है। वहां की जनता लगातार इस तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। इस दौरान पुलिस की ओर से कई गई फायरिंग में अबतक 18 लोगों की मौत हो चुकी है। म्यांमार के सबसे बड़े शहर में प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं।
वहीं दूसरी ओर म्यांमार की एक अदालत ने अपदस्थ नेता आंग सान सू के खिलाफ सोमवार को एक और आरोप लगाया है। सू की पर अशांति फैलाने के लिए दंड संहिता की धारा 505 (बी) के तहत आरोप लगा है।
दरअसल, 1 फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) की नेता आंग सान सू को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है। पुलिस ने सू और उनकी पार्टी के कई नेताओं को हिरासत में लिया हुआ है। पुलिस ने उन पर पहले उन पर छह वॉकी-टॉकी रेडियो के अवैध रूप से आयात करने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद उनपर कोरोना वायरस प्रोटोकॉल को भंग कर प्राकृतिक आपदा कानून का उल्लंघन करने का आरोप जोड़ा गया।
बता दें कि तख्तापलट और देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की को गिरफ्तार किए जाने के बाद से म्यांमार में प्रदर्शनों का दौर जारी है। नवंबर में हुए चुनाव में सू की पार्टी ने जोरदार जीत दर्ज की थी, लेकिन सेना ने धांधली की बात कहते हुए परिणामों को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था।
सैन्य तख्तापलट के बाद सुरक्षा बलों ने बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए स्टन ग्रेनेड, आसूं गैस के गोले और यहां तक की गोलियां भी चला रही है। प्रदर्शनकारी देश की नेता आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को सत्ता सौंपने की मांग कर रहे हैं।
वहीं संयुक्त राष्ट्र में सेना के खिलाफ आवाज उठाने वाली म्यांमार की राजदूत क्याव मो तुन को बर्खास्त कर दिया गया है। उन्होंने विश्व समुदाय से सैन्य शासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था को तत्काल बहाल करने की गुहार लगाई थी।
नई दिल्ली। इस्लामिक देश क़तर में बिकनी पर प्रतिबंध लग गया है। इसके चलते वहां होने वाले वॉलीबॉल टूर्नामेंट का खिलाड़ी बहिष्कार कर रहे हैं। जर्मनी की स्टार वॉलीबॉल खिलाड़ी कार्ला बोर्गर और जूलिया सुडे ने इस टूर्नामेंट का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है।
कार्ला बोर्गर और जूलिया सुडे ने कहा कि क़तर अकेला ऐसा देश है, जहां वॉलीबॉल कोर्ट में बिकनी पहनने की अनुमति नहीं है। कार्ला ने कहा कि वहां जाकर उन्हें अपना ही काम करना है, लेकिन उस काम के लिए जो कपड़े पहनने होते हैं, उस पर ही लगाम लगाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि ये दुनिया की अकेली ऐसी सरकार है, जो खिलाड़ियों पर अपने विचार थोपते हुए बता रही है कि उन्हें उनका कार्य कैसे करना है, जिसकी वो आलोचना करते हैं।
मार्च में होने वाला है ये टूर्नामेंट
मार्च में होने वाला ये टूर्नामेंट क़तर का पहला बीच वॉलीबॉल इवेंट होने वाला है। 7 साल पहले यहां पुरुषों का खेल हुआ था। जबकि इस बार सभी महिला खिलाड़ियों को निर्देश दिया गया है कि वो शर्ट और लंबे ट्रॉउज़र पहनें, जिसका विरोध हो रहा है।
‘वर्ल्ड बीच वॉलीबॉल फेडरेशन (FIVB)’ ने कहा है कि मेजबान देश की संस्कृति और नियम-कायदों को देखते हुए ये चीजें तय की जाती हैं। लेकिन, जर्मनी की दोनों खिलाड़ियों ने इन नियमों के विरोध में क़तर जाने से इनकार कर दिया है।
दोनों खिलाड़ियों ने कहा कि वो हर देश के माहौल के प्रति ढल सकती हैं, लेकिन दोहा में इतनी गर्मी रहती है कि बिकनी के बिना ये खेल नहीं हो पाएगा। सुडे ने कहा कि 2019 वर्ल्ड एथलिट चैंपियनशिप में क़तर ने कुछ रियायतें दी थीं।
बता दें कि मार्च में क़तर में बहुत ज्यादा गर्मी नहीं रहती है, लेकिन फिर भी तापमान 30C (86F) के आसपास घूमता रहता है। बोर्गर ने इस पर भी सवाल उठाए कि क्या इस खेल के आयोजन के लिए क़तर एक योग्य मेजबान देश है भी?
क़तर में मानवाधिकार की समस्या और इसके स्पोर्टिंग इतिहास को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं, जिन्हें हाल के दिनों में ठीक करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन, फिर भी पेंच फंस रहा है।
क़तर में इस्लामी कानून चलता है, जहां महिलाओं को हिजाब और बुर्का पहनने को कहा जाता है। लेकिन, हाल के दिनों में कई पर्यटक वहां पर पहुँचे हैं, जिन्हें नियमों में ढील की उम्मीद है।
क़तर के स्विमिंग पूल और पांच सितारा होटलों में महिलाएं बिकनी पहनती रही हैं। जर्मनी वॉलीबॉल फेडरेशन ने भी अपने खिलाड़ियों का समर्थन किया है। 2006 एशियन गेम्स में इसी खेल में खिलाड़ियों को बिकनी पहनने की अनुमति मिली थी।