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सहारनपुर : राकेश टिकैत का बड़ा बयान, कहा-बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं

सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के नागल क्षेत्र के ग्राम लाखनोर में आयोजित किसान महापंचायत को भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने संबोधित किया।

दोपहर लगभग 2 बजे के आसपास महासभा स्थल पर पहुंचे जब राकेश टिकैत पहुंचे तो पूरा महासभा स्थल जय जवान जय किसान के नारों से गुंज उठा। किसानों ने फूल मालाओं से राकेश टिकैत का जोरदार स्वागत किया।

इस दौरान अपने लंबोधन में राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि बिल की वापसी नहीं तो किसान की घर वापसी भी नहीं होगी। हम सरकार को चैन की नींद नहीं सोने देंगे और एमएसपी पर सरकार को कानून बनाना पड़ेगा, जिससे पहाड़ के किसान और आसाम के किसानों को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन अभी लंबा चलेगा। कल उत्तराखंड में रैली है तो परसों राजस्थान में है।

महासभा के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन द्वारा कड़े इंतजाम किए गए थे। कई थानों की फोर्स समेत पीएसी बल, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी महासभा स्थल पर मौजूद रहे।

रिपोर्ट- शहज़ाद अंजुम

 

राकेश टिकैत को समझा कर उन्हें जाट नेता बनने से रोका, इस भूल सुधार के बाद किसान संगठनों ने लिया ये निर्णय

किसान आंदोलन के बदलते स्वरूप को केंद्र सरकार और भाजपा अपने फायदे के तौर पर देख रही थी। सरकार चाहती थी कि राकेश टिकैत पश्चिमी यूपी, हरियाणा और पंजाब में किसान महापंचायत करते रहें। उनकी छवि किसान नेता की बजाए जाट नेता की बन जाए। टिकैत इसी राह पर चल पड़े थे। खासतौर पर पंजाब के किसान संगठन, जो संयुक्त किसान मोर्चे में बहुसंख्यक हैं, उन्होंने सरकार की मंशा और टिकैत के कदमों को भांप लिया। महापंचायतों को लेकर राकेश टिकैत के हाथ बांध दिए। संयुक्त किसान मोर्चे के वरिष्ठ पदाधिकारी सरदार जगमोहन सिंह बताते हैं, अब वे हरियाणा और पंजाब में महापंचायतें नहीं करेंगे। यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है। किसान संगठन अब महापंचायतों के दौर से आगे निकल चुके हैं, इसलिए आने वाले दिनों में किसान महापंचायतों का स्थान बड़ी रैलियां लेने जा रही हैं।

गाजीपुर से बाहर निकलने के बाद राकेश टिकैत ने हरियाणा में लगातार कई जगहों पर किसान महापंचायतें की तो यह सवाल उठने लगा कि वे खुद को जाट नेता के तौर पर आगे ले जाना चाह रहे हैं। पश्चिमी यूपी में राकेश के भाई नरेश टिकैत और चौ. अजीत सिंह के लड़के जयंत चौधरी सक्रिय हो गए। उनके मंच पर जाट नेताओं का जमावड़ा लगा रहा।किसान महापंचायतों को लेकर ऐसी चर्चा होने लगी कि ये जाट बाहुल्य इलाकों में हो रही हैं। इनमें जाट समुदाय के लोगों की ही अधिक भागेदारी है। भाजपा ने इस बात को हरियाणा और पंजाब से बाहर निकालकर दूसरे राज्यों तक पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। सरदार जगमोहन सिंह कहते हैं, इससे सरकार तो खुश थी, लेकिन हमें तो किसान आंदोलन देखना था।यह आंदोलन किसी एक नेता का नहीं है। लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक रहे हैं। केंद्र सरकार की मंशा भांपने के बाद संयुक्त किसान मोर्चे ने निर्णय लिया है कि अब हरियाणा और पंजाब में किसान महापंचायत आयोजित नहीं की जाएंगी।

राकेश टिकैत के साथ जाट समुदाय जुड़ रहा है, ये बात केंद्र सरकार अच्छी तरह समझ चुकी है। यही वजह रही कि सरकार ने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को जाट समुदाय के नेताओं के साथ बैठक करने के लिए कहा। मंत्री के आवास पर आयोजित बैठक में पश्चिमी यूपी के कई बड़े नेता शामिल हुए थे।हरियाणा और राजस्थान के जाट नेताओं से भी संपर्क किया जा रहा है। दूसरी तरफ किसान संगठनों ने जाट बाहुल्य इलाकों में राकेश टिकैत की महापंचायतों पर ऐतराज करना शुरु कर दिया। आम लोगों के बीच पहले ही यह दुष्प्रचा

 

 

किसान यूनियन की भाजपा से नाराजगी, भाजपा के खिलाफ दी ये धमकी

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने लोगों से कहा है कि वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं को शादियों में बुवाला ना दें। 17 फरवरी को यूपी के मुजफ्फरनगर के सिसौली में एक महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि भाजपा नेताओं को आमंत्रित करने वालों को अगले दिन 100 भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं को खिलाने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए नरेश टिकैत ने कहा, “यदि आप चाहें, तो हम इसे एक आदेश के रूप में भी पारित कर सकते हैं। इसे एक आदेश या सलाह किसी भी रुप में लीजिए लेकिन किसी को भी भाजपा नेताओं को अपने घरों के कार्यक्रमों में निमंत्रण नहीं भेजना चाहिए। हमें इसके बारे में बताइए, अगले दिन उस व्यक्ति (जो एक निमंत्रण भेजता हैं) को 100 लोगों के लिए भोजन तैयार रखना होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि महापंचायत में दिए गए इस आदेश का उनके बहिष्कार के रुप में भी माना जा सकता है।

उन्होंने कहा, “अगर भाजपा नेताओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, तो वे भारतीय किसान यूनियन और हम पर आरोप लगाएंगे। इसलिए मैंने कहा कि उन्हें अपने घरों में ही खुश रहना चाहिए। अगर आप चाहें, तो आप इसे बहिष्कार मान सकते हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन लगातार चलेगा। केंद्र सरकार के खिलाफ हमारा यह विरोध जारी रहेगा।

केंद्र सरकार ने 12-18 महीनों के लिए कृषि कानूनों को रोककर रखने की पेशकश की थी, लेकिन कानूनों के खिलाफ विरोध करने वाले किसान यूनियनों द्वारा इस  प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया गया था। तीन नए कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगभग तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं पर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

 

पीएम मोदी के आंदोलन खत्म करने की अपील पर राकेश टिकैत ने कही ये बात …

नई दिल्ली। राज्यसभा में सोमवार को अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने किसानों से अपने आंदोलन को खत्म करने की अपील की। पीएम मोदी की इस अपील पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने टिप्पणी की है।

राकेश टिकैत ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी बातचीत करना चाहते हैं तो हमारा मोर्चा और कमेटी बातचीत करने के लिए तैयार हैं। हमारे पंच भी वही हैं और हमारा मंच भी वही है। एमएसपी पर क़ानून बने यह किसानों के लिए फायदेमंद होगा। उन्होंने कहा कि देश में भूख पर व्यापार नहीं होगा। अनाज की कीमत भूख पर तय नहीं होगी। भूख पर व्यापार करने वालों को देश से बाहर निकाला जाएगा। देश में आज पानी से सस्ता दूध बिक रहा है। किसानों की दूध पर लागत ज्यादा आ रही है, लेकिन उसको दाम कम मिल रहा है। दूध का रेट भी फिक्स होना चाहिए।

इसके अलावा टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से जनता से गैस पर सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी, उसी तरह अब उन्हें सांसदों और विधायकों से अपील करनी चाहिए कि वह जो पेंशन ले रहे हैं, वह छोड़ दें। अगर सांसद और विधायक पेंशन छोड़ देंगे तो किसान भारतीय यूनियन उनका धन्यवाद करेगा।

किसान आंदोलन  : सोशल मीडिया पर पुलिस की पैनी नजर

नई दिल्ली।  26 जनवरी को दिल्ली में पैदा हुईं अराजक परिस्थितियों के बाद दिल्ली पुलिस अब किसी तरह की गुंजाइश बाकि नहीं रखना चाहती। दिल्ली की सीमाओं पर पुख़्ता तैयारियों के बाद अब सोशल मीडिया पर भी कड़ी नज़र रखी जा रही है ताकि कोई अफवाह न फैले। वहीं, कल यानी शनिवार को कुछ किसान संगठनों की ओर से प्रस्तावित चक्का-जाम को लेकर भी सुरक्षा के पूरे इंतज़ाम किए गए हैं।

किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर भड़काऊ ट्वीट के मामले में दिल्ली पुलिस बेहद सतर्कता बरत रही है। टूल-किट डॉक्युमेंट्स के विदेशी लिंक सामने आने के बाद, पुलिस सोशल मीडिया की विशेष निगरानी बरत रही है। दिल्ली पुलिस के अनुसार सोशल मीडिया पर अफवाह न फैलाई जाए, इसे लेकर भी प्रशासन अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है।

किसान आंदोलन की आड़ में शांतिभंग करने की अंतर्राष्ट्रीय साजिश के संकेत मिलने के बाद,  भारत सरकार हर स्तर पर चौकस दिख रही है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने साफ कहा कि हम मिलकर देश के ख़िलाफ हर साज़िश को मात देंगे।

वहीं, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने मौजूदा परिस्थितियों के लिए विपक्षी पार्टियों को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि वही इस आंदोलन को हवा दे रहे हैं। दिल्‍ली पुलिस की साइबर सेल ने स्‍वीडिश ऐक्टिविट ग्रेटा थनबर्ग की ओर से ट्वीट किए डॉक्‍युमेंट की जांच शुरू कर दी है। गुरुवार को दर्ज एफआईआर के बाद पुलिस अब इस बात की जांच में जुटी है कि आरोपी टूल-किट के पीछे कौन-कौन लोग या संस्थाएं हैं। उधर, शनिवार यानी 6 फरवरी को किसान संगठनों ने देशभर में चक्का जाम करने की घोषणा की है। किसान संगठनों का कहना है कि देशभर भर में 3 घंटे का सांकेतिक चक्का जाम किया जाएगा। हालांकि, कई किसान संगठनों का कहना है कि दिल्ली में चक्का जाम नहीं होगा, लेकिन 26 जनवरी की हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस अपनी तरफ से तैयारियां पूरी रखनी चाहती है। दिल्ली पुलिस ने किसी भी तरह के हंगामे से निपटने के लिए पूरी व्यवस्था की है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि दिल्ली की सीमाओं पर ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि कोई भी प्रदर्शनकारी कल शहर में घुस ना पाए। इसके लिए पड़ोसी राज्यों की पुलिस के साथ भी दिल्ली पुलिस लगातार संपर्क बनाए हुए है।

फिलहाल 26 जनवरी की घटना के बाद दिल्ली , यूपी हरियाणा समेत तमाम राज्यों की सरकारें सतर्क हैं और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार भी।

 

6 फरवरी को रोड ब्लॉक करने का किसानों ने किया ऐलान, कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन जारी

नई दिल्ली:  26 जनवरी की घटना के बाद देश में सनसनी फैली हुई है, जिसके चलते दिल्ली पुलिस हाई अलर्ट पर है। दिल्ली की सीमाओं पर भारी सुरक्षा बल तैनात है, किसी भी तरह की अनहोनी से बचने की पूरी तैयारियां की जा रही है।

बता दें, लगभग 70 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन चल रहा है। एक बार फिर किसानों ने ऐलान किया है की यदि सरकार इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है, तो 6 फरवरी को रोड़ ब्लोक कर भारत बंद किया जाएगा।

बताया जा रहा है की सोमवार को किसानों के संयुक्त मोर्चे की बैठक में सहमति बनने के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर सिंह राजेवाल  ने 6 फरवरी को भारत बंद का ऐलान किया है।

बता दें, रविवार को किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने भारत बंद करने के संकेत दिए थे। पन्नू ने कहा था कि सोमवार को मीटिंग में सहमति बनने के बाद तारीख का ऐलान कर दिया। 6 फरवरी को 12 बजे से लेकर शाम 3 बजे तक किसान रोड़ ब्लोक कर प्रदर्शन करेंगे।

शशि थरूर और 6 पत्रकारों पर देशद्रोह का केस, झूठी खबर फैलाने के आरोप

नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में 26 जनवरी को हुए उपद्रव के ममाले में कांग्रेस सांसद  शशि थरूर समेत छह पत्रकारों पर के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है।

इन सभी पर गणतंत्र दिवस के दिन निकाली गए किसान ट्रैक्टर मार्च को लेकर सोशल मीडिया पर गलत खबर पोस्ट और सामाजिक वैमनस्य फैलाने के आरोप लगाए हैं। इन सभी पर देशद्रोह समेत आपराधिक षडयंत्र और शत्रुता को बढ़ावा देने समेत आईपीसी के तहत कई आरोप लगाए गए हैं।

जिन छह पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, उनमें राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडे, विनोद जोस, जफर आगा, परेश नाथ और अनंत नाथ का नाम शामिल है।

बता दें कि दिल्ली में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान ITO पर एक किसान की ट्रैक्टर पलटने से मौत हो गई थी। हालांकि किसानों ने पुलिस की गोली से उसकी मौत की बात कही और इसी दावे को लेकर शशि थरूर और सरदेसाई समेत तमाम लोगों ने ट्वीट किया। इन्हीं ट्वीट्स के लिए अब थरूर और छह पत्रकारों पर नोएडा में केस दर्ज किया गया है।

 

ट्रैक्टर परेड के नाम पर हिंसा करने वाले किसानों के खिलाफ जारी होगा लुक आउट नोटिस

नई दिल्ली।  गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले में की हर तरफ निंदा हो रही है। दिल्ली पुलिस भी इस मामले में बेहद सख्ती से काम ले रही है।

डीडी न्यूज की खबर के मुताबिक पुलिस ने दिल्ली के अलग-अलग थानों में अब तक हिंसा और तोड़फोड़ के मामले में 25 एफआईआर दर्ज की है। जिन किसान नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज़ हुई है, उनके खिलाफ अब दिल्ली पुलिस लुक आउट नोटिस जारी करेगी।

FIR में जिन किसान नेताओं के नाम हैं, दिल्ली पुलिस उनके पासपोर्ट सरेंडर करने की प्रक्रिया भी शुरू करेगी। इसके अलाव दिल्ली पुलिस ने क्रांतिकारी किसान यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा के दर्शन पाल को भी नोटिस भेजकर तीन दिन में जवाब मांगा है। साथ ही सभी आरोपी किसानों औऱ दंगाइयों के नाम मांगे हैं जो इन दंगों में शामिल थे। किसान ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के मामले में अब तक 400 से ज्यादा पुलिस के जवान घायल हुए हैं।

 

 

दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड हुई उग्र, पुलिस के बैरिकेड्स तोड़ जमकर मचाया उत्पात

नई दिल्ली। दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड उग्र हो गई। पुलिस की शर्तों पर किसान संगठनों द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद भी मंगलवार को आंदोलनकारियों ने दिल्ली के अंदर खूब उत्पात मचाया।

आईटीओ पर बवाल के बीच करीब दो दर्जन ट्रैक्टरों पर सवार सैकड़ों किसान लाल किला परिसर में पहुंच गए, जहां उन्होंने हंगामा शुरू करने के साथ लाल किले पर संगठन का झंडा फहरा दिया। यह झंडा वहां फहराया गया है, जहां 15 अगस्त को प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं।

अक्षरधाम से पहले एनएच-24 पर किसानों ने पुलिस के बैरिकेड्स तोड़ दिए, जिसके बाद पुलिस को किसानों पर लाठीचार्ज करना पड़ा।

उत्तराखंड :  मुस्लिम समुदाय की तरफ से 100 रजाई लेकर गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हुए किसान

उत्तराखंड। कृषि बिल के खिलाफ गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में मुस्लिम समुदाय के किसान भी आगे आए हैं। मुस्लिम समुदाय के किसानों ने झगड़पूरी के ग्राम प्रधान पति शराफत अली मंसूरी एवं कांग्रेस नेता राजेंद्र पाल सिंह के नेतृत्व में 100 रजाई लेकर गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हुए हैं।

प्रधान पति शराफत अली मंसूरी ने कहा कि हम अपने घर में हैं लेकिन तब भी कितनी ठंड महसूस हो रही है तो जो गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं उन किसानों पर क्या बीत रही होगी। इसलिए आज मुस्लिम समुदाय के तरफ से हम लोग रजाई देने जा रहे है।

कांग्रेस नेता राजेंद्र पाल सिंह पाटू ने कहा कि किसान आंदोलन किसी राजनीतिक दल का नहीं है। यह आंदोलन सभी समुदाय और किसानों का है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसान आंदोलन में बिना पार्टी के झंडे के कांग्रेस अपना कर्तव्य निभाएं। इसी क्रम में हम लोग भी मुस्लिम समाज और किसानों के आंदोलन के साथ खड़े हैं और आगे भी इसी तरह खड़े रहेंगे।